शुक्रिया वर्कर्स पार्टी!!


इस पोस्ट को 7 नवंबर 2021 को अपडेट किया गया


इन दिनों समाजवादी उत्तर कोरिया के अलग अलग प्रांत के ग्रामीण इलाकों का कायाकल्प करने की झड़ी सी लग गई है जो वर्कर्स पार्टी की  जनवरी 2021 में हुई 8 वीं पार्टी कांग्रेस की समाजवादी ग्रामीण क्षेत्र के निर्माण की महान योजना का हिस्सा है. नवंबर 2021 के पहले हफ्ते में देश के विभिन्न प्रांतों के गांवों में नए बने घरों में लोगों का धूमधाम से प्रवेश कराया गया. इसी कड़ी में दक्षिण फ्यंगआन प्रांत के फ्यंगवन काउंटी के एक गाँव में 700 नए घरों के अलावा सहकारी फार्म प्रबंधन बोर्ड, सांस्कृतिक हाॅल, बच्चों की नर्सरी आदि का निर्माण कराया गया. गाँव के सभी नए बने इन घरों में मवेशियों के लिए बाड़े और भंडार गृह भी बने हुए है. इसके अलावा इन घरों के चारों ओर फलदार पेड़ भी लगाए गए हैं. पार्टी के स्थानीय पदाधिकारियों ने लोगों को इन घरों के आजीवन मुफ्त में इस्तेमाल करने के लिए आवासीय परमिट बांटे और बाद में घर घर जाकर लोगों को पार्टी की तरफ से उपहार भी दिए. ऐसा ही नजारा देश के उत्तरी और दक्षिणी हामग्यंग प्रांत  के ग्रामीण इलाकों में भी देखने को मिला.एक बात और उत्तर कोरिया में घर महीने दो मै में बनकर तैयार भी हो जाते हैं.

ये सारे घर  सहकारी फार्म के खेत मजदूरों के लिए बनाए गए हैं. खुद देख लीजिए उत्तर कोरिया के खेत मजदूर कैसे घरों में रहते हैं. उत्तर कोरिया में और भी कई आवासीय परियोजनाएं अपने अंतिम चरण में हैं . राजधानी फ्यंगयांग में 10,000 शानदार नए फ्लैट कुछ हफ्तों में बनकर तैयार हो जाऐंगे  जो वर्कर्स पार्टी के 5 साल में 50,000 फ्लैट निर्माण की वृहत योजना का हिस्सा हैं


उत्तर कोरिया यकीनन इस दुनिया में पहला ऐसा मुल्क होगा जो 1974 से अपनी जनता से किसी भी प्रकार का टैक्स लिए बिना उन्हें मुफ्त पढ़ाई, दवाई और मुफ्त आवास मुहैया कराता है.  यहाँ इस बात को बार बार कहे जाने की जरूरत है कि वहाँ खेती बाड़ी कल कारखाने सब कुछ सरकार के हाथ में है. उत्पादन की  प्रक्रिया में जो धन उत्पन्न होता है वो सभी जनता के काम में खर्च होता है जैसा कि वर्कर्स पार्टी का मूलमंत्र है कि जनता ही ईश्वर है यानि जनता सर्वोपरि है. लेकिन दुनिया में स्कैंडिनेवियाई देशों नार्वे , स्वीडन फिनलैंड की जनकल्याणकारी व्यवस्था की मिसाल दी जाती है पर ये देश अपनी जनता से कितना टैक्स वसूलते हैं ये भी देख लीजिए. साथ ही उनपर किसी भी तरह का आर्थिक प्रतिबंध भी नहीं लगा हुआ है. वहीं उत्तर कोरिया पर ऐसे ऐसे कठोर आर्थिक प्रतिबंध लगे हुए हैं कि सोचकर  ही रुह कांप  जाए. उत्तर कोरिया विदेशों से एक मामूली सी सुई और पेंसिल जैसी चीज का आयात भी नहीं कर सकता क्योंकि उसने 70 साल से अमेरिकी साम्राज्यवादियों से पंगा ले रखा है . अमेरिकी साम्राज्यवादी उसे पूर्ण समर्पण को कहते हैं. उत्तर कोरिया ने अपने बूते सबकुछ खड़ा किया है. अमेरिकी साम्राज्यवादियों ने 1950-53 के कोरिया युद्ध में उत्तर कोरिया को बुरी तरह से तबाह कर कहा था कि यह देश अगले 100 सालों में अपने पांवों पर खड़ा नहीं हो पाएगा. लेकिन अपनी जनता और नेताओं के क्रांतिकारी जज्बे के चलते उत्तर कोरिया मात्र 13 वर्षों में ही एशिया के औद्योगिक देशों में शुमार हो गया. उस दौर में उत्तर कोरिया की सालाना विकास दर 36 फीसद थी जो कि दुनिया में सबसे ज्यादा थी.

इसके अलावा उत्तर कोरिया ने  कोरोना के चलते जनवरी 2020 यानि पिछले 21 महीनों से अपनी सीमाऐं पूरी तरह से बंद कर रखी है. कितने देश ऐसा कर कितने दिन चल पाएंगे, उत्तर कोरिया पूरी तरह से स्वावलंबी और आत्मनिर्भर है तभी तो ऐसा कर पाने की हिम्मत किया. ये सोचने की जुर्रत भी मत कीजिए कि BBC, CNN  जैसे साम्राज्यवादी प्रचार माध्यम या साम्राज्यवादियों के द्वारा पाले पोसे गए दुनिया के सबसे बड़े रीढ़विहीन, लिजलिजे पिलपिले मुल्क दक्षिण कोरिया के पैसे पर पलने वाले उत्तर कोरियाई भगोड़े, तथाकथित कोरिया विशेषज्ञ उत्तर कोरिया की असल हकीकत बयान करेंगे. इतनी अभूतपूर्व विकट परिस्थितियों में भी उत्तर कोरिया की समाजवादी व्यवस्था की सफलता की कहानी जनता तक पहुँचाना वक्त का तक़ाज़ा है.



 इस साल अगस्त में उत्तर कोरिया के पूर्वी भाग में विनाशकारी बाढ़ से देश के दक्षिण हामग्यंग प्रांत में कई घर नष्ट हो गए. वर्कर्स पार्टी के महासचिव किम जंग उन के नेतृत्व में पार्टी की केंद्रीय समिति के द्वारा बाढ़ग्रस्त इलाकों के लिए विशेष दिशा निर्देश जारी किए गए और इसके तहत कोरियाई जनसेना  द्वारा दो महीने में ही बाढ़ पीड़ितों के लिए शानदार घर बनकर तैयार हो गए और 10 अक्टूबर को बाढ़ पीड़ितों ने धूमधाम से  नाचते गाते पार्टी और देश का झंडा लहराते नए घरों में गृहप्रवेश किया. इस अवसर पर आयोजित समारोह में पार्टी के प्रांतीय और स्थानीय पदाधिकारियों ने लाभुकों को नए घर के मुफ्त में आजीवन इस्तेमाल के लिए आवासीय परमिट बांटे और उपहारों के साथ लाभुकों के आवंटित घरों का भी दौरा किया.लाभुकों ने इसके लिए पार्टी और उसके नेतृत्व का शुक्रिया अदा किया. लाभुकों का कहना था कि बाढ़ से हुई तबाही की सूचना मिलते ही काॅमरेड सेक्रेटरी (किम जंग उन) ने तुरंत जनसेना के काॅमरेडों को भेजा. लाभुकों ने नए घर में प्रवेश कर देश के महान नेताओं किम इल संग और किम जंग इल के तस्वीरों के सामने झुककर अभिवादन किया.  मुफ्त आवास उत्तर कोरिया के लोगों का मौलिक अधिकार है तो क्या इसके लिए वे खुद से पार्टी और नेताओं का धन्यवाद भी ना करें? इसी चीज को लेकर उत्तर कोरिया के दुश्मन ये दुष्प्रचार  करेंगे कि उनसे ये सब जबरदस्ती करवाया जाता है. 


उत्तर कोरिया के दुश्मन भले ही करोड़ों अरबों बार उसके खिलाफ दुष्प्रचार कर लें लेकिन सच यही है कि उत्तर कोरिया अपने सभी नागरिकों का ईमानदारी से ख्याल रखता है. जनता की छोटी से छोटी तकलीफ पर ध्यान दिया जाता है जैसे कि इसी वीडियो  में दिखाया गया है कि हरेक नए बने घर के सामने किचन गार्डन बना हुआ है और उसमें सब्जियां लगी हुई हैं. उत्तर कोरिया में जब भी नए घर बनाए जाते हैं तो घर बनाना शुरू करने के साथ ही किचन गार्डन के लिए जगह बनाकर सब्जियां उगा दी जाती हैं ताकि  घर तैयार होने के बाद लोग जब रहने के लिए आऐं तो उनको खाने के लिए सब्जियां तैयार मिले. अब बताओ भई दुनिया में कितने देशों की सरकार मुफ्त में घर देने के साथ साथ किचन गार्डन बनवाकर उसमें सब्जियां उगाकर लोगों को देती हैं. उत्तर कोरिया अपने नागरिकों की सामाजिक आर्थिक सुरक्षा के साथ साथ उनकी बाहरी दुश्मनों से सुरक्षा के लिए दुनिया के सबसे कड़े प्रतिबंध झेल रहा है. कितने देश ऐसे प्रतिबंधों में कितने दिन चल पाएंगे? सबसे बड़ी बात उत्तर कोरिया  1974 से अपने नागरिकों से किसी प्रकार का टैक्स नहीं लेता यानि वहाँ जो कुछ भी है जनता का ही है. वहाँ के सारे खेत और उद्योग धंधे सरकार के हाथों में हैं. और उत्पादन से जो धन पैदा होता है वो जनता पर ही खर्च होता है.वहाँ जनता के पैसों पर धनपशुओं को नहीं पाला जाता. आपको क्या लगता है कि धनपशुओं की दलाली करने वाली सरकारों और मीडिया (तथाकथित "मुख्यधारा" वाला) के द्वारा आपको उत्तर कोरिया के बारे में ये सब बताया जाएगा. 


मानव द्रोही पूंजीवादी व्यवस्था पहले आपकी चेतना कुंद कर देगी, आपको खूब निचोड़ेगी और अपने द्वारा पैदा की गई आपकी तकलीफों पर पैरासाईट या स्किवड गेम जैसी फिल्में बनाकर आपसे पैसे भी कमा लेगी और आप पहले से कुंद पड़ी हुई चेतना के चलते व्यवस्था परिवर्तन जैसे मुक्ति का मार्ग नहीं तलाश पाएंगे और उत्तर कोरिया जैसे जनकल्याणकारी समाजवादी व्यवस्था वाले देशों को गाली देते रह जाऐंगे.

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