पेस्ट्री प्रदर्शनी
जनवादी कोरिया की राजधानी फ्यंगयांग में गेहूँ के आटे से बनी खाद्य वस्तुओं (पेस्ट्री) की प्रदर्शनी का आयोजन विगत 13-16 दिसंबर को किया गया. इसमें देश भर की पेस्ट्री बनाने वाली कंपनियों (सभी सरकारी) ने हिस्सा लिया. इसका उद्देश्य सभी कंपनियों के बीच आपस में जानकारी का आदान प्रदान और जनता की राय लेकर उत्पादों में सुधार करने के साथ साथ गेहूँ के आटे से बन सकने वाली और खाद्य वस्तुओं की खोज कर उसे जनता के मुख्य भोजन के रूप में स्थापित करना भी था(सनद रहे कि जनवादी कोरिया का मुख्य भोजन चावल है).
ये सब उस देश में हो रहा है जहाँ के बारे में तथाकथित मुख्यधारा का मीडिया दिन रात कुत्सा प्रचार करता रहता है कि वहाँ खाने को कुछ नहीं है और लोग भुखमरी के कगार पर हैं.
1990 के दशक में जनवादी कोरिया लगातार दो साल तक मानवीय नियंत्रण से बाहर आई भयानक बाढ़ के चलते फसलों की भीषण तबाही से अत्यंत गंभीर खाद्यान्न संकट के चपेट में आ गया. उस दौर को जनवादी कोरिया में “कठिन यात्रा” (Ardous March, 고난의 행군) भी कहते हैं. उस दौर को गुजरे 20 साल से ज्यादा हो चुके हैं पर तथाकथित मुख्यधारा की मीडिया की सुई अभी भी 1990 के दशक में ही अटकी हुई है. इस दौरान जनवादी कोरिया की समाजवादी सरकार ने जनता के खाने पीने में कितनी विविधता भी ला दी पर तथाकथित मुख्यधारा का मीडिया कभी इसकी बात नहीं करेगा. अब जनवादी कोरिया को उसी 1990 वाले दौर के भुखमरी से जूझ रहे देश के रूप में प्रचारित करना एक "फेक न्यूज" से ज्यादा कुछ नहीं है. विश्व खाद्य कार्यक्रम(World Food Program, WFP) के आंकड़े भी जनवादी कोरिया के चावल, मक्का, गेहूँ इत्यादि केवल अनाज उत्पादन को ही दर्शाते हैं और इन आंकड़ों में जनवादी कोरिया द्वारा बड़े पैमाने पर उत्पादित किए जाने वाले मांस, मछली, फल, सब्जी और दुग्ध उत्पाद गायब हैं. दूसरी तरफ इन्हीं तथाकथित अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों का अनुमान है कि जनवादी कोरिया को सालाना 54 से 55 लाख टन अनाज की जरूरत है और उसमें से जनवादी कोरिया खुद से 50 लाख टन उपजाने में सक्षम रहा. इतना ही नहीं जापान के आर्थिक अखबार दोयोकेईजाईनिप्पो(東洋経済日報) के मुताबिक सितम्बर 2014 में जनवादी कोरिया ने 56 लाख टन अनाज का उत्पादन खुद से कर लिया था और उसके बाद हर साल 50 लाख टन का उत्पादन उसके लिए चुटकी बजाने जैसा ही है. केवल अनाज के उत्पादन में थोड़ी सी कमी पर उसे पूरे देश में भुखमरी के रूप में देखना एक पाषाणकालीन नजरिया है. इतना ही नहीं इसी WFP के ही मुताबिक जनवादी कोरिया की खाद्य आत्मनिर्भरता की दर 92℅ है और यह भी तब जब जनवादी कोरिया का 85% भूभाग पहाड़ी है और वहाँ की जलवायु भी कृषि योग्य नहीं है.
इसके अलावा जिस दौर(1995-2000) में जनवादी कोरिया में अत्यंत गंभीर खाद्य संकट की बात तथाकथित मुख्यधारा की मीडिया द्वारा जोर शोर से फैलाई जाती है. उस दौर में फ्यंगयांग- ह्यांगसान के बीच 172 किलोमीटर लंबा हाइवे, फ्यंगयांग में पार्टी स्थापना की विशालकाय प्रतिकृति और उसके आस पास कुछ आवासीय इलाके, पुल और सुरंगें, 8 लाख 10 हजार किलोवाट की क्षमता वाले दुनिया के विशालकाय बिजलीघरों में से एक आनब्यन बिजलीघर का निर्माण, पूर्ण रूप से स्वदेश निर्मित क्वांगम्यंगसंग -1 नामक उपग्रह का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण क्या गंभीरतम भुखमरी से जूझ रहे देश के द्वारा किया जा सकता है?इसके अलावा जनवादी कोरिया में उस दौर में भी नए अस्पताल और स्कूल बनाना जारी रखा था.
जनवादी कोरिया को सही से लाजिक के साथ जानने समझने की कोशिश करिए. दुनिया का इकलौता देश जो बिना किसी विदेशी ओर उसमें भी साम्राज्यवादी पूंजी के बगैर अपनी जनता से बिना किसी भी तरह का टैक्स लिए मुफ्त पढ़ाई, दवाई, घर, मूलभूत राशन तक मुहैया कराता है बिना अगर मगर किए!!
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