टैक्स प्रथा के उन्मूलन के 50 साल

 


21 मार्च को कोरिया लोकतांत्रिक जनवादी गणराज्य (उत्तर कोरिया) में  टैक्स प्रथा के  उन्मूलन के 50 साल पूरे हुए. जनवादी कोरिया टैक्स प्रथा का उन्मूलन करने वाला इतिहास का पहला राज्य बन गया है. यह एक असाधारण उपलब्धि है.वहीं हम यह भी देखते हैं कि पूंजीवादी देशों में टैक्स हर समय बढ़ रहा है.


21 मार्च, 1974 को जनवादी कोरिया की सर्वोच्‍च जन सभा यानि संसद ने टैक्स प्रथा को पूरी तरह समाप्‍त करने के लिए ऐतिहासिक कानून को पारित किया, जो निम्‍नलिखित है:


1.पुराने समाज के एक अवशेष, टैक्स प्रणाली को पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाएगा.


2. जनवादी कोरिया की प्रशासन परिषद इस कानून को लागू करने के लिए कदम उठाएगी.


3. यह कानून 1 अप्रैल, 1974 से प्रभावी होगा.

जब जनवादी कोरिया ने यह कानून पारित किया तो उसने भविष्य में एक बड़ी छलांग लगाई और मूल रूप से एक ऐसी समस्या का समाधान किया जो सदियों से अस्तित्व में थी.  एक पुरानी कहावत है कि जीवन में केवल दो बातें निश्चित हैं मृत्यु और कर . पर एक झटके में जनवादी कोरिया ने करों को समाप्त कर दिया.

काॅमरेड किम इल संग और काॅमरेड किम जंग इल ने कराधान समाप्त करने की योजना बनाई थी. यह विचार सबसे पहले सितंबर 1961 में जनवादी कोरिया की वर्कर्स पार्टी की चौथी कांग्रेस में रखा गया था. बाद में 13 जनवरी 1962 को काॅमरेड किम जंग इल ने ‘हमारी पार्टी की जनोन्मुखी नीति के तहत कर प्रणाली को समाप्त करने की नीति’ से संबंधित विषय पर विश्वविद्यालय के छात्रों से बातचीत की.

जनवादी कोरिया ने 1964-1966 के दौरान कई चरणों में कराधान को समाप्त कर दिया था और सबसे पहले किसानों को  कृषि कर से मुक्त किया गया.  इसके बाद वहाँ केवल आयकर और स्थानीय प्राधिकरण कर ही रह गए. 1970 के दशक तक कर राज्य के राजस्व का केवल एक छोटा हिस्सा था.जनवादी कोरिया के  दूरगामी और महत्वाकांक्षी सामाजिक कल्याण कार्यक्रम को राज्य के स्वामित्व वाले उद्योग के लाभांश से वित्त पोषित किया गया था.इस प्रकार, 1974 के वसंत में जनवादी कोरिया ने टैक्स प्रथा को पूरी तरह से समाप्त कर दिया और साथ ही कीमतों में औसतन 30 से 50 प्रतिशत की कमी की. यह जनता के जीवन स्तर को बढ़ाने के लिए एक सच में एक युगांतकारी उपाय था. इसके विपरीत पूंजीवादी देशों  में बढ़ती कीमतों को देखने से पता चलता है कि जनवादी कोरिया कितना अद्भुत है क्योंकि इसने कीमतों को बढ़ाने के बजाय उसमें कमी की है. जैसा कि काॅमरेड किम इल संग ने कहा था, "हमारे देश में टैक्स प्रथा को समाप्त करना इस महान जूछे विचार की शानदार जीत है, साथ ही हमारे समाजवादी प्रणाली के अतुलनीय लाभों का प्रदर्शन है, जो जूछे विचार का मूर्त रूप है और हमारी समाजवादी स्वतंत्र राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की महान क्षमता है. अमर जूछे विचार और उसकी शानदार जीत के कारण हमारे लोगों को खुशी की समाजवादी भूमि में एक समृद्ध, स्वतंत्र और रचनात्मक जीवन प्रदान किया जा रहा है". 
 

काॅमरेड किम इल संग ने यह भी कहा


"हमारे देश में शक्तिशाली, स्वतंत्र राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और ठोस वित्तीय आधार ने हमें औद्योगिक वस्तुओं की कीमतों को तेजी से कम करने और यहां तक ​​​​कि लोगों की भलाई के लिए टैक्सों को समाप्त करने के लिए महत्वपूर्ण उपाय करने में सक्षम बनाया, और समाजवादी निर्माण के लिए विशाल परियोजनाओं को आगे बढ़ाया. ये हमारे  सामाजिक और सांस्कृतिक उपायों के लिए महान प्रयास करवाना जारी रखता है और इसे और अधिक अभेद्य बनाने के लिए राष्ट्रीय रक्षा को मजबूत करता है.
हमारे देश में टैक्स प्रणाली का उन्मूलन महान जूछे विचार की शानदार जीत के साथ-साथ हमारी समाजवादी व्यवस्था के अतुलनीय लाभों का प्रदर्शन है जो जूछे विचार का मूर्त रूप है और हमारी समाजवादी स्वतंत्र राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की महान क्षमता है".


इस प्रकार जनवादी कोरिया में अच्छे के लिए टैक्स प्रथा को समाप्त कर दिया गया. हालांकि उस समय अन्य समाजवादी देशों ने टैक्स प्रथा को समाप्त नहीं किया था और आज अपने आप को समाजवादी कहने वाले देशों में टैक्स प्रथा मौजूद है. अमेरिका, इंग्लैंड फ्रांस जैसे साम्राज्यवादी देशों में  टैक्स दरों में  वृद्धि हुई. भारत जैसे पूंजीवादी देश में भी टैक्स दर खासकर अप्रत्यक्ष करों की दरें बढ़ाई जा रही है. पेट्रोलियम उत्पादों पर एक्साइज टैक्स और अन्य वसूलियों के जरिए देश की जनता के जेब से 28 लाख करोड़ रुपये निकाले गए हैं.


कई लोग गलत तरीके से टैक्स वसूली को समाजवाद के साथ जोड़ते हैं, क्योंकि वे  भ्रमवश सामाजिक जनवाद यानि सोशल डेमोक्रेसी को समाजवाद समझ लेते हैं .जबकि दोनों अलग चीजें हैं. ब्रिटेन जैसे देशों में सोशल डेमोक्रेटिक शासन ने आय और धन के पुनर्वितरण करने के बजाय सामाजिक सुधारों के वित्त पोषण के लिए टैक्स दरें बढ़ा दीं . इस प्रकार पूंजीवादी देशों के कामगारों का पूंजीपति नियोजकों द्वारा शोषण किए जाने के अलावा पूंजीवादी राज्य द्वारा भी शोषण किया गया.
वहीं जनवादी कोरिया में  का टैक्स प्रथा का उन्‍मूलन एक जन-उन्‍मुख उपाय था, जिसने शोषक समाज के आखिरी अवशेष से लोगों को पूरी तरह से मुक्‍त कर दिया . केवल जनवादी कोरिया, जो जन आधारित और उन्नत समाजवादी प्रणाली वाला एक सच्चा समाजवादी देश है, टैक्स प्रथा का पूरी तरह से उन्मूलन कर सका.

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