झूठ झूठ और केवल झूठ! -2


हर साल की तरह इस साल भी जनवादी कोरिया (उत्तर कोरिया) के खिलाफ सफेद झूठ का बाजार एक बार फिर से गर्म है. इस बार समाजवाद के दुश्मनों द्वारा पूरी दुनिया में यह झूठ फैलाया गया है कि वहाँ दक्षिण कोरियाई टीवी शो देखने और उसे दूसरों के साथ  साझा करने के जुर्म में दो नाबालिगों को लोगों के सामने खड़ा किया फिर उनका परिचय दिया और जुर्म बताया, फिर उन्हें मौत की सजा सुनाई और तुरंत उन्हें गोली मार दी. 



और एक दूसरा झूठ फैलाया गया है कि वहाँ के बच्चों के ऐसे नाम रखने का आदेश दिया है जो आक्रामकता और देशभक्ति को दर्शाते हों। उन्होंने कहा है कि बच्चों के नाम बम, गन, तोप या सैटेलाइट होने चाहिए.



जहाँ तक दो नाबालिगों को सरेआम गोली मारने की बात है, तो यह साफ करना जरूरी है कि जनवादी कोरिया में एक तो 18 साल से कम उम्र वालों के लिए मौत की सजा का कोई प्रावधान नहीं है और किसी भी अपराधी को बिना मुकदमा चलाए मौत की सजा नहीं दी जा सकती. वहाँ मौत की सजा केवल गंभीर अपराध जैसे आतंकवाद और इरादतन हत्या के मामलों में दी जा सकती है. दक्षिण कोरियाई  फिल्मों को साझा करना वहाँ गंभीर अपराध की श्रेणी में नहीं आता, उल्टे लिबरल डेमोक्रेसी वाले दक्षिण कोरिया में उत्तर कोरिया की फिल्म (जो कि यू ट्यूब पर आसानी से उपलब्ध है) देखने और साझा करने पर सजा देने का कानून दृढ़ता के साथ मौजूद है. (दक्षिण कोरिया के फर्जी लोकतंत्र पर एक आलेख यहाँ पढ़ा जा सकता है

https://janwadikorea.blogspot.com/2021/06/blog-post_8.html?m=1

चलिए मान लेते हैं कि जनवादी कोरिया में क्रूर शासन है पर क्रूरता को बरकरार रखने के लिए जनता में डर पैदा करना भी जरूरी है और इसमें मीडिया की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है. पर उपर के इन दोनों खबरों का जिक्र जनवादी कोरिया की मीडिया में तो है ही नहीं और ये कोई मामूली घटनाएं तो है नहीं. जनवादी कोरिया की जनता जो भी खबर पढ़ती है वो इंटरनेट पर सहज उपलब्ध है.आप वहाँ के प्रमुख अखबार रोदोंग सिनमुन (http://www.rodong.rep.kp/en/index.php?QEBAQEAx ) के कोरियाई/अंग्रेजी/चीनी भाषा के संस्करण को इंटरनेट पर पढ़ सकते हैं. उस अखबार के स्क्रीन शॉट (कोरियाई/ अंग्रेजी) में देख लीजिए 



या साइट (बस   पूरी दुनिया को छोड़कर केवल लिबरल डेमोक्रेसी वाले दक्षिण कोरिया में ये साइट नहीं खुलेगी क्योंकि वहाँ उत्तर कोरिया के बारे में सही तरीके से जानना कानूनन जुर्म है. वहाँ तो किसी विदेशी के द्वारा सार्वजनिक रूप से यह कहने पर कि उत्तर कोरिया की नदी दक्षिण कोरिया से ज्यादा साफ सुथरी है , उसपर देशनिकाला दे दिया जाता है और बात करते हैं कि उत्तर कोरिया में लोकतंत्र नहीं है. ) पर जाकर उसके पुराने अंक खंगाल लीजिए ऐसी कोई खबर नहीं मिलेगी. और उत्तर कोरिया तो किसी से डरता नहीं है तो वह ये सब क्यों छिपाएगा?

इन सारी झूठी खबरों का स्तोत्र रेडियो फ्री एशिया है.रेडियो फ्री एशिया एक बहुत ही उग्र अमेरिकी प्रचार प्रसारण स्टेशन है जिसे 1950 के दशक में कुख्यात सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी(CIA) द्वारा स्थापित किया गया था.समाजवाद को कमजोर करने, अमेरिका विरोधी सरकार के तख्ता पलट  के लिए माहौल बनाने  और किसी भी तरह से दुनिया में अमेरिकी साम्राज्यवादी प्रभाव को बढ़ाने के लिए अमेरिका द्वारा स्थापित एक फेक न्यूज़ ब्राडकाॅस्टर के रूप में इसकी कुख्याति है.एक अमेरिकी अधिकारी ने एक बार व्यंग्यात्मक रूप से यह निष्कर्ष निकाला था कि ''जहां भी हमें लगता है कि कोई वैचारिक शत्रु है, हम एक रेडियो फ्री जैसा कुछ करने जा रहे हैं''.


साम्राज्यवाद जनवादी कोरिया जैसे मौजूदा समाजवादी देशों में भीतरघात की सक्रिय कोशिशें करता है और उनके खिलाफ वैचारिक, आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्रों में अनवरत युद्ध छेड़े हुए है. विश्व संचार क्रांति का इस्तेमाल करते हुए साम्राज्यवाद, अंतर्राष्ट्रीय सूचनातंत्र पर अपने नियंत्रण के जरिये, पूंजीवाद विरोधी विचारों और समाजवाद को बदनाम करने और दबाने की आक्रामक कोशिशें करता है.

इसलिए जिस तथाकथित उत्तर कोरिया को लोग जानते हैं वैसा उत्तर कोरिया वजूद में है ही नहीं, वह केवल अमेरिकी साम्राज्यवादियों और उसके सबसे बड़े दलाल दक्षिण कोरिया और उनके पैसों पर पलने वालों के शैतानी दिमाग की उपज है. असल वाला उत्तर कोरिया तो अपने बलबूते अपनी जनता से एक पैसा टैक्स लिए बिना उन्हें मुफ्त पढ़ाई, दवाई ,आवास, राशन देने वाला दुनिया का इकलौता देश है.

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

अमेरिकी साम्राज्यवाद पर जीत के गौरवपूर्ण 70 साल

अमेरिकी साम्राज्यवाद पर जीत

असहमति का अधिकार