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दक्षिण कोरिया में जनवादी कोरिया के विकास की चर्चा

 अमेरिकी साम्राज्यवाद के सबसे बड़े पिट्ठू दलाल दक्षिण कोरिया के माध्यम से उत्तर कोरिया के बारे में जानना ठीक वैसा ही है जैसा RSS के माध्यम से भारत के आजादी के इतिहास को जानना. आज दुनिया भर में उत्तर कोरिया को लेकर दुष्प्रचार का 90% से ज्यादा हिस्सा दक्षिण कोरिया से ही आता है. लेकिन इसी दक्षिण कोरिया में गिनती के ही कुछ ऐसे संगठन  भी हैं जो कोरिया के एकीकरण और साम्राज्यवाद से पूरी तरह से आजादी का समर्थक हैं. उन्हीं संगठनों में से  एक अखिल कोरियाई प्रगतिशील विश्वविद्यालय छात्र संगठन (한국대학생진보연합) देश के लोगों के बीच उत्तर कोरिया के प्रति विकृत सोच को सही करने का प्रयास कर रहा है और अपने वीडियो प्रस्तुति के द्वारा चेयरमैन किम जंग उन की नीतियों के बारे में सही जानकारी देने की कोशिश कर रहा है. इस वीडियो प्रस्तुति में किम जंग उन और देश के प्रांतीय विकास की चर्चा की गई है. उत्तर कोरिया के बारे में आम धारणा बना दी गई है कि केवल  वहाँ की राजधानी फ्यंगयांग ही विकसित है और बाकी प्रांतीय इलाके बहुत ज्यादा पिछड़े हुए हैं. बात तो ऐसी की जाती है कि दुनिया के बाकी देशों में राजधानी और प्रांतीय इलाकों के

विदेशी पर्यटकों की नजर में जनवादी कोरिया के प्रांतीय इलाके

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 विदेशी पर्यटकों के कैमरे की नजर से साल 2019 के उत्तर कोरिया के प्रांतीय इलाकों का नजारा. जिस सड़क से ये जा रहे हैं उसे एकीकरण हाईवे (Unification Highway) कहा जाता है और यह सड़क बंद पड़ी दक्षिण कोरिया की सीमा तक जाती है. ये पर्यटक आराम से गाड़ी के खिड़की से और बीच रास्ते में कहीं रुककर  बिना किसी रोकटोक के वीडियो बना रहे हैं. लगभग 30 मिनट के इस वीडियो को अंत तक देखने से पता चल जाएगा कि दुनिया के सबसे कठोर आर्थिक प्रतिबंध और पिछले 7 दशक से अमेरिका से तकनीकी तौर पर युद्धरत होने के बावजूद उत्तर कोरिया में चीजें कितनी साफ सुथरी और व्यवस्थित हैं. हाँ सड़कों पर कारों का रेला दिखने के बजाय पर्यावरण अनुकूल सवारी साईकिल ही ज्यादा तादाद में दिखेंगी.  कुछ लोगों ने  उत्तर कोरिया विरोधी दुष्प्रचार के शिकार होकर ये गलत धारणा बना ली है कि विदेशी पर्यटकों को राजधानी फ्यंगयांग के बाहर घूमने की इजाजत नहीं है . इस वीडियो में सारी जगहें फ्यंगयांग से बाहर की ही हैं. उत्तर कोरिया की सीमा पर स्थित चीन के दानदोंग शहर से रेलवे द्वारा फ्यंगयांग जाने के रास्ते में विदेशी पर्यटकों के कैमरे में कैद  उत्तर कोरिया क

जनवादी कोरिया के टीवी चैनल पर दिल्ली के प्रदूषण की खबर

  10 और 11 नवंबर 2021 को उत्तर कोरिया के टीवी चैनल के न्यूज़ बुलेटिन की अंतरराष्ट्रीय खबरों में दिल्ली के वायु और नदी प्रदूषण की खबर दिखाई गई उसी उत्तर कोरिया में जहाँ के बारे में नगाड़ा पीट पीटकर दावे के साथ बताया जाता है कि वहाँ के लोगों को दुनिया की खबर बताई या दिखाई नहीं जाती. इन खबरों में उत्तर कोरिया के दर्शकों को यह बताया जा रहा है कि भारत की राजधानी नई दिल्ली में वायु प्रदूषण निरंतर गंभीर रूप लेता जा रहा है.शहर का वायु प्रदूषण लोगों को सांस संबंधित बीमारियां देने की हद तक खतरनाक स्तर पर पहुँच चुका है. देश के पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार वायु प्रदूषण का कारण आसपास के ग्रामीण इलाकों में भारी मात्रा में फसलों के अवशेष जलाने और धार्मिक त्योहार के अवसर पर लोगों द्वारा जमकर पटाखे फोड़ना है.  भारत में नदी प्रदूषण भी गंभीर रूप ले रहा है. राजधानी दिल्ली की नदी का एक हिस्सा कारखानों से निकले प्रदूषकों के कारण जहरीले पदार्थों से ढंका हुआ है. नदी के प्रदूषण का कारण नदी किनारे स्थित कारखानों से निकले औद्योगिक कचरे, विषाक्त अपशिष्ट जल और सीवर के जल को नदी में जस का तस बहा देना है. कहने की ज

म्योह्यांग पर्वत में शरद ऋतु

  उत्तर कोरिया के खूबसूरत पहाड़ों में शुमार म्यौह्यांग पर्वत शरद ऋतु में कुछ ऐसा दिखता है जब मैपल वृक्ष के पत्ते पूरी तरह से लाल हो जाते हैं. अक्टूबर के आखिरी हफ्ते में ये नजारा चरम पर रहता है. साथ में हैं शीशे की तरह पारदर्शी पानी वाले झरने और नदियाँ. ऐसा नजारा तो पूंजीवादी व्यवस्था वाले ठंढी जलवायु वाले देशों में भी देखा जा सकता है तो उत्तर कोरिया में क्या खास है. खास है ये म्यौह्यांग पर्वत जहाँ 60-70 के दशक में सोने के विशाल भंडारों का पता चला था पर उत्तर कोरिया के समाजवाद ने पैसे की जगह प्रकृति को तरजीह दी. अगर ऐसा अंधाधुंध मुनाफे के हवसी धनपशुओं के गढ़ अमेरिका या दक्षिण कोरिया में होता तो क्या होता? भारत में बक्सवाहा के जंगलों पर क्यों खतरा मंडरा रहा है?