बच्चों के भविष्य के लिए
जनवादी कोरिया के एक छोटे शहर का किंडरगार्टन
अकसर जनवादी कोरिया (उत्तर कोरिया) के बारे में कारपोरेट मीडिया की झूठी और मनगढंत खबरों से लोगों को लगता है कि वहाँ क्या ही पढ़ाई होती होगी. इस वीडियो के माध्यम से पता चल सकता है कि वहाँ के छोटे शहरों तक के किंडरगार्टन में बच्चों को किस स्तर की शिक्षा दी जाती है और वहाँ कैसी कैसी विलक्षण प्रतिभा वाले बच्चे हैं.
इस वीडियो में जिस किंडरगार्टन के बारे में दिखाया गया है, वो जनवादी कोरिया के किसी बड़े शहर में नहीं है. लोगों को वहाँ के बारे में यह गलतफहमी भी है कि वहाँ सारे अच्छे अच्छे शिक्षण संस्थान राजधानी फ्यंगयांग में ही हैं पर यह किंडरगार्टन जनवादी कोरिया के एक प्रांतीय शहर हेजू (해주시)में है जो दक्षिण ह्वांगहे प्रांत की राजधानी भी है . अगर फ्यंगयांग जनवादी कोरिया का दिल्ली है तो हेजू वहाँ का भुवनेश्वर या इम्फाल सरीखा शहर है.
जनवादी कोरिया में 2 साल तक किंडरगार्टन में शिक्षा दी जाती है.पहला साल ऐच्छिक है माता पिता चाहें तो बच्चे को घर पर सीखा पढ़ा सकते हैं या घर के नजदीक के किंडरगार्टन में भेज सकते हैं. पर दूसरे साल किंडरगार्टन भेजना अनिवार्य होता है. जनवादी कोरिया में समाजवादी व्यवस्था है तो वहाँ के किंडरगार्टन समेत सारे शिक्षण संस्थान सरकारी हैं और उनमें पढ़ने के लिए एक पैसा भी नहीं लगता है. वहाँ तो ड्रेस से लेकर किताबें, स्टेशनरी और बैग तक सरकार द्वारा मुफ्त में दिए जाते हैं.
हेजू शहर के इस किंडरगार्टन की खासियत है कि यहाँ साल 2022 में आयोजित 13 वीं राष्ट्रीय बाल प्रतिभा प्रतियोगिता जिसमें देशभर के किंडरगार्टनों के 800 बच्चों ने हिस्सा लिया था , उसमें इस किंडरगार्टन के 7 बच्चों ने सर्वश्रेष्ठ और श्रेष्ठ श्रेणियों में पुरस्कार जीता जिसमें से 3 बच्चे इस किंडरगार्टन की शिक्षिका काॅमरेड खांग गुम सुन (강금순)के चेले थे. इतना ही नहीं अबतक काॅमरेड खांग के 13 सालों के कैरियर में उनके द्वारा पढ़ाए गए 30 बच्चे राष्ट्रीय प्रतियोगिता में सर्वश्रेष्ठ से लेकर श्रेष्ठ श्रेणी के पुरस्कार जीत चुके हैं. काॅमरेड खांग की 5 शिक्षण पद्धतियों को देशभर के किंडरगार्टनों में अपनाया भी गया है. इतना ही नहीं काॅमरेड खांग 2021 में देशभर के 10 सर्वश्रेष्ठ शिक्षकों ,जिसमें किंडरगार्टन से लेकर विश्वविद्यालय के शिक्षक शामिल थे, में से एक रहीं. उन 10 शिक्षकों की सूची में राजधानी फ्यंगयांग से दो ही शिक्षक थे, शेष 8 छोटे शहरों के शिक्षक थे और उन 10 सर्वश्रेष्ठ शिक्षकों में 6 महिलाऐं थीं. जनवादी कोरिया में बड़े और छोटे शहरों के शिक्षण संस्थानों के स्तर में कोई खास अंतर नहीं है.
हेजू शहर के इस किंडरगार्टन में बच्चे अपनी विलक्षण प्रतिभा का प्रदर्शन कर रहे हैं. जिसमें 3 काॅमरेड खांग के चेले है. एक बच्चा अपनी स्मरण शक्ति का प्रदर्शन कर रहा है जिसमें पीछे स्क्रीन पर एक बार देखने के बाद बिना देखे 30 सेकेंड के अंदर सवालों के जबाब देने होते हैं. वहीं दूसरा बच्चा वाद्ययंत्र श्रेणी में अपनी विलक्षण प्रतिभा का प्रदर्शन कर रहा है. एक बच्ची 1 मिनट 18 सेकेंड में रंगों का मेल करा रही है तो एक बच्ची गायन में जलवा बिखेर रही है. एक बच्चा अंग्रेजी बोलते हुए हिसाब कर रहा है. ये सभी बच्चे राष्ट्रीय प्रतियोगिता में सर्वश्रेष्ठ से श्रेष्ठ श्रेणी में पुरस्कार जीतने वाले बच्चे हैं. किंडरगार्टन में राष्ट्रीय पुरस्कार नहीं जीतने वाले बच्चे भी अपनी विलक्षण प्रतिभा का प्रदर्शन कर रहे हैं.
इस किंडरगार्टन में रोज दोपहर के साढ़े तीन बजे विशेष कक्षाएं चलती हैं जिसमें गीत संगीत, लयबद्ध नृत्य, चित्र कला शामिल हैं. 2019 से बच्चों के दिमाग के दाहिने हिस्से के विकास के लिए रोचक विज्ञान खेल , रोबोट संबंधित शिक्षा और विदेशी भाषा को भी इसमें शामिल किया गया. इस किंडरगार्टन में 62 तरह के रोचक विज्ञान खेल बनाए गए जिसमें काॅमरेड खांग के द्वारा बनाए गए 15 विज्ञान खेल थे. इन रोचक विज्ञान खेलों से बच्चों में विज्ञान के प्रति असीम रुचि जगी. बच्चे संगीत सुनते हुए रंगीन कागज से सैटेलाइट बनाकर उड़ा रहे हैं, पानी और पंप से राकेट उड़ाया जा रहा है, आभासीय वास्तविकता (Virtual reality VR) का इस्तेमाल कर गीत संगीत और कहानियों के माध्यम से सूरज, चांद सितारों के बारे में जानकारी दी जा रही है.
वहीं पूंजीवादी देशों में एक तो छोटे शहर के किंडरगार्टन में ऐसी विलक्षण प्रतिभा वाली शिक्षिका को देश के महानगरों में फीस के रूप में लाखों लूटने वाले कारपोरेट शिक्षण संस्थान उंचे पैकेज पर अपने यहाँ रख लेते और वो शिक्षिका अपने पढ़ाने के तरीके को साझा न कर उसपर अपना पेटेंट करा लाखों करोड़ों कमाती. गरीबों के बच्चों को मुफ्त में ऐसी शिक्षा के बारे में सोचना ही बेमानी होती. पर समाजवादी जनवादी कोरिया के इस किंडरगार्टन में मजदूरों और किसानों के बच्चे मुफ्त में उच्च कोटि की शिक्षा ले रहे हैं और उनकी प्रतिभा का विकास करने में शिक्षकों द्वारा कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जा रही है. समाजवाद है तो सब मुमकिन है! (लेकिन दूसरों की मेहनत पर परजीवी की तरह जीना नामुमकिन!)
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