वास्तविकता से कोसों दूर जनवादी कोरिया के पतन का तथाकथित सिद्धांत



 विगत 18 अप्रैल 2024 को सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (CSIS) के कोरिया (दक्षिण) अध्यक्ष विक्टर छा ने तर्क दिया कि कोरियाई प्रायद्वीप का एकीकरण अचानक होगा और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि दक्षिण कोरिया में कौन सी रूढ़िवादी या प्रगतिशील पार्टी सत्ता में है, और हमें एकीकरण के लिए तैयार रहना चाहिए. उसने यह भी कहा कि कोरियाई प्रायद्वीप का एकीकरण संभवतः दो तरीकों से होगा ,या तो जनवादी (उत्तर) कोरियाई शासन के अंत के साथ या चीन द्वारा जनवादी कोरियाई लोगों के लिए अपनी सीमाएं खोलने के साथ. साथ ही विक्टर छा ने जनवादी कोरिया के आंतरिक पतन का आह्वान किया.


 यह तथाकथित 'जनवादी कोरिया के (उत्तर कोरिया) पतन सिद्धांत' नया नहीं है, बल्कि एक ऐसा दावा है जो लंबे समय से दोहराया जाता रहा है.


1990 के दशक में जनवादी कोरिया के 'कठिन मार्च' के दौरान, अमेरिकी के तथाकथित जनवादी कोरिया विशेषज्ञों ने तथाकथित '3-3-3 सिद्धांत की परिकल्पना' की और इसके लिए तर्क दिया कि जनवादी कोरिया '3 दिन, 3 महीने या यहां तक ​​कि 3 साल' के बाद ढह जाएगा.लेकिन आज तक जनवादी कोरिया का पतन नहीं हुआ है.


हाल ही में, व्हाइट हाउस राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के पूर्व सलाहकार जॉन बोल्टन ने कहा कि जनवादी कोरिया जल्द ही आंतरिक रूप से ढह जाएगा, उसने यह भी कहा, "कम्युनिस्ट तानाशाही बहुत अस्थिर नींव पर है." रैंड इंस्टीट्यूट के एक वरिष्ठ शोधकर्ता ब्रूस बेनेट कई वर्षों से दावा कर रहा है कि जनवादी कोरियाई सेना विद्रोह कर देगी और जनवादी कोरियाई शासन को ध्वस्त कर देगी.


 हालाँकि, तथाकथित विशेषज्ञ यह तर्क देते रहे हैं कि जनवादी कोरिया का पतन हो जाएगा, लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ. और न ही इन तथाकथित विशेषज्ञ न कोई इसके लिए कोई संकेत देते हैं.


उदाहरण के लिए, ऐसे संकेत होने चाहिए कि जनवादी कोरिया तेजी से सैन्य रूप से कमजोर हो रहा है, आर्थिक रूप से तेजी से ढह रहा है, राजनीतिक गृहयुद्ध, नागरिक अशांति या विरोध का सामना कर रहा है, या जनवादी कोरिया से दक्षिण कोरिया या अन्यत्र भागने वाले भगोड़ों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है.


लेकिन, जनवादी कोरिया में फिलहाल ऐसा कुछ भी नहीं देखने को नहीं मिल रहा है. सैन्य रूप से, जनवादी कोरिया परमाणु हथियारों और मिसाइलों के साथ एक रणनीतिक देश बन गया है, और आर्थिक रूप से, अपने खिलाफ प्रतिबंधों की धज्जियाँ उड़ा रहा है और एक आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था विकसित कर रहा है. और राजनीतिक रूप से भी जनवादी कोरिया बहुत स्थिर है, और यहाँ कोई गृह युद्ध, अशांति या विरोध नहीं है. जनवादी कोरिया से दक्षिण कोरिया या अन्यत्र भागने वाले भगोड़ों की संख्या भी तेजी से घट रही है.


 बल्कि जनवादी कोरिया समाज के सभी क्षेत्रों में प्रगति कर रहा है, और कुछ क्षेत्रों में तो यह उल्लेखनीय भी है.


जनवादी कोरिया ने हाइपरसोनिक मिसाइलों, चलंत अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों और परमाणु मानवरहित पानी के नीचे हमला करने वाली नौकाओं को विकसित और तैनात किया है, जिन्हें अमेरिका भी विकसित नहीं कर सका. जनवादी कोरियाई सेना इतनी उन्नत है कि रूसी रक्षा मंत्री इसकी प्रशंसा "दुनिया की सबसे मजबूत सेना" के रूप में करते हैं.


इसके अतिरिक्त, यदि आप जनवादी कोरिया द्वारा साल के अंत और नए साल की छुट्टियों सहित प्रमुख अवसरों पर आयोजित होने वाले राजनीतिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों को देखें, तो उनकी सामग्री, प्रारूप और पैमाने इतने अनोखे और असाधारण हैं कि वे अन्य देशों में नहीं पाए जा सकते हैं। राष्ट्रीय एकता इतनी अच्छी है कि कई युवा देश के प्रति समर्पित हैं, इस हद तक कि वे सेना या देश के दूर दराज, वीरान और उबड़-खाबड़ इलाकों के लिए स्वेच्छा से काम करते हैं.


 इसके अलावा, राजधानी फ्यंगयांग में हर साल 10,000 घरों वाला एक बड़े पैमाने पर अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्स बनाया जा रहा है, और जब आप इसकी तस्वीरें देखेंगे तो आपको यह इतना शानदार लगेगा कि जैसे यह किसी विकसित देश का हो.किसी भी देश में, बड़े शहर पहले विकसित होते हैं और ग्रामीण इलाके पीछे रह जाते हैं, लेकिन हाल ही में, जनवादी कोरिया के ग्रामीण इलाके इतने शानदार हैं कि वे बड़े शहरों के बाहरी इलाके के आवास परिसरों की याद दिलाते है.


 जनवादी कोरिया में हाल ही में बनाए गए बड़े पैमाने के ग्रीनहाउस फार्म अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग कर एक स्मार्ट फार्म की नजीर पेश कर रहे हैं. 



जनवादी कोरिया के इस रुप में तथाकथित 'जनवादी कोरिया के पतन' के संकेत मिलना असंभव है. 


 पर ऐसे तथाकथित विशेषज्ञ जनवादी कोरिया के पतन के सिद्धांत से क्यों चिपके हुए हैं, जबकि अभूतपूर्व 'पतन के संकेत' के बजाय केवल 'गैर-पतन के संकेत' दिखाई दे रहे हैं? ऐसा प्रतीत होता है मानो वे कुछ निश्चित मान्यताओं से परिपूर्ण हों. जिस कारण से विक्टर छा समेत अमेरिका के तथाकथित जनवादी कोरिया विशेषज्ञ बार-बार वास्तविकता की परवाह किए बिना जनवादी कोरिया के पतन का आह्वान करते हैं, उसे केवल एक विश्वास के रूप में समझा जा सकता है.


 तीन कारक जिन्होंने 'जनवादी कोरिया के पतन सिद्धांत' को एक विश्वास बना दिया


ऐसा विश्वास क्यों हुआ?


सबसे पहले, यह देखा जा सकता है कि यह विश्वास सोवियत संघ के पतन के ऐतिहासिक अनुभव से आया है.


1991 में सोवियत संघ का पतन हो गया. अमेरिका ने पूंजीवाद और समाजवाद के बीच लड़ाई में पूर्ण जीत की घोषणा की. ऐसा प्रतीत होता है कि विक्टर छा जैसे लोग सोवियत संघ के पतन के अनुभव को उत्तर कोरिया पर लागू कर रहे हैं. यदि आप सोवियत संघ और जनवादी कोरिया को एक ही दृष्टि से देखें तो आपके मन में यह धारणा विकसित हो सकती है कि चूंकि सोवियत संघ का पतन हो गया, इसलिए जनवादी कोरिया का भी पतन हो जाएगा.



 विक्टर छा जैसे लोगों को जनवादी कोरिया और सोवियत संघ के बीच कोई अंतर नजर नहीं आया. जनवादी कोरिया पहले ही काॅमरेड किम जंग इल की किताब " समाजवाद विज्ञान है " में कह चुका है कि जनवादी कोरिया और सोवियत संघ का समाजवाद अलग-अलग है. दूसरे शब्दों में, "कई देशों में समाजवाद के पतन का मतलब एक विज्ञान के रूप में समाजवाद की विफलता नहीं है, बल्कि उस अवसरवाद का पतन है जिसने समाजवाद को भ्रष्ट किया है." जनवादी कोरिया ने अपने समाजवाद को वैज्ञानिक समाजवाद के रूप में परिभाषित किया और कहा कि सोवियत संघ एक पतित समाजवाद था, यानी समाजवाद नहीं बल्कि अवसरवाद, जिसके कारण सोवियत संघ का पतन हो गया.


विक्टर छा जैसे तथाकथित जनवादी कोरिया विशेषज्ञों ने शायद इसकी समीक्षा नहीं की होगी, या यदि उन्होंने इसकी समीक्षा की भी होगी, तो हो सकता है कि उसने इसे ठीक से नहीं समझा हो, या हो सकता है कि उसने इसे समझा हो, लेकिन अंततः यह सोचकर अपने स्वयं के विश्वास पर लौट आया कि वास्तव में ऐसा नहीं होगा.


 दूसरा ऐसा लगता है कि यह विश्वास मनुष्यों से संबंधित दार्शनिक दृष्टिकोण से आया है.


ऐसे तथाकथित जनवादी कोरिया विशेषज्ञ सोचते हैं कि 'समाजवाद निश्चित रूप से विफल होगा, और पूंजीवाद जीतेगा और समृद्ध होगा,' लेकिन यह विश्वास मनुष्यों पर उनके अपने दार्शनिक दृष्टिकोण से आता है. 


अमेरिका का वैचारिक आधार व्यक्तिवाद है. अमेरिका इंसानों को व्यक्तिगत प्राणी मानता है जो अपनी इच्छाओं का पीछा करते हैं. ऐसा प्रतीत होता है कि विक्टर छा जैसे लोगों ने सोचा है कि जो समाजवाद व्यक्तिगत इच्छाओं की उपेक्षा करता है और समूह को प्राथमिकता देता है वह अनिवार्य रूप से विफल हो जाएगा.


 साथ ही, ईसाई दृष्टिकोण से, लोग कमजोर और आश्रित प्राणी हैं जो मूल पाप के साथ पैदा हुए हैं और केवल ईश्वर पर भरोसा करके ही जीवित रह सकते हैं. इसलिए, समाजवाद, जिसका लक्ष्य ईश्वर पर भरोसा करने के बजाय मानवीय शक्ति से जीना है, ईसाई धर्म में 'शैतान' है. ईसाई धर्म के दृष्टिकोण से, जो मानता है कि ईश्वर सब कुछ तय करता है, समाजवाद, नास्तिक समाज का न्याय करना भी ईश्वर की इच्छा है.


लेकिन जनवादी कोरिया इंसानों को सामाजिक प्राणी मानता है. मानवता के बारे में जनवादी कोरिया का दृष्टिकोण यह है कि मनुष्यों में सामाजिक प्राणी के रूप में स्वतंत्रता, रचनात्मकता और चेतना जैसे सामाजिक गुण होते हैं, और इन गुणों को केवल तभी महसूस और विकसित किया जा सकता है जब सामूहिकता लागू की जाती है. साथ ही, इंसानों को किसी पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है और वे अपनी ताकत से प्रकृति और समाज को अपने फायदे के लिए बदल सकते हैं. जनवादी कोरिया के इस दृष्टिकोण के अनुसार, समाजवाद मानव स्वभाव के अनुकूल है, और पूंजीवाद मानव स्वभाव के अनुकूल नहीं है. 


विक्टर छा जैसे तथाकथित पश्चिमी विशेषज्ञों के अनुसार, 'लोग व्यक्तिवादी प्राणी हैं और धन, सुख और इच्छा के गुलाम हैं. ऐसा लगता है कि वे मनुष्यों से संबंधित जनवादी कोरिया के दर्शन को ठीक से नहीं समझते हैं क्योंकि वे इस अमेरिकी दर्शन में फंस गए हैं कि 'मनुष्य पापी हैं जिन्हें आदम और हव्वा के मूल पाप विरासत में मिले हैं, जिन्होंने गुप्त रूप से अच्छे ज्ञान के वृक्ष का फल खाया था. और मनुष्य एक दुष्ट, और कमज़ोर प्राणी हैं जिसे ईश्वर द्वारा बचाए जाने की आवश्यकता है.'


अंततः, जनवादी कोरिया के पतन की धारणा इसलिए विकसित हुई प्रतीत होती है क्योंकि ऐसे तथाकथित विशेषज्ञों के पास जनवादी कोरिया को ध्वस्त करने की बात के अलावा और कोई रास्ता नहीं है. यानि अपनी रोजी रोटी बचानी है.


 अमेरिका ने सैन्य और आर्थिक दबाव के माध्यम से जनवादी कोरिया को ध्वस्त करने का प्रयास किया. पर, जनवादी कोरिया सिर्फ 3 दिन, 3 महीने या 3 साल नहीं बल्कि 30 साल बाद भी मजबूत है.बल्कि, यह अधिक सैन्य और आर्थिक रूप से विकसित हो रहा है. इसलिए विक्टर छा जैसे लोगों को लगता है कि हमने सब कुछ करने की कोशिश की, फिर भी हम जनवादी कोरिया को हराने में असमर्थ रहे. अब एकमात्र रास्ता यही बचा है कि जनवादी कोरिया खुद ही ढह जाए. 


इस स्थिति में, विक्टर छा जैसे तथाकथित जनवादी कोरिया विशेषज्ञ एक आत्म-विरोधाभास के शिकार हैं.अगर ऐसे लोग यह मानना छोड़ दें कि जनवादी कोरिया आंतरिक रूप से नहीं ढहेगा तो वे मानसिक रूप से विक्षिप्त यानि पागल हो सकते हैं. इसलिए इनके लिए दिल बहलाने का अच्छा ख्याल है गालिब कि जनवादी कोरिया ढह जाए.

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