मानवाधिकार का खेल
20 मई 2025 को संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया (DPRK) यानि जनवादी कोरिया के तथाकथित "मानवाधिकार" मुद्दे पर एक बैठक बुलाई. मूल रूप से, जनवादी कोरिया में कोई मानवाधिकार मुद्दा नहीं है जिस पर महासभा चर्चा करे. इसके अलावा मानवाधिकार जनवादी कोरिया का आंतरिक मामला है और इस तरह की बैठक बुलाना जनवादी कोरिया के आंतरिक मामलों में अनुचित हस्तक्षेप है.
जनवादी कोरिया मानवाधिकार अध्ययन संगठन ने इसकी कड़ी निंदा करते हुए कहा कि वह "इस बैठक को बुलाने की साजिश की कटु निंदा करता है और इसे अस्वीकार करता है, क्योंकि यह संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है, जिसमें संप्रभुता के प्रति सम्मान और आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने की बात कही गई है तथा यह हमारे राज्य की गरिमा और संप्रभुता का गंभीर उल्लंघन है."
महासभा की बैठक उन भगोड़ों द्वारा सभी प्रकार के झूठ और मनगढ़ंत बातों पर आधारित थी, जिन्होंने अपनी समाजवादी मातृभूमि जनवादी कोरिया के साथ विश्वासघात किया था.
एक बार कहा गया था कि 'मानवाधिकार एक राजनीतिक फ़ुटबॉल है', जिसका अर्थ है कि यदि आप 'मानवाधिकार' लेबल वाली फ़ुटबॉल को अपने प्रतिद्वंद्वी के गोल में मारते हैं तो आप एक राजनीतिक और वैचारिक गोल करते हैं.
किसी देश पर 'मानवाधिकारों' के उल्लंघन का आरोप लगाना उसकी व्यवस्था को नकारने, उसे कलंकित करने और उसका दानवीकरण करने का एक तरीका है.मानवाधिकारों के उल्लंघन की बातें उदारवादियों और बकबक करने वाले वर्गों के लिए कुत्ते की सीटी की तरह काम करती हैं.यह जनवादी कोरिया के खिलाफ इस्तेमाल की जाने वाली रणनीति है.
अतीत के शीत युद्ध के दौरान तथाकथित मानवाधिकार कूटनीति, हेलसिंकी समझौते का उपयोग पूर्वी यूरोप के समाजवादी देशों को नीचे लाने के लिए किया गया था. हेलसिंकी समझौते पर हस्ताक्षर करना संशोधनवादी सोवियत संघ और अन्य पूर्वी यूरोपीय समाजवादी देशों की एक बड़ी गलती थी. मानवाधिकार का उपयोग न केवल किसी देश को बदनाम करने और बदनाम करने के लिए किया जा सकता है बल्कि यह "शासन परिवर्तन" (Regime Change)का एक औजार भी है.यह एक समाजवादी देश को समाजवाद विरोधी ताकतों को रियायतें देने और उनके साथ समझौता करने के लिए मजबूर करने का एक तरीका है. पूर्वी यूरोप और सोवियत संघ में यही हुआ. सच कहा जाए तो 'सार्वभौमिक मानवीय मूल्य' (Universal Human Values) या 'सभी के लिए लोकतंत्र' जैसी कोई चीज़ नहीं है. मानवाधिकार सदैव वर्ग पर आधारित होते हैं.
इसके अलावा अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों ने आकार, प्रणाली, विकास के स्तर, संस्कृति और परंपरा की परवाह किए बिना सभी देशों में मानवाधिकारों के 'एक साईज सभी के लिए फिट' (One Size Fits All) का मानक (Standard) लागू करने का प्रयास किया है. यह बिल्कुल गलत है और असंभव भी है.प्रत्येक देश को अपना स्वयं का मानवाधिकार मानक चाहिए और होना भी चाहिए जो उसके लिए उपयुक्त हो. जनवादी कोरिया विरोधी 'मानवाधिकार' अभियान मूल रूप से जनवादी कोरिया के प्रति अमेरिकी शत्रुतापूर्ण नीति का एक अन्य साधन या हिस्सा है. यह अमेरिका के जनवादी कोरिया विरोधी शस्त्रागार में एक हथियार है जिसे तब उपयोग में लाया जाता है जब दबाव के अन्य साधन जैसे 'परमाणु निरस्त्रीकरण' आदि जनवादी कोरिया के खिलाफ विफल हो जाते हैं.
अक्टूबर 2004 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बुश ने अमेरिका 'उत्तर कोरियाई मानवाधिकार अधिनियम'( US 'North Korean Human Rights Act' )पर हस्ताक्षर किए, जिसमें जनवादी कोरिया में तथाकथित 'मानवाधिकार' परियोजनाओं के लिए धन निर्धारित किया गया था, लेकिन वास्तव में इसका उद्देश्य जनवादी कोरिया की समाजवादी व्यवस्था को उखाड़ फेंकना था. निःसंदेह यह प्रश्न कभी नहीं पूछा जाता कि अमेरिका को अन्य देशों के मानवाधिकारों पर कानून बनाने की आवश्यकता क्यों है? जनवादी कोरिया विरोधी 'मानवाधिकार आक्रामकता ' ने 2014 में एक नई और असामान्य तीव्रता हासिल कर ली जब जनवादी कोरिया को 'मानवाधिकार' मुद्दे पर अभूतपूर्व प्रोपेगेंडा का सामना करना पड़ा.
उस वक्त तथाकथित 'संयुक्त राष्ट्र जांच आयोग' द्वारा जनवादी कोरिया में मानवाधिकारों पर एक तथाकथित रिपोर्ट प्रकाशित की गई. इसका उपयोग जनवादी कोरिया विरोधी, समाजवाद विरोधी प्रचार की लहर को भड़काने के लिए किया गया था. यह न केवल जनवादी कोरिया की समाजवादी व्यवस्था और जूछे विचार को बदनाम करने का एक साधन है, बल्कि लोगों को जनवादी कोरिया में हस्तक्षेप करने और जनवादी कोरिया के खिलाफ युद्ध के लिए मनोवैज्ञानिक रूप से तैयार करने का एक साधन है. 'संयुक्त राष्ट्र जांच आयोग' की इस तथाकथित रिपोर्ट में जनवादी कोरिया के सर्वोच्च नेतृत्व की गिरफ्तारी तक के लिए कहा गया . बेशक ऐसी मांग न केवल जनवादी कोरिया की संप्रभुता का गंभीर उल्लंघन है, बल्कि एक कोरा सपना भी है जो कभी पूरा नहीं होगा.
तो जनवादी कोरिया के खिलाफ मानवाधिकार प्रचार के पीछे वास्तव में क्या है, आरोपों से संबंधित तथ्य क्या हैं? असली मानवाधिकार उल्लंघनकर्ता कौन हैं? तथाकथित रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र द्वारा अत्यधिक पूर्वाग्रह और एकतरफापन का एक घृणित उदाहरण है जो दर्शाता है कि संयुक्त राष्ट्र निष्पक्ष नहीं है बल्कि वह केवल कुछ पश्चिमी देशों मुख्य रूप से अमेरिका के हितों का प्रतिनिधित्व करता है. संयुक्त राष्ट्र अमेरिकी साम्राज्यवाद की एक कठपुतली है, जो अमेरिका द्वारा नियंत्रित नई विश्व व्यवस्था की एक प्रकार की कार्यकारी एजेंसी है.
वर्षों पहले एक बात कही जाती थी कि संयुक्त राष्ट्र केवल अमेरिकी साम्राज्यवाद का औपनिवेशिक कार्यालय था. तथाकथित रिपोर्ट स्वयं संयुक्त राष्ट्र चार्टर के मूल सिद्धांतों के विपरीत थी जो सदस्य देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप से इनकार करती है. इस तथाकथित'जांच आयोग' ने जनवादी कोरिया को अपना पक्ष रखने की भी अनुमति नहीं दी. न ही उसने जनवादी कोरिया का दौरा किया. इसका प्रमाण दक्षिण कोरिया में रह रहे जनवादी कोरियाई भगोड़ों से आया है. इस जांच आयोग के अध्यक्ष एक ऑस्ट्रेलियाई जज माइकल किर्बी था.
ऑस्ट्रेलिया अमेरिका-दक्षिण कोरिया-जापान-ऑस्ट्रेलिया अक्ष का बहुत सक्रिय सदस्य है. इन दिनों अमेरिका एशिया-प्रशांत क्षेत्र में नाटो की तरह सैनिक संगठन बनाने की कोशिश कर रहा है और ऑस्ट्रेलिया इसमें एक प्रमुख खिलाड़ी है.आइए स्वयं जज माइकल किर्बी की पृष्ठभूमि पर एक संक्षिप्त नज़र डालें.
किर्बी इंटरनेशनल कमीशन ऑफ ज्यूरिस्ट्स के अध्यक्ष था, जिसकी स्थापना 1950 के दशक में वामपंथी झुकाव वाले इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक लॉयर्स के जवाब में पश्चिम बर्लिन में की गई थी. यह किसी भी समाजवादी देश के प्रति अत्यंत शत्रुतापूर्ण था. किर्बी ब्रिटिश राजशाही का समर्थक है. जज किर्बी एक बहुत धनी व्यक्ति है जिसका ऑस्ट्रेलिया की राजधानी कैनबरा के पाॅश इलाके रोज़ बे क्षेत्र में एक घर था. किर्बी ने वह घर 1 करोड़ डॉलर में बेच दिया. जज किर्बी पर एक बार ऑस्ट्रेलियाई सीनेट में नाबालिग लड़कों के साथ यौन संबंध बनाने का आरोप लगाया गया था.
संयुक्त राष्ट्र जांच आयोग में एक अन्य प्रमुख व्यक्ति मार्ज़ुकी दारुसमैन था.
इंडोनेशिया में फासीवादी गोलकर पार्टी के सदस्य दारुसमान को 1965 में सीआईए की मदद से इंडोनेशिया में वामपंथी या श्रमिक समूहों से जुड़े 500,000 लोगों के नरसंहार के आरोप लगाए गए थे. वह एक गंदा आदमी भी है जो ग्लोबल लीडरशिप फाउंडेशन का सदस्य है, जिसके संरक्षकों में अमेरिकी अप्रिय चरित्र शामिल हैं.संयुक्त राष्ट्र 'जांच आयोग' की रिपोर्ट के पीछे छिपना अमेरिका और उसके अनुयायियों का एक बेईमान और राजनीतिक उद्देश्य है जो जनवादी कोरिया की विचारधारा और सामाजिक व्यवस्था को कमजोर करना चाहता है.
यूरोपीय संघ, ब्रिटेन और अन्य भी जनवादी कोरिया विरोधी मानवाधिकार हमले में शामिल हो गए. यूरोपीय संघ ने जनवादी कोरिया में 'मानवाधिकार' पर प्रस्तावों को प्रायोजित करने में अग्रणी भूमिका निभाई और कई बार मानवाधिकारों को लेकर जनवादी कोरिया की निंदा की। ब्रिटेन, जो अमेरिका का एक चाकर है, ने भी मानवाधिकारों को लेकर जनवादी कोरिया की निंदा की और जुलाई 2020 में जनवादी कोरिया के लोक सुरक्षा मंत्रालय और राज्य सुरक्षा मंत्रालय पर प्रतिबंध लगा दिए. जनवादी कोरिया के प्रति शत्रुतापूर्ण ताकतें 'मानवाधिकार मुद्दे' को इसे दबाने का मुख्य साधन मानती हैं क्योंकि उनके पास 'परमाणु मुद्दे' पर कोई रास्ता नहीं था. इसका उद्देश्य जनवादी कोरिया के खिलाफ शीत युद्ध शैली का उन्मादी अभियान बनाना है. स्पष्ट रूप से कहें तो वहाँ शासन परिवर्तन कर समाजवादी व्यवस्था को गिराना .यह तथाकथित मानवाधिकार अभियान यूगोस्लाविया और इराक पर हमले और बमबारी से पहले उनके दानवीकरण और 1940 और 1950 के दशक के अंत में सोवियत संघ के खिलाफ प्रचार युद्ध की याद दिलाता है, नहीं यह उससे कहीं आगे तक जाता है.
जनवादी कोरिया के खिलाफ इस तरह के गहन मनोवैज्ञानिक युद्ध से जनवादी कोरिया के साथ प्रभावी एकजुटता का आयोजन करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है क्योंकि जनवादी कोरिया का बचाव करने वालों को भी इस अभियान द्वारा दानव बना दिया जाता है. तो, जनवादी कोरिया के खिलाफ आरोपों के लिए इस्तेमाल किए गए सबूत क्या हैं? इसमें से कुछ भी वास्तव में जनवादी कोरिया के दौरे से प्राप्त नहीं किया गया था, यह सब सेकेंड-हैंड है और मूल रूप से जिसे वास्तविक साक्ष्य के रूप में जाना जाता है, उसकी कानून की अदालत में कोई वास्तविक वैधता नहीं है. भले ही आप दक्षिण कोरिया द्वारा दिए गए जनवादी कोरिया के भगोड़ों की संख्या के बढ़े हुए आंकड़ों पर विश्वास करें, वे जनवादी कोरिया की आबादी का एक बहुत छोटा हिस्सा हैं, 1% से भी कम, तो डीपीआरके के 99.9% के विचारों के बारे में क्या? उनको बाहर क्यों रखा गया है, उनकी आवाज़ क्यों नहीं सुनी जाती है, एक गैर-प्रतिनिधि अल्पसंख्यकों के विचारों पर रिपोर्ट का आधार क्यों बनाया गया है?
डाटा में वास्तविक साक्ष्य की गणना करने और फिर उसकी गणना और विश्लेषण करने का विचार पहले भी असफल रहा है; दो प्रसिद्ध अमेरिकी इतिहासकार फोगेल और एंगरमैन ने अमेरिकी नीग्रो दासता का एक तथाकथित अर्थमितीय (Econometric) इतिहास तैयारकिया. फोगेल और एंगरमैन ने एक गुलाम मालिक की डायरी का विश्लेषण किया कि उसने कितनी बार एक गुलाम को पीटा और फिर परिणामों को कंप्यूटर में डाल दिया. इसका परिणाम एक पुस्तक थी जिसका नाम था: 'टाइम ऑन द क्रॉस' - जिसमें एक उदार प्रणाली के रूप में अमेरिकी दासता की प्रशंसा की गई थी. आश्चर्य की बात नहीं कि पुस्तक की नस्लवादी कहकर निंदा की गई. यह वास्तविक साक्ष्यों को ठोस शोध में बदलने की कोशिश के खतरों का एक अच्छा उदाहरण प्रस्तुत करता है.हालाँकि 'जांच आयोग' की रिपोर्ट और जनवादी कोरिया में मानवाधिकारों पर अन्य तथाकथित रिपोर्टें, जिनमें भगोड़ों को मुख्य सबूत बताया गया है, गुमराह और अयोग्य होने से कहीं आगे हैं.
ये रिपोर्टें जानबूझकर एकतरफ़ा हैं.ये 'भगोड़े' कौन हैं? इनमें से कुछ लोग वास्तव में जनवादी कोरिया से नहीं बल्कि दक्षिण कोरियाई हैं (इन्हें दक्षिण कोरियाई लहजे में बात करते हुए सुना गया है), और अन्य वे हैं जिन्होंने जनवादी कोरिया में हत्या, बलात्कार, चोरी और भ्रष्टाचार जैसे बहुत गंभीर अपराध किए हैं.उदाहरण के लिए, एक 'भगोड़ा' शिन दोंग ह्यक जिसका असली नाम शिन इन ग्यन है, ने वास्तव में झूठ बोलना स्वीकार किया है. उसकी किताब: 'एस्केप फ्रॉम कैंप 14' - उसके लिए ब्लेन हार्डन नामक एक प्रतिक्रियावादी अमेरिकी लेखक द्वारा लिखी गई थी. वास्तव में कैंप 14 अस्तित्व में नहीं है, एक प्रमुख पर्यटक सड़क सहित सड़क और रेलवे लाइनें इसके स्थान से होकर गुजरती हैं. जनवादी कोरिया के अधिकारियों ने शिन पर जून 2001 में बोन्चान गांव में ली यून हा नामक 13 वर्षीय लड़की के बलात्कार का आरोप लगाया था.
शिन को युद्ध-अपराधी जॉर्ज डब्ल्यू बुश के साथ फोटो खिंचवाने पर गर्व था और अब वह बुश इंस्टीट्यूट के लिए काम करता है.
ऐसे व्यक्ति के बारे में कोई क्या कह सकता है? सभी भगोड़े दक्षिण कोरियाई 'राष्ट्रीय खुफिया सेवा' के नियंत्रण वाले लोग हैं और दक्षिण कोरियाई शासन और अमेरिका द्वारा दिए गए पैसों पर पलते हैं. क्या उस गवाह का साक्ष्य, जिसे पहले रिश्वत दी गई हो, विश्वसनीय साक्ष्य है? मूलतः नहीं. वास्तविक तथ्य में कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया गया है, केवल दावे और कहानियां, यहां तक कि चित्र भी हैं जो देखने में ऐसे लगते हैं जैसे वे मानसिक रूप से बीमार या नशीली दवाओं के लती किसी व्यक्ति द्वारा बनाए गए हैं. इनके बारे में विस्तार से लिखने के लिए यह जगह छोटी है, लेकिन यह कहा जा सकता है कि जनवादी कोरिया दुनिया के सबसे सामंजस्यपूर्ण और स्थिर समाजों में से एक है.
जनवादी कोरिया में समाजवादी व्यवस्था वास्तविक मानव अधिकारों की गारंटी देती है जैसे काम करने का अधिकार, आराम और अवकाश का अधिकार और शिक्षा का अधिकार. पूंजीवादी देशों में इनकी गारंटी नहीं है. जनवादी कोरिया में चुनावों में लगभग 100% लोग मतदान करते हैं, जो पूंजीवादी दुनिया में असंभव है. जूछे विचार के तहत व्यक्ति अपना मालिक खुद है और उसकी स्वतंत्रता और रचनात्मकता हर तरह से बढ़ती है. जनवादी कोरिया पिछड़ी और प्रतिक्रियावादी विचारधाराओं से निपटने के लिए प्रशासनिक तरीकों के इस्तेमाल के बजाय वैचारिक संघर्ष में विश्वास करता है. जनवादी कोरिया में समाजवाद का निर्माण वहां के लोगों की रचनात्मकता से हुआ है.
जनवादी कोरिया विरोधी लॉबी द्वारा शिविरों में रखे गए लोगों की संख्या के विभिन्न आंकड़े पेश किए जाते हैं. कुछ लोगों का दावा है कि जनवादी कोरिया में 250,000 लोग जेल शिविरों में बंद हैं. इसका मतलब यह होगा कि शिविर वास्तव में बहुत बड़े होंगे, छोटे शहरों के आकार के होंगे और उन्हें समर्थन देने के लिए एक विशाल बुनियादी ढांचे और बड़ी संख्या में गार्ड की आवश्यकता होगी. वास्तव में इंसानी कचरे शिन का 'कैंप 14' उत्तरी शहर और हयांगसन के पर्यटक रिसॉर्ट के लिए प्रमुख सड़क और रेल संपर्क होगा जो इसके ठीक बीच से होकर गुजरेगा. लेकिन उस जगह पर कोई ऐसी जेल का अस्तित्व ही नहीं है ऐसा जनवादी कोरिया 9 बार घुम के आए अंग्रेज पर्यटक डरमट हडसन का कहना है. कुछ लोग कह सकते हैं: 'आह! ...लेकिन वे दृश्य से दूर छिपे हुए हैं'. वैसे भी आप बड़ी संख्या में कैदियों को छिपा नहीं सकते.
वास्तव में जनवादी कोरिया में 'जेल शिविरों' में लोगों की कथित संख्या अभी भी अमेरिकी जेलों में बंद लोगों की संख्या के दसवें हिस्से से भी कम है (अमेरिका में दुनिया की सबसे बड़ी जेल आबादी है), और कथित कैद की दर वास्तविक अमेरिकी क़ैद दर से भी कम है. जनवादी कोरिया में दंडात्मक हिरासत का उपयोग केवल गंभीर और लगातार अपराधियों के लिए अंतिम उपाय के रूप में किया जाता है.
जनवादी कोरिया में पुनर्शिक्षा पंसदीदा तरीका है. यह आमतौर पर समुदाय या कार्यस्थल पर किया जाता है. जनवादी कोरिया महत्वपूर्ण वर्षगाँठों पर कैदियों को माफी देता है. यह कुछ ऐसा है जो पूंजीवादी देश में अकल्पनीय होगा. वास्तव में दुनिया में मानवाधिकारों का हनन करने वाले देश अमेरिका, कई पश्चिमी देश और दक्षिण कोरिया हैं.अमेरिका की जेलों में 20 लाख कैदी हैं, जो कि जनवादी कोरिया में मौजूद कैदियों की संख्या से 10 गुना अधिक है. अमेरिका में गोलीबारी आम बात है और पुलिस ने जॉर्ज फ्लॉयड जैसे कई काले लोगों को मार डाला है. सभी पूंजीवादी देशों में बेरोजगारी, गरीबी और बेघरता है.
ब्रिटेन में कई नागरिकों को फूडबैंक की ओर रुख करना पड़ता है. 'द पैरासाइट' और 'द स्क्विड गेम' जैसी फिल्मों और नाटकों से दक्षिण कोरिया की हकीकत उजागर हो चुकी है. दक्षिण कोरिया में वास्तव में दुनिया में सबसे लंबे समय तक काम करने का समय है, और यह दुनिया के सबसे असमान समाजों में से एक है. इसमें कठोर फासीवादी 'राष्ट्रीय सुरक्षा कानून' भी है जो कम्युनिस्ट और वामपंथी गतिविधियों और जनवादी कोरिया के समर्थन पर प्रतिबंध लगाता है. साम्राज्यवादी देशों की स्थिति, जो जनवादी कोरिया में 'मानवाधिकारों' के उल्लंघन का आरोप लगाते हैं, वे वहाँ के मानवाधिकारों की स्थिति के विपरीत है. जैसा कि जनवादी कोरिया के कोरिया एसोसिएशन फॉर ह्यूमन राइट्स स्टडीज ने हाल ही में कहा है: हमारा राज्य हमारे लोगों की जीवन सुरक्षा और आजीविका की पूरी जिम्मेदारी लेता है, और हमने कभी भी किसी से हमारे लोगों की जीवन स्थितियों के बारे में चिंता करने के लिए नहीं कहा है.'हमारे देश में जहां सामाजिक जीवन के सभी क्षेत्रों में जनता प्रथम (People- First) राजनीति चलती है, लोगों के अधिकारों और हितों को सर्वोच्च और पूर्ण प्राथमिकता दी जाती है, और लोगों की गरिमा और अधिकारों की दृढ़ता से गारंटी दी जाती है.
हमारी अपनी शैली के जन-केंद्रित समाजवाद की श्रेष्ठता हमारी वास्तविकता को विकृत करने और हमारे राज्य को बदनाम करने वालों से ढंक छिप नहीं जाएगी और शत्रुतापूर्ण ताकतों द्वारा अपनाई गई विरोधी साजिशों को हमारी एकल-दिमाग वाली एकता की ताकत से ध्वस्त कर दिया जाएगा'.
वास्तव में जनवादी कोरिया दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जो अपने नागरिकों को मुफ्त आवास, मुफ्त स्वास्थ्य सेवा, मुफ्त शिक्षा के साथ-साथ बच्चों के लिए मुफ्त स्कूल यूनिफॉर्म और डेयरी उत्पाद देता है (ध्यान दें कि यूके में स्कूलों में दिया जाने वाला दूध 1970 के दशक में समाप्त कर दिया गया था). जनवादी कोरिया वास्तव में मानवाधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय मानकों से बहुत आगे निकल गया है.
मानवाधिकारों पर हमला केवल जनवादी कोरिया को बदनाम करने के बारे में नहीं है. यह समाजवादी व्यवस्था को उखाड़ फेंकने के बारे में है. साम्राज्यवादियों का 'मानवाधिकार' खेल शासन परिवर्तन का एक साधन भर है. साम्राज्यवादी देशों के लिए बाज़ार ही एकमात्र मानवाधिकार है.
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