काॅमरेड री योंग गिल
क्या आपने कभी ऐसा अजूबा देखा है कि 6 साल पहले मार दिया गया कोई व्यक्ति भाषण दे रहा है.
फरवरी 2016 में दुनिया भर की तथाकथित मुख्यधारा की मीडिया ने यह चिल्लाना शुरू कर दिया कि उत्तर कोरिया ( जिसके लिए मैं सही संबोधन "जनवादी कोरिया" का इस्तेमाल करता हूँ) ने अपने एक सेना प्रमुख को फांसी दे दी.
फांसी दिए गए सेना प्रमुख का नाम री योंग गिल था. दुनिया भर के लोगों के बीच तथाकथित विश्वस्नीय (?) माने जाने वाले BBC और द गार्जियन की मानें तो री योंग गिल को 6 साल पहले फांसी दे दी गई थी.
पर इस हालिया वीडियो में तो काॅमरेड री योंग गिल भाषण दे रहे हैं.
तथाकथित 6 साल पहले मार डाले गए जनवादी कोरिया के वर्तमान रक्षा मंत्री काॅमरेड री योंग गिल, जो रक्षा मंत्रालय के आपातकालीन महामारी विरोधी डिवीजन के डिप्टी कमांडर भी हैं, ने 10 अगस्त 2022 को आपातकालीन महामारी विरोधी कार्य की राष्ट्रीय समीक्षा बैठक में अपने भाषण में कहा कि जनवादी कोरिया ने कम समय में घातक वायरस के प्रसार की जांच करने और महामारी स्थिति को रोकने में सफलता हासिल की है. यह महामारी विरोधी अभियान देश के इतिहास में अभूतपूर्व था.
काॅमरेड री योंग गिल ने आगे कहा कि यहां तक कि कोरियाई जनसेना के कमांडिंग ऑफिसर भी इस अप्रत्याशित संकट के बारे में बेहद असहज महसूस करते थे . वर्कर्स पार्टी ऑफ कोरिया (डब्ल्यूपीके) की 8 वीं केंद्रीय समिति के पोलिट ब्यूरो की 8 वीं बैठक तुरंत 12 मई को बुलाई गई थी और देश के सबसे गंभीर आपातकालीन मामले पर चर्चा हुई. हमारे आपातकालीन महामारी रोकथाम के मोर्चे पर एक दरार आ गई थी, नहीं तो हमने फरवरी, 2020 से दो साल और तीन महीने तक कोरोना महामारी से देश का दृढ़ता से बचाव किया ही था.
वे कहते हैं कि उस समय काॅमरेड किम जंग उन ने महामारी के प्रसार पर तुरंत अंकुश लगाने और नियंत्रित करने के लिए महामारी विरोधी दिशा-निर्देशों और संघर्ष के तरीकों पर चर्चा की और देश में पहले कोविड-19 बुखार के मामले के फैलने के बाद से महामारी विरोधी अभियान की सुनिश्चित पहल की . कोरियाई जनसेना के जवानों को महामारी विरोधी अभियान में सबसे आगे रखा गया.दुनिया में कोविड-19 के पहले मामले को 900 दिन बीत चुके हैं, लेकिन महामारी की चपेट में आने वाले किसी भी अन्य देश में ऐसी कोई मिसाल नहीं है और यहां तक कि अपने विकसित चिकित्सा विज्ञान पर इस संक्रामक बीमारी को तेजी से रोकने का दावा करने वालों में देशों ने भी ऐसी मिसाल पेश नहीं की है कि मात्र लगभग 80 दिनों की छोटी अवधि के भीतर महामारी पर काबू पा लिया जाए.
काॅमरेड री योंग गिल ने पार्टी और राज्य द्वारा उठाए गए महामारी विरोधी उपायों को सही ढंग से लागू करने में अपनी जिम्मेदारी पूरी तरह से निभाने की इच्छा व्यक्त की.
उन्होंने सभी सेवा कर्मियों को इस तथ्य के प्रति पूरी तरह से जागृत करने की इच्छा व्यक्त की कि महामारी विरोधी कार्य में कड़ी मेहनत से प्राप्त की गई कीमती सफलताएं एक पल के लिए खराब हो जाएंगी यदि वे एक क्षण भी महामारी विरोधी स्थिति में सुस्त हो जाते हैं इसलिए अभी भी सतर्कता बरतनी है
साथ ही उन्होंने देश के रक्षा के मोर्चे को मजबूत करने, आगे भी महामारी विरोधी अभियान मे जीत की गारंटी देने, जल, थल और वायु सीमा में कड़ी निगरानी के लिए सभी मुमकिन कोशिश करने की इच्छा भी जताई जिससे कि देश की रक्षा और महामारी से रक्षा में आगे कोई दोष न आए.
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उस वक्त मेरी कई साथियों से इस बात को लेकर बहस भी हुई थी. कुछ साथी तो इस बात पर यकीन नहीं कर रहे थे क्योंकि उन्हें द गार्जियन पर ज्यादा भरोसा था. मैं बार बार इस बात को कहता रहूंगा कि जनवादी कोरिया का नाम लेते ही पत्रकारिता के सारे मानदंड ध्वस्त हो जाते हैं. जनवादी कोरिया के बारे में जिसको जो भी मन में आता है वह उसे सनसनीखेज बना कर लिखता है और लोगों के मन में यह बात बिठाई जाती है की जनवादी कोरिया है, वहां कुछ भी हो सकता है.पत्रकारिता को अगर आप उसकी नीचता के सबसे निम्नतम(The Lowest) स्तर पर देखना चाहते हैं तो जनवादी कोरिया का उदाहरण आपके सामने है . जनवादी कोरिया के खिलाफ दुष्प्रचार का ये आलम है कि अगर वहाँ कोई खांसता दिख जाए तो यह खबर बनाई जाएगी कि वहाँ भयानक संक्रामक बीमारी फैली हुई है और वहाँ का निरंकुश शासक चैन की बंसी बजा रहा है. अगर कुछ लोगों के चेहरे पर गंभीरता है तो खबर बनाई जाएगी की वहाँ के लोग केवल युद्ध चाहते हैं और उन्हें हंसी मजाक करना नहीं आता. कोई घास तोड़ता हुआ दिख जाए तो यह खबर बनाई जाएगी की लोग भुखमरी के चलते घास खाने पर मजबूर हैं. कई दक्षिण कोरियाई तो यह समझते हैं की अगर वहाँ के लोगों को नूडल्स के पैकेट दिखा दिए जायें तो अगले दिन जनवादीकोरिया का पतन हो जाएगा. ऐसे ही मनगढ़ंत कहानियाँ मेरी पढाई के दौरान दक्षिण कोरियाई शिक्षकों द्वारा सुनाई जाती थीं . उत्तर कोरिया के खिलाफ ऐसी खबरों का सिलसिला अंतहीन है. इसके पहले भी सोवियत संघ, चीन और क्यूबा के बारे में ऐसे ही दुष्प्रचार किया गया था और गाहे बगाहे अभी भी होता है. पर जो बदनामी जनवादी कोरिया की की गई है वो आधुनिक इतिहास में अभूतपूर्व है
गर आप कहते हैं की आपको मीडिया पर पूरा भरोसा नहीं है तब आप जनवादीकोरिया के मामले में इनकी ख़बरों पर शत प्रतिशत कैसे भरोसा कर लेते हैं. क्या आपकी सामान्य बुद्धि घास चरने चली जाती है? और आप यह सवाल करना छोड़ देते हैं की क्या एक देश में सिर्फ बुरा और घिनौना ही हो सकता है? अगर ऐसा है तो गांधी नेहरू के बारे में गोदी मीडिया और व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी भी सही है. जनवादी कोरिया के बारे में कोई कुछ भी लिख दे कोई पूछने वाला नहीं है फिर इसकी जिम्मेदारी क्यों ली जाएगी? काॅमरेड री योंग गिल से संबंधित खबर के अलावा जनवादी कोरिया के बारे में फैलाई गईं कई खबरें गलत निकलीं क्या किसी ने इसकी गलत रिपोर्टिंग की जिम्मेदारी ली? ( कुछ महीनों के बाद इसी मीडिया में दबी सी खबर आई थी कि काॅमरेड री योंग गिल जिंदा हैं) लोगों के जेहन में एक बार जो बात घर कर गयी वो तो रह ही गयी न? अगर जनवादी कोरिया की समाजवादी व्यवस्था से विरोध है तो उसके खिलाफ मजबूत तर्क और बेहतरीन विकल्प पेश कीजिये. ये सब क्या है. मतलब पश्चिमी साम्राज्यवाद और उसका सबसे बड़ा दलाल पिट्ठू दक्षिण कोरिया नैतिक और वैचारिक रूप से जनवादी कोरिया से बुरी तरह से हार चुके हैं इसलिए ऐसी नीच और घटिया हरकतें करते रहते हैं.
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