असली वोकल फाॅर लोकल
जनवादी कोरिया में केवल मिसाईलों और परमाणु हथियारों का ही परीक्षण नहीं किया जाता है वहाँ कई और दूसरी चीजें भी होती रहती है उनमें से एक ये है कि वहाँ स्थानीय संसाधनों से ही बनी विभिन्न प्रकार की जन उपभोक्ता वस्तुओं (인민소비품) की प्रदर्शनियां समय समय पर आयोजित की जाती हैं. इस बार ऐसी ही प्रदर्शनी देश के उत्तरी ह्वांगहे (황해북도) और दक्षिणी हामग्यंग (함경남도)प्रांत में लगाई गई.
इन जन उपभोक्ता वस्तुओं की प्रदर्शनी का उद्देश्य जनता की मांग का पता करना और उसके अनुसार इन वस्तुओं का उत्पादन बढ़ाना था.
उत्तरी ह्वांगहे प्रांत की राजधानी सारीवन शहर(사리원시) में आयोजित प्रदर्शनी में प्रांत के शहरों और काउंटियों की सभी उपभोक्ता वस्तु निर्माता कंपनियों ने हिस्सा लिया और 1150 किस्म की दसियों हजार उपभोक्ता वस्तुओं का प्रदर्शन किया. इन वस्तुओं को बनाने में प्रांतीय स्तर पर ही मिलने वाले कच्चे माल का ही इस्तेमाल किया गया है और उनकी गुणवत्ता पर भी खास ध्यान दिया गया है. इस प्रदर्शनी में उत्तरी ह्वांगहे प्रांत में उपलब्ध संसाधनों से ही बने सोया साॅस, वाईन, चाय और तरल साबुन और स्थानीय स्तर पर बहुतायत में उपलब्ध प्लास्टर ऑफ पेरिस से बने बच्चों के खिलौनों ने खास तौर पर लोगों का ध्यान आकर्षित किया. साथ ही प्रदर्शन कर्ता कंपनियों को एक दूसरे से उन्नत कंपनियों के अनुभव से सीखने का मौका मिला और जनता द्वारा इन चीजों के मूल्यांकन से भी काफी मदद मिली.
उधर दक्षिणी हामग्यंग प्रांत की राजधानी हामहुंग शहर (함흥시) में प्रांत की लगभग 100 उपभोक्ता सामान बनाने वाली कंपनियों ने प्रदर्शनी में हिस्सा लिया और 600 प्रकार की 4 लाख वस्तुओं का प्रदर्शन किया जिसमें प्रांतीय स्तर पर ही उपलब्ध कच्चे माल से बने कपड़े, खाद्य वस्तुऐं और घरेलू उपयोग की चीजें थी. खासकर प्रांत में उपलब्ध एक विशेष प्रकार के पत्थर से बनी उपयोगी वस्तुऐं आकर्षण का मुख्य केंद्र रहीं.
आसान भाषा में कहें तो ये है असली वोकल फाॅर लोकल!!!
जिन्हें लगता है कि जनवादी कोरिया (उत्तर कोरिया) अपने विभिन्न प्रकार के उद्योगों के लिए बिना बाहर से आयात किए कच्चा माल कहाँ से जुटा लेता है तो इसपर ये कहना है कि उसके यहाँ हमेशा से ही अपने यहाँ उपलब्ध कच्चे माल से विभिन्न वस्तुऐं बना सकने का अनुसंधान चलता रहता है और उसमें वो काफी हद तक सफल भी रहा है. उदाहरण के लिए वहाँ कपड़े के लिए कपास नहीं उपज सकता है तो उन लोगों ने वहीं बहुतायत में उपलब्ध ऐंथ्रासाइट कोयले और चूना पत्थर से सिंथेटिक फाइबर बना लिया जिसे वे "जूछे कपड़ा" कहते हैं. ऐसे और भी कई उदाहरण हैं.
साम्राज्यवाद के दौर में बड़ी शक्तियों पर निर्भरता खतरनाक है. परजीवी मानसिकता और बड़ी शक्तियों की पूजा वाले दिमाग को जनवादी कोरिया की आत्मनिर्भरता समझ में नहीं आएगी. हाँ आप हर चीज में आत्मनिर्भर नहीं हो सकते पर अपने सतत् और सक्रिय प्रयासों से बाहरी शक्तियों पर निर्भरता काफी हद तक कम जरूर कर सकते हैं जैसा जनवादी कोरिया ने कर दिखाया है.
जनवादी कोरिया ने अपने आप को दुनिया से काट कर कभी नहीं रखा है बस वह सभी बड़े या छोटे देशों के साथ परस्पर सहयोग और बराबरी वाला रिश्ता चाहता है और वह कतई इस बात की इजाजत नहीं देगा कि कोई भी देश उसपर हावी हो जाए.
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