जनवादी कोरिया की "अनिवार्य सैनिक सेवा" का सच

 

क्या उत्तर कोरिया में सभी नागरिकों के लिए  सैनिक सेवा अनिवार्य  है?  तथाकथित मुख्यधारा की मीडिया का कहना है कि वहाँ पुरूषों और महिलाओं के लिए सैनिक सेवा जरूरी है, पर इसके बारे में पुख्ता जानकारी नहीं है तो फिर सच क्या है?

उत्तर कोरिया विरोधी दुष्प्रचार और झूठ के दुनिया में सबसे बड़े निर्माता दक्षिण कोरिया के ही एकमात्र उत्तर कोरिया फैक्ट चेक यूट्यूब चैनल 왈가왈북 (वाल्गावाल्बुक) ने इस बात का खुलासा किया है कि उत्तर कोरिया में अनिवार्य सैनिक सेवा  नहीं है, जिसे सैनिक सेवा करने का मन है  केवल वही जा सकता/सकती है.



वीडियो में बायीं तरफ धारीदार शर्ट पहने हुए शख्स का नाम होंग खांग छल हैं और वे उत्तर कोरिया से हैं और पिछले 8 साल से दक्षिण कोरिया में रह रहे हैं. होंग  यह बता रहे हैं कि उत्तर कोरिया  के संविधान में प्रत्येक नागरिक के लिए सैनिक सेवा को पवित्र कर्तव्य के रूप में उल्लेख किया गया है पर वहाँ  सैनिक सेवा में जाना पूरी तरह से लोगों की इच्छा पर है और जबरदस्ती किसी को सैनिक सेवा में नहीं भेजा जा सकता.वहाँ कोई शख्स विश्वविद्यालय की पढ़ाई पूरी कर सैनिक सेवा करने की इच्छा रखता है तो उसे तीन वर्ष तक सैनिक सेवा करनी पड़ती है और जिन्होंने विश्वविद्यालय की शिक्षा नहीं ली है और वो सैनिक सेवा में जाना चाहते हैं तो उन्हें 10 वर्ष (जो पहले 13 वर्ष  था) तक सैनिक सेवा करनी पड़ती है. साथ ही अगर किसी को चश्मा लग गया है तो वो सैनिक सेवा में नहीं जा सकता. होंग को यह आश्चर्य हुआ कि दक्षिण कोरिया में चश्मा लगाए हुए कई युवक भी सैनिक सेवा में होते हैं और चश्मे वालों को निशाना लगाने और चश्मा पहनकर दौड़ने भागने से निकले पसीने से भींगे चश्मे को साफ करना कितना मुश्किल होता होगा. होंग को ये समझ में भी नहीं आया कि दक्षिण कोरिया के समाज में किसी खिलाड़ी या कलाकार के सैनिक सेवा में जाने या ना जाने को लेकर इतना हंगामा क्यों मचता है जबकि उत्तर कोरिया में राष्ट्रीय तो छोड़िये केवल अपने मुहल्ले के स्तर पर खेलना शुरू करने पर ही किसी को सैनिक सेवा में जाने की जरूरत नहीं पड़ती. साथ ही उत्तर कोरिया में  सैनिक सेवा किसी के लिए व्यक्तिगत तौर पर गौरव की बात है और वहाँ ऐसा बिल्कुल नहीं है कि मैंने  सैनिक सेवा की तो तुम्हें  भी ऐसा करना चाहिए. होंग ने यह भी बताया कि दक्षिण कोरिया में उत्तर कोरिया के खिलाफ जहर उगलने में सबसे आगे रहने वाले वहाँ के दो भगोड़े खुद कबूल करते हैं कि उन्होंने सैनिक सेवा नहीं की है.

बताते चलें कि "लिबरलों और मानवाधिकार के तथाकथित स्वर्ग" माने जाने वाले दक्षिण कोरिया में सभी स्वस्थ और सामान्य युवकों के लिए 18 महीने यानि डेढ़ साल (पहले 24 महीने था) की अनिवार्य सैनिक सेवा का प्रावधान है और किसी भी रूप में इससे बचने की कोशिश करने वालों के लिए कठोर दंड की सजा मिलती है। कानून के तहत, व्यक्ति को वजन वढाने, खुद को हानि पहुँचाने और जानबूझ कर किसी मुसीबत में पड़कर सैन्य सेवा से बचने के लिए पांच साल की अधिकतम सजा हो सकती है.

गौरतलब है कि दक्षिण कोरिया के इस अनिवार्य सेवा की प्रवृत्ति की मानवाधिकार संगठनों द्वारा कड़ी निंदा की गई है। मानवाधिकार वादी कार्यकर्ताओं का कहना है कि इससे युवकों के मानसिक और सामाजिक विकास पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है.2014 में, एक 22 वर्षीय सर्जेंट ने सात सहयोगियों पर एक ग्रेनेड फेंक दिया था और उसने दो और सैनिकों को गोली मार दी थी . इस घटना में कुल मिलाकर, पांच लोगों की मौत हो गई और सात अन्य घायल हो गए. इसके अलावा सैनिक सेवा के दौरान भी युवाओं को विभिन्न तरीके से शारीरिक और मानसिक रुप से प्रताड़ित करने की अनगिनत खबरें हैं.

साथ ही तथाकथित लोकतांत्रिक दक्षिण कोरिया में अमीर उद्योगपतियों और रसूखदार नेताओं के बेटों को सैनिक सेवा में नहीं जाना पड़ता यानि इसमें भी भेदभाव. इसके अलावा देश का प्रतिनिधित्व करने वाले युवा खिलाड़ियों और कलाकारों  को भी सैनिक सेवा से छूट मिलती है.

किसी को विश्वास ही नहीं होता होगा कि उत्तर कोरिया में ऐच्छिक सैनिक सेवा का प्रावधान है. उत्तर कोरिया तो वो देश है जिसने अमेरिका के साथ हुए तीन साल के भीषण युद्ध (1950-53) के बीच में ही युद्ध के मोर्चे पर भेजे गए विश्वविद्यालय के छात्रों को पढ़ाई करने के लिए वापस बुला लिया था और  वह अभी भी अमेरिका के साथ तकनीकी तौर पर युद्धरत है, और अमेरिका उसकी सीमाओं पर अपने सैनिकों का जमावड़ा लिए बैठा है और हरेक साल युद्ध भड़काने के लिए उत्तर कोरिया को उकसाता रहता है इसके बावजूद भी उत्तर कोरिया में अनिवार्य सैनिक व्यवस्था नहीं है. और दक्षिण कोरिया के युवाओं की औकात अमेरिका के लिए एक भाड़े के सैनिक से ज्यादा कुछ भी नहीं है क्योंकि दक्षिण कोरिया की सेना की कमान अमेरिका के हाथों में ही है.

चलते चलते होंग खांग छल के बारे में कुछ जानकारी. ये जनाब उत्तर कोरिया - चीन सीमा पर बार्डर गार्ड थे और ये और इनकी माँ कोरिया (उत्तर) की वर्कर्स पार्टी ,जो कि एक कम्युनिस्ट पार्टी है, के सदस्य थे. इनकी माँ पार्टी की एक स्थानीय ईकाई में जिम्मेदार ओहदे पर थीं और एक बार चीन की यात्रा पर गईं और फिर वापस नहीं लौटीं जाहिर है बहुत दिन इंतजार करने के पार्टी ने उन्हें पद से हटा दिया क्योंकि कम्युनिस्ट पार्टी में अनुशासनहीनता को जरा सा भी बर्दाश्त नहीं किया जाता. होंग को ये बात हजम नहीं हुई और ये जनाब ढेर सारे पैसे कमाने के फिराक में तिकड़म भिड़ाने लगे और कनाडा या इंग्लैंड जैसे देशों में बसने का ख्बाब लिए उत्तर कोरिया छोड़ दिया. पर हालात  ने इन्हें दक्षिण कोरिया में ला पटका. दक्षिण कोरिया में अनगिनत मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना से गुजरने के बाद अब ये वहाँ उत्तर कोरिया की असल सच्चाई बताने के अभियान में जुटे हुए हैं, अगर दक्षिण कोरिया ने इनके देश से बाहर निकलने के सारे रास्ते बंद नहीं किए होते तो अभी ये एक पल के लिए भी वहाँ नहीं रहते. होंग दक्षिण कोरिया में रह रहे उन उत्तर कोरियाई भगोड़ों,  जो मोटी रकम के एवज में उत्तर कोरिया के खिलाफ तमाम झूठ और जहर उगलने का काम करते हैं, से कई गुना बेहतर हैं कि उन्होंने ढेर सारे पैसे कमाने की चाहत होने के बावजूद भी सच्चाई का पक्ष लिया, वरना उत्तर कोरिया के भगोड़ों को अंतर्राष्ट्रीय मंचों या दक्षिण कोरियाई मीडिया पर उत्तर कोरिया के खिलाफ झूठ और जहर उगलने के हजारों हजार अमेरिकी डॉलर मिलते हैं और वहाँ की असल सच्चाई बयान करने वालों को एक धेला भी मुश्किल से हाथ आता है और उपर से कानूनी तौर पर दमन होता है सो अलग. 


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