अमेरिका- दक्षिण कोरिया संयुक्त सैन्य अभ्यास मुर्दाबाद!!


आए दिन जनवादी कोरिया ( जिसे लोग उत्तर कोरिया के नाम से ज्यादा जानते हैं, अपनी मिसाइल परीक्षणों से सुर्खियों में रहता है और बहुतेरों को लगता है कि जनवादी कोरिया विश्व शांति का दुश्मन है और उसके लिए खतरा है. जबकि यह एक संप्रभु देश की आत्मरक्षा के जायज अधिकार की बात है.
दुनिया की तमाम सूचनाओं के स्त्रोतों पर काबिज  पश्चिम और उसके पिछलग्गूओं द्वारा  लोगों से यह सच्चाई हमेशा से ही छिपाई जाती रही है अमेरिका ने 1950 में जनवादी कोरिया की चुनी हुई   कम्युनिस्ट सरकार के विरुद्ध युद्ध छेड़ा और भीषण बमबारीयों, रासायनिक हथियारों आदि के दम पर वहां की एक चौथाई आबादी को खत्म कर दिया बेशक अपनी एक चौथाई जनता की शहादत की बदौलत जनवादी कोरिया ने अमेरिका को उस युद्ध में पराजित किया और अंततः वापस खदेड़ दिया
जिस देश ने साम्राज्यवादी राक्षसों के हाथों इतना भीषण विध्वंस देखा हो, और उसके बाद के तमाम दशक उसकी संप्रभुता पर षड्यंत्र जारी रहे हों, उस देश ने अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए परमाणु हथियार और  मिसाइल बनाया  तो क्या गलत किया  ?

 जनवादी कोरिया ने कभी किसी देश पर हमला नहीं किया . जनवादी कोरिया ने विश्व साम्राज्यवाद के विरुद्ध खड़ी तीसरी दुनिया के हर देश को नैतिक, सैनिक और आर्थिक समर्थन दिया.


आज यदि जनवादी कोरिया अपने परमाणु  और मिसाइल कार्यक्रमों में आगे नहीं बढ़ता तो क्या उसका भी वही हश्र नहीं किया जाता जो गद्दाफी और लीबिया का किया गया ?

 
विश्व के हर प्रगतिशील व्यक्ति को बिना किसी लाग लपेट के जनवादी कोरिया के साथ खड़ा होना चाहिए.

आज भी अमेरिका की अपरिवर्तनीय शत्रुतापूर्ण नीति और जनवादी कोरिया के प्रति लगातार बढ़ते सैन्य खतरों के कारण कोरियाई प्रायद्वीप पर परमाणु युद्ध के काले बादल लगातार मंडरा रहे हैं.


जनवादी कोरिया को अलग-थलग करने और दबाने के लिए अमेरिका की आक्रामक प्रकृति और कदम स्पष्ट रूप से इतिहास में दर्ज है और कई दशकों से बदस्तूर जारी है.

 
अमेरिका ने जनवादी कोरिया की विचारधारा और समाजवादी व्यवस्था को बलपूर्वक  कुचलने के उद्देश्य से  के  परमाणु युद्ध परिदृश्यों (Scenarios) को लगातार नवीनीकृत किया है, और कोरियाई प्रायद्वीप में अपनी कठपुतली दक्षिण कोरिया के साथ नियमित रूप से संयुक्त सैन्य अभ्यास के चलते इस क्षेत्र  की स्थिति को युद्ध के कगार पर पहुंचा दिया है  जनवादी कोरिया ने बार बार इसकी चेतावनी दी है  दक्षिण कोरियाई कठपुतलियों के साथ अमेरिका का संयुक्त सैन्य अभ्यास  उसके प्रति उसकी शत्रुतापूर्ण नीति और कोरियाई प्रायद्वीप और क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा है.


फिर भी, अमेरिका खुले तौर पर जनवादी कोरिया के प्रति शत्रुतापूर्ण कार्य करने से बाज नहीं आ रहा है और इस साल भी संयुक्त सैन्य अभ्यास का आयोजन कर रहा है  और यह अतीत से अलग एक  वास्तविक युद्ध अभ्यास है.


इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि दक्षिण कोरियाई कठपुतलियों के साथ अमेरिका द्वारा आयोजित संयुक्त सैन्य अभ्यास की गंभीरता और इसकी खतरनाक प्रवृत्ति को सबके सामने उजागर किया जाए.

1. धरती पर सबसे लंबे वक्त तक चलने वाला आक्रामक युद्धाभ्यास

कोरियाई प्रायद्वीप में होने वाला अमेरिका का  संयुक्त युद्धाभ्यास दुनिया में कहीं भी इतने लंबे वक्त तक नहीं हुआ है .
इतिहास में अभूतपूर्व अमेरिका-दक्षिण कोरिया संयुक्त सैन्य अभ्यास कोरियाई युद्धविराम समझौते के समापन के बाद से लगभग 70 वर्षों तक बिना किसी रुकावट के आयोजित किया गया है.

अमेरिका ने कोरियाई युद्धविराम समझौते के समापन के एक साल बाद, 1954 में "फोकस लेंस"(Focus Lens) नामक संयुक्त सैन्य अभ्यास का आयोजन करके अपने आक्रामक युद्ध अभ्यास की शुरुआत की.


1976 से इस संयुक्त सैन्य अभ्यास का नाम बदलकर "उलजी फोकस लेंस"  (Ulji Focus Lens) और 2008 से "उलजी फ्रीडम गार्जियन" (Ulji Freedom Guardian)करने के साथ इसका क्षेत्र और पैमाने को बढ़ा दिया गया.और इस साल इसका नाम बदलकर "उलजी फ्रीडम शील्ड"(Ulji Freedom Shield) कर दिया गया है.


इसके अलावा 1969 में शुरू हुए "फोकस रेटिना"(Focus Retina) संयुक्त सैन्य अभ्यास का नाम बदलकर 1971 में "फ्रीडम बोल्ट" (Freedom Bolt)  और 1976 से "टीम स्पिरिट"(Team Spirit) रखा गया और यह  1993 तक जारी रहा.


शीत युद्ध की समाप्ति के बाद, अमेरिका ने दुनिया के अन्य हिस्सों में सैन्य अभ्यासों के पैमाने और क्षेत्र को घटा दिया, लेकिन सिर्फ कोरियाई प्रायद्वीप पर शीत युद्ध की तुलना में परमाणु युद्ध अभ्यास  शुरू कर सैन्य अभ्यास की आक्रामकता को और बढ़ा दिया.  

 
जब "टीम स्पिरिट" संयुक्त सैन्य अभ्यास की देश और विदेश में कड़ी निंदा की गई, तो अमेरिका ने कहा कि वह 1993 में इसे रोक देगा. लेकिन अमेरिका ने 1994 में इसका नाम बदलकर "रिसेप्शन, स्टेजिंग, ऑनवर्ड मूवमेंट एंड इंटीग्रेशन" Reception, Staging, Onward Movement and Integration”(RSOI) कर दिया लेकिन ये पहले वाले से भी ज्यादा खतरनाक था.

अमेरिका ने 2000 के बाद से व्यवस्थित रूप से जनवादी कोरिया पर लक्षित युद्ध अभ्यासों को बढ़ा दिया है.विशेष रूप से, अकेले 2001 में दक्षिण कोरियाई कठपुतलियों के साथ अमेरिका द्वारा आयोजित संयुक्त सैन्य अभ्यास की आधिकारिक संख्या पिछले वर्ष की तुलना में दोगुने से अधिक थी.


अमेरिका ने 2002 से "आरएसओआई(RSOI) " और "फोल ईगल(Fole Eagle) "  नामक संयुक्त सैन्य अभ्यास को एकीकृत किया, और 2008 से "RSOI" का नाम बदलकर  की रिजाल्व (Key Resolve) कर दियाऔर "फोल ईगल" के साथ इसे आगे जारी रखा.


अमेरिका ने "मैक्स थंडर(Max Thunder)" नाम से दक्षिण कोरियाई कठपुतली सेना के साथ  संयुक्त वायु युद्ध अभ्यास, संयुक्त पनडुब्बी रोधी अभ्यास, संयुक्त नौसैनिक अभ्यास, संयुक्त लैंडिंग ड्रिल और एकीकृत गोलाबारी जैसा सभी तरह का संयुक्त सैन्य अभ्यास किया. इस तरह इस संयुक्त सैन्य अभ्यास में   जमीन पर और हवा में और समुद्र के नीचे से जनवादी कोरिया पर आक्रमण करने के उद्देश्य से एकदम असली युद्ध की तरह  अभ्यास किया गया.

 
1954 से 2013 तक अमेरिका और दक्षिण कोरियाई कठपुतलियों द्वारा आयोजित सभी प्रकार के संयुक्त सैन्य अभ्यासों की संख्या आधिकारिक रूप से  लगभग 18,000 है.
2016 में अमेरिका ने उल्जी  फ्रीडम गार्जियन (Ulji Freedom Guardian) संयुक्त सैन्य अभ्यास में "बी-1बी(B-1-B)", "बी-52एच(B-52-H) " और "बी-2ए(B-2_A) " जैसे रणनीतिक बमवर्षक, "ओहियो(Ohio) " श्रेणी की परमाणु-संचालित पनडुब्बी और परमाणु वाहक जैसी परमाणु रणनीतिक हथियारों को लामबंद कर जनवादी कोरिया के खिलाफ परमाणु हमले के लिए अभ्यास किया.


2017 में, अमेरिका ने खुले तौर पर गुआम के एंडरसन एयर फ़ोर्स बेस पर तैनात परमाणु रणनीतिक बमवर्षकों  को लामबंद करके जनवादी कोरिया के रणनीतिक ठिकानों पर वास्तविक परमाणु हमले के लिए एक अभ्यास  किया, और इसके साथ "की रिजाॅल्व" और "फोल ईगल" संयुक्त सैन्य अभ्यास में सैकड़ों हजारों अमेरिकी सैनिकों के अलावा  "कार्ल विंसन (Carl Winson)  नामक परमाणु-संचालित युद्धपोत, रणनीतिक बमवर्षक "बी-1बी (B-1-B) ", परमाणु-संचालित पनडुब्बियाँ  "कोलंबस(Columbus)" और "मिशिगन(Michigan)" और स्टील्थ(Stealth) फाइटर  "F-35B" और यहाँ तक कि अमेरिकी विशेष सशस्त्र बल को भी लामबंद कर संयुक्त सैन्य अभ्यास किया गया.
उसी वर्ष नवंबर में, अमेरिका ने "थियोडोर रूजवेल्ट", "निमित्ज़" और "रोनाल्ड रीगन" परमाणु-संचालित वाहकों को लामबंद करके दक्षिण कोरियाई कठपुतली नौसेना के साथ संयुक्त समुद्री सैन्य अभ्यास किया और दिसंबर में 230 से अधिक लड़ाकों और 12,000 अमेरिकी सैनिकों को लामबंद कर "विजिलेंट ऐस(Vigilence Ace) "  नाम से  संयुक्त हवाई अभ्यास भी किया.

 
अमेरिका-दक्षिण कोरिया संयुक्त सैन्य अभ्यास हाल के वर्षों में बिना किसी रुकावट के आयोजित किया गया  जब कोरियाई प्रायद्वीप में बेहतर अंतर-कोरियाई संबंधों का माहौल बन रहा था.


अमेरिका ने 2018 में "मैक्स थंडर" संयुक्त हवाई युद्ध अभ्यास सहित युद्ध अभ्यास का बिना किसी हिचकिचाहट के  किया जनवादी कोरिया -अमेरिका के बीच सिंगापुर शिखर वार्ता के संयुक्त बयान और उसके पहले उत्तर- दक्षिण कोरिया के बीच पनमुनजोम घोषणा को अपनाया गया, यह खुले तौर पर इन घोषणापत्रों का खुल्लमखुल्ला उल्लंघन था  और 2019 में अमेरिका ने एक के बाद एक सौ से अधिक संयुक्त सैन्य अभ्यास  किया, जिसमें मार्च 2019 का  अमेरिकी मरीन और दक्षिण कोरियाई कठपुतली समुद्री कोर और विशेष ऑपरेशन इकाइयों द्वारा किया गया एलायंस 19-1" संयुक्त सैन्य अभ्यास के अलावा जून 2019 का जनवादी कोरिया के  परमाणु ठिकानों में घुसपैठ करने के मकसद से किया गया संयुक्त अभ्यास और जुलाई 2019 का "साइलेंट शार्क(Silent Shark) " संयुक्त पनडुब्बी ड्रिल  और अगस्त 2019 का  "संयुक्त कमांन अभ्यास"शामिल थे.


इन सबसे ऊपर, अमेरिका ने 2020 और 2021 में देश और विदेश में  विरोध और निंदा के बावजूद संयुक्त सैन्य अभ्यास किया, जब पूरी दुनिया  कोविड ​​​​-19 के कारण सबसे खराब संकट का सामना कर रही थी.


साल 2022 में  अमेरिका ने पिछले अप्रैल में दक्षिण कोरियाई कठपुतलियों के साथ फिर से "संयुक्त कमांड अभ्यास"  किया और मई में दक्षिण कोरिया में "सरकार" बदलते ही व्यग्रतापूर्वक दक्षिण कोरियाई कठपुतली सेना के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास किया.


इन घटनाक्रमों से यह साबित होता है कि जनवादी कोरिया के खिलाफ संयुक्त सैन्य अभ्यास में अमेरिका कितनी मजबूती से जुड़ा हुआ है.

अमेरिका ने 9 मई से दो सप्ताह के लिए दक्षिण कोरियाई कठपुतलियों के साथ संयुक्त हवाई युद्ध अभ्यास, 11 से 12 मई तक संयुक्त चिकित्सा सहायता चलंत अभ्यास, अमेरिकी परमाणु वाहक "रोनाल्ड रीगन" की उपस्थिति के साथ संयुक्त समुद्री सैन्य अभ्यास किया , 2 से 4 जून तक ओकिनावा के आसपास समुद्र में दक्षिण कोरियाई कठपुतली नौसेना के निर्देशित मिसाइल क्रूजर और विध्वंसक और लैंडिंग जहाज, से संबंधित अभ्यास और 7 जून को दक्षिण कोरिया में अमेरिकी वायु सेना के चार "F-16" और सोलह "F"  -35A", "F-15K" s और दक्षिण कोरियाई कठपुतली वायु सेना के  "KF-16" के साथ  कोरिया के पश्चिमी सागर के ऊपर आकाश में संयुक्त हवाई अभ्यास  और  14 जून से 9 जुलाई के बीच अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य में  अमेरिकी सेना की विशेष इकाइयों के 5,000 सैनिकों और दक्षिण कोरियाई कठपुतली सेना के विशेष युद्ध कमान के 100 सैनिकों के साथ किया गया संयुक्त अभ्यास शामिल है.

यह असामान्य है कि अमेरिका.-दक्षिण कोरिया संयुक्त सैन्य अभ्यास दो महीने से भी कम समय की अवधि के दौरान जमीन पर और हवा और समुद्र में उन्मादी रूप से आयोजित किया गए.

 
जिस तरह से अमेरिकी परमाणु वाहक समेत सारे रणनीतिक हथियारों के जखीरे को  कोरियाई प्रायद्वीप और उसके आसपास के क्षेत्रों में इकट्ठा किया जा रहा है और दक्षिण कोरियाई कठपुतली सेना के साथ उन्मत्त संयुक्त सैन्य अभ्यास किया जा रहा है उससे साबित होता है कि कोरियाई प्रायद्वीप पर परमाणु युद्ध छिड़ने की संभावना भविष्य  में नहीं बल्कि वर्तमान  में है


सभी तथ्य पूरी तरह से साबित करते हैं कि अमेरिका-दक्षिण कोरिया के संयुक्त सैन्य अभ्यास, वास्तव में, उनके आक्रामकता   के लिहाज से धरती पर सबसे खतरनाक और बर्बर युद्ध अभ्यास हैं.

2. कोरियाई प्रायद्वीप पर शांति और स्थिरता को नष्ट करने वाला खतरनाक युद्ध अभ्यास

अमेरिका-दक्षिण कोरिया के संयुक्त सैन्य अभ्यास कोरियाई प्रायद्वीप की स्थिति को निरंतर अस्थिरता और परमाणु युद्ध के महत्वपूर्ण कगार पर ले जाने वाले मुख्य कारक हैं।
अमेरिका ने ऑनेस्ट जॉन(Honest John)" नामक सामरिक परमाणु मिसाइल,  280 मिलीमीटर वाली परमाणु तोप को 1950 और 1960 के दशक में 'फोकस लेंस ' और "फोकस रेटिना" नामक संयुक्त सैन्य अभ्यास में शामिल किया था  और  "बी -1 बी" रणनीतिक बमवर्षक और परमाणु पनडुब्बी को 1970 के दशक में शुरू किए गए  "टीम स्पिरिट" और "उलजी फोकस लेंस" संयुक्त सैन्य अभ्यास में लामबंद किया और परमाणु तोप प्रशिक्षण और "लांस" परमाणु मिसाइल-लॉन्चिंग अभ्यास भी किया.


अमेरिका ने 1968 में कोरियाई प्रायद्वीप और उसके आसपास के क्षेत्र में आक्रमण के लिए विशाल परमाणु युद्ध हार्डवेयर और सशस्त्र बलों को इकट्ठा किया था, जब उसके सशस्त्र जासूसी जहाज "प्यूब्लो" को जनवादी कोरिया द्वारा जब्त कर लिया गया था और 1969 में जनवादी कोरिया ने अमेरिका के  बड़े आकार के जासूसी विमान "ईसी-121" को मार गिराया था .

 
अमेरिका  ने विशेष तौर पर 1970 से 1990 के दशक तक हर साल दो या तीन महीनों के लिए "टीम स्पिरिट" संयुक्त सैन्य अभ्यासकिया, जिसमें सैकड़ों हजारों सैनिक और परमाणु वाहक सहित सभी प्रकार के परमाणु युद्ध हार्डवेयर शामिल थे।. इन अभ्यासों ने इतिहास में अमिट बदनामी के लिए याद किया जाता है क्योंकि उन्होंने कोरियाई प्रायद्वीप की स्थिति को परमाणु युद्ध की दहलीज पर पहुंचा दिया.


यह सर्वविदित है कि अमेरिका ने 2002 में जनवादी कोरिया को पूर्वव्यापी परमाणु हमले (Preemptive Nuclear Strike) का पहला लक्ष्य बताते हुए 2005 में इसके लिए अभ्यास भी किया.


उपर्युक्त अवधि में किए गए " की रिजाॅल्व ", "फोल ईगल" और "उलजी फ्रीडम गार्जियन" संयुक्त सैन्य अभ्यास बहुत खतरनाक परमाणु युद्ध अभ्यास थे जिसमें सभी सैन्य हार्डवेयर, क्षमता और सैनिकों को "ओप्लान 5027(OPLAN 5027)" और ओप्लान 5015 के तहत जुटाया गया था.और इसका  उद्देश्य ही जनवादी कोरिया पर एक पूर्वव्यापी हमला करना है.
"OPLAN 5027" को 1994 में कोरियाई प्रायद्वीप में चौतरफा युद्ध छिड़ने और  की स्थिति में जनवादी कोरिया की सरकार को "गिराने" के उद्देश्य से संशोधित किया गया था और 1998 में इस सैनिक अभ्यास को और जघन्य रूप दिया गया जिसका उद्देश्य जनवादी कोरिया के नेतृत्व का खात्मे के साथ पूरे कोरिया को अपनी कठपुतली बनाना था.

 
"OPLAN 5015" में "OPLAN 5027", "OPLAN 5029" और "OPLAN 5030" शामिल हैं जिन्हें उत्तर(कोरिया)-लक्षित संयुक्त सैन्य अभ्यासों के माध्यम से अमेरिका और दक्षिण कोरियाई कठपुतलियों द्वारा संशोधित  किया गया था, और ये सारे खतरनाक परमाणु युद्ध परिदृश्य (Scenario) हैं जिनमें  ​​​ तीन बार अचूक निशाने पर वार करने वाले हथियारों और विशेष सैन्य दस्ते के साथ  जनवादी कोरिया के नेतृत्व का  "सर कलम करने का अभियान"  शामिल था.

पर अमेरिका इससे भी संतुष्ट नहीं हुआ और  उसने  अक्टूबर 2013 में पारंपरिक सशस्त्र बलों और परमाणु हमले के साधनों के साथ जनवादी कोरिया पर हमले की रणनीति बनाई और अप्रैल 2014 में "उलजी फ्रीडम गार्जियन" संयुक्त सैन्य अभ्यास शुरू होने के बाद से इसे खुले तौर पर लागू किया.


अगस्त 2015 में "उलजी फ्रीडम गार्जियन" के संयुक्त सैन्य अभ्यास के दौरान अमेरिका ने सैन्य सीमांकन रेखा के आसपास के क्षेत्र में "उत्तर से गोलाबारी" की घटना को गढ़ने के लिए दक्षिण कोरियाई कठपुतली सैन्य युद्धपोतों को उकसाया और इस उकसावे की वजह से जनवादी कोरिया  के क्षेत्र में गोलाबारी हुई और इस तरह कोरियाई प्रायद्वीप की स्थिति अति तनावपूर्ण  हो गई.

 
अमेरिका-दक्षिण कोरिया के संयुक्त सैन्य अभ्यास ने कोरियाई प्रायद्वीप के मुद्दे के शांतिपूर्ण समाधान और कोरियाई राष्ट्र के एकीकरण के लिए सुलह और आंदोलन को बहुत नुकसान पहुंचाया है.


1954 में फोकस लेंस के संयुक्त सैन्य अभ्यास का आयोजन करके, अमेरिका ने कोरियाई मुद्दे के शांतिपूर्ण समाधान के लिए एक राजनीतिक बैठक को विफल कर दिया और कोरिया में शत्रुतापूर्ण कृत्यों और सभी सशस्त्र कार्यों को पूरी तरह से रोकने को सुनिश्चित करने के लिए युद्धविराम समझौते के अनुच्छेद 12 का घनघोर उल्लंघन किया.


1976 में पनमुनजोम घटना के रूप में इतिहास में दर्ज एक गंभीर सैन्य उकसावे को अंजाम देने वाले  अमेरिका ने उसी साल से ही हर साल कुख्यात "टीम स्पिरिट" और "उलजी फोकस लेंस" संयुक्त सैन्य अभ्यास करना शुरू कर दिया था और सभी कोरियाई लोगों की उत्साही आकांक्षा पर एक पानी फेर  दिया.  अमेरिका 4 जुलाई 1972 के उत्तर-दक्षिण संयुक्त वक्तव्य के प्रकाशन के बाद एकीकरण के लिए संयुक्त बयान को मिटाने के कदमों पर आमादा हो गया.

जब उत्तर-दक्षिण रेड-क्रॉस वार्ता फिर से शुरू हुई और सुलह का माहौल बनाया गया जिसमें रेड क्रॉस की कला मंडली और उत्तर और दक्षिण के बीच घर-घर जाने वाले समूहों की यात्रा की जरूरत 1985 में पहली बार महसूस हुई और इसके लिए जनवादी कोरिया की सरकार के सकारात्मक प्रयासो को अमेरिका ने उत्तेजक "टीम स्पिरिट" संयुक्त सैन्य अभ्यास को शुरू कर बहुत ही कठिनाई के साथ आयोजित किए गए अंतर-कोरियाई संवाद और सौहार्द के माहौल पर पानी फेर दिया.
उत्तर-दक्षिण उच्च स्तरीय वार्ता के कई दौर आयोजित किए गए और 1990 के दशक में सार्थक समझौते किए गए, लेकिन वे अमेरिका के कारण अंतर-कोरियाई संबंधों में व्यावहारिक सुधार नहीं लाए  अमेरिका ने बड़े पैमाने पर परमाणु हथियारों को लामबंद करके बड़े पैमाने पर संयुक्त सैन्य अभ्यास करने लगा, जिसका उद्देश्य अपनी उर्जा जरूरतों के लिए जनवादी कोरिया द्वारा विकसित  यंगब्यन  परमाणु  संयंत्र  पर सटीक हमला करना था


जब ऐतिहासिक 15 जून 2000 की संयुक्त घोषणा को अपनाया गया, तो अमेरिका ने "रिसेप्शन, स्टेजिंग, फॉरवर्ड मूवमेंट एंड इंटीग्रेशन(" reception, staging, onward movement and integration)और फ़ॉल ईगल संयुक्त सैन्य अभ्यासों को एकीकृत करते हुए बड़े पैमाने पर संयुक्त सैन्य अभ्यास करने लगा.का मंचन किया, और जब 4 अक्टूबर 2000 की घोषणा को अपनाया गया, तो फिर से अमेरिका कोरिया के स्वतंत्र एकीकरण की भावना को कमजोर करने के लिए बड़े पैमाने पर संयुक्त सैन्य अभ्यास करने लगा.


दक्षिण कोरिया के गद्दारों ली म्युंग बाक और पार्क ग्यून हे के कार्यकाल के दौरान, अमेरिका ने  जनवादी कोरिया के साथ टकराव को चरम पर पहुंचा दिया. उत्तर-दक्षिण संबंधों को पूरी तरह से अवरुद्ध करने के लिए दक्षिण कोरियाई कठपुतली और अति भ्रष्ट अधिकारियों को साथ लेकर "की-रिज़ॉल्यूशन", "फोल ईगल", "उलजी फ्रीडम गार्जियन", "सांगयोंग" और "मैक्स थंडर" सहित सभी प्रकार के संयुक्त सैन्य अभ्यास  करके और साथी देशवासियों के साथ टकराव का माहौल तैयार किया.


जब  2018 में 23 वें शीतकालीन ओलंपिक के साथ उत्तर और दक्षिण के बीच सुलह का एक चरम माहौल बनाया गया तो अमेरिका ने ओलंपिक समाप्त होते ही "की रिजाॅल्व" और "फोल ईगल" संयुक्त सैन्य अभ्यास फिर से शुरू कर दिया, जिससे वातावरण को पूरी तरह से अवरुद्ध कर दिया गया। कोरियाई प्रायद्वीप में सुलह, सहयोग और शांति के लिए बना वातावरण पूरी तरह से अवरुद्ध हो गया.


जब भी जनवादी कोरिया ने कोरियाई प्रायद्वीप के मुद्दे को सुलझाने के लिए शांतिपूर्ण प्रस्तावों को आगे बढ़ाया, जिसमें 1974 का जनवादी कोरिया और अमेरिका के बीच शांति समझौते का प्रस्ताव   सहित दक्षिण कोरियाई अधिकारियों को भी शामिल कर त्रिपक्षीय वार्ता आयोजित करने का प्रस्ताव , 1984 का जनवादी कोरिया -अमेरिका वार्ता प्रस्ताव, 1994 का एक नई शांति व्यवस्था स्थापित करने का प्रस्ताव और जनवादी कोरिया- अमेरिका के बीच 1953 के युद्धविराम समझौते को शांति समझौते में बदलने के लिए  जल्द से जल्द  वार्ता शुरू करने का प्रस्ताव शामिल था.  पर  हमेशा से अमेरिका ने  अपनी दक्षिण कोरियाई कठपुतलियों के साथ मिलकर उन्मत्त संयुक्त सैन्य अभ्यास करता रहा . 

 
ये सभी तथ्य यह साबित करते हैं कि अमेरिका-दक्षिण कोरिया संयुक्त सैन्य अभ्यास कोरियाई राष्ट्र के सुलह और एकता और कोरियाई प्रायद्वीप की शांति के लिए एक मुख्य बाधा है.

वर्तमान अमेरिकी बाइडन  प्रशासन भी, दक्षिण कोरियाई कठपुतली अधिकारियों को टकराव के उन्माद में डाल रहा है और  बकवास कर रहा है कि दक्षिण कोरियाई कठपुतलियों के साथ संबंधों को "एक नए रणनीतिक गठबंधन" के रुप में विकसित किया जाना चाहिए.


दक्षिण कोरिया में  इस साल मई में "शासन" के परिवर्तन के बाद एक के बाद एक अमेरिका और दक्षिण कोरियाई कठपुतली सेना द्वारा आयोजित जमीनी, वायु और नौसैनिक संयुक्त सैन्य अभ्यास कोरियाई प्रायद्वीप की अस्थिर स्थिति को तनाव की चरम पर पहुँचा रहे हैं.

 
पिछले मई में आयोजित अमेरिकी शासक और दक्षिण कोरियाई कठपुतली गद्दाउर के बीच वार्ता में "अमेरिका-दक्षिण कोरिया विस्तारित निरोध रणनीति और परामर्श समूह की बैठक(U.S.-south Korea extended deterrence strategy and consultation group meeting) " को फिर से बहाल करने के लिए हुआ समझौता बताता है कि परमाणु वाहक सहित अमेरिकी परमाणु रणनीतिक संपत्ति, रणनीतिक बमवर्षक और परमाणु पनडुब्बी को दक्षिण कोरिया में किसी भी समय रोटेशन के आधार पर तैनात कर  दक्षिण कोरियाई कठपुतली सेना के साथ नियमित संयुक्त सैन्य अभ्यास शुरू किया जा सकता है. और सितम्बर 2022 के आखिरी हफ्ते में जंगखोर अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने दक्षिण कोरिया का दौरा किया जिसमें जनवादी कोरिया की सीमा से लगता विसैन्यीकृत क्षेत्र (Demilitarized Zone) भी शामिल था जो कि एक भड़काऊ हरकत थी. साथ ही उसने जनवादी कोरिया की समाजवादी व्यवस्था के खिलाफ जहर भी उगला. और अमेरिका ने परमाणु शक्ति चालित युद्धपोत रोनाल्ड रीगन को सितम्बर के आखिरी हफ्ते में कोरिया के पूर्वी सागर में फिर से भेजा.


3. अमेरिका-दक्षिण कोरिया के संयुक्त सैन्य अभ्यास का पड़ोसी देशों पर नकारात्मक प्रभाव

अमेरिका -दक्षिण कोरिया के संयुक्त सैन्य अभ्यास का खतरा यह भी है कि वे जनवादी कोरिया के आसपास के देशों के सामान्य विकास और सुरक्षा को गंभीर नुकसान पहुंचा रहे हैं और नए शीत युद्ध के काले बादल ला रहे हैं.


यह एक सर्वविदित तथ्य है कि उन्मत्त अमेरिका -दक्षिण कोरिया संयुक्त सैन्य अभ्यास न केवल जनवादी कोरिया  बल्कि चीन और रूस को हथियारों के बल पर घेरने के लिए  बनाई गई अमेरिकी रणनीति को साकार करने का हिस्सा है.


चीन का तेजी से  उदय  और रूस के फिर से एक शक्तिशाली राज्य के निर्माण की कोशिश को प्रमुख "चुनौती" और "खतरे" के रूप में परिभाषित कर  विश्व में केवल अपने आधिपत्य के लिए अपनी रणनीति को साकार करने के लिए  अमेरिका चौतरफा रास्ता अख्तियार  कर रहा है, और इसके लिए,  अमेरिका-दक्षिण कोरिया गठबंधन की भूमिका का विस्तार करने और सैन्य उद्देश्य को साकार करने के लिए न केवल जनवादी कोरिया को सैन्य रूप से धमकी देने और ब्लैकमेल करने , बल्कि पूर्वोत्तर एशिया में चीन और रूस के साथ  भी ऐसा करने की राह पर चल रहा है.


अमेरिका का जघन्य इरादा  अमेरिका के नेतृत्व वाले आर्थिक और सैन्य ब्लॉक जैसे QUAD और AUKUS के आधार पर एशिया-प्रशांत में "नाटो के एशियाई संस्करण" को गढ़ना है और दक्षिण कोरियाई कठपुतलियों, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ बहुपक्षीय संयुक्त सैन्य अभ्यास नियमित रुप से कर   चीन और रूस को  घेरना है.

इससे पता चलता है कि अमेरिका डीपीआरके के परमाणु और मिसाइल "खतरे" के बारे में चिल्लाते हुए बड़े पैमाने पर संयुक्त सैन्य अभ्यास  करने जा रहा है और फिर इसके अलावा वह इस मौके का फायदा उठाकर दक्षिण कोरिया में THAAD मिसाइल प्रणाली और आसपास के क्षेत्रों में मध्यवर्ती दूरी की मिसाइलों को तैनात करेगा.


इस बात को बार बार कहे जाने की आवश्यकता है कि संयुक्त सैन्य अभ्यास को युक्तिसंगत बनाने के बहाने अमेरिका द्वारा प्रचारित  "उत्तर कोरिया से खतरे की अफवाह" एशिया-प्रशांत में अपनी आधिपत्य की स्थिति को बनाए रखने और चीन और रूस को घेरने की रणनीति के अलावा कुछ भी नहीं है. और साथ ही अमेरिका-दक्षिण कोरिया के संयुक्त सैन्य अभ्यासों की संख्या का विस्तार किया गया है, दक्षिण कोरिया चीन और रूस के खिलाफ अमेरिकी रणनीति को साकार करने के लिए एक सेतु का काम करेगा.


भू - राजनीतिक रूप से बहुत ही महत्वपूर्ण जगह पर स्थित कोरियाई प्रायद्वीप में अगर एक बार भी फिर से  युद्ध छिड़ गया तो   तो इसका आसानी से एक विश्व युद्ध और दुनिया के अभूतपूर्व थर्मो-न्यूक्लियर युद्ध में विस्तारित होना तय है, और यह कोरियाई प्रायद्वीप और पूर्वोत्तर एशिया की शांति और सुरक्षा के लिए और इसके अलावा, बाकी दुनिया के लिए विनाशकारी परिणाम लाएगा.


अत: इस स्थिति में  जनवादी कोरिया के युद्ध  निवारक (War deterrent) शक्ति ( उसके परमाणु हथियार और मिसाइल) ही वास्तव में, शांति और स्थिरता की रक्षा करने और कोरियाई प्रायद्वीप और आसपास के क्षेत्रों  में युद्ध को रोकने के लिए एकमात्र और सबसे विश्वसनीय साधन है.








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