कैसे पहुँचा जनवादी कोरिया में कोविड?
जनवादी कोरिया जो 2 साल से अपनी अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं को सख्ती से बंद करने और नियमित रूप से सावधानी वाला कदम उठाकर कोरोना के कहर से पूरी तरह आजाद था ,वहाँ अप्रैल 2022 के आखिरी सप्ताह से लोगों के सामूहिक रूप से बीमार होने की घटनाएं होने लगीं और जांच करने के बाद पता चला कि ये कोविड है. जनवादी कोरिया ने तुरंत अपनी सारी ताकत कोविड के प्रसार को रोकने में लगा दी और दो महीने में अकेले अपने दम पर ही इस महामारी को विकराल होने से रोक लिया. देश में कोरोना कैसे आया इसकी वैज्ञानिक जांच भी शुरू हुई और 30 जून 2022 को राष्ट्रीय आपातकालीन महामारी रोकथाम मुख्यालय (DPRK State Emergency Epidemic Prevention Headquarters) ने अपने आधिकारिक बयान (वीडियो अंग्रेजी सब टाईटल सहित) में देश में कोविड का प्रसार के लिए बिना किसी शक के दक्षिण कोरिया(नाम लिए बिना) से बैलूनो द्वारा भेजी गई चीजों के स्थानीय लोगों के संपर्क में आने की वजह को जिम्मेदार ठहराया.
जनवादी कोरिया ने वैज्ञानिक तरीके से की गई अपनी जांच में पाया कि देश में कोविड का प्रसार अप्रैल के अंत में शुरू हुआ और इसकी शुरुआत दक्षिण कोरिया के सीमावर्ती खांगवन प्रांत के कुमगांग काउंटी के ईफो री गांव से हुई. ये कोई संयोग नहीं है कि जनवादी कोरिया में कोविड उसी इलाके में फैलना शुरू हुआ जो दक्षिण कोरिया से सटा हुआ है.
मीडिया में खबरें भी हैं कि 25 और 26 अप्रैल को दक्षिण कोरिया में रहने वाले जनवादी कोरिया के भगोड़ों ने दक्षिण कोरिया के सीमावर्ती इलाकों से 20 बैलून जनवादी कोरिया की तरफ उड़ाए. इन बैलूनों में कोविड से संक्रमित कई चीजें रखी गईं थीं. बैलून चूंकि धातु का बना नहीं होता है इसलिए आसानी से राडार की पकड़ में भी नहीं आता है साथ ही एक बैलून पर खर्च भी लगभग 98 डाॅलर का आता है और भगोड़ों को एक जहरीले प्रोपेगेंडा सामग्रियों से भरे बैलून को जनवादी कोरिया में भेजने के लिए प्रति बैलून 1,234 डाॅलर दक्षिण कोरिया और CIA से मिलता है. और इन भगोड़ों को प्रति बैलून लगभग 1100 डाॅलर का मुनाफा होता है. इसी मुनाफे के लिए भी दक्षिण कोरिया में रह रहे ऐसे भगोड़ों के कई समूहों के बीच कुत्ताघसीटी चलती रहती है.
यह एक तार्किक निष्कर्ष है कि जनवादी कोरिया में कोविड 19 का प्रकोप जानबूझकर दक्षिण कोरिया और संभवत: अमेरिका के चलते फैला था. जनवादी कोरिया ने सीमा को बंद करने जैसे कोविड 19 के खिलाफ सबसे कड़े जवाबी उपाय किए थे. कोविड 19 का जनवादी कोरिया में प्रवेश करना असंभव था जब तक कि कोई उसे वहाँ पहुंचाने के लिए मदद न करे.
दक्षिण कोरिया ने 2020 में भी जनवादी कोरिया में कोविड फैलाने की कोशिश की थी. उस वक्त भी ऐसी खबर आई थी कि जनवादी कोरिया से दक्षिण कोरिया में भागे हुए कुछ इंसानी कचरों के एक समूह ने दक्षिण कोरिया के फासीवादी ताकतों से मिलकर जनवादी कोरिया में कोविड महामारी फैलाने की योजना बनाई थी. ये इंसानी कचरे अपनी इस खतरनाक और घिनौनी योजना के बारे में खुल्लमखुल्ला अपने आनलाईन ग्रुप में बात कर रहे थे. इन लोगों की कोविड संक्रमित लोगों के थूक और बलगम को ऊंचे दाम पर भी खरीदने की योजना थी. इन इंसानी कचरों ने तो सीमावर्ती क्षेत्र से बैलून में एक डालर का वायरस संक्रमित नोट डालकर जनवादी कोरिया तक पहुँचाने की कोशिश भी की थी पर एक बैलून हवा की दिशा बदलने के कारण उल्टे दक्षिण कोरिया के कोविड से सबसे ज्यादा प्रभावित दक्षिण पूर्व क्षेत्र में ही जा गिरा था .यही नहीं इन इंसानी कचरों ने चीन की जनवादी कोरिया के साथ लगती सीमा पर बहती नदी में प्लास्टिक की बोतल में भी एक डालर का वायरस संक्रमित नोट डालकर जनवादी कोरिया की ओर बहाया था. पर उस वक्त ऐसे इंसानी कचरों को पनाह देने वाले दक्षिण कोरिया की जनवादी कोरिया में कोविड फैलाने की योजना सफल नहीं हुई.
कई भोले भाले मासूम (?) लोगों के मन में ये सवाल आ सकता है कि अच्छा (?) दक्षिण कोरिया और अमेरिका ऐसा क्यों करेगा. अमेरिका और उसका कुत्ता दक्षिण कोरिया दशकों से जनवादी कोरिया में समाजवादी सरकार के तख्तापलट का प्रयास पुरजोर तरीके से करते आ रहे हैं. उन्होंने इस बार भी जनवादी कोरिया में सत्ता परिवर्तन और समाजवादी व्यवस्था को उखाड़ फेंकने के लिए एक सुनहरे अवसर के रूप में कोविड 19 के प्रकोप को देखा. उन्होंने हिसाब लगाया कि वहाँ कोविड फैलाकर मदद के नाम पर कम से कम जनवादी कोरिया को अमेरिकी साम्राज्यवाद की नकली मानवीय सहायता स्वीकार करने और अमेरिकी पूंजी के लिए "'खोलने और 'सुधार' करने के लिए मजबूर किया जाएगा, इस प्रकार पूर्वी यूरोप और सोवियत संघ की तर्ज पर धीरे-धीरे वहाँ समाजवादी व्यवस्था को नष्ट कर दिया जाएगा . साम्राज्यवादियों और दक्षिण कोरियाई कठपुतलियों को उम्मीद थी कि जनवादी कोरिया में लाखों लोग मारे जाएंगे और अराजकता और अव्यवस्था फैल जाएगी. पर अफ़सोस कि जनवादी कोरिया की पूर्ण स्वतंत्र और आत्मनिर्भर व्यवस्था और वहाँ की सरकार के त्वरित कदमों ने अमेरिकी साम्राज्यवाद और उसके सबसे वफादार कुत्ते दक्षिण कोरिया को एक बार फिर से झन्नाटेदार थप्पड़ और करारी लात मारी.
बीते 15 मई को जनवादी कोरिया में कोविड के एकदिन मामले 3 लाख 90 हजार तक पहुँच गए थे. पर वहाँ की समाजवादी व्यवस्था ने दो महीने से भी कम समय में दैनिक मामलों को 5000 से नीचे लाने में सफलता पाई. और वहाँ अबतक कोविड से केवल 73 लोगों ने अपनी जान गवाईं. आदमखोर अमेरिका और उसका कुत्ता दक्षिण कोरिया कहाँ तो वहाँ लाख से उपर मौतों का हसीन सपना देख रहे थे. इन 73 मौतों का जिम्मेदार भी अमेरिका और दक्षिण कोरिया को ही ठहराया जाना चाहिए.
कुछ लोगों ने यह दावा करने की कोशिश की है कि संक्रमण चीन के रास्ते जनवादी कोरिया में आया था.यह गलत है . सबसे पहले,थोड़ी मात्रा में ही सही चीन से जनवादी कोरिया में आने वाले माल को सीमा के दोनों ओर कीटाणुरहित किया जाता था और वहाँ आने पर कुछ दिनों के लिए अलग रखा जा रहा था.दूसरे, चीन में कोविड-19 की संक्रमण दर बहुत कम है, 1.4 अरब की आबादी में से केवल 225,747(2 जुलाई 2022 तक) मामले हैं. जबकि दक्षिण कोरिया की अलग कहानी है जहां 5 करोड़ 10 लाख की आबादी में से अबतक 1 करोड़ 80 लाख लोग कोविड 19 से संक्रमित हो चुके हैं, इसलिए दक्षिण कोरिया की लगभग 36 प्रतिशत आबादी संक्रमित है वहीं चीनी आबादी का 1 प्रतिशत से कम कोविड 19 से संक्रमित है. इसलिए इन आंकड़ों से अंदाजा लगाया जा सकता हैं कि जनवादी कोरिया में कोविड 19 चीन के बजाय दक्षिण कोरिया से ही आया है
अमेरिकी साम्राज्यवादियों और उसकी कठपुतली दक्षिण कोरिया द्वारा जानबूझकर कोविड-19 का जनवादी कोरिया में प्रसार एक आपराधिक कृत्य है, आतंकवादी हरकत है.
P. S. मुझे यह कहने में कतई भी झिझक नहीं है कि इजराइल की तरह दक्षिण कोरिया भी साम्राज्यवाद द्वारा खड़ा किया गया आतंकवादी मुल्क है जिसका उद्देश्य ही कोरिया प्रायद्वीप के उत्तरी भाग में समाजवादी व्यवस्था को पलटना है . समाजवादी व्यवस्था के अलावा मैं क्यूबा की इसलिए भी इज्जत करता हूँ कि कम्युनिस्ट पार्टी शासित देशों में वो अकेला ऐसा मुल्क है जिसने दक्षिण कोरिया जैसे आतंकवादी मुल्क से राजनयिक संबंध नहीं रखा है. मैं व्यक्तिगत रूप से भी दक्षिण कोरिया जैसे आतंकवादी मुल्क से मजबूरीवश जुड़ाव के लिए शर्मशार रहता हूँ और जल्द ही इससे आजाद होने की कोशिश जारी है. दक्षिण कोरिया से मेरा मतलब वहाँ के शासक और पूंजीपति वर्ग से है आम जनता से नहीं.
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