कारखाने का शिशु पालन केंद्र
जनवादी कोरिया में शिशु पालन राज्य का परम कर्तव्य और क्रांतिकारी कार्यभार है. इसलिए वहाँ के कारखानों के परिसरों तक में शिशु पालन केंद्र बने हुए हैं और ऐसी व्यवस्था वाला वह दुनिया का इकलौता देश है.अपने आप को असली कम्युनिस्ट समझने वाले साथियों से गुजारिश है कि थोड़ा जनवादी कोरिया के बारे में सही से थोड़ा पढ़ा लिखा करें क्योंकि जनवादी कोरिया को लेकर तथाकथित कम्युनिस्ट, लिबरल और अंधभक्त अंडोले कमोबेश एक ही भाषा बोलते पाए जाते हैं. बाकी दक्षिण कोरिया के पैसों पर पलने वाले और अपनी जमीर का सौदा करने वाले तथाकथित कोरिया विशेषज्ञों से तो कोई उम्मीद ही नहीं की जा सकती.
जनवादी कोरिया के पुनर्निर्माण के दौर में छोटे बच्चों वाली कामकाजी महिलाओं को अपने बच्चों को कारखाने से दूर स्थित शिशु पालन केंद्र में रखना पड़ता था जिनसे उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता था. इसी के मद्देनजर जनवादी कोरिया की सरकार ने 1958 में एक कानून बनाया जिसके तहत 20 से ज्यादा मजदूरों वाले कारखानों में शिशु पालन केंद्र का होना अनिवार्य कर दिया गया. इस तरह से वहाँ लगभग सभी कारखानों में शिशु पालन केंद्र है.
हर वक्त मुनाफे के लिए लालायित पूंजीवाद और उसका हमसाया "लिबरल डेमोक्रेसी" में इसकी कल्पना ही नहीं की जा सकती. जनकल्याण का चोला पहने हुए नार्वे, स्वीडन फिनलैंड ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में ऐसी सुविधा एक सीमित तबके के लिए है या आधी अधूरी है.
जनवादी कोरिया में सर्वोच्च नेता के द्वारा किसी भी कारखाने के दौरे के वक्त उस कारखाने के शिशु पालन केंद्र का दौरा अवश्य किया जाता है और वहाँ के कर्मचारियों के साथ तस्वीरें भी खिचाईं जाती है.एक बार ऐसा भी हुआ कि एक कारखाने में सर्वोच्च नेता के दौरे के वक्त उस कारखाने के शिशु पालन केंद्र के कर्मचारियों तक यह जानकारी नहीं पहुंची पर सर्वोच्च नेता ने उन्हें बुलाया और साथ में तस्वीर खिंचवाई. यह कोई मामूली औपचारिकता भर नहीं है. जनवादी कोरिया का सर्वोच्च नेता बिना किसी जुमले के अपनी जनता का सच्चा प्रधानसेवक है. जनवादी कोरिया में समय समय पर देश भर की माताओं की आमसभा का आयोजन किया जाता है, छोटे बच्चों वाली माताओं को सभा में भाग लेने में किसी तरह की परेशानी न हो इसके लिए उनके ठहरने के स्थान पर अस्थायी तौर पर सारी सुविधाओं से युक्त शिशु पालन केंद्र बनाया जाता है. यह इस बात को दर्शाता है कि जनवादी कोरिया में शिशु पालन केंद्र को कितना महत्व दिया जाता है.
वीडियो में दिखाया गया शिशु पालन केंद्र फ्यंगयांग सौन्दर्य प्रसाधन कारखाना(평양화장품공장, Pyongyang Cosmetics Factory) का है.
यहाँ लगभग सारी महिला मजदूर ही हैं. इस कारखाने ने जनवादी कोरिया में वर्कर्स पार्टी के आठवें सम्मेलन के मद्देनजर उत्पादन में वृद्धि और तकनीक में सुधार के लिए 80 दिनों के विशेष अभियान में उत्पादन के कई नए रिकॉर्ड बना डाले और इसमें यहाँ के शिशु पालन केंद्र का बड़ा योगदान रहा. इस कारखाने की सारी टाॅप परफॉरमर (Top Performer) छोटे बच्चों वाली महिलाऐं ही हैं, जिन्होंने अपने बच्चों को इस कारखाने के शिशु पालन केंद्र में डाला हुआ है. बच्चों की देखभाल कुशल प्रशिक्षित कर्मचारियों द्वारा की जाती है जिससे कि बच्चों की माऐं बिना किसी फिक्र के अपने काम पर ध्यान दे सकें. महिला कर्मियों का भी कहना था कि एक माँ के लिए सबसे बड़ी खुशी क्या होगी कि उसका बच्चा उसके करीब रहे और वह उसे जब चाहे देख सके और सूकून से अपना काम भी कर सके. कारखाने में बच्चों की माऐं काम के बीच में पूरे दिन चार बार आधे आधे घंटे यानि तकरीबन दो घंटे अपने बच्चों के साथ बिता सकती हैं और दूध पिला सकती हैं. इस कारखाने में सुबह 10:30 से 11:00 , 12:30 से 13:00, 16:30 से 17:00 और काम खत्म होने के वक्त (18:00) अपने बच्चों से मिलती हैं और उन्हें दूध पिलाती हैं. यह केवल इसी कारखाने की बात नहीं है, देश के सभी कारखानों में महिला मजदूरों को दिन में दो घंटे अपने बच्चों के साथ बिताने का कानूनी अधिकार है.
वहीं पूंजीवादी देशों में बच्चों की देखभाल में पैसे की कमी होने पर कैसी दुर्दशा होती है, ये किसी से छिपा नहीं है. और हाँ जनवादी कोरिया में सारे शिशु पालन केंद्र में बच्चों को रखने में एक पैसा भी नहीं देना पड़ता और न ही इसके लिए वेतन में किसी प्रकार की कटौती की जाती है. पूंजीवादी देशों में एक तो सभी महिलाओं को ढंग का मातृत्व अवकाश (सवैतनिक या अवैतनिक ही सही) ही मिल जाए, वही बड़ी बात है. लिबरलों के स्वर्ग और तथाकथित "आदर्श" दक्षिण कोरिया में तो महिला कर्मचारी को माहवारी की छुट्टी के लिए ही पुरुष मैनेजरों के द्वारा सैनिटरी पैड दिखाने की मांग की जाती है और विश्वगुरु में तो महिला मजदूरों की बच्चेदानी तक निकाल ले जाती है. बुर्जुआ नारीवाद भी नारी मुक्ति का रास्ता नहीं है. जनवादी कोरिया के जैसे निजी संपत्ति को ध्वस्त कर समाजवादी व्यवस्था ही एकमात्र रास्ता है. जनवादी कोरिया के बारे में एक बार फिर से कोई फर्जी और झूठी खबर कारपोरेट मीडिया द्वारा चलाई जाएगी और पूंजीवादी व्यवस्था में अपनी ऐसी तैसी करा रहे लोग अपनी सड़ गल चुकी व्यवस्था पर फिर से प्रचंड गर्व करने लगेंगे.
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