पूर्व दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति के नजर में चेयरमैन किम जंग उन और जनवादी कोरिया

 

अमेरिकी साम्राज्यवाद के सबसे बड़े वफादार दक्षिण कोरिया के द्वारा पूरी दुनिया में समाजवादी देश जनवादी कोरिया और उसके नेतृत्व के बारे में दशकों से अनवरत दुष्प्रचार किया गया है और यह अभी भी जारी है. पर कभी कभी उसके द्वारा जनवादी कोरिया और उसके नेतृत्व को वास्तविक नजरिये से देखने की भी कोशिश की जाती है.(इस लेख में मैंने उत्तर कोरिया की जगह जनवादी कोरिया लिखा है  जो कि उसका वास्तविक नाम है. दक्षिण कोरिया अमेरिकी साम्राज्यवाद की नाजायज पैदाइश है इसलिए उसके नाम को ऐसे ही रहने दिया गया है.)

इसी कड़ी में दक्षिण कोरिया के पूर्व राष्ट्रपति मून जे-इन का संस्मरण, फ्रॉम द पेरीफेरी टू द सेंटर,( 변방에서 중심으로)जो उसके कार्यकाल के दौरान कूटनीति और सुरक्षा के क्षेत्र पर नज़र डालता है, विगत 18 मई को प्रकाशित हुआ. मून जे-इन प्रशासन के तहत राष्ट्रीय सुरक्षा कार्यालय के सचिव और विदेश मामलों के प्रथम उप मंत्री के रूप में कार्य करने वाले प्रोफेसर छ्वे जोंग गन के साथ बातचीत के प्रारूप में आयोजित इस पुस्तक में पर्दे के पीछे की कई कहानियाँ शामिल हैं, जिसमें हम केवल जनवादी कोरिया से संबंधित हिस्सों पर नजर डालेंगे.



मून जे इन की नजर में चेयरमैन किम जंग उन

पूर्व राष्ट्रपति मून जे-इन ने कहा, ''जिस चेयरमैन किम से मेरी मुलाकात हुई वह खुफिया रिपोर्टों और मीडिया रिपोर्टों के विपरीत पूरी तरह से अलग थे . वह बहुत विनम्र थे. उन्होंने ऐसा व्यवहार किया जैसे कि अपने बड़ों के प्रति सम्मान उनके मन में बसा हुआ है. उदाहरण के लिए, जब मेरा जनवादी कोरिया में कार्यक्रम होता था, तो वह हमेशा सबसे पहले आते थे और मेरा इंतजार करते थे, जब मैं निकलता था, तो नजरों से ओझल होने तक वहीं खड़े रहते थे.  और जब मैं कहीं प्रवेश करता था, तो वह हमेशा सबसे आगे रहते थे और विनम्रता से बात करते थे (पृष्ठ 190).

चेयरमैन किम जंग उन से मिलने वाले सारे लोग सबसे पहली बात यह कहते हैं कि वह शिष्टाचार में अच्छे हैं.

पूर्व विदेश उप मंत्री छ्वे जोंग गन ने भी कहा, "मुझे जो असामान्य लगा वह यह था कि चेयरमैन किम जंग उन ने राष्ट्रपति मून से कहा, 'फेख्वावन राजकीय अतिथि गृह  काफी जर्जर है.राष्ट्रपति भले ही दुनिया के कई महान स्थानों पर गए हों, लेकिन वह वास्तव में जर्जर हैं. यह काफी प्रभावशाली था कि चेयरमैन किम ने कहा, कि हम इतना ही कर सकते हैं . छ्वे ने यह भी कहा, "मैं गर्मजोशी से हमारा स्वागत करने की उनकी इच्छा महसूस कर सकता था. मैंने पहले भी प्योंगयांग शहर में नागरिकों को कतार में खड़े देखा है, लेकिन यह काफी प्रभावशाली था कि चेयरमैन किम खुद राष्ट्रपति मून को फेख्वावन राजकीय अतिथि गृह  तक ले गए." (पृष्ठ 260)

20 सितंबर 2018 को जब उत्तर और दक्षिण कोरिया के नेता अलग हुए तो वह दृश्य भी प्रभावशाली है . पूर्व राष्ट्रपति मून जे-इन ने कहा, "मैं  विमान के किनारे पर था, लेकिन उड़ान भरने से पहले, मैंने खिड़की से बाहर देखा और चेयरमैन किम और उनकी पत्नी और उत्तर कोरियाई अधिकारियों को एक पंक्ति में खड़ा देखा।"पूर्व राष्ट्रपति मून जे-इन ने भी कहा कि पूरी तरह से नज़रों से ओझल होने तक वे वहीं थे.

चेयरमैन किम जोंग-उन के स्पष्टवादी स्वभाव के बारे में कई कहानियाँ हैं.

पूर्व राष्ट्रपति मून जे-इन ने पैदल पुल को याद किया, जो 27 अप्रैल के अंतर-कोरियाई शिखर सम्मेलन का मुख्य आकर्षण था, और कहा, “यह अच्छा था कि दोनों नेताओं को ईमानदारी से बात करने और बिना किसी की उपस्थिति के अपनी सच्ची भावनाओं को प्रकट करने का अवसर मिला.जिस तरह से चेयरमैन किम ने मुझे दिखाया, वह सबसे पहले, बहुत ईमानदार था.उन्होंने अपनी कठिनाइयों को भी ईमानदारी से स्वीकार किया। उस समय, संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ चेयरमैन किम की शिखर बैठक निर्धारित की गई थी, और संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ उनकी पहली शिखर बैठक होने के कारण उनकी कई उम्मीदें भी थी और कोई अनुभव न होने के चलते अपनी चिंताओं के बारे में भी बात की थी। "मेरे मन में भी इस बारे में बहुत सारे प्रश्न थे कि इसे कैसे किया जाए.(पृष्ठ 116)


ऐसा नहीं है कि जनवादी कोरिया के पास अमेरिका को लेकर कोई कोई अनुभव नहीं है क्योंकि वह दशकों से संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ राजनयिक वार्ता में लगा हुआ है.संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ दक्षिण कोरिया की आज्ञाकारी कूटनीति की तुलना में, जो संयुक्त राज्य अमेरिका की मंजूरी के बिना कुछ नहीं कर सकता, जनवादी कोरिया , जो शत्रुतापूर्ण संबंधों में भयंकर कूटनीति में लगा हुआ था, के पास समृद्ध अनुभव हो सकता है   हालाँकि, चेयरमैन किम जोंग-उन ने पूर्व राष्ट्रपति मून जे-इन से सलाह मांगी. यह चेयरमैन किम विनम्रता का एक पहलू हो सकता है जो उन्हें विनम्र बनाता है और पूर्व राष्ट्रपति मून जे-इन को ऊंचा उठाता है.

पूर्व राष्ट्रपति मून जे-इन ने यह भी कहा, “वह बहुत विनम्र थे, ईमानदारी से अपने विचार रखते थे और निर्णय लेने में तेज थे.वैसे भी, मैं जिस चेयरमैन किम से मिला, वह ऐसे व्यक्ति थे जिनके साथ मुझे लगा कि मैं बात कर सकता हूं और संवाद कर सकता हूं. मून ने यह भी कहा, "मैंने पिछले पांच वर्षों में बहुत सारी कूटनीति की है, और मुझे लगता है कि कूटनीति में सबसे आवश्यक गुण और कूटनीति करने का सबसे अच्छा तरीका ईमानदारी है." (पृष्ठ 190)


पूर्व राष्ट्रपति मून जे-इन ने कहा कि वह चेयरमैन किम जंग उन के स्पष्टवादी व्यक्तित्व के कारण उनसे बात करने में सहज महसूस करते हैं और मानते हैं कि यह कूटनीति में एक फायदा है.

कहा जाता है कि चेयरमैन किम जंग उन पूर्व राष्ट्रपति मून जे-इन की राय का सम्मान करते थे.

और भी हैरान कर देने वाली कहानियां हैं. पूर्व राष्ट्रपति मून जे-इन ने कहा, "एक बात जो अप्रत्याशित थी वह चेयरमैन किम का बयान था कि वह किसी दिन यनफ्यंग द्वीप का दौरा करना चाहेंगे और यनफ्यंग द्वीप गोलाबारी की घटना (2010 में दक्षिण कोरिया की उकसावा पूर्ण कारवाई से जनवादी कोरिया ने दक्षिण कोरिया के यनफ्यंग द्वीप पर जबाबी गोलीबारी की थी, जिसमें दुर्भाग्य से कुछ नागरिकों की मौत हो गई थी) से पीड़ित निवासियों को सांत्वना देंगे.यह ऐसा कुछ नहीं था जो वह सही कर सकते थे.लेकिन यह आश्चर्य की बात थी कि उन्होंने ऐसा कहा भी'' (पृष्ठ 294-295)


बेशक, यनफ्यंग द्वीप पर गोलाबारी की घटना दक्षिण कोरिया के 'उकसावे' का एक वैध जवाब था, लेकिन किसी भी मामले में, उस स्थान पर जाने और पीड़ितों को सीधे सांत्वना देने की कल्पना करना मुश्किल है जहां उनकी गोलाबारी के कारण लोग हताहत हुए थे.

पूर्व राष्ट्रपति मून जे-इन ने कहा कि जब जनवादी कोरिया ने जनवादी कोरिया-अमेरिका शिखर सम्मेलन के लिए मंगोलिया को स्थान के रूप में प्रस्तावित किया तब अमेरिका ने जवाब दिया कि यह मुश्किल था क्योंकि मंगोलिया में केवल एक ही होटल था. और सुरक्षा या प्रोटोकॉल  के कारण दोनों नेता एक ही होटल में नहीं रह सकते हैं. पूर्व राष्ट्रपति मून जे-इन ने कहा, "चेयरमैन किम ने मुझे बताया कि अगर अमेरिका होटल का उपयोग करता है, तो वो एक बड़ा गेर (मंगोलियाई तम्बू) बना कर उसमें रह सकते हैं नहीं तो वो अपनी रेलगाड़ी का उपयोग कर सकते हैं जहाँ वो  रहने और खाने के आदी हैं. (पृष्ठ 123)

यह कल्पना करना कठिन है कि किसी शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले राष्ट्राध्यक्ष को तंबू में या ट्रेन में रहना होगा. वास्तव में, चेयरमैन किम जंग उन अक्सर रूस दौरे पर ट्रेन में  ही रहते और खाते थे. हम देख सकते हैं कि चेयरमैन किम जंग उन सहज स्वभाव के हैं और औपचारिकताओं की परवाह नहीं करते

27 अप्रैल को फानमुनजम शिखर सम्मेलन से ठीक पहले जनवादी कोरिया और दक्षिण कोरिया ने राष्ट्राध्यक्षों के बीच सीधी बातचीत के लिए एक  हाॅटलाईन की स्थापना की. हालाँकि, इसने कभी काम नहीं किया.

पूर्व राष्ट्रपति मून जे-इन ने 26 मई, 2018 को आयोजित दूसरे अंतर-कोरियाई शिखर सम्मेलन को याद किया और कहा, “उस अंतर-कोरियाई शिखर सम्मेलन में, मैंने आग्रह किया कि हाॅटलाईन को सक्रिय किया जाए. इस पर चेयरमैन किम का जवाब है कि उनका कार्यालय  पार्टी मुख्यालय में स्थित है, लेकिन चूंकि वह सप्ताह में एक या दो बार ही अपने कार्यालय जाते हैं और ज्यादातर समय ग्रामीण इलाकों की यात्रा करते हैं, इसलिए उन्हें सुरक्षा की भी चिंता रहती है , इसलिए एक सुरक्षित ईमेल पते का उपयोग करना बेहतर होगा क्योंकि वे हमेशा अपना लैपटॉप अपने साथ रखते हैं , और किसी भी समय संदेश भेज और प्राप्त कर सकते हैं.इसलिए, बैठक में इस बात पर सहमति हुई कि सीधी फोन लाइन का प्रबंधन  अधिकारियों  द्वारा किया जाएगा, और नेता ईमेल के माध्यम से संवाद करेंगे। (पृष्ठ 224)

ऐसा प्रतीत होता है कि अध्यक्ष किम जोंग-उन का प्रांतीय दौरा जनवादी कोरियाई मीडिया में बताई गई बातों से कहीं अधिक है.

मून जे इन की नजर में जनवादी कोरिया

जब पूर्व विदेश उप मंत्री छ्वे जोंग गन ने मून से पूछा कि , "क्या आप दोनों के बीच पैदल  पुल पर हुई बातचीत कभी जनवादी कोरिया की नीति बन गई है?" तो  मून ने कहा, "हां, मुझे लगता है कि उत्तर कोरिया ने उस नीति के अनुरूप इस पर विचार किया है ," और कहा, "जनवादी कोरिया ने अमेरिका के साथ शिखर सम्मेलन के लिए त्वरित गति से आगे बढ़ने की कोशिश की." मून ने यह भी जवाब दिया, "यह देखा जा सकता है कि जनवादी कोरिया ने कार्रवाई बढ़ाने की मांग करते हुए अपने स्वयं के पूर्वव्यापी और ईमानदार परमाणु निरस्त्रीकरण उपाय किए हैं, जैसे फुंग्ये-री परमाणु परीक्षण स्थल और दोंगछांग-री मिसाइल प्रक्षेपण स्थल को नष्ट करने का प्रस्ताव." (पृष्ठ 200)

बेशक, जनवादी कोरिया ने आंतरिक चर्चा और निर्णय के बाद उपर्युक्त निर्णय लिया हो, लेकिन यह देखा जा सकता है कि उसने पूर्व राष्ट्रपति मून जेइन के प्रस्ताव को काफी खुले रवैये के साथ स्वीकार कर लिया. जनवादी कोरियाई समाज के बारे में अक्सर कहा जाता है कि वह बंद समाज है, लेकिन यह एक बहुत बड़ी ग़लतफ़हमी है.

19 सितंबर 2018  के सैन्य समझौते में, जनवादी कोरिया और दक्षिण कोरिया ने विसैन्यीकृत क्षेत्र के भीतर सभी निगरानी चौकी को वापस लेने का फैसला किया, और प्रायोगिक तौर पर , उन्होंने उन निगरानी चौकी को वापस ले लिया जो एक दूसरे के 1 किलोमीटर के भीतर थे. सवाल यह था कि खाली कराए गए निगरानी चौकी पर काम करने वाले सैनिकों को कहाँ भेजा गया?

पूर्व विदेश मंत्री छ्वे चोंग गन ने कहा, "मैंने सोचा था कि जनवादी कोरिया के 1,000 से 1,500 सैनिकों को अन्य निगरानी चौकियों में भेज दिया जाएगा, लेकिन उन्होंने सभी सैनिकों को इकट्ठा किया और उन्हें वनसान कालमा क्षेत्र में निर्माण स्थल पर भेज दिया. दरअसल सेना वहां निर्माण कार्य कर रही है. जबकि हमने(दक्षिण कोरिया) ने निगरानी चौकी में काम करने वाले सैनिकों को फिर से तैनात किया क्योंकि वे बहुत विशिष्ट थे, लेकिन जनवादी कोरिया ने उन्हें वनसान कालमा आर्थिक विकास क्षेत्र में भेज दिया और उन्हें श्रम के रूप में इस्तेमाल किया." (पृष्ठ 268). जनवादी कोरिया इससे पहले भी अपने कई सैनिक अड्डे हटाकर उसकी जगह अपनी जनता को बेहतर खिलाने के लिए आधुनिक  फार्महाउस का निर्माण किया है और हम क्या जानते हैं कि जनवादी कोरिया जंगखोर  मुल्क है.

अंततः, सभी निगरानी चौकियों को वापस लेने के 19 सितंबर के सैन्य समझौते की भावना के आलोक में, हम देख सकते हैं कि जनवादी कोरिया ने समझौते को अधिक अच्छी तरह से लागू किया.

पूर्व राष्ट्रपति मून जे-इन ने कहा, ''हमारे लिए उत्तरी समुद्री सीमा पर  एक शांति क्षेत्र और एक संयुक्त मछली पकड़ने का क्षेत्र स्थापित करना स्वाभाविक था, लेकिन वास्तव में, यह जनवादी कोरिया की तरफ से एक बड़ी रियायत थी. ऐसा इसलिए है क्योंकि लंबे समय से वे जिस समुद्री सीमा का दावा करते रहे हैं वह निरर्थक हो गई है. एक और बात यह है कि उत्तरी समुद्री सीमा जनवादी कोरिया के ओंगजिन प्रायद्वीप और ह्वांगहे प्रांत के बहुत करीब है, इसलिए यदि एनएलएल के आधार पर एक शांति क्षेत्र और संयुक्त मछली पकड़ने का क्षेत्र स्थापित किया जाता है, तो यह जनवादी कोरिया की भूमि के बहुत करीब होगा, जो कि जनवादी कोरिया के लिए सुरक्षा की दृष्टिकोण से खतरनाक हो सकता था .फिर भी, मुझे लगता है कि इस बात का मूल्यांकन करने की ज़रूरत है कि जनवादी कोरिया ने इसे स्वीकार करने में उस समय महत्वपूर्ण रियायतें देकर अच्छा विश्वास दिखाया।" (पृष्ठ 276)

ऐसा कहा जाता है कि 19 सितंबर के सैन्य समझौते को उन सुरक्षा मुद्दों पर महत्वपूर्ण रियायतें देकर अपनाया गया था जिनके प्रति जनवादी कोरिया कोरिया संवेदनशील है. पर दक्षिण कोरिया के अमेरिका के गुलाम होने के कारण यह ठंढे बस्ते में चला गया.

पूर्व विदेश मंत्री छ्वे जोंग गन ने कहा,  अमेरिका अभी भी वियतनाम के साथ संयुक्त रूप से वियतनाम युद्ध में जंगल में मारे गए अमेरिकी सैनिकों की अस्थियाँ खोजने के लिए  खुदाई करता है. इसमें वियतनाम की सरकार अमेरिकी सैनिकों के अवशेषों को खोदकर निकालती है और अमेरिका इसका खर्च वहन करता है.शायद इसलिए कि वह जंगल था, सौंपे गए अवशेषों में बहुत सारी जानवरों की हड्डियाँ मिली हुई थीं.यह बात मैंने सीधे अमेरिकी सेना के अवशेषों की खुदाई के प्रभारी व्यक्ति से सुनी. पर जनवादी कोरिया से लौटे अस्थि कलश में कभी जानवरों की हड्डियाँ नहीं थीं.यह भी कहा जाता है कि जनवादी कोरिया के लोगों ने अपने अमेरिकी अवशेष उत्खनन दल के प्रति बहुत दयालुता दिखाई, उन्हें भोजन दिया और यहां तक ​​कि उनके फल भी खुद काटे." (पृष्ठ 473).

यह बात सबको मालूम है कि जनवादी कोरिया संयुक्त राज्य अमेरिका को  अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानता है, लेकिन इसकी परवाह किए बिना, यह देखा जा सकता है कि एक बार सहमति बनने के बाद, जनवादी कोरिया पूरी तरह  ईमानदारी से  उस सहमति का पालन भी करता है . हम यह भी देख सकते हैं कि भले अमेरिका जनवादी कोरिया का सबसे बड़ा दुश्मन है लेकिन जनवादी कोरिया अमेरिकी लोगों के साथ 'दुश्मन' जैसा व्यवहार नहीं करता है.

पर यह भी सच है कि इसी लिबरल तलवा चाट मून जे इन  की अंतर कोरियाई संबंध सुधार में कोई खास दिलचस्पी और संजीदगी नहीं थी. उसे सिर्फ संबंध सुधार और शिखर वार्ता का तमाशा करना था कि इस मुद्दे पर वोट लेकर अगली बार के राष्ट्रपति चुनाव में भी अपनी पार्टी की ही सत्ता सुनिश्चित की जाए  और अपने आका अमेरिका को भी खुश रखा जाए. मून जे इन किस तरह जनवादी कोरिया को धोखे में रखा और कैसे चूना‌ लगाया इसके लिए पढ़ें.
https://janwadikorea.blogspot.com/2021/02/blog-post_90.html?m=1

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