बच्चों की मुस्कान के लिए

 

इन दिनों समाजवादी देश उत्तर कोरिया में नए साल के नए शैक्षणिक सत्र के शुरू होने से पहले  देश के सभी छात्रों को हर साल की भांति इस बार भी मुफ्त में काॅपी, किताब, स्टेशनरी का सामान, बैग और स्कूल ड्रेस देने के लिए संबंधित कारखानों में जोर शोर से उत्पादन कार्य हो रहा है. 


 पार्टी सेक्रेटरी किम जंग उन के निर्देश पर 2016 में आधुनिकतम मशीनों और तकनीक से लैस नोटबुक फैक्ट्री लगाई गई जिसमें छात्रों के लिए बढ़िया किस्म के नोटबुक तैयार किए जाते हैं. फैक्ट्री के मजदूरों ने इस शैक्षणिक सत्र के लिए जरूरी नोटबुक का उत्पादन कार्य पूरा कर लिया है. उधर देश की दो प्रमुख स्टेशनरी फैक्ट्रियों में स्कूली छात्रों के लिए बढ़िया किस्म की स्टेशनरी ज्यादा से ज्यादा मात्रा में तैयार की जा रहीं हैं. छात्रों के लिए पेंसिल समेत स्टेशनरी सामानों का निर्माण उत्तर कोरिया की आजादी के बाद से ही पार्टी और सरकार की पहली प्राथमिकता रही है. स्टेशनरी फैक्ट्रियों में और भी बेहतर  किस्म के सामान बनाने के लिए अनुसंधान कार्य भी जोर शोर से चलता रहता है यही चीज स्कूल की किताबें छापने वाली प्रेस में भी हो रही है. उधर देश के सिनउइजू शहर की टेक्सटाईल मिल में छात्रों के लिए स्कूल ड्रेस और बैग के लिए कपड़ा तैयार किया जा रहा है. इन सभी कारखानों के मजदूरों का एक ही उद्देश्य है स्कूली बच्चों के चेहरों पर मुस्कान लाना न कि धनपशुओं के मोटे मुनाफे के लिए खुद को खपाना. 


एक ओर उत्तर कोरिया में छात्रों के लिए सरकार की तरफ से मुफ्त पढ़ाई और उसके बाद तयशुदा सम्मानजनक रोजगार की मुकम्मल व्यवस्था है तो इसी दुनिया के तथाकथित "सबसे बड़े लोकतंत्र"  वाले किसी विश्वगुरू  सरीखे देश में छात्रों के लिए पुलिस की लाठी और गोली ही है. 


बताने की जरूरत नहीं है कि  साम्राज्यवादी गोद में खेलने वाले मुख्यधारा की मीडिया में  उत्तर कोरिया की बदहाली की  कैसी कैसी (झूठी, काल्पनिक और मनगढ़ंत) खबरें  चलती रहती हैं. हर साल अमेरिकी साम्राज्यवाद उत्तर कोरिया पर कड़े से कड़ा प्रतिबंध लगाता रहता है पर ये उत्तर कोरिया का कैसा सिस्टम है जो इन हालातों में भी बेहतर और बेहतर काम करता रहता है. कोरोना काल के इन दो सालों में उत्तर कोरिया ने अपनी सीमाऐं पूरी तरह से सील कर रखीं है और उसपर पहले से ही अमेरिकी साम्राज्यवाद का कठोरतम प्रतिबंध लागू है ही , फिर भी वहाँ सबकुछ सामान्य है. कैसे? इसका जवाब है उत्तर कोरिया का जूछे आधारित समाजवाद जो बिना किसी बाहरी शक्ति पर निर्भर हुए अपने हालातों में अपनी चीजों के सहारे उठ खड़े होने की मुकम्मल आजादी की राह दिखलाता है और साम्राज्यवाद के लिए परमाणु मिसाइलों से भी हजारों लाखों गुना ज्यादा खतरनाक है किसी देश की पूरी तरह से स्वतंत्र और आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था जो उत्तर कोरिया के पास है. 

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