दक्षिण कोरिया में जनवादी कोरिया के विकास की चर्चा




 अमेरिकी साम्राज्यवाद के सबसे बड़े पिट्ठू दलाल दक्षिण कोरिया के माध्यम से उत्तर कोरिया के बारे में जानना ठीक वैसा ही है जैसा RSS के माध्यम से भारत के आजादी के इतिहास को जानना. आज दुनिया भर में उत्तर कोरिया को लेकर दुष्प्रचार का 90% से ज्यादा हिस्सा दक्षिण कोरिया से ही आता है. लेकिन इसी दक्षिण कोरिया में गिनती के ही कुछ ऐसे संगठन  भी हैं जो कोरिया के एकीकरण और साम्राज्यवाद से पूरी तरह से आजादी का समर्थक हैं. उन्हीं संगठनों में से  एक अखिल कोरियाई प्रगतिशील विश्वविद्यालय छात्र संगठन (한국대학생진보연합) देश के लोगों के बीच उत्तर कोरिया के प्रति विकृत सोच को सही करने का प्रयास कर रहा है और अपने वीडियो प्रस्तुति के द्वारा चेयरमैन किम जंग उन की नीतियों के बारे में सही जानकारी देने की कोशिश कर रहा है. इस वीडियो प्रस्तुति में किम जंग उन और देश के प्रांतीय विकास की चर्चा की गई है. उत्तर कोरिया के बारे में आम धारणा बना दी गई है कि केवल  वहाँ की राजधानी फ्यंगयांग ही विकसित है और बाकी प्रांतीय इलाके बहुत ज्यादा पिछड़े हुए हैं. बात तो ऐसी की जाती है कि दुनिया के बाकी देशों में राजधानी और प्रांतीय इलाकों के बीच बराबरी वाला विकास हुआ पड़ा हो.


इस वीडियो में यह बताया जा रहा है कि चेयरमैन किम ने प्रांतीय इलाकों के लोगों का जीवन स्तर राजधानी फ्यंगयांग के स्तर तक लाने  और लोगों के सांस्कृतिक जीवन और आवासीय इलाकों को उन्नत करने के लिए कमर कस ली है और  देश के वैसे इलाकों का दौरा करना शुरू कर दिया है  उन्होंने ये भी कहा कि हमारे देश के ग्रामीण इलाकों समेत शहर और काउंटियों का जीवन बहुत कठिन और पिछड़ा हुआ है, अब हमें प्रांतीय इलाकों की अर्थव्यवस्था का विकास करने और लोगों के जीवन स्तर को सुधारने की ओर ध्यान देना है. और यही चीज उनकी नीतियों और अब धरातल पर  भी दिखाई पड़ती है. प्रांतीय अस्पतालों का स्तर सुधारने के लिए देश के उत्तर हामग्यंग प्रांत के जनता अस्पताल का आधुनिकीकरण कर उसे आदर्श अस्पताल के रूप में विकसित किया गया और इसी अस्पताल के तर्ज पर अन्य प्रांतों के अस्पतालों का आधुनिकीकरण करने की योजना है. उसी तरह एक आदर्श शहर का निर्माण कर उसके तर्ज पर अन्य इलाकों में वैसे ही शहरों का निर्माण कर इलाके की अर्थव्यवस्था का विकास करने की नीति पर काम हो रहा है. 1962 में काउंटियों के विकास पर जोर देते हुए छांगसंग काउंटी जो उबड़ खाबड़ पहाड़ों में स्थित था और जिसकी आबादी का 95% गरीबी में वास करता था, उसे उस दौर में आदर्श काउंटी के रूप में विकसित किया गया और ये देश के अन्य शहरों और काउंटियों के विकास का सूत्र बना. किम जंग उन ने अपने कार्यकाल के पहले वर्ष में इसी छांगसंग  की तर्ज पर सारी काउंटियों को जनता का स्वर्ग बनाने का आह्वान किया और इसके तहत काउंटियों में कई प्रकार की जन  सुविधाओं का निर्माण और कारखानों का आधुनिकीकरण कराया गया . इतना ही नहीं राजधानी फ्यंगयांग के मशहूर रेस्तरां को दुर्गम पहाड़ी इलाके  में स्थानांतरित कर दिया गया ताकि स्थानीय जनता भी राजधानी के लोगों की तरह ही इस रेस्तरां के सुस्वादु खाने का लुत्फ उठा सकें.  इसके अलावा उत्तर कोरिया में आदर्श  प्रांतीय शहरों के कई उदाहरण हैं जैसे रयांग्गांग प्रांत में लोगों का आदर्श और विकसित पर्वतीय शहर का नमूना सामजीयन शहर, दक्षिण हामग्यंग प्रांत का अभूतपूर्व खनन शहर खमदक, गरम झरनों के लिए पहले से मशहूर दक्षिण फ्यंगआन प्रांत में स्थित यांगदक काउंटी का पर्यटक क्षेत्र, अपनी आधुनिक और विशाल ग्रीनहाउस सब्जी फार्म हाउस और पौधों की नर्सरी और रिहायशी इलाके के साथ ग्रामीण क्षेत्रों के लिए आदर्श बनी उत्तर हामग्यंग प्रांत की क्यंगसंग काउंटी, खांगवन प्रांत में  दुनिया के सबसे बडे़ पर्यावरण अनुकूल(Eco friendly) चरागाह के रूप में विकसित सेफो काउंटी, देश के फल उत्पादन के प्रमुख केंद्र के रुप में विकसित दक्षिण ह्वांगहे प्रांत की ग्वाईल काउंटी इत्यादि ये सभी किम जंग उन के सीधे दिशा निर्देशों पर एक आदर्श के रूप में  विकसित किए गए हैं.


चेयरमैन किम ने कहा " हमारी विनम्र , मेहनती और क्रांतिकारी जनता के लिए और मैं और ज्यादा क्या कर सकता हूँ ये सोच दिमाग से जाती नहीं है. जनता के लिए निमार्ण जारी रहना चाहिए ".  उत्तर कोरिया में आगामी 15 सालों के अंदर देश के लगभग सारे 200 शहरों और काउंटियों के सभी गांवों को समाजवादी आदर्श गांव के रूप में परिवर्तित करने की योजना है. और इसे लेकर लोगों में उत्साह है का और उनका कहना भी है कि अब हमें राजधानी फ्यंगयांग से ईर्ष्या करने की जरूरत नहीं है.


ये जानते हुए भी कि उत्तर कोरिया की सही तस्वीर पेश करने की कोशिश करने पर भविष्य में दक्षिण कोरिया की सरकार के दमन और उत्तर कोरिया के प्रति नफरत से लबालब भरे दक्षिण कोरियाई समाज के गुस्से का सामना करना पड़ सकता है, दक्षिण कोरिया के इन प्रगतिशील युवाओं ने इस तरह की वीडियो प्रस्तुति बनाकर अदम्य साहस का परिचय दिया है. उत्तर कोरिया ने ये सारा इन्फ्रास्ट्रक्चर  अपने दम पर खड़ा किया है क्योंकि वहाँ की आत्मनिर्भर समाजवादी व्यवस्था दुनिया के कठोरतम आर्थिक प्रतिबंधों के बावजूद अपना विकास करने में सक्षम है जो दुनिया के सबसे बड़े परजीवी मुल्क दक्षिण कोरिया के बस की बात नहीं है.

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