काॅमरेड किम इल संग की उपलब्धियां (2)

   




महान नेता कॉमरेड किम इल संग का जन्म 111 साल पहले 15 अप्रैल 1912 को मानग्यंगदे (अब जनवादी कोरिया की राजधानी और समाजवादी शहर फ्यंगयांग का एक सुखद, सुंदर और आकर्षक उपनगर) गांव में हुआ था.उनका जन्म एक अत्यंत देशभक्त और क्रांतिकारी परिवार में हुआ था, लेकिन पूंजीवादी देशों के नेताओं के विपरीत उनका जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था .काॅमरेड किम इल संग के जन्मस्थान पर एक पुआल फूस का घर है जिसमें वे अपने परिवार के साथ रहते थे.घर में न तो देश की बर्फीली सर्दी से बचने के लिए कोई हीटिंग सिस्टम था और न ही घर में कोई चमक और बर्तन भी बहुत साधारण थे, एक पानी का जार भी है जिसे कई बार ठीक किया गया था. पूंजीवादी देशों के शासकों और राजनेताओं के विपरीत, काॅमरेड किम इल संग अपने मुंह में चांदी का चम्मच लेकर पैदा नहीं हुए थे.


  एक आम आदमी के घर में पले बढ़े काॅमरेड किम इल संग जनवादी कोरिया के संस्थापक और विश्व प्रसिद्ध राजनेता बने और अंतरराष्ट्रीय कम्युनिस्ट आंदोलन में एक बड़ा नाम भी (अब कम्युनिस्टों में भी कुछ अनपढ़ किस्म के तत्व अव्वल तो उनका नाम तक नहीं जानते और जानकारी के अभाव में उन्हें नरेंद्र मोदी जैसे इंसानी कचरे के समकक्ष खड़ा कर देते हैं, जो कि उनके बौद्धिक दिवालियेपन को ही दर्शाता है) काॅमरेड किम इल संग वह नेता भी थे जिन्होंने जापानी और अमेरिकी साम्राज्यवाद को हराकर जनवादी कोरिया को कोरिया को विश्व मानचित्र पर ला खड़ा किया. काॅमरेड किम इल संग का जीवन लगभग एक शताब्दी तक चला, यही कारण है कि उनकी आत्मकथा को ' शताब्दी के साथ' (세기와 더불어 ,With the Century)कहा जाता है। उनकी क्रांतिकारी गतिविधियाँ 8 दशकों तक चली और वे 1945 से 1994 तक कुल 49 वर्षों तक जनवादी कोरिया के नेता होने के नाते समाजवादी खेमे में सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले नेता थे.


काॅमरेड किम इल संग जनवादी कोरिया के संस्थापक थे.वास्‍तव में आज का फलता -फूलता और समृद्ध जनवादी कोरिया महान नेता काॅमरेड किम इल संग की सबसे टिकाऊ विरासत है. जब आधुनिक संशोधनवाद के कारण अन्य समाजवादी देश धराशायी हो गए और लाल झंडे को झुका दिया, तो जनवादी कोरिया समाजवाद और साम्यवाद विरोधी झंझावात में चट्टान की तरह मजबूती से खड़ा रहा. जनवादी कोरिया ने लाल झंडे को मजबूती से उंचा उठाए रखा. यदि 15 अगस्त 1945 को कोरिया की मुक्ति को शुरुआती बिंदु के रूप में लेते हैं तो 78 वर्ष और अगर 9 सिंतबर 1948 को डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया की स्थापना से लेते हैं तो जनवादी कोरिया 74 वर्ष 6 महीनों से लिए अस्तित्व में है. जो 40 से 44 वर्षों तक अस्तित्व में रहने वाले वाले पूर्व यूरोपीय समाजवादी देशों से अधिक लंबा है . पेरिस कम्यून केवल 7 सप्ताह तक चला और यूरोप में अल्पकालिक 'सोवियत गणराज्य' थे जो केवल कुछ महीनों तक चले और आयरलैंड में लिमरिक सोवियत केवल 12 दिनों तक ही अस्तित्व में रहा. इसलिए जनवादी कोरिया सबसे ठोस समाजवादी देश है.


जनवादी कोरिया का जन्म कठिन और कठिन जापानी विरोधी सशस्त्र संघर्ष से हुआ था. जापानी साम्राज्यवादी सबसे बर्बर और दमनकारी उपनिवेशवादी थे जिन्होंने क्रूरतम अत्याचार करते हुए कोरिया पर अपना अधिकार जमा लिया. उन्होंने कोरिया से संबंधित हर एक चीज को मिटा देने की कोशिश की. उस समय कोरियाई जनता को एक मजबूत नेता, एक क्रांतिकारी नेता की सख्त जरूरत थी जो उन्हें स्वतंत्रता हासिल करने और जापानी उपनिवेशवाद के उत्पीड़न से मुक्ति दिलाने के लिए एकजुट करे. काॅमरेड किम इल संग ने संघर्षों से सीखा कि सड़े-गले और भ्रष्ट बुर्जुआ राष्ट्रवादियों से कोरिया के लिए स्वतंत्रता प्राप्त करने की उम्मीद करना बेकार था क्योंकि वे खोखली बातें करते थे और लोगों पर भरोसा नहीं करते थे. उस वक्त के कोरिया के तथाकथित 'कम्युनिस्ट' भी बेहतर नहीं थे. वे टुटपुंजिया मध्यवर्ग गुटीय कलह और कीचड़ उछालने में लिप्त थे और कॉमिन्टर्न (कम्युनिस्ट इंटरनेशनल) से मान्यता प्राप्त करने की कोशिश करने के लिए इधर-उधर भाग रहे थे. काॅमरेड किम इल संग ने महसूस किया कि संघर्ष जनता पर आधारित होना चाहिए उन्होंने अक्टूबर 1926 में नई पीढ़ी के युवा कम्युनिस्टों के साथ साम्राज्यवाद मुर्दाबाद (타도제국주의동맹, Down with Imperialism Union ) की स्थापना की. यह मानते हुए कि लोग क्रांति के मालिक थे, उन्होंने जून 1930 में ऐतिहासिक कलून बैठक में इसकी सामग्री को निर्धारित करते हुए जूछे विचार को लिखा. अपनी आत्मकथा 'विथ द सेंचुरी' में उन्होंने जूछे के बारे में कहा: 'जूछे का सिद्धांत यह है कि जनता को खुद क्रांति और निर्माण के स्वामी के रूप में भरोसा करना चाहिए और अपने बल पर भरोसा करना चाहिए'.


25 अप्रैल 1932 को उन्होंने जापानी साम्राज्यवाद विरोधी जन गुरिल्ला आर्मी (बाद में कोरियाई पीपुल्स रिवोल्यूशनरी आर्मी) का गठन किया, जो जापानी साम्राज्यवाद से लड़ने और कोरिया की स्वतंत्रता हासिल करने के लिए समर्पित पूरी तरह से आत्मनिर्भर क्रांतिकारी लोगों की सशस्त्र सेना थी. जापानी विरोधी सशस्त्र संघर्ष के शुरुआती दौर में गुरिल्ला क्षेत्र स्थापित किए गए थे और उनके भीतर जन क्रांतिकारी सरकारें, क्रांतिकारी शक्ति का एक नया रूप स्थापित किया गया था.ये किसानों को मुफ्त में जमीन बांटते थे.बाद में महान नेता काॅमरेड किम इल संग ने मातृभूमि की आजादी के लिए संगठन बनाया. कोरिया अंततः 1945 में काॅमरेड किम इल संग के नेतृत्व में क्रांतिकारी सशस्त्र संघर्ष की बदौलत मुक्त हुआ. 

 काॅमरेड किम इल संग ने कोरियाई जनता से नए जनवादी ओर आत्मनिर्भर कोरिया की स्थापना का आह्वान किया. जापानी साम्राज्यवाद की घृणित उपनिवेशवादी शासक मशीनों को तोड़ दिया गया और साथ ही सामंतवाद को भी.जापानियों और अमीर जमींदारों से बिना मुआवजे के जमीन ले ली गई और जमीन के जोतने वालों को मुफ्त में पुनर्वितरित कर दिया गया. काॅमरेड किम इल संग ने कहा कि नया कोरिया आत्मनिर्भरता पर आधारित और पूरी तरह से स्वतंत्र होगा.यह किसी की कठपुतली नहीं होगा और किसी दूसरे देश की नकल भी नहीं होगा और न ही किसी दूसरे देश द्वारा नियंत्रित होगा. काॅमरेड किम इल संग ने उन दक्षिणपंथी अवसरवादियों को हरा दिया, जो एक बुर्जुआ गणतंत्र की स्थापना के लिए आवाज उठा रहे थे और वामपंथी अवसरवादियों ने सोचा था कि देश की वास्तविक परिस्थितियों पर विचार किए बिना तत्काल समाजवादी क्रांति कर देनी चाहिए.

 

काॅमरेड किम इल संग ने सिखाया कि आर्थिक स्वतंत्रता राजनीतिक स्वतंत्रता का आधार है, इसलिए 1946 से उन्होंने स्वतंत्र अर्थव्यवस्था की आत्मनिर्भरता-उन्मुख लाइन का अनुसरण करते हुए कहा कि 'पूर्ण राष्ट्रीय स्वतंत्रता और संप्रभुता के लिए और राष्ट्रीय समृद्धि और विकास के लिए, एक स्वतंत्र राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का निर्माण करना चाहिए. उनके नेतृत्व में' न केवल एक स्वतंत्र अर्थव्यवस्था की लाइन का पालन किया गया बल्कि उन्होंने स्वतंत्र सशस्त्र बलों और एक स्वतंत्र हथियार उद्योग के निर्माण की लाइन का भी पालन किया गया. इसके पहले बड़ी शक्तियों के पूजकों (Big power Chauvinists 대국주의자들) ने कहा कि जनवादी कोरिया को अपने स्वयं के सशस्त्र बलों की स्थापना नहीं करनी चाहिए और न ही अपना स्वयं का युद्ध उद्योग स्थापित करना चाहिए.

पर काॅमरेड किम इल संग ने जोर देकर कहा कि जनवादी कोरिया को केवल दूसरे देश द्वारा बनाए गए हथियारों को इकट्ठा नहीं करना चाहिए बल्कि अपने स्वयं के हथियारों का उत्पादन करना चाहिए.यह विचार जापानी विरोधी सशस्त्र संघर्ष के दिनों से आया जब कोरियाई गुरिल्लाओं ने योंगिल बम बनाया था.यह उम्मीद की गई थी कि सोवियत संघ एक हथगोला कारखाना बनाने में मदद करेगा लेकिन किसी भी कारण से यह अमल में नहीं आया.


 महान नेता काॅमरेड किम इल संग के नेतृत्व में जनवादी कोरिया ने अद्वितीय और मूल आत्मनिर्भरता उन्मुख लाइनों का अनुसरण किया. उदाहरण के लिए जनवादी कोरिया ने पहले कृषि के मशीनीकरण के बारे में हठधर्मिता को खारिज करते हुए अपने तरीके से कृषि सहकारिता को अंजाम दिया.निजी व्यापार और उद्योग का समाजवादी परिवर्तन भी मौलिक और तीव्र गति से हुआ. मूल रूप से जनवादी कोरिया ने उद्योग और कृषि को पूरी तरह से समाजीकृत कर दिया है और इसे हासिल करने वाले कुछ देशों में से एक है.


अगस्त 1956 में महान नेता काॅमरेड किम इल संग के मूल आत्मनिर्भरता-उन्मुख विचारों और नीतियों का विरोध उन गुटों ने किया जो संशोधनवादी थे और महान शक्तियों के पूजक थे. उन्होंने जनवादी कोरिया में समाजवादी व्यवस्था और सर्वहारा वर्ग की तानाशाही को उखाड़ फेंकने की साजिश रची. वे चाहते थे कि जनवादी कोरिया एक अमेरिका समर्थक 'तटस्थ राज्य में बदल जाए और उन्हें बड़ी शक्तियों का समर्थन प्राप्त था, जो जनवादी कोरिया पर हावी होना और उसे नियंत्रित करना चाहते थे, लेकिन वे महान नेता राष्ट्रपति किम इल संग द्वारा पराजित हुए, उस दौर में काॅमरेड किम इल संग कांगसन (अब छल्लीमा स्टील कॉम्प्लेक्स) स्टील प्लांट गए और वहां के मजदूरों को बताया कि अमेरिकी साम्राज्यवादियों, अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रियावादियों, संशोधनवादियों और बड़ी शक्ति के अंधराष्ट्रवादी जनवादी कोरिया के खिलाफ एकजुट हो गए हैं, इसलिए वे केवल मजदूरों पर भरोसा कर सकते हैं. उन्होंने इस्पात मजदूरों से नियोजित(Planned) 60,000 टन से अधिक 30,000 टन अतिरिक्त इस्पात का उत्पादन करने की अपील की. मजदूर आत्मनिर्भर और क्रांतिकारी भावना के साथ उठे और वास्तव में 120,000 टन स्टील का उत्पादन करते हुए एक बार में उत्पादन को दोगुना कर दिया. जनवादी कोरिया सोवियत खेमे वाले कोमेकॉन (COMECON)और न ही वारसा पैक्ट में शामिल नहीं हुआ. इसने कभी भी अपनी धरती पर विदेशी सैनिकों को तैनात करने की अनुमति नहीं दी। आज जनवादी कोरिया इस पृथ्वी ग्रह पर सबसे स्वतंत्र देश है क्योंकि यह आईएमएफ, विश्व बैंक, डब्ल्यूटीओ, एपीईसी या ईयू का सदस्य नहीं है. 


जनवादी कोरिया दुनिया के लिए समाजवाद का मॉडल बन गया. उसके आत्मनिर्भरता यानि जूछे दर्शन के विचार का अध्ययन दुनिया भर में कई लोगों द्वारा किया गया.दुनिया भर में 1,000 से अधिक जूछे विचार अध्ययन केंद्र बनाए गए हैं. फ्यंगयांग के उत्तर पश्चिम में सुंदर म्योह्यांग पहाड़ों में अंतर्राष्ट्रीय मैत्री प्रदर्शनी( International Friendship Exhibition, 국제친선관람관) उनके प्रति दुनिया के लोगों के सम्मान का प्रतीक है. 

यहां दुनिया भर के अलग-अलग लोगों द्वारा महान नेता काॅमरेड किम इल संग को भेजे गए लगभग 36,000 उपहार हैं, विनम्र कार्यकर्ताओं से लेकर राज्य और पार्टी के नेताओं तक के सभी के उपहारों का प्रदर्शन किया गया है. इसमें जनवादी चीन के चेयरमैन काॅमरेड माओत्से तुंग द्वारा भेजी गई ट्रेन और काॅमरेड स्टालिन द्वारा भेजी गई बुलेट प्रूफ कार के साथ-साथ फिदेल कास्त्रो, डैनियल ओर्टेगा, कर्नल गद्दाफी, यासर अराफात, सुकर्णो और अलेंदे की द्वारा भेजे गए उपहार हैं. 

विभिन्न अंतरराष्ट्रीय क्रांतिकारी नेताओं ने कॉमरेड किम इल संग की प्रशंसा की है, उदाहरण के लिए क्यूबा के पूर्व राष्ट्रपति कॉमरेड फिदेल कास्त्रो रूज ने कहा कि काॅमरेड किम इल संग कट्टर क्रांतिकारी, उत्कृष्ट नेता और दुनिया के लिए महान व्यक्ति हैं जिन्होंने अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया। अपने प्रारंभिक वर्षों में क्रांति के मार्ग पर चलने के बाद से अपने जीवन के अंतिम क्षणों तक देश की मुक्ति, मानव प्रगति और विश्व के लोगों की शांति और कल्याण के लिए प्रतिबद्ध रहे. जनवादी चीन के चेयरमैन काॅमरेड माओत्से तुंग ने कहा, 'कॉमरेड किम इल संग, विश्व क्रांति और अंतर्राष्ट्रीय कम्युनिस्ट आंदोलन का भाग्य आपके कंधों पर है. मैं आपके लंबे जीवन और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता हूं और यह मेरी आखिरी इच्छा है'.


आज काॅमरेड किम इल संग की विरासत, जनवादी कोरिया का नेतृत्व काॅमरेड किम जंग उन कर रहे हैं, जो इसकी स्वतंत्रता की ठोस गारंटी दे रहे हैं और साथ ही क्रांति की अंतिम जीत के लिए नेतृत्व कर रहे हैं.


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