असहमति का अधिकार

इस पोस्ट को 15 दिसम्बर 2021 को अपडेट किया गया
 

तथाकथित "मुख्यधारा" की तथाकथित "स्वतंत्र और निष्पक्ष " मीडिया द्वारा दुनिया के सबसे सनकी, क्रूर, निरंकुश तानाशाह  जैसी संज्ञाओं से नवाजे गए किम जंग उन की तानाशाही का आलम देखिए कि उनके बगल में बैठा आदमी उनकी बात से असहमति जता रहा है. 


उत्तर कोरिया की वर्कर्स  पार्टी की पोलित ब्यूरो की एक बैठक में पार्टी सचिव किम जंग उन के किसी प्रस्ताव पर पांच सदस्यों ने असहमति जताई जो उपरोक्त तस्वीर में साफ साफ दिखाई देता है और असहमति जताने वाले सदस्यों को किसी तोप से नहीं उड़ाया गया या लोगों के सामने गोली नहीं मारी गई क्योंकि उन्हें असहमत होने का अधिकार है. इसलिए उत्तर कोरिया में किम जंग उन समेत कोई भी निरंकुश नहीं हो सकता. वहाँ जनता और पार्टी से कोई उपर नहीं. अगर वहाँ नेता  की बहुत इज्जत है तो उसके जनहितैषी कामों की वजह से ही है. 


उत्तर कोरिया की वर्कर्स पार्टी जो कि एक कम्युनिस्ट पार्टी है के द्वारा संचालित एक समाजवादी देश है जिसमें जनता की तानाशाही ही चलती है. आप जिस उत्तर कोरिया के बारे में आए दिन सुनते रहते हैं उस उत्तर कोरिया का कोई वजूद ही नहीं है. असली उत्तर कोरिया के तीन मूलमंत्र हैं जिससे इस देश को समझ लीजिए पहला "जनता ही ईश्वर है" (The People are God  이민위천) यानि जनता सबसे उपर है .दूसरा एकनिष्ठता (Single Hearted Unity 일편단심)यानि समाजवाद की पूर्ण विजय और अंततः कम्युनिस्ट समाज की ओर बढ़ने के लिए एकनिष्ठ भावना और तीसरा आत्मनिर्भरता (Self Reliance  자력갱생)यानि बिना किसी महाशक्ति या बाहरी शक्ति पर निर्भरता के खुद के संसाधनों से अपनी परिस्थितियों के अनुसार विकास. 


इसलिए उत्तर कोरिया के खिलाफ अमेरिका और दक्षिण कोरिया के जहरीले प्रोपेगेंडा से सावधान!!


 किम जंग उन को वहाँ की पार्टी और जनता ने योग्यता के चलते चुना है ना कि किसी के बेटे और पोते होने के कारण.और उसकी योग्यता पद संभालने के इन 10 सालों में साबित हुई है.उसने जरा सा भी जनविरोधी नीति अपनाई तो वहाँ की जागरूक जनता उसे लात मारकर तुरंत भगा देगी आपको चिंता करने  की जरूरत नहीं है. वहाँ की जनता अपने सेवक को चुनती है न कि पूंजीपतियों के दलाल को.


उत्तर कोरिया का नेता अपनी जनता के सामने सारी बातें रखता है , किसी शेयर दलाल के साथ सुहागरात नहीं मनाता(ऐसी भाषा के लिए माफी चाहता हूँ पर इसे छोड़ कोई दूसरा शब्द नहीं सूझ रहा था). 

एक और वीडियो में जो 1 दिसम्बर 2021 का है जब वर्कर्स पार्टी की पोलित ब्यूरो की बैठक हुई और उस बैठक में किसी प्रस्ताव पर कुछ सदस्यों ने हाथ नहीं उठाकर असहमति जताई

 और वहाँ के लोगों और खुद किम जंग उन के लिए इसमें कुछ भी असमान्य नहीं है पर   उत्तर कोरिया के खिलाफ पश्चिमी साम्राज्यवादी मीडिया के निरंतर दुष्प्रचार का शिकार होकर उसे "लोकतंत्र और मानवाधिकार का नरक" समझने वाले लोगों के लिए जरुर अचंभे की बात हो सकती है. कुछ लोग यह भी कह सकते हैं कि शायद हाथ न उठाने वालों का प्रस्ताव पर वोटिंग करने का अधिकार न हो. कहने को तो यह भी कहा जा सकता है कि उस बैठक में किम जंग उन का कोई हमशक्ल बैठा हुआ था वरना असली वाला तो तोप या मिसाइल से उड़ा देता . इसके अलावा और भी कुछ मनगढ़ंत बोल लीजिए  पर सच तो यही है कि उत्तर कोरिया में   "Too Much Democracy" है, जिसकी कल्पना मात्र से दुनिया भर के धनपशु और उनकी दलाली करने वाली सरकारें थर थर कांपती हैं . 

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