खाने के मामले में आत्मनिर्भर उत्पादन इकाईयां-2


समाजवादी जनवादी कोरिया में स्थानीय स्तर पर भी खाद्य आत्मनिर्भरता को बहुत बढ़ावा दिया जाता है. जनवादी कोरिया की सभी ईकाईयां जैसे सहकारी फार्म, कारखाने, सैनिक ईकाईयां, विश्वविद्यालय, बड़े निर्माण स्थल, अपार्टमेंट समूह अपना खाना खुद उपजाते हैं. इसी काम को करने के लिए इन सभी ईकाईयों में एक दल रहता है जिसे बैक ऑपरेशन (후방사업) दल कहते हैं. ये इन ईकाइयों के ही कर्मचारी होते हैं. इसे ऐसे समझ सकते हैं कि अगर जनवादी कोरिया की किसी बड़ी फैक्ट्री में 12,000 कर्मचारी हैं तो उनमें से 8,000 कर्मचारी  बैक ऑपरेशन दल के रूप में काम करते हैं. बैक ऑपरेशन दल का काम जानवरों को पालना और सब्जियां उगाना और इन कार्यों को प्रभावी ढंग से करने के लिए विभिन्न प्रकार के अनुसंधान करना और संबंधित कठिनाइयों को दूर करना और इन ईकाइयों के सभी कर्मचारियों को खाने पीने की चीजों की आपूर्ति करना है.

इस वीडियो में जनवादी कोरिया के एक शीतल पेय कारखाने और एक किंडरगार्टन की बात की जा रही है, 

जिन्होंने अपने स्थिति के अनुसार इस बैक ऑपरेशन के काम को कई सालों तक किया और अब उन्हें इसका लाभ मिलना शुरू हुआ है. इस शीतल पेय कारखाने के बैक ऑपरेशन कर्मचारियों का कहना है कि इस कारखाने में जानवर पाले जा रहे हैं और ग्रीनहाउस फार्मूले से सालों भर ताजी सब्जियां उगाई जा रहीं हैं. एक साल में एक टन से भी ज्यादा सब्जियों का उत्पादन किया जा रहा है पहले अच्छी व्यवस्था नहीं रहने से खरगोशों और सूअरों की सामूहिक मौत हो जाती थी पर अब उनके लिए हवादार बाड़े का प्रबंध किया गया है. कारखाने के बाकी कर्मचारी जो बैक ऑपरेशन दल में शामिल नहीं हैं वे भी काम के दौरान विश्राम लेने के वक्त बीच बीच में आकर कारखाने में लगी फूलों की क्यारियों और मिर्च के पौधों की कुछ देखभाल भी कर देते हैं. उधर फ्यंगयांग शहर के एक किंडरगार्टन में तीन सालों से छत के उपर ग्रीनहाउस फार्मूले से सब्जियां उगाई जा रही है और छत पर ही बने तालाब में मछली पालन किया जा रहा है. मिट्टी से छत पर भार न बढ़े इसके लिए बिना मिट्टी के सब्जियां उपजाने की तकनीक अपनाई गई है. तेल के लिए बहुत सारे सूरजमुखी के फूलों समेत फल के लिए सेव और नाशपाती के 20 पेड़ भी लगाए गए हैं. छत पर बने तालाब से हर साल लगभग 1500 किलो मछली का उत्पादन हो रहा है और इनका उपयोग किंडरगार्टन के बच्चों के पौष्टिक भोजन के रूप में हो रहा है. ध्यान रहे इन ईकाइयों में उपजाई और उत्पादित की गई खाद्य वस्तुओं को खुले बाजार में बेचकर मुनाफा नहीं कमाया जाता .

बदमाश दक्षिण कोरिया और अमेरिका की जनवादी कोरिया संबंधित व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी से जानकारी हासिल करने वाले बेवकूफ कहेंगे कि सरकार ने राशन की आपूर्ति से पल्ला झाड़ लिया है इसलिए उन्हें अपना खाना खुद उपजाना पड़ रहा है  जबकि वहाँ की सरकार ऐसे ईकाइयों कोअपना खाना  उपजाने के लिए भरपूर सहायता मुहैय्या कराती है. बिना सरकारी सहायता के ये सब मुमकिन नहीं.

पूंजीवादी व्यवस्था में शहर गाँवों के निर्मम शोषण पर ही जिंदा रहते हैं और कुछ नहीं उपजाते. पूंजीवादी व्यवस्था ही संसाधनों के निर्मम शोषण का दूसरा नाम है. एक तो पैट्रोल डीजल फूंकते हुए हवा में जहर फैलाते हुए गांव के खेतों से खाद्य वस्तुऐं लाओ और अनाप शनाप तरीके से बढ़ाए गए दामों पर खरीदो और धनपशुओं को  मुनाफा कूटने में मदद करो. यही अच्छी व्यवस्था है न.

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