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कैसा देश है जनवादी कोरिया?

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 1 अक्टूबर 2017 का लेख उत्तर कोरिया  और उसकी सरकार एक बार फिर से सुर्खियों में है. यह बताने की जरुरत नहीं कि उत्तर कोरिया  किस वजह से सुर्खियों में रहता है. उत्तर कोरिया के बारे में  सिर्फ यही कहा जा सकता है कि एक देश को बदनाम करने के लिए जितने हथकंडे अपनाये जा सकते हैं वो अपनाये गए हैं और इस वजह से शायद दुनिया में बहुत सारे लोगों के मन में उत्तर कोरिया खासकर उसकी सरकार के बारे में बहुत ही नकारात्मक छवि बनी हुई है, उत्तर कोरिया की यात्रा  कर चुके अमेरिका समेत कई देशों के पर्यटक या  पत्रकार,  वहां काम कर रहे संयुक्त राष्ट्र के अधिकारी या  अन्य के संस्मरणों को देखें तो पता चलता है कि सच्चाई कुछ और ही है. उत्तर कोरिया को क्यों बदनाम किया जाता है या उसे बदनाम करने का एक उद्योग क्यों खड़ा किया गया है इसकी चर्चा इस लेख में करना विषयांतर हो जाएगा. इस लेख में हम संक्षेप में  उत्तर कोरिया की उन उपलब्धियों की चर्चा करेंगे जो अंत्यंत ही कठिन और विपरीत परिस्थितियों में वहां की सरकार के नेतृत्व में हासिल की गई हैं और उसकी चर्चा कॉर्पोरेट्स की गोदी में खेलने वाले तथाकथित मुख्यधारा की मीडिया द्वारा जा

मुश्किल वक्त का मुकाबला

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 "उत्तर कोरिया के भयानक अकाल के उन वर्षों में मैंने अपना पूरा समय गाँव में बिताया था. सैन्य शिविर के निकट उस गाँव के किसी  घर में चावल नहीं दिखाई देता था और छिटपुट मकई के दाने दिखाई दे जाते थे. लोग उन मकई के दानों को पहाड़ी खाद्य पौधों या आलू के साथ खाते थे. कोई घर तो एक समय के भोजन के लिए केवल दो आलूओं से काम चलाता था और कोई अतिथि आता था तो शर्मिंदगी की वजह से उस घर में जानबूझकर खाने के समय  को नजरअंदाज किया जाता था. उस गाँव के निकट के सैन्य शिविर के सैनिकों को तीनों वक्त का खाना मिलता था लेकिन सैनिक केवल नाश्ता और दोपहर का भोजन करते थे और बिना किसी के कहे अपने शाम के भोजन को उन घरों में दे आते थे जिनमें बच्चे होते थे.उसके बाद उन घरों की औरतें सैन्य शिविर आकर सैनिकों को ये सब करने से मना करते हुए विरोध करते हुए यह कहती थीं कि हमारी तुलना में देश के रक्षक सैनिकों को खाना खाना चाहिए. लेकिन सैनिक रूकने वाले कहाँ थे वे उस घर के दरवाजे के सामने चुपके से खाना रखकर भाग जाया करते थे. सैनिकों का कहना था कि हम बड़े जितना भी चाहें भूख बर्दाश्त कर सकते हैं लेकिन बच्चे हमारे भविष्य हैं और उनक

(पुराना लेख) जनवादी कोरिया के ICBM परीक्षण से बिगडा़ अमेरिकी साम्राज्यवादियों का मानसिक संतुलन

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 1 दिसम्बर 2017 का लेख उत्तर कोरिया के हालिया ICBM परीक्षण से अमेरिकी साम्राज्यवादियों का मानसिक संतुलन बिगड़ गया है जब संयुक्त राष्ट्र(UN) में अमेरिका की प्रतिनिधि निकी हेली ने अनाप शनाप बकना शुरू कर दिया उसने कहा कि चीन उत्तर कोरिया को कच्चे तेल की आपूर्ति बंद करे और संयुक्त राष्ट्र के सारे सदस्य देश उत्तर कोरिया से अपने सारे राजनयिक और व्यापारिक संबंध तोड़ लें. इसपर रूस और चीन ने खुले तौर पर अमेरिका की उत्तर कोरिया के प्रति दबाब की नीति की आलोचना की और पश्चिमी देशों में सबसे पहले जर्मनी ने उत्तर कोरिया से किसी भी तरह का संबध तोड़ने से इंकार कर दिया. उत्तर कोरिया ने अपना पिछला मिसाइल परीक्षण 15 सितम्बर 2017 को किया था उसके बाद अमेरिका के उत्तर कोरिया नीति के विशेष प्रतिनिधि जोसफ यून(Joseph Yun) ने विदेश मामलों से संबंधित परिषद् (Council on Foreign Relations) की बैठक में यह बताया कि अगर उत्तर कोरिया 60 दिनों के भीतर किसी भी तरह का परमाणु या मिसाइल परीक्षण नहीं करता है तो अमेरिका उत्तर कोरिया से सीधी वार्ता (Direct dialogue) करेगा.  उत्तर कोरिया ने  ढाई महीने तक किसी भी तरह का परीक्षण नही

(पुराना लेख) तनाव से शांति की ओर

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 9 मार्च 2018 का लेख उत्तर कोरिया द्वारा अपने उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल को दक्षिण कोरिया के प्योंगचांग में आयोजित शीतकालीन ओलिंपिक में भेजे जाने और दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे इन से उनकी मुलाकात के बाद, जबाब में 5 मार्च 2018 को उत्तर कोरिया की राजधानी प्योंगयांग भेजे गए दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति के विशेष प्रतिनिधिमंडल का राजकीय भोज पर वर्कर्स पार्टी ऑफ़ कोरिया के मुख्यालय में पार्टी और उत्तर कोरिया की राज्यकार्य समिति (State Affairs Commission, SAC) के अध्यक्ष किम जोंग उन ने स्वागत किया और बातचीत की. दक्षिण कोरियाई विशेष प्रतिनिधिमंडल के प्योंगयांग पहुचने के तीन घंटे के अन्दर ही अब तक चली आ रही परंपरा के विपरीत किम जोंग उन से उनकी मुलाकात हुई. अब तक की परम्परा के मुताबिक दक्षिण कोरियाई प्रतिनिधिमंडल की उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता से मुलाकात उनके दौरे के आखिरी दिन ही होती थी और  इस बार पहली दफे किसी भी दक्षिण कोरियाई प्रतिनिधिमंडल को वर्कर्स पार्टी ऑफ़ कोरिया के मुख्यालय में बुलाया गया. उत्तर-दक्षिण कोरिया की इस वार्ता के बाद अप्रैल के आखिर में दोनों देशो के राष्ट्राध्यक्षों के ब

(पुराना लेख) जंगखोरों की साजिश फिलहाल हुई नाकाम

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 3 जून 2018 का लेख जंगखोरों की साजिश फिलहाल हुई नाकाम . ऐतिहासिक उत्तर कोरिया- अमेरिका शिखर वार्ता अब तय समय पर तय जगह पर ही होगी. 24 मई 2018 को अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने 12 जून 2018 को सिंगापुर में होने वाली ऐतिहासिक उत्तर कोरिया- अमेरिका शिखर वार्ता को रद्द करने की घोषणा करके हड़कंप मचा दिया. हालाँकि उत्तर कोरिया की तरफ से इस वार्ता के लिए सकारात्मक रुख दिखाए जाने से सारी चीजें पटरी पर लौट आई है और 1 जून 2018 को घोषणा की गई कि उत्तर कोरिया- अमेरिका शिखर वार्ता 12 जून को ही सिंगापुर में होगी. इसके पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 24 मई 2018 के अपने ट्वीट में यह लिखा कि बड़े अफसोस के साथ उसे मजबूर होकर किम जोंग उन के साथ सिंगापुर में होने वाली शिखर वार्ता रद्द करनी पड़ी (Sadly, I was forced to cancel the Summit Meeting in Singapore with Kim Jong Un.)  ट्रम्प के इस वाक्य से यह अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि उस पर किसी का दबाब काम कर रहा था. ट्रम्प पर ऐसा दबाब बनाने के पीछे अमेरिका के धुर दक्षिणपंथी राजनीतिज्ञ, उच्चाधिकारी, पेंटागन और हथियार निर्माता कंपनियों के एक हित समूह (In

(पुराना लेख) उत्तर- दक्षिण कोरिया का पानमुनजम समझौता

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 1मई 2018 का लेख पिछले 27 अप्रैल को उत्तर-दक्षिण कोरिया के बीच 11 साल के बाद हुई तीसरी शिखर वार्ता पर पूरी दुनिया की नजरें थीं. इस वार्ता के दौरान दो  आश्चर्यजनक घटनाएं घटीं जिनके गहरे अर्थ थे. पहला उत्तर कोरिया की राज्यकार्य समिति (State Affairs Commission, SAC) के चेयरमैन किम जोंग उन अचानक उत्तर –दक्षिण कोरिया के बीच विभाजन रेखा तक बिल्कुल अकेले आकर दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे इन से हाथ मिलाया  और  उत्तर- दक्षिण कोरिया की सीमा पर स्थित पन्मुन्जम का दक्षिण कोरिया में पड़ने वाला इलाका दक्षिण कोरिया के प्रशासन के अधीन न होकर संयुक्त राष्ट्र पर असल में अमेरिकी सेना के अधीन है. उत्तर कोरियाई नेता का दुश्मन के इलाके में इस तरह से अपनी जान की परवाह किये बिना  अकेले जाना कोरिया प्रायद्वीप के शांति और एकीकरण के लिए उत्तर कोरिया की मजबूत इच्छाशक्ति को दर्शाता है. दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति मून ने भी चेयरमैन किम की इस बहादुरी की सराहना की. यहाँ यह बताते चलें की शिखर सम्मलेन के स्थान के लिए उत्तर कोरिया के पास  प्योंगयांग, सीओल और पान्मुन्जम इन तीन जगहों के प्रस्ताव थे ,लेकिन उत्तर कोरिया न

अद्भुत! अभूतपूर्व! अविश्वसनीय!

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 19 जनवरी 2018 का लेख लगता है उत्तर कोरिया ने सालों पहले विज्ञान की सबसे अद्भुत ,अभूतपूर्व, अविश्वसनीय तकनीक खोज निकाली है जिससे कि मुर्दों को जिन्दा किया जा सके या फिर तथाकथित भगवान, अल्लाह और  गॉड की केवल नास्तिक उत्तर कोरिया पर ही मेहरबानी है. 29 अगस्त 2013 को दक्षिण कोरिया के सबसे बड़े अखबार ”चोसन इल्बो” के हवाले से यह खबर आई कि उत्तर कोरिया की गायिका ह्यून सोंग वोल और उसके 10 साथी कलाकारों को अनुचित (पोर्न) वीडियो बनाने के जुर्म में उत्तर कोरिया के नेतृत्व द्वारा लोगों के बीच उनके परिवार के सामने गोलियों से भून डाला गया. इस खबर को दक्षिण कोरिया के अन्य मीडिया और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया ने भी प्रमुखता दी. यह भी कहा गया कि ह्यून के उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन के साथ भी सम्बन्ध थे . दक्षिण कोरिया के राष्ट्रीय गुप्तचर एजेंसी (National Intelligence Service) ने भी दक्षिण कोरिया की संसद में चोसन इल्बो की इस खबर को सही बताया. लेकिन ये क्या! मई 2014 में आयोजित उत्तर कोरिया के कलाकारों के महासम्मेलन के दौरान गोलियों से भून डाली गई ह्यून मुर्दों को जिन्दा बनाने वाली तकनीक या तथाकथित भगवान,

अशांति का काल : आकांक्षा और हताशा

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  आप किसका समर्थन करते हैं ? 1.    पूंजीवाद -14% 2.    समाजवाद -70% 3.    साम्यवाद -7% 4.    कह नहीं सकते -8%   ये दक्षिण कोरिया के अमेरिकी सैन्य शासन ( सनद रहे कि दक्षिण कोरिया में 9 सितम्बर 1945 से 15 अगस्त 1948 तक अमेरिका का सैन्य कब्जा था और अभी भी है ) द्वारा वहां के लोगों के बीच किया गए एक सर्वेक्षण का नतीजा है जो 13 अगस्त 1946 को स्थानीय अख़बार डोंगा इल्बो (동아일보) द्वारा प्रकाशित किया गया था.( साम्यवाद दरअसल समाजवाद की ही उच्चतम अवस्था है).     आप खुद देख सकते हैं कि किस तरह  उस समय  दक्षिण कोरिया की जनता का बहुमत समाजवाद के पक्ष में था , आधुनिक कोरिया के इतिहास का यह पक्ष हमें बताता है कि किस तरह से  तथाकथित लोकतंत्र के पुजारी अमेरिका द्वारा जनता की इच्छा को पूरी तरह से नकार कर कोरिया नामक एक  समान संस्कृति, इतिहास, भाषा  और परंपरा वाले देश का जबरदस्ती और आपराधिक  विभाजन कराया गया. मेरे दक्षिण कोरिया के प्रवास के दिनों में वहां ऐसे लोग भी मिले जो कहते थे कि कोरिया (एकीकृत) भी जनता कि इच्छा  के अनुरूप एक समाजवादी मुल्क ही बनता. कोरियाई इतिहास  के इसी पक्ष को अमूमन पश्चिमी और दक्षि

जनवादी कोरिया की आर्थिक और सामाजिक उपलब्धियां

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 कनाडा के मोंट्रियल स्थित स्वंतंत्र रिसर्च और मीडिया संस्थान ग्लोबल रिसर्च की संयुक्त राष्ट्र संवाददाता और अमेरिकी नागरिक कार्ला स्टी (Carla Stea) ने  साल2017 में उत्तर कोरिया  की यात्रा की और यह लेख लिखा. उत्तर कोरिया की सामाजिक और आर्थिक उपलब्धियों को समझाने के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण लेख है और यह पूरा लेख हिंदी में अनुवाद करने लायक है. कार्ला के इस लेख की कुछ बातें मैं यहाँ रख रहा हूँ. कृपया पूरा लेख जरुर पढ़ें.  (लिंक: https://www.globalresearch.ca/the-social-and-economic-achievements-of-north-korea/5594234#sthash.liw5KPNO.gbpl )  कार्ला के इस लेख के अनुसार उत्तर कोरिया को लेकर संयुक्त राष्ट्र की भूमिका एकदम शर्मनाक रही है . संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद् ने  सिर्फ अमेरिका के हित में अपना काम करते हुए इस देश पर आपराधिक प्रतिबन्ध लगाये. लेकिन उत्तर कोरिया के लोग  बहादुरी से अपने समाजवादी विकास को बरकरार रखते आये हैं और उत्तर कोरिया की पूरी तरह से निःशुल्क उच्च स्तर की शिक्षा , उन्नत स्वास्थ्य व्यवस्था ने  देश को आर्थिक और सामाजिक बराबरी और जनतांत्रिक समाज का एक अनुपम उदाहरण बना द