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जनवादी कोरिया को नहीं है बाहरी सहायता की दरकार!

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  जनवादी कोरिया के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र के बाढ़ की चपेट में आने के बाद काॅमरेड किम जंग उन ने कहा कि "हमने राज्य के मामलों के सभी क्षेत्रों और प्रक्रियाओं में जनता पर दृढ़ विश्वासऔर आत्मनिर्भरता के आधार पर समस्याओं से पूरी तरह निपटने के रास्ते को प्राथमिकता दी है.  पार्टी केंद्रीय समिति और सरकार चल रहे पुनर्वास  कार्यक्रम में भी पूरी तरह से हमारे लोगों के देशभक्तिपूर्ण उत्साह और साहस और हमारे देश की क्षमताओं पर भरोसा करेगी." इस प्रकार जनवादी कोरिया आत्मनिर्भरता के सिद्धांत के द्वारा अपने प्रयासों से ही बाढ़ से हुई क्षति पर काबू पा रहा है  .हालाँकि पश्चिमी मुख्यधारा मीडिया और तथाकथित "उत्तर कोरिया विशेषज्ञों" (जिन्हें वास्तव में सीआईए या दक्षिण कोरिया या दोनों द्वारा पाला जाता है) द्वारा इसकी आलोचना की जा रही है.यहाँ तक कि "भुखमरी" के भी दावे किये जा रहे हैं। बेशक 'भुखमरी' एक मिथक है, अगर आपने इस तथाकथित मुख्यधारा के मीडिया  की खबरों को गंभीरता से लिया होता तो अब तक जनवादी कोरिया की पूरी आबादी एक बार नहीं बल्कि चार या पांच बार भूख से मर चुकी होती.

झूठ झूठ और केवल झूठ! -3

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  इन दिनों ब्लॉमबर्ग, इंडिपेंडेंट और  "गार्जियन"  जैसे तथाकथित वैश्विक मुख्यधारा की मीडिया और उनकी झूठन परोसने वाला तथाकथित "प्रगतिशील" इंडियन एक्सप्रेस यह दावा कर रहा है कि जनवादी कोरिया (जिसे ये उत्तर कोरिया जैसे गलत नाम से पुकारते हैं) ने बाढ़ की समस्याओं पर अनाम अधिकारियों को फांसी दे दी है या फांसी दे दी होगी. इनकी खबरों में किसी भी अधिकारी का नाम नहीं लिया गया है और न ही यह बताया गया है कि उन्हें कैसे फाँसी दी गई या उन्हें कहाँ फाँसी दी गई या कथित फाँसी किस तारीख को दी गई? सच तो यह है कि जनवादी कोरिया की मीडिया में किसी फांसी या मुकदमे की रिपोर्ट नहीं की गई है. जनवादी कोरिया के प्रमुख अखबार रोदोंग  सिनमुन के ऑनलाइन अंग्रेजी संस्करण के 3,4 और 5 सितम्बर की प्रमुख खबरों का स्क्रीन शॉट लगाया गया है. इसमें कहीं भी फांसी के फ शब्द का जरा सा भी जिक्र नहीं है. अनुमान लगाएं कि इस तथाकथित "जानकारी" का स्रोत क्या है? यह वास्तव में दक्षिण कोरियाई कठपुतली मीडिया में उद्धृत दक्षिण कोरियाई कठपुतली "नेशनल इंटेलिजेंस सर्विस" है! दूसरे शब्दों में, यह फर्ज

बाढ़ पीड़ितों का सत्कार

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  जनवादी कोरिया हाल में आई भीषण बाढ़ के कारण अपने घर खोने वाले स्थानीय निवासियों के लिए लगातार विभिन्न कदम उठा रहा है, जिसमें  राजधानी फ्यंगयांग में सरकारी सुविधाओं में रहने की अनुमति देना भी शामिल है. विगत 15 अगस्त को काॅमरेड किम जंग उन ने इसी दिन फ्यंगयांग पहुंचे बाढ़ प्रभावित उत्तरी फ्यंगआन  प्रांत (평안북도), छागांग प्रांत (자강도)और  रयांग्गयांग प्रांत(량강도) के निवासियों का स्वागत किया. बच्चों, छात्रों, बुजुर्गों, रोगियों, सैनिकों और माताओं सहित लगभग 13, 000 लोगों ने  25 अप्रैल होटल और सैन्य परेड प्रशिक्षण शिविर के अतिथि गृह में प्रवेश किया इस अवसर पर  वर्कर्स पार्टी ऑफ कोरिया और सरकारी अधिकारी भी काॅमरेड किम जंग उन के साथ थे. इसके अलावा ऐसे कदम भी उठाए गए  थे कि  बाढ़ पीड़ित अपनी चिंताओं को भूल सकें और राजधानी फ्यंगयांग में बेफिक्र होकर रह सकें. इस संबंध में, कोरिया की वर्कर्स पार्टी की केंद्रीय समिति के द्वारा आपातकालीन सहायता प्रदान करने के उपायों को दृढ़ता से लागू किया गया , और  बाढ़ प्रभावितों को ठहराए गई  जगहों में  बच्चों, छात्रों और वयस्कों के पढ़ाई और देखभाल, रहने और आराम और

पूर्व दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति के नजर में चेयरमैन किम जंग उन और जनवादी कोरिया

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  अमेरिकी साम्राज्यवाद के सबसे बड़े वफादार दक्षिण कोरिया के द्वारा पूरी दुनिया में समाजवादी देश जनवादी कोरिया और उसके नेतृत्व के बारे में दशकों से अनवरत दुष्प्रचार किया गया है और यह अभी भी जारी है. पर कभी कभी उसके द्वारा जनवादी कोरिया और उसके नेतृत्व को वास्तविक नजरिये से देखने की भी कोशिश की जाती है.(इस लेख में मैंने उत्तर कोरिया की जगह जनवादी कोरिया लिखा है  जो कि उसका वास्तविक नाम है. दक्षिण कोरिया अमेरिकी साम्राज्यवाद की नाजायज पैदाइश है इसलिए उसके नाम को ऐसे ही रहने दिया गया है.) इसी कड़ी में दक्षिण कोरिया के पूर्व राष्ट्रपति मून जे-इन का संस्मरण, फ्रॉम द पेरीफेरी टू द सेंटर,( 변방에서 중심으로)जो उसके कार्यकाल के दौरान कूटनीति और सुरक्षा के क्षेत्र पर नज़र डालता है, विगत 18 मई को प्रकाशित हुआ. मून जे-इन प्रशासन के तहत राष्ट्रीय सुरक्षा कार्यालय के सचिव और विदेश मामलों के प्रथम उप मंत्री के रूप में कार्य करने वाले प्रोफेसर छ्वे जोंग गन के साथ बातचीत के प्रारूप में आयोजित इस पुस्तक में पर्दे के पीछे की कई कहानियाँ शामिल हैं, जिसमें हम केवल जनवादी कोरिया से संबंधित हिस्सों पर नजर डालेंगे.

चूर चूर हुआ अमेरिका के "महाशक्ति" होने का मिथक

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आज से ठीक 71 साल पहले 27 जुलाई 1953 को अमेरिका अपनी हार से समाप्त हुए कोरियाई युद्ध (1950-1953 ) को "विजयी युद्ध" और "भूली हुई जीत" के रूप में वर्णित करता है. हालाँकि, जिस तरह सच को झूठ में नहीं बदला जा सकता, उसी तरह इतिहास में अंकित अमेरिका की हार को पलटा नहीं जा सकता. इसका प्रमाण अमेरिकी फौज के दुखद अंत से मिलता है. जब इसने अपने पिट्ठू दक्षिण कोरिया को जनवादी कोरिया  के खिलाफ युद्ध शुरू करने के लिए उकसाया, तो अमेरिका ने घोषणा की कि 72 घंटों में जनवादी कोरिया पर विजय प्राप्त की जाएगी. लेकिन युद्ध की शुरुआत से ही उसे एक के बाद एक झटके लगे और उसे अपनी कई बड़े डिवीजन कोरियाई मोर्चे पर भेजने पड़े. यहाँ तक कि वे भी युद्ध का रुख नहीं मोड़ सके. डीन, जो तथाकथित अमेरिका के "अजेय डिवीजन"  24वें डिवीजन का कमांडर था  और उसने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान यूरोप और फिलीपींस में कई मोर्चे पर अपने नेतृत्व में जीत हासिल की थी , वैसा अजेय कमांडर कोरियाई मोर्चे पर अपने डिवीजन को नष्ट होने से बचाने में विफल रहा, और वह खुद एक  सादी वर्दी में अपनी जान बचाने के लिए भागते स

आदर्श दवाखाना

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जनवादी कोरिया का एक आदर्श दवाखाना जनवादी कोरिया की सरकार द्वारा देश भर में आदर्श हाईटेक दवाखाने खोले जा रहे हैं, उसी के तहत राजधानी फ्यंगयांग के मोरानबोंग इलाके में यह दवाखाना खोला गया है.  24 घंटे खुले रहने वाले इस दो मंजिल हाईटेक दवाखाने में पहली मंजिल पर दवाईयों की बिक्री (समाजवादी कोरिया में दवाईयों की कीमत हमारे यहाँ के माचिस की कीमत के बराबर ही है) , मुफ्त जांच की सुविधाएं और मुफ्त डाॅक्टरी सलाह दी जाती है. यहाँ  आने वाले लोगों को  दवाईयों और सुविधाओं की विस्तृत जानकारी देने के लिए रोबोट भी है. वहीं दूसरी मंजिल पर दवाईयां बनाई और रखी जाती हैं साथ ही उनका विश्लेषण भी किया जाता है. यहाँ ज्यादातर देशी चिकित्सा पद्धति की दवाईयां दी जाती हैं जिन्हें स्थानीय जड़ी बूटियों से बनाया जाता है.   यहाँ यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि जनवादी कोरिया में परंपरागत देशी और विदेशी दोनों तरह की चिकित्सा पद्धति समानांतर रूप से चलती हैं. मरीजों के फायदे के लिए दोनों तरह की चिकित्सा पद्धति अपनाई जाती है. जनवादी कोरिया से संबंधित फेक न्यूज की सबसे बड़ी फैक्ट्री दक्षिण कोरिया के मुताबिक जनवादी कोरिया में  1

एक गाने से डरा तथाकथित "उदारवादी और विकसित" दक्षिण कोरिया!

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 इन दिनों जनवादी कोरिया यानि उत्तर कोरिया का एक गाना "दोस्ताना पिता"  (친근한 어버이) सोशल मीडिया प्लेटफार्म टिकटाॅक पर बहुत बड़ा हिट हुआ और दूसरे सोशलमीडिया प्लेटफार्मों पर भी बड़ी तेजी से वायरल हुआ. इस गाने में जनवादी कोरिया के नेता काॅमरेड किम जंग उन के इर्दगिर्द जनता की अटूट एकता और समाजवादी व्यवस्था में उनके बेहतर जीवन की बात कही गई है. सोशलमीडिया के उपयोगकर्ताओं ने इस गाने की धुन की तारीफ की और यहाँ तक कह डाला कि इस गाने को ग्रैमी अवार्ड मिलना चाहिए. लेकिन अमेरिकी कठपुतली दक्षिण कोरिया में इसपर प्रतिबंध लगा दिया गया और सारी दुनिया को छोड़कर सिर्फ दक्षिण कोरिया में टिकटाॅक और यूट्यूब समेत सभी सोशलमीडिया प्लेटफार्म पर इस म्यूजिक वीडियो को नहीं देखा जा सकेगा. इससे यह साबित होता है कि दक्षिण कोरिया का समाज कितना कमजोर ,डरपोक और कायर है. बहुतेरे देशों के लोग इस गाने का मजा ले रहे हैं पर इस घटना से पूरी दुनिया को पता चला कि दक्षिण कोरिया जनवादी कोरिया के एक  गाने से ही डरकर बुरी तरह से हिल  जाता है. लगभग 70 सालों से जनवादी कोरिया के खिलाफ अनवरत दुष्प्रचार कर अपनी जनता का पूरी तरह स

साम्राज्यवाद- विरोधी गठबंधन संधि

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   19 जून, 2024 को महासचिव काॅमरेड किम जंग उन और राष्ट्रपति पुतिन ने फ्यंगयांग में एक शिखर बैठक की. शिखर सम्मेलन में, ' कोरिया जनवादी लोकतांत्रिक गणराज्य और रूसी संघ के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी पर संधि' पर हस्ताक्षर किए गए. यह संधि "अमेरिकी साम्राज्य के एकध्रुवीय विश्व व्यवस्था को लागू करने के प्रयासों और चालों से अंतरराष्ट्रीय न्याय की रक्षा करने" के लिए एक संधि है और "एक न्यायसंगत और बहुध्रुवीय नई दुनिया की स्थापना" के लिए भी है .   जैसा कि उपर्युक्त उद्धरण से संकेत मिलता है, यह संधि साम्राज्यवाद-विरोधी क्रांतिकारी विचारधारा और साम्राज्यवाद-विरोधी स्वतंत्र विचारधारा को दर्शाती है जो अमेरिकी साम्राज्य के नेतृत्व में साम्राज्यवादी गठबंधन बलों के अत्याचार और हिंसा को रोककर और नष्ट करके एक स्वतंत्र और न्यायपूर्ण विश्व व्यवस्था स्थापित करना चाहती है. यहां उल्लिखित साम्राज्यवाद-विरोधी क्रांतिकारी विचारधारा महासचिव काॅमरेड किम जंग उन की साम्राज्यवाद-विरोधी क्रांतिकारी विचारधारा है, और यहां उल्लिखित साम्राज्यवाद-विरोधी और स्वतंत्र विचारधारा राष्ट्रपति पुतिन

उपभोक्ता वस्तुऐं

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यह जनवादी कोरिया यानि उत्तर कोरिया का एक सुपरमार्केट है. जनवादी कोरिया को लेकर पश्चिमी और दक्षिण कोरियाई मीडिया के भयंकर दुष्प्रचार के विपरीत वहाँ किसी चीज की कोई कमी नहीं है.  सुपरमार्केट में चीजें भरपूर मात्रा में हैं और वीडियो में दिखाई जा रहीं लगभग सारी खाने पीने की चीजें जनवादी कोरिया में ही निर्मित हैं और चीन और रुस से आयातित नहीं हैं और काफी सस्ती भी हैं .  अपनी आत्मरक्षा और धनपशुओं की काल समाजवादी व्यवस्था को कायम रखने के लिए साम्राज्यवाद और उसके पुछल्ले देशों के द्वारा लगाए गए कठोर आर्थिक प्रतिबंध भी जनवादी कोरिया के लोगों को अच्छे किस्म के उपभोक्ता सामग्री से वंचित नहीं कर सके. जिन्हें लगता है कि जनवादी कोरिया अपने विभिन्न प्रकार के उद्योगों के लिए बिना बाहर से आयात किए कच्चा माल कहाँ से जुटा लेता है तो इसपर ये कहना है कि उसके यहाँ हमेशा से ही अपने यहाँ उपलब्ध कच्चे माल से विभिन्न वस्तुऐं बना सकने का अनुसंधान चलता रहता है और उसमें वो काफी हद तक सफल भी रहा है. उदाहरण के लिए वहाँ की जलवायु में चीनी उत्पादन के लिए जरूरी गन्ना की खेती नहीं की जा सकती तो उन्होंने वहाँ बहुतायत मे

वास्तविकता से कोसों दूर जनवादी कोरिया के पतन का तथाकथित सिद्धांत

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 विगत 18 अप्रैल 2024 को सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (CSIS) के कोरिया (दक्षिण) अध्यक्ष विक्टर छा ने तर्क दिया कि कोरियाई प्रायद्वीप का एकीकरण अचानक होगा और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि दक्षिण कोरिया में कौन सी रूढ़िवादी या प्रगतिशील पार्टी सत्ता में है, और हमें एकीकरण के लिए तैयार रहना चाहिए. उसने यह भी कहा कि कोरियाई प्रायद्वीप का एकीकरण संभवतः दो तरीकों से होगा ,या तो जनवादी (उत्तर) कोरियाई शासन के अंत के साथ या चीन द्वारा जनवादी कोरियाई लोगों के लिए अपनी सीमाएं खोलने के साथ. साथ ही विक्टर छा ने जनवादी कोरिया के आंतरिक पतन का आह्वान किया.  यह तथाकथित 'जनवादी कोरिया के (उत्तर कोरिया) पतन सिद्धांत' नया नहीं है, बल्कि एक ऐसा दावा है जो लंबे समय से दोहराया जाता रहा है. 1990 के दशक में जनवादी कोरिया के 'कठिन मार्च' के दौरान, अमेरिकी के तथाकथित जनवादी कोरिया विशेषज्ञों ने तथाकथित '3-3-3 सिद्धांत की परिकल्पना' की और इसके लिए तर्क दिया कि जनवादी कोरिया '3 दिन, 3 महीने या यहां तक ​​कि 3 साल' के बाद ढह जाएगा.लेकिन आज तक जनवादी कोरिया का पतन नहीं हु

काॅमरेड किम इल संग की उपलब्धियां -3

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आज की तारीख में दुनिया में एक ऐसा देश भी है जो समाजवाद और साम्राज्यवाद के बीच संघर्ष की अग्रिम पंक्ति में है, वह देश है कोरिया जनवादी लोकतांत्रिक गणराज्य ( Democratic People's Republic of Korea, DPRK) या जनवादी कोरिया जिसे उत्तर कोरिया के नाम से भी जाना जाता है . विगत 15 अप्रैल को जनवादी कोरिया के संस्थापक कॉमरेड किम इल संग के जन्म की 112वीं वर्षगांठ थी और साथ ही अप्रैल में ही काॅमरेड किम जंग उन के सर्वोच्च नेतृत्व की 12वीं वर्षगांठ है.  काॅमरेड किम इल संग और काॅमरेड किम जंग उन दोनों का नेतृत्व जनता पर केन्द्रित और जूछे विचार पर आधारित कोरियाई शैली के समाजवाद के निर्माण के काम से गहराई से जुड़ा हुआ है. जूछे विचार काॅमरेड किम इल संग द्वारा लिखा गया था और उनके उत्तराधिकारी काॅमरेड किम जंग इल द्वारा गहराई से विकसित किया गया था. पिछले कुछ दिनों में हमने जूछे-आधारित समाजवाद और सनगुन (सेना पहले) नीति की एक उल्लेखनीय उपलब्धि देखी है, अर्थात् नई प्रकार की मध्यवर्ती दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल, ह्वासोंग फो-16-ना का परीक्षण. 2 अप्रैल 2024 को काॅमरेड किम जंग उन की उपस्थिति में इस मिसाइल क

स्मार्ट फार्म

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जनवादी कोरिया में विगत 15 मार्च को विश्वस्तरीय अत्याधुनिक खांगदोंग ग्रीनहाउस फार्म को जनता के लिए खोल दिया गया. इस ग्रीनहाउस का आंतरिक और बाहरी हिस्सा अद्वितीय था. बेलनाकार खेती उपकरण, अर्धगोलाकार ग्रीनहाउस, ग्रीनहाउस के अंदर लाल रोशनी, और ग्रीनहाउस खेती विधि जो हाइड्रोपोनिक खेती प्रतीत होती है, ने ध्यान आकर्षित किया. इसमें देखने वाली पहली चीज़ 'बेलनाकार सब्जी [सब्जी] खेती उपकरण' है, जिसे डोनट के आकार का खेती उपकरण माना जाता है. यह उपकरण पोषक तत्व अवशोषण दर और प्रकाश उपयोग दक्षता में श्रेष्ठ है क्योंकि खेती की ट्रे एक निरंतर चक्र पर घूमती है और सब्जियों की फसलें एक प्रकाश स्रोत के चारों ओर एक बेलनाकार आकार में व्यवस्थित होती हैं. इस ग्रीनहाउस में, दिन और रात के चक्र को मनचाहे ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है और तापमान, आर्द्रता और कार्बन डाइऑक्साइड जैसे सभी पर्यावरणीय कारकों को भी सटीक रूप से नियंत्रित किया जा सकता है, और  पौधे लगाकर  लगभग 20 दिनों में फसल की कटाई की जा सकती है . साथ ही एक छोटे से खेत में दर्जनों बेलनाकार सब्जी खेती उपकरणों का उपयोग करके,  एक वर्ष में आश