केवल 32,000 भगोड़े!
समाजवादी देश उत्तर कोरिया को पूरी दुनिया में दिनरात बदनाम करने के लिए अमेरिकी साम्राज्यवाद और उसकी फासिस्ट कठपुतली दक्षिण कोरिया उत्तर कोरिया से भागकर दक्षिण कोरिया में रह रहे लोगों को मोहरा बनाकर अपना कपटपूर्ण और गंदा खेल खेलते रहते हैं. ये सवाल उठना लाजमी है कि ऐसे लोगों के उत्तर कोरिया से भागने के क्या कारण हैं पर उसके पहले ये जानना जरूरी है कि अभी तक कितने लोगों ने उत्तर कोरिया से भागकर दक्षिण कोरिया में शरण ली है.
दक्षिण कोरिया के अपने आंकड़ों के अनुसार उसके यहाँ रह रहे उत्तर कोरियाई भगोड़ों की संख्या लगभग 30-32 हजार है. हलांकि ये संख्या भी दक्षिण कोरिया द्वारा बढ़ा चढ़ा कर बताई गई हो सकती है. अगर इसे सही भी माने तो ये उत्तर कोरिया की जनसंख्या के हिसाब से 1 फीसदी से भी कम है. और ये 30-32 हजार भी किसी एक साल के अंदर भागे हुए लोगों की संख्या नहीं है बल्कि 1948 में उत्तर कोरिया के अस्तित्व में आने से लेकर अबतक इन 74 सालों के दौरान वहाँ से भागे लोगों की संख्या है. वहीं तथाकथित "धनी , विकसित और उदार" दक्षिण कोरिया में वहाँ के न्याय मंत्रालय (Ministry of Justice,법무부) के आंकड़ों के मुताबिक साल 2016-2020 के पांच सालों के दौरान ही तकरीबन 1 लाख 30 हजार लोगों ने देश छोड़ दिया और अपना विश्वगुरु तो देश छोड़ने वालों के मामले में पूरी दुनिया में अगुआई कर ही रहा है.
इसके अलावा उत्तर कोरिया से भागे हुए लोगों की संख्या समाजवादी देशों पूर्व जर्मनी (1989 तक)और क्यूबा की तुलना में भी काफी कम है.
बेशक किसी देश में एक सफल कम्युनिस्ट क्रांति सट्टेबाजों और मुनाफाखोरों या उस तरह की सोच रखने वाले लोगों को देश छुड़वा देती है और यह बात उत्तर कोरिया और क्यूबा के बारे में एकदम सच है.
खासकर उत्तर कोरिया छोड़कर जाने वाले लोगों में पहले ऐसे लोग शामिल हैं जिनको बहला फुसला कर या प्रलोभन देकर या फिर धोखे से दक्षिण कोरिया में लाया गया है. इसके अलावा कोरिया एक विभाजित देश है तो उत्तर में रह रहे कुछ लोगों के रिश्तेदार दक्षिण में रहते हैं तो इस वजह से भी ऐसे लोग अपने रिश्तेदारों के साथ रहने के लिए दक्षिण कोरिया आ जाते हैं.
दूसरे उत्तर कोरिया में हुई समाजवादी क्रांति के बाद वहाँ के जमींदार और पूंजीपतियों की हराम की कमाई बंद हो गई और वे भागकर दक्षिण कोरिया चले आए.
तीसरे उत्तर कोरिया में ऐसे लोगों की मौजूदगी जो वहाँ लंबे समय तक अमेरिका या दक्षिण कोरिया के जासूस के रूप में काम कर रहे थे, वे एक न एक दिन पकड़े जाने के डर से वहाँ से भाग गए.
चौथे उत्तर कोरिया में हत्या, बलात्कार और चोरी जैसे अपराधों में लिप्त लोग सजा से बचने के लिए दक्षिण कोरिया भाग गए.
पांचवे उत्तर कोरिया के कई भ्रष्ट अधिकारी भी सजा से बचने के लिए दक्षिण कोरिया भाग गए.
छठे संशोधनवादी और पूंजीवाद समर्थक जिन्हें लगता था कि उत्तर कोरिया में दूसरे देशों की तरह पूंजीवादी सुधार और खुलेपन की नीति कभी न कभी अपनाई जाएगी पर जब ऐसा नहीं हुआ तो ऐसे लोग वहाँ से भाग गए.
उत्तर कोरिया छोड़कर भागे हुए कुछ लोग ही दक्षिण कोरिया में प्रोफेशनल ट्रेनिंग पाकर उत्तर कोरिया के खिलाफ झूठा और जहरीला प्रोपेगेंडा फैलाकर सेलिब्रिटी बन जाते हैं पर अधिकतर लोगों की जिंदगी दक्षिण कोरिया में नरक से भी बद्तर हो जाती है .
क्या सोचा था इन लोगों ने कि दक्षिण कोरिया में लोग उन्हें हाथों हाथ लेंगे? उनकी जिंदगी में ढेर सारी दौलत और खुशियाँ होंगी? कईयो के तो हालात ऐसे हो गए हैं कि उन्हें लगता है कि दक्षिण कोरिया आकर उन्होंने बहुत बड़ी गलती कर दी. खुद दक्षिण कोरिया की समाचार एजेंसी यनहाप न्यूज़ के मुताबिक उत्तर कोरिया छोड़ कर आए लोगों में से अबतक 771 लोग दक्षिण कोरिया से दूसरे देशों में भाग गए . एक तो ऐसे लोगों पर दक्षिण कोरियाई शासन की कड़ी नजर रहती है ऐसे में उनका वहाँ से निकलना ही टेढ़ी खीर है. कुछ लोगों ने तो उत्तर दक्षिण कोरिया की जमीनी सरहद जो कि दुनिया में सबसे ज्यादा बाड़ बंद और हथियारबंद सरहद है के रास्ते उत्तर कोरिया वापस जाने की जुर्रत की और वे उसमें सफल भी हुए. किसी शख्स को तो दक्षिण कोरिया में आए केवल एक साल ही हुआ था लेकिन वो वहां से उसी खतरनाक सरहद को जान पर खेल कर पार कर उत्तर कोरिया चला गया और उसके उत्तर कोरिया के जासूस होने की भी पुष्टि नहीं हुई है. दक्षिण कोरिया के उत्तर कोरिया मानवाधिकार सेंटर के एक सर्वे के मुताबिक़ उत्तर कोरिया छोड़कर आए लोगों में 18 फीसदी लोगों ने वापस उत्तर कोरिया जाने की इच्छा जताई . यही नहीं चीन में रहने वाले जनवादी कोरिया की महिलाओं के बीच दक्षिण कोरिया के एक सर्वे के मुताबिक 41 फीसदी ने कहा कि वे दक्षिण कोरिया जाना चाहते हैं बाकी 59 फीसदी ने इससे साफ इंकार कर दिया. इन्हीं 59 फीसदी में फिर 34 फीसदी ने जनवादी कोरिया वापस जाने की इच्छा जताई यह सर्वे अगस्त 2001- अक्टूबर 2003 के दौरान किया गया था, तब जनवादी कोरिया के हालात आज की तुलना में उतने अच्छे नहीं थे, हाल के वर्षों में अगर ऐसा कोई सर्वे किया जाए तो दक्षिण कोरिया जाने वाले लोग बहुत ही कम निकलेंगे. कोरिया में ऐसे लोगों के साथ काफी भेदभाव होता है और ढंग का काम भी नहीं मिलता और इनमें से कई लोग खुदकुशी तक कर लेते हैं. दक्षिण कोरिया का समाज खुद नफरत और खुदगर्जी से बजबजाता हुआ एक बदबूदार नारकीय नाला है.
ये निश्चित तौर पर कहा जा सकता है कि साम्राज्यवाद की उत्तर कोरिया पर लाख अमानवीय अनैतिक प्रतिबंधों के बावजूद वहाँ के अंदरूनी हालात ऐसे नहीं हुए हैं कि वहाँ से लोग बड़ी तादाद में देश छोड़ कर भागने लगें. कठिन परिस्थितियों में भी बिना एक भी पैसा टैक्स दिए मुफ्त पढ़ाई, दवाई और घर के साथ पक्के रोजगार की गारंटी कहाँ मिलेगी? कुछ लालची और अपराधी किस्म के लोगों ने जरूर उत्तर कोरिया को छोड़ा है. कहाँ पिछले 74 सालों में देश छोड़कर भागने वाले 32,000 लोग (उत्तर कोरिया) और कहाँ पांच साल में ही देश छोड़कर भागने वाले 130,000 लोग (दक्षिण कोरिया)!!!!
उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया महज दो मुल्क ही नहीं बल्कि समाजवाद और पूंजीवाद, आत्मनिर्भरता और परजीविता, आजादी और गुलामी के जीते जागते उदाहरण हैं.
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