जनवादी कोरिया का शिशु पालन कानून


आए दिन आप तथाकथित मुख्यधारा की मीडिया द्वारा जनवादी कोरिया जिसे उत्तर कोरिया के नाम से ज्यादा लोग जानते हैं, के तथाकथित "अजीबोगरीब" "खतरनाक" कानूनों के बारे में जानते  रहते हैं और आप इसे सच भी मानने लगते हैं

 पर सच में जनवादी कोरिया में ऐसे ऐसे  खतरनाक कानून हैं जो मानव द्रोही, रक्त पिपासु और मुठ्ठी भर धनपशुओं के उज्ज्वल पर बहुसंख्यक जनता के लिए अंधकारमय भविष्य वाली पूंजीवादी व्यवस्था और उसकी संगिनी " लिबरल डेमोक्रेसी' के लिए खतरा तो हैं अब जनवादी कोरिया के शिशु पालन(Child Care) कानून को ही देख लिया जाए.

जनवादी कोरिया की स्थापना से ही बच्चों को अच्छे स्वास्थ्य में पालना  वर्कर्स पार्टी और सरकार की सबसे महत्वपूर्ण नीति और सर्वोच्च इच्छा है. देश में बच्चे पार्टी और सरकार की स्नेहपूर्ण देखभाल के तहत खुशी और अच्छे स्वास्थ्य में पलते बढ़ते आए हैं. अब वहाँ ऐसा कानून बना दिया गया है कि देश के सभी बच्चों को हर हाल में बिना किसी कटौती के सरकारी खर्चे से  दूध और पौष्टिक भोजन और स्कूल ड्रेस समेत स्टेशनरी की चीजें मुफ्त में दी जाएंगी क्योंकि वर्कर्स पार्टी के अनुसार देश के भविष्य बच्चों की बेहतर देखभाल से बढ़कर कोई क्रांतिकारी कार्य नहीं है.

7 फरवरी 2022 को जनवादी कोरिया की 14 वीं सुप्रीम पीपुल्स एसेम्बली (राष्ट्रीय संसद) के छठवें सत्र में शिशु पालन कानून पारित हुआ. चार अध्यायों और 61 प्रावधानों वाले इस कानून  का उद्देश्य बच्चों के लिए पौष्टिक भोजन के उत्पादन और आपूर्ति और बच्चों के पालन-पोषण की स्थिति को सुनिश्चित करने के लिए एक  पुख्ता व्यवस्था स्थापित करके राष्ट्रीय शिशु पालन नीति के पूर्ण कार्यान्वयन में योगदान देना है. जनवादी कोरिया के स्वास्थ्य मंत्रालय की निदेशक (Director) का कहना था कि देश भर के सभी बच्चों को सालों भर 365 दिन दुग्ध पदार्थों की आपूर्ति करना कह देने जितना आसान नहीं है. देश के समग्र समाजवादी विकास कार्य में एक एक पैसे को  बांटकर खर्च करने की स्थिति में सभी बच्चों को मुफ्त में पौष्टिक भोजन और बेहतर लालन पालन वाले कानून के बारे में किसी ने सोचा नहीं था.

 
जनवादी कोरिया में कोरोना के प्रसार के बाद 12 मई 2022 से पूरे देश में सख्त लाॅकडाउन लगाया गया. बिना बंदूक और तोप  के इस युद्ध में एक एक लम्हा तनावपूर्ण था. उस कठिन परिस्थिति में भी बिना किसी रूकावट के देश भर के बच्चों तक पार्टी और सरकार द्वारा मुफ्त में पौष्टिक शिशु आहार पहुंचाया जाता रहा. बच्चों की मांऐं पार्टी और सरकार की इतनी परवाह से अभिभूत होकर रो पड़ी थीं.

वहीं दिसम्बर 2021 में वर्कर्स पार्टी की आठवीं सेंट्रल कमिटी की चौथी प्लेनरी मीटिंग में  स्कूल ड्रेस का मुद्दे को महत्वपूर्ण मानते हुए चर्चा की गई. चर्चा में पार्टी के जेनरल सेक्रेट्री काॅमरेड
किम जंग उन ने जोर देते हुए कहा कि स्कूल ड्रेस को मुफ्त में उपलब्ध कराना अच्छे बुरे वक्त से परे हर हाल में हमारी पार्टी की शीर्ष प्राथमिकता रही है. जनवादी कोरिया के उद्योग(हल्का) मंत्रालय के निदेशक के मुताबिक काॅमरेड किम जंग उन ने कहा कि बच्चों के पालन पोषण में चाहे (सरकार के) कितने भी पैसे खर्च हों जाऐं ये दुख की नहीं खुशी की बात है और उन्होंने पूरे देश के स्कूली बच्चों के लिए बेहतर गुणवत्ता वाले नए ढंग की ड्रेस और बैग की आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए. स्कूल ड्रेस के एक एक नमूने को देखा और उसके उत्पादन और आपूर्ति में आने वाली समस्याओं का भी समाधान किया.

बच्चों के अधिकारों और कल्याण को सुनिश्चित करना किसी भी देश और समाज के विकास के साथ-साथ मानव जाति के भविष्य से जुड़ा एक बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा है. जनवादी कोरिया की समाजवादी व्यवस्था में बच्चे सुखी जीवन का आनंद ले रहे हैं. वे दुनिया के सबसे संगठित बच्चे भी हैं , 6 जून 1946 को स्थापित उनका अपना संगठन कोरियाई बाल संगठन (Korean Children's Union 조선소년단) है जिसमें 7 से 14 साल के बच्चे और किशोर इसके सदस्य होते हैं. कम्युनिस्ट पार्टी के छात्र, युवा किसान, महिला संगठनों की तरह इनका भी संविधान, बैनर और झंडा है. इनका भी हर 5 साल पर सम्मेलन होता है, देश भर से संगठन के चुने हुए प्रतिनिधि इसमें हिस्सा लेते है संगठन के सेक्रेटरी के रिपोर्ट समेत अन्य मुद्दों पर चर्चा होती है, पदाधिकारी चुने जाते हैं. दिसम्बर 2022 के आखिरी हफ्ते में कोरियाई बाल संगठन का पांचवा सम्मेलन हुआ था.

जनवादी कोरिया के बारे में केवल झूठ और जहरीले प्रोपेगेंडा परोसने वाले  बीबीसी समेत पश्चिम का कारपोरेट मीडिया जनवादी कोरिया के ऐसे कानूनों पर खबरें दिखाएगा? या उनमें हिम्मत है? 

 
  पूंजीवादी देशों में जहां  पैसा ही सब कुछ है वहाँ बच्चों को पालना एक बड़ा बोझ माना जाता है. दक्षिण कोरिया तो बच्चे पालने में होने वाले भारी खर्च के कारण यह दुनिया में सबसे कम जन्म दर वाला देश बन गया है. इसके अलावा पूंजीवादी समाज में  बाल शोषण एक सामाजिक प्रवृत्ति बन रही है. वहाँ जिन बच्चों को समाज और परिवार द्वारा संरक्षित और प्यार किया जाना चाहिए, वे हर तरह के शोषण और अपराध के शिकार होते हैं.उदाहरण के लिए, बच्चों का भविष्य उनके माता-पिता के पैसे से तय होता है और बच्चे अलग-अलग त्वचा के रंग के कारण भेदभाव और अवमानना ​​​​के शिकार भी होते हैं. बच्चे किसी भी समाज की प्रगतिशील और प्रतिक्रियावादी प्रकृति की झलक पेश करते हैं.

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