रेडियो फ्री एशिया साम्राज्यवाद की झंडाबरदार अमेरिकी सरकार का अंग है इसलिए रेडियो फ्री एशिया उत्तर कोरिया के बारे में सही खबर कभी नहीं देगा. उत्तर कोरिया में तख्ता पलट कर वहाँ की जनकल्याणकारी समाजवादी व्यवस्था को उखाड़ फेंकना ही अमेरिकी साम्राज्यवादियों का "ड्रीम प्रोजेक्ट" है.
इसी रेडियो फ्री एशिया के हवाले से तथाकथित "मुख्यधारा" की मीडिया द्वारा दुनियाभर में चिल्ला चिल्लाकर बताया जा रहा है कि उत्तर कोरिया में किम जंग इल की 10 वीं बरसी पर पूरे देश में 11 दिनों तक लोगों के हंसने, शराब पीने फुर्सत की गतिविधियों (leisure activities) पर रोक लगा दी गई है. इसका पालन करने के लिए पुलिस की भारी मात्रा में तैनाती की गई है. शोक मनाने के लिए ऐसी सरकारी जबरदस्ती पर दुनियाभर के लोग शाॅक्ड हैं.
आइए जानते हैं कि अभी उत्तर कोरिया में क्या चल रहा है. ये 19 दिसंबर 2021 को उत्तर कोरिया के एकमात्र सरकारी टीवी चैनल पर प्रसारित शाम के न्यूज़ बुलेटिन की फुटेज है. 19 दिसम्बर यानि "तथाकथित 11 दिवसीय शोक समारोह" का दूसरा या तीसरा दिन.
इस वीडियो फुटेज में सबसे पहले राजधानी फ्यंगयांग की एक (सरकारी) मछली दुकान दिखाई गई है कि कैसे लोग मछली खरीद रहे हैं और दुकान की तरफ से हमेशा की भांति बुजुर्ग सैनिकों को उनके घर जाकर मुफ्त में मछलियाँ मुहैय्या कराई जा रहीं हैं. बोलते हुए लोगों के चेहरे देखिए कहीं से भी शोक में डूबे नहीं लग रहें हैं. रेस्तरां में जाड़े के मौसम में खाए जाने वाले पारंपरिक व्यंजनों की बात की जा रही है और वे लोगों को हाॅट नूडल्स सूप भी परोस रहे हैं और ये भी मजे लेकर बताया जा रहा है कि लाल मिर्च पाउडर की जगह काली मिर्च पाउडर का इस्तेमाल किया गया है. इसके अलावा 18 दिसंबर यानि एक दिन पहले फ्यंगयांग समेत देश के कुछ हिस्सों में भारी बर्फबारी के बाद के सुंदर दृश्य और उसे देखने से हुई लोगों की खुशी की चर्चा की जा रही है और न्यूज़ ऐंकर की आवाज में उत्साह दिख रहा है. लोग भी मुस्कुरा कर बता रहे हैं कि बर्फीले दृश्य को देखकर उनका मन तरोताजा हो गया है और नए साल के स्वागत के लिए मन आतुर हो चला है. इसके बाद एक और न्यूज़ एंकर मुस्कुरा कर बता रहा है कि इस साल फ्यंगयांग के मुख्य चिड़िया घर के बाघ, बंदर समेत अन्य 230 तरह के जानवरों ने बच्चे दिए हैं. ये शोक मनाने का कौन सा तरीका है भाई? पुलिस की तैनाती भी न दिख रही.
चलिए मान लेते हैं कि उत्तर कोरिया में 11 दिनों का शोक है तो सरकारी एजेंसी कोरिया सेंट्रल टीवी को भी सुनिश्चित करना था कि 11 दिनों तक केवल शोक समारोह से जुड़ी खबर ही दिखाई जाए पर ये क्या दिखा रहा है? शापिंग करना, बाहर खाना, घूमना ये सब क्या है? लाॅजिक लगाकर सोचिए जबाब इतना भी मुश्किल नहीं है.दरअसल उत्तर कोरिया में न तो 11 दिनों तक कोई शोक समारोह मनाया जा रहा है और न हंसने, शराब पीने और फुर्सत की गतिविधियों पर कोई पाबंदी नहीं लगाई गई है. आप जिस उत्तर कोरिया को जानते हैं वो सिर्फ अमेरिका समेत पश्चिमी देशों की मीडिया की उपज है, असल में कोई ऐसा उत्तर कोरिया अस्तित्व में ही नहीं है
एक स्वतंत्र और आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था कई परमाणु बमों और मिसाइलों से कई हजार गुणा शक्ति शाली होती है और उत्तर कोरिया के पास दुनिया की सबसे स्वतंत्र और आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था तो है ही साथ में अमेरिकी साम्राज्यवादियों के हमले से आत्मरक्षा के लिए परमाणु बम और मिसाइलें भी हैं असंसदीय भाषा में कहूँ तो उत्तर कोरिया की इसी अर्थव्यवस्था और आत्मरक्षक हथियारों से अमेरिका और उसके दुमछल्लों की फट के फ्लावर हो रखी है. इनकी लाख हैवानियत के बावजूद उत्तर कोरिया अपनी समाजवादी व्यवस्था के साथ मजबूती से डटा है और अमेरिका इस सच्चाई को कभी स्वीकार नहीं करेगा और उत्तर कोरिया के खिलाफ जहरीला प्रोपेगेंडा ही करेगा.
जाड़े के मौसम में उतर कोरिया के पहाड़ी शहर सामजीयन (삼지연시) का नजारा.
अपनी जनता और जनता की हितकारी समाजवादी व्यवस्था की रक्षा करने और अमेरिका के आगे इंच भर भी न झुकने का खामियाजा दुनिया के कठोरतम और अमानवीय आर्थिक प्रतिबंध के रूप में भुगत रहे उत्तर कोरिया ने अपने दम पर सामजीयन जैसा एक शानदार शहर खड़ा कर दिया. इसे देश के आदर्श पहाड़ी समाजवादी शहर के रूप में विकसित किया गया है. मजे की बात यह है कि वहाँ इस नजारे को सरकारी टेलीविजन चैनल पर 21 दिसंबर 2021 को प्रसारित किया गया. जबकि यहाँ हमें चिल्ला चिल्लाकर बताया गया है कि
वहाँ की सरकार ने 17 से 27 दिसंबर तक वहाँ के नेता किम जंग इल की 10 वीं बरसी पर हर तरह की खुशी मनाने पर कड़ी पाबंदी लगा दी गई है फिर सरकारी टेलीविजन चैनल पर लोगों को खुश करने वाले, बच्चों की हंसी वाले नजारे क्यों दिखाए जा रहे हैं ? केवल शोक से जुड़े प्रोग्राम दिखाए जाने थे न?
नीचे स्क्रीनशॉट में ही
21 दिसंबर 2021 को उत्तर कोरिया के सरकारी कोरियन सेंट्रल टेलीविजन पर दिखाए गए कुछ कार्यक्रमों की फेहरिस्त में सामजीयन शहर के नजारे के अलावा बच्चों की फिल्म, किसानों की खबरें, आर्थिक खबरें, देश के एक ऐतिहासिक बौद्ध मंदिर और गुफा से संबंधित कार्यक्रम और उस दिन की न्यूज़ बुलेटिन शामिल है पर शोक समारोह से जुड़ा एक भी कार्यक्रम नहीं है.
अमेरिकी गुंडई के आगे रत्ती भर भी नहीं झुकेंगे तो उसे उत्तर कोरिया जैसा ही बदनाम किया जाएगा, उत्तर कोरिया जैसे पीड़ित की ही दुनिया भर में खलनायक जैसी छवि बनाई जाएगी. उत्तर कोरिया की विचारधारा, उसकी समाजवादी व्यवस्था से विरोध हो सकता है पर उसे एक कल्पना से भी परे असामान्य देश जिसे मानने में लाॅजिक का बार बार कत्ल होता हो के रूप में निरंतर प्रचारित करना ये सब क्या है?
भारत जिसके उत्तर कोरिया के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं, जिसने भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का खुलकर समर्थन किया हो पर भारत की मीडिया उत्तर कोरिया के खिलाफ अमेरिका का जहरीला एजेण्डा उसी तरह चलाते रहती है. भारतीय मीडिया के गोदीकरण के दौर में Indian Express या NDTV जैसे मीडिया संस्थानों को तय करना होगा कि बिना लाॅजिक वाला, बिना सिर पैर वाला उत्तर कोरिया विरोधी अमेरिकी प्रोपेगेंडा चलाना है या अपनी तथाकथित "खोजी पत्रकारिता" की लाज भी रखनी है. इनसे कम्युनिज्म का समर्थन करने को नहीं कहा जा रहा न ही इनसे रत्ती भर भी ऐसी कोई उम्मीद है. बस उत्तर कोरिया के मामले में थोड़ा लाॅजिक लगा ले. इंटरनेट की दुनिया में ये जानना इतना भी मुश्किल नहीं है कि उत्तर कोरिया में सच में क्या चल रहा है. ये बात भी है कि उत्तर कोरिया को लेकर लोगों को ब्रेनवाश कर प्रोपेगेंडा का इतना भूसा भर दिया गया है कि उनको इस वीडियो में दिखाए गए सामजीयन शहर की तमाम इमारतें भी फिल्म सेट ही लगेगी.
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