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दिसंबर, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

स्वावलम्बी अर्थव्यवस्था

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  स्वावलंबी अर्थव्यवस्था- जनवादी कोरिया की जीवन रेखा अपनी स्थापना के बाद से ही जनवादी कोरिया ने एक स्वावलंबी राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के निर्माण की वकालत की है, और अभी भी स्वावलंबी अर्थव्यवस्था को अपनी जीवन रेखा के रूप में मान रहा है. राष्ट्रीय संप्रभुता की रक्षा करना 1950 के दशक में कोरियाई युद्ध  ने जनवादी कोरिया की अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से तहस नहस कर दिया था. उस वक्त अमेरिकी साम्राज्यवादियों ने जोर देकर कहा था कि जनवादी कोरिया सौ साल में भी मलबे के ढेर से उपर नहीं उठ पाएगा. हालांकि, जनवादी कोरिया ने थोड़े समय में युद्ध के जख्मों को भर हल्के उद्योग और कृषि को एक साथ बढ़ावा देने के साथ-साथ  भारी उद्योग विकसित करने की  नीति अपनाकर समाजवाद के निर्माण के लिए आगे बढ़ा  उस समय, बड़ी शक्तियों के पूजकों ( Great power chauvinists)  ने, जनवादी कोरिया की स्वावलंबी राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के निर्माण से अप्रसन्न होकर, इसे पारस्परिक आर्थिक सहायता परिषद (Council for Mutual Economic Assistance CMEA) में शामिल होने के लिए मजबूर किया और उन्होंने जनवादी कोरिया को भेजे जाने वाली अनुबंधित (Contract

पेस्ट्री प्रदर्शनी

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जनवादी कोरिया की राजधानी फ्यंगयांग में  गेहूँ के आटे से बनी खाद्य वस्तुओं (पेस्ट्री) की प्रदर्शनी का आयोजन विगत 13-16 दिसंबर को किया गया. इसमें देश भर की पेस्ट्री बनाने वाली कंपनियों (सभी सरकारी) ने हिस्सा लिया. इसका उद्देश्य सभी कंपनियों के बीच आपस में जानकारी का आदान प्रदान और जनता की राय लेकर उत्पादों में सुधार करने के साथ साथ गेहूँ के आटे से बन सकने वाली और खाद्य वस्तुओं की खोज कर उसे जनता के मुख्य भोजन के रूप में स्थापित करना भी था(सनद रहे कि जनवादी कोरिया का मुख्य भोजन चावल है). ये सब उस देश में हो रहा है जहाँ के बारे में तथाकथित मुख्यधारा का मीडिया दिन रात कुत्सा प्रचार करता रहता है कि वहाँ खाने को कुछ नहीं है और लोग भुखमरी के कगार पर हैं.   1990 के दशक में जनवादी कोरिया  लगातार दो साल तक मानवीय नियंत्रण से बाहर आई भयानक बाढ़ के चलते फसलों की भीषण तबाही से अत्यंत गंभीर खाद्यान्न संकट के चपेट में आ गया. उस दौर को जनवादी कोरिया में “कठिन यात्रा” (Ardous March, 고난의 행군) भी कहते हैं. उस दौर को गुजरे 20 साल से ज्यादा हो चुके हैं पर तथाकथित मुख्यधारा की मीडिया की सुई अभी भी 1990 के

झूठ झूठ और केवल झूठ! -2

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हर साल की तरह इस साल भी जनवादी कोरिया (उत्तर कोरिया) के खिलाफ सफेद झूठ का बाजार एक बार फिर से गर्म है. इस बार समाजवाद के दुश्मनों द्वारा पूरी दुनिया में यह झूठ फैलाया गया है कि वहाँ दक्षिण कोरियाई टीवी शो देखने और उसे दूसरों के साथ  साझा करने के जुर्म में दो नाबालिगों को लोगों के सामने खड़ा किया फिर उनका परिचय दिया और जुर्म बताया, फिर उन्हें मौत की सजा सुनाई और तुरंत उन्हें गोली मार दी.  और एक दूसरा झूठ फैलाया गया है कि वहाँ के बच्चों के ऐसे नाम रखने का आदेश दिया है जो आक्रामकता और देशभक्ति को दर्शाते हों। उन्होंने कहा है कि बच्चों के नाम बम, गन, तोप या सैटेलाइट होने चाहिए. जहाँ तक दो नाबालिगों को सरेआम गोली मारने की बात है, तो यह साफ करना जरूरी है कि जनवादी कोरिया में एक तो 18 साल से कम उम्र वालों के लिए मौत की सजा का कोई प्रावधान नहीं है और किसी भी अपराधी को बिना मुकदमा चलाए मौत की सजा नहीं दी जा सकती. वहाँ मौत की सजा केवल गंभीर अपराध जैसे आतंकवाद और इरादतन हत्या के मामलों में दी जा सकती है. दक्षिण कोरियाई  फिल्मों को साझा करना वहाँ गंभीर अपराध की श्रेणी में नहीं आता, उल्टे लिबरल डे

(तस्वीरों में) दैनिक उपभोक्ता वस्तुऐं

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 100% जनवादी कोरिया में निर्मित उपभोक्ता वस्तुऐं जिसमें साबुन, सेव से बनी शराब,बिस्किट रेड चिली पेस्ट, सोया पेस्ट, पावरोटी और लोशन शामिल हैं.  कठोर आर्थिक प्रतिबंध भी जनवादी कोरिया में लोगों को अच्छे किस्म की उपभोक्ता वस्तुओं से महरूम नहीं कर सके क्योंकि उनका देश आयातित वस्तुओं की बजाय अपने यहाँ उपलब्ध संसाधनों से ही वस्तुऐं बनाने में सक्षम है. वहीं तथाकथित विकसित दक्षिण कोरिया में ऐसी वस्तुओं में 90 फीसदी आयातित सामग्रियों का इस्तेमाल किया जाता है. कई चीजों में आत्मनिर्भर रहा अपना  विश्वगुरु भी परजीविता की राह पर है.किसी देश की आत्मनिर्भरता से साम्राज्यवाद को सबसे ज्यादा डर लगता है.

नए आशियाने

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दुनिया भर के लोगों के तथाकथित जन्नत कहे जाने वाले अमेरिका और यूरोप में कामकाजी दंपत्ति अपनी सारी आय  मिलाकर भी एक अदद फ्लैट या मकान नहीं खरीद सकते, यहाँ तक कि वहाँ  कई नौकरीपेशा लोग भी बेघर होते हैं वहीं जनवादी कोरिया में सभी नागरिकों को आवास का संवैधानिक मौलिक अधिकार है. वहाँ कोई भी बेघर नहीं है. केवल राजधानी फ्यंगयांग में ही नहीं, हर दिन देश के कोने कोने में जनता को सरकार की तरफ से नए घर बनाकर आजीवन मुफ्त में वितरित किए जा रहे हैं. 77 साल के अमेरिकी साम्राज्यवादियों और उसके दुमछल्लों के कठोर आर्थिक प्रतिबंधों और युद्ध की तमाम धमकियों के बावजूद भी वहाँ जनहित के काम निरंतर चलते आ रहे हैं. दुश्मनों से रक्षा के नाम पर जनता की हकमारी और उनके मुँह से निवाला नहीं छीनकर आत्मरक्षा के लिए हथियार नहीं बनाए गए हैं. विगत 27 नवंबर 2022 को देश के उत्तर पूर्व में स्थित रासन शहर के एक हिस्से में समुद्र के मनोरम तट के पास एक नई बनी आवासीय कालोनी का उद्घाटन कर स्थानीय निवासियों का गृहप्रवेश कराया गया. इस आवासीय कालोनी में 120 परिवारों के लिए बहुमंजिला फ्लैटों के अलावा एक अस्पताल समेत कई जन सुविधाऐं