काॅमरेड किम जंग इल: स्वतंत्रता के रक्षक
आज स्वतंत्रता के महान रक्षक और जनवादी कोरिया के सर्वोच्च नेता काॅमरेड किम जंग इल की 81 वीं जयंती है.
कॉमरेड किम जंग इल का जन्म 16 फरवरी 1942 को गोलियों की गूँज के बीच महान जापानी साम्राज्यवाद विरोधी युद्ध के दौरान कोरियाई क्रांतिकारियों के गढ़ माउंट पेकतू के जंगलों में स्थित एक गुप्त सैनिक बैरक में हुआ था. काॅमरेड किम इल संग के नेतृत्व में जापानी साम्राज्यवाद विरोधी सशस्त्र संघर्ष स्वतंत्रता, राष्ट्रीय मुक्ति और न्याय के लिए संघर्ष था.इस प्रकार यह उचित था कि कॉमरेड किम जंग इल को अपना पूरा जीवन स्वतंत्रता के उद्देश्य की रक्षा और उसे आगे बढ़ाने में लगा देना चाहिए.
कोरिया कोई बड़ा देश नहीं है और इसकी सीमा दो बड़े देशों से लगती है; रूस और चीन. कोरिया से समुद्र के उस पार थोड़ी दूरी पर जापान है जो एक आक्रामक और साम्राज्यवादी देश है जिसकी लंबे समय से कोरिया पर कब्जे की मंशा रही थी.1910 से 1945 तक, कोरिया एक जापानी उपनिवेश था और इससे पहले भी जापान ने कोरिया में अपने प्रभाव का चतुराई से विस्तार किया था. कोरिया ने अपनी स्वतंत्रता खो दी थी क्योंकि उस समय कोरियाई सामंती शासक वर्ग युद्धरत गुटों में विभाजित हो गया था, जिनमें से प्रत्येक रूस, चीन, अमेरिका और जापान जैसी बड़ी शक्ति का समर्थन कर रहा था.यह एक आपदा थी क्योंकि इससे बड़ी शक्तियों की ओर देखने और उन पर निर्भर रहने की चाटुकारिता प्रथा को बल मिला.
1945 में जापानी साम्राज्यवादी शासन से कोरिया की मुक्ति और एक नए जनवादी कोरिया के निर्माण के बाद भी कुछ तत्वों के मन में चाटुकारिता का विचार बना रहा. काॅमरेड किम इल संग ने राजनीतिक स्वतंत्रता, आर्थिक स्वावलंबन और आत्मरक्षा के दर्शन जुछे की स्थापना के लिए संघर्ष का नेतृत्व किया और मूल जुछे आधारित नीतियों पर काम किया.कॉमरेड किम जंग इल ने इन नीतियों का समर्थन किया और युवाओं से इन विचारों का गहन अध्ययन करने का आग्रह किया. 1956 में गुटबाजी करने वालों, बड़ी शक्ति के पुजारियों (Big Power Chauvinists ) और आधुनिक संशोधनवादियों के एजेंटों ने वर्कर्स पार्टी ऑफ कोरिया के नेतृत्व को उखाड़ फेंकने की कोशिश की.कॉमरेड किम जंग इल ने खुद गुटबाजी की कड़ी निंदा की.बाद में विश्वविद्यालय में अध्धयन करने के दौरान 5 अप्रैल 1961 को काॅमरेड किम जंग इल ने छात्रों के साथ एक वार्ता की, जिसका शीर्षक था "बड़ी शक्तियों की पूजा करना और विदेशी ताकतों पर निर्भर रहना राष्ट्रीय बर्बादी का रास्ता है" जिसमें उन्होंने "वैचारिक रोग" के रूप में चाटुकारिता की निंदा की और विस्तृत और ठोस ऐतिहासिक उदाहरण देते हुए चाटुकारिता के खतरे को उजागर किया.
जनवरी 1968 में जब जनवादी कोरिया ने अपनी समुद्री सीमा में घुस आए अमेरिकी साम्राज्यवादी सशस्त्र जासूसी जहाज 'यूएसएस पुएब्लो' पर कब्जा कर लिया, तो अमेरिकी साम्राज्यवादियों ने अहंकारपूर्वक मांग की कि जनवादी कोरिया जहाज और उसके चालक दल दोनों को वापस कर दे, यहां तक कि उसने जनवादी कोरिया पर बमबारी करने की धमकी भी दी उसी समय, बड़ी-शक्तियों के पूजकों और आधुनिक संशोधनवादियों ने जनवादी कोरिया पर जहाज को नम्रतापूर्वक वापस करने के लिए दबाव डालने की कोशिश की, लेकिन कॉमरेड किम जंग इल ने इसे पूरी तरह से दरकिनार करते हुए से एक स्वतंत्र, साम्राज्यवाद-विरोधी, संशोधन-विरोधी लाइन बनाए रखने का आग्रह किया. अंततः अमेरिका को 11 महीने बाद दिसंबर 1968 में अपनी गलती कबूल करनी पड़ी और उसे जनवादी कोरिया से लिखित रूप से माफी भी मांगनी पड़ी. जनवादी कोरिया द्वारा उस वक्त पकड़ा गया वह जासूसी जहाज वहाँ के एक संग्रहालय में आज भी मौजूद है.
दिसंबर 1978 में महान नेता कॉमरेड किम जंग इल ने नारा दिया "हमें अपने तरीके से जीने दो! (우리식대로 살자! Let's live in our own way!)", एक जुझारू नारा जिसमें कोरियाई जनता के अपने तरीके से जीने की इच्छा शामिल थी और दूसरों पर, विशेष रूप से बड़ी शक्तियों द्वारा उनपर हावी नहीं होने देने की इच्छा थी. यह नारा तब दिया गया जब बड़ी-शक्तियों के पूजक जनवादी कोरिया पर संशोधनवादी लाइन लेने का दबाव डाल रहे थे. इसके अलावा, साम्राज्यवादी 'मानवाधिकारों' के नाम पर समाजवादी देशों की बदनामी कर रहे थे तब जनवादी कोरिया अपने देश के आंतरिक संसाधनों को अधिक से अधिक बढ़ाकर और क्रांति और निर्माण को सफलता के साथ संचालित कर रहा था. अनुभव बताता है कि जब कोई आत्मनिर्भरता की क्रांतिकारी भावना को पूरा आत्मसात कर लेता है तभी वह हर तरह की कठिनाई और परीक्षा से पार पा सकता है.
इस प्रकार जनवादी कोरिया अपने तरीके से जीने के रास्ते पर आगे बढ़ा, उसके आत्मनिर्भरता का मार्ग यानि जुछे के मार्ग ने साम्राज्यवादियों, संशोधनवादियों और बड़ी-शक्तियों के पूजकों को ललकारा, जिन्होंने कोरियाई क्रांति को कुचलने की योजना बनाई.
1982 में कॉमरेड किम जंग इल ने अपनी महान रचना ' जुछे विचार के संबंध में (On the Juche Idea) प्रकाशित की, जिसमें इस बात पर जोर दिया गया था कि "यदि स्वतंत्रता की रक्षा करनी है, तो क्रांति और निर्माण में एक स्वतंत्र रुख को दृढ़ता से बनाए रखना चाहिए"
1990 के दशक में जब आधुनिक संशोधनवादियों की बदौलत कुछ देशों में समाजवाद का पतन हो गया था और साम्राज्यवादी एक तथाकथित 'नई विश्व व्यवस्था' और 'इतिहास के अंत' के बारे में बड़े पैमाने पर मुखर हो रहे थे, तब कॉमरेड किम जंग इल ने 'कोई बदलाव की उम्मीद नहीं' की घोषणा करके उन्हें फटकार लगाई थी, उस वक्त साम्राज्यवादी शक्तियां जनवादी कोरिया के पतन या तथाकथित 'नीति परिवर्तन' की उम्मीद कर रही थीं. यह साम्राज्यवादियों के लिए एक झटका था, जब जनवादी कोरिया दूसरे देशों के तरीकों के बजाय अपने तरीके से जीने के रुख पर दृढ़ता से कायम था.
साम्राज्यवादियों ने विश्व पर अपने तरीके का वैश्वीकरण थोपने का भी प्रयास किया.1997 में कॉमरेड किम जंग इल ने "क्रांति और निर्माण के जुछे चरित्र और राष्ट्रीय चरित्र के संरक्षण के संबंध में (ON PRESERVING THE JUCHE CHARACTER AND NATIONAL CHARACTER OF THE REVOLUTION AND CONSTRUCTION)" नामक कृति प्रकाशित की, जो वैश्वीकरण और साम्राज्यवाद के खिलाफ एक जुझारू घोषणापत्र था. जनवादी कोरिया ने साम्राज्यवादी तरीके के वैश्वीकरण और उससे जुड़े 'अमेरिकीकरण' और 'कोका कोलाकरण' को पूरी तरह से खारिज कर दिया.
अमेरिकी साम्राज्यवादियों ने सोमालिया, यूगोस्लाविया, अफगानिस्तान, इराक और लीबिया जैसे कई देशों में हस्तक्षेप किया. तब कॉमरेड किम जंग इल ने सनगुन(सेना पहले) नीति को लागू किया जिससे जनवादी कोरिया और उसकी जनता और क्रांति की रक्षा की जा सके. जनवादी कोरिया की राष्ट्रीय क्षमताओं का निर्माण किया ताकि उसे अन्य देशों के समान दुर्भाग्य का सामना न करना पड़े.
कॉमरेड किम जंग इल की इस स्वतंत्रता की लाइन को आज काॅमरेड किम जंग उन द्वारा आगे बढ़ाया जा रहा है, आज जनवादी कोरिया के पास एक पूर्व ब्रिटिश प्रधान मंत्री जाॅन मेजर के शब्दों में 'निर्मल संप्रभुता (Undiluted Sovereignty)' है.कॉमरेड किम जंग इल स्वतंत्रता की रक्षा करने वाले एक महान नेता थे.
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें