अमेरिकी साम्राज्यवाद विरोधी रैली


25 जून  2022 को अमेरिकी साम्राज्यवादियों द्वारा जनवादी कोरिया के खिलाफ आक्रामक युद्ध छेड़ने  के 72 साल  पूरे होने पर फ्यंगयांग में अमेरिकी साम्राज्यवाद विरोधी रैली का आयोजन किया गया.  इस रैली में फ्यंगयांग शहर और आसपास के इलाकों के छात्रों, मजदूरों और किसानों ने भाग लिया.

रैली में  वक्ताओं ने अमेरिकी साम्राज्यवादियों की तीखी निंदा की कि उन्होंने नवजात जनवादी कोरिया की स्थापना के दो साल से भी कम समय में विश्व युद्ध के इतिहास में अभूतपूर्व रूप से सबसे भयानक नरसंहार और बर्बर विनाश को अंजाम दिया. अमेरिकी साम्राज्यवादियों द्वारा कोरियाई लोगों पर युद्ध की तबाही ये सबक सिखाती है कि देश की संप्रभुता और दुश्मन के आक्रमण से लोगों की भलाई की रक्षा के लिए अतुलनीय शक्ति होना अनिवार्य है, वक्ताओं ने यह भी कहा कि अगर जनवादी कोरिया 72 साल पहले  आज की तरह मजबूत होता तो 25 जून की बदकिस्मती और दर्द  का सामना जनता को न करना पड़ता ,हमें अपनी राजनीतिक-वैचारिक ताकत और सैन्य बढ़त को हर तरह से मजबूत करना चाहिए ताकि विद्वेष से भरे इतिहास को खुद को दोहराने से रोका जा सके और किसी भी ताकत को इस बात से अवगत कराया जा सके कि हमारे देश की सुरक्षा का उल्लंघन करने के प्रयास के लिए उसे भारी कीमत चुकानी होगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर अमेरिकी साम्राज्यवादियों ने 1950 के दशक में अपनी कड़वी हार से बेखबर जनवादी कोरिया को फिर से भड़काने की हिम्मत की, तो वह अब तक मजबूत किए गए सभी अजेय भौतिक साधनों को जुटाकर साम्राज्यवादियों और वर्ग शत्रुओं का निर्दयता से सफाया कर देगा.

72 साल पहले अमेरिका द्वारा शुरू किया गया कोरियाई युद्ध दुनिया का सबसे नृशंस युद्ध था और अनैतिक पाप था जिसने बर्बर हत्या और विनाश को जन्म दिया, और इसने विक्षिप्त सीरियल किलर द्वारा किए गए हत्याकांडों की क्रूरता की सीमा को भी पार कर गया . 26 जून 1950 रविवार को युद्ध की शुरुआत के साथ, कोरियाई जनता को विनाशकारी मौत और असहनीय क्रूरता का सामना करना पड़ा.तीन साल के लंबे युद्ध में अमेरिका और उसके भाड़े के सैनिकों द्वारा किए गए अंधाधुंध बमबारी और  गोलीबारी से कोरियाई प्रायद्वीप राख हो गया था और लाखों निर्दोष लोगों ने अपना खून बहाया था. युद्ध के दौरान अमेरिकी साम्राज्यवादियों की बर्बरता मानवीय वर्णन से परे थी.इस युद्ध में द्वारा कम से कम 30 लाख लोग मारे गए थे . खासकरअमेरिकी साम्राज्यवादियों द्वारा सिनछोन री  में 35,383 लोग और  सुसान-री 1,050 लोगों (जो क्षेत्र की जनसंख्या का एक तिहाई थी) की नृशंस हत्या रोंगटे खड़ी कर देती है.


आज 72 साल बीतने के बाद भी यह युद्ध जारी है अमेरिका द्वारा कब्जाए गए कोरियाई प्रायद्वीप का दक्षिणी भाग (दक्षिण कोरिया) कोरियाई प्रायद्वीप में युद्ध के खतरे को बढ़ाने और टकराव को भड़काने का स्रोत बना हुआ है.  अभी हाल में जनवादी कोरिया पर फिर से हमले के लिए  लिए एफ -35 ए और एफ -16 सहित 90 से अधिक लड़ाकू विमान बड़े पैमाने पर हवाई संयुक्त अभ्यास में शामिल हुए जबकि रणनीतिक बमवर्षक, टैंकर विमान और टोही विमान कोरियाई प्रायद्वीप के ऊपर उड़ान भर रहे थे.परमाणु ऊर्जा से चलने वाले विमानवाहक पोत रोनाल्ड रीगन, अब्राहम लिंकन और एजिस विध्वंसक यूएस 7वें बेड़े से संबंधित हैं, जो डीपीआरके नेतृत्व और परमाणु सुविधाओं को नष्ट करने के लिए विभिन्न मिशनों के साथ सैन्य अभ्यास करने के लिए कोरियाई प्रायद्वीप का चक्कर काट रहे हैं.

 
यहाँ स्पष्ट करना जरूरी है कि जनवादी कोरिया के पास पहले आक्रमण की नीति नहीं (No strike first policy) है. यानि वो पहले किसी पर भी हमला नहीं करेगा. क्या अब भी अंदाजा लगाना मुश्किल है कि विश्व  शांति के लिए असली खतरा कौन है.


साम्राज्यवादी रक्तपिपासु शक्तियां फिर से कोरियाई प्रायद्वीप में दूसरे युद्ध के लिए बेताब हैं.

जनवादी कोरिया ने  अमेरिका के साथ दो बार शिखर वार्ता की पर अमेरिका के अड़ियल रवैये के कारण नतीजा सिफर रहा.

जनवादी कोरिया ने  कभी भी अमेरिका से शांति की भीख नहीं मांगी है.भीख में मांगी गई शांति बेइंतहा जुल्मों की वजह है.अमेरिकी पूंजी दुनिया के सभी देशों में घुसपैठ करने में सफल रही है पर दुनिया में अकेला जनवादी कोरिया ही अमेरिकी पूंजी की घुसपैठ से आज़ाद है क्योंकि उसने दुनिया की सबसे शक्तिशाली स्वतंत्र और आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था विकसित कर ली है जो अमेरिकी साम्राज्यवादी ताकतों के लिए मौत का फरमान है.



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