सामजीयन शहर

इस पोस्ट को 29 अक्टूबर 2021 को अपडेट किया गया


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उत्तर कोरिया के रयांग्गांग प्रांत (량강도)में स्थित 40,000 की आबादी वाले सामजीयन शहर (삼지연시) की हैं. सामजीयन शहर कोरिया प्रायद्वीप के सबसे उंचे पर्वत माउंट पेकतू (2750 मीटर) के नीचे बसा हुआ है. 

सामजीयन  एक ऐतिहासिक भूमि है जहां राष्ट्रपति किम इल संग ने जापानी साम्राज्य विरोधी सशस्त्र संघर्ष का नेतृत्व किया और विजयी हुए. देश के नेता किम जंग इल का जन्म इसी शहर को अपनी आगोश में समेटे माउंट  पेकतू में हुआ था. 


सामजीयन पहले एक कस्बा था  जिसे दो साल पहले 2019 में आधुनिक सभ्यता के प्रतीक पर्वतीय शहर के मॉडल के रूप में पुनर्निर्मित किया गया था। इसके तहत पहाड़ी क्षेत्र से मेल खाते हुए 4,000 से अधिक एक मंजिले और बहुमंजिले आवासीय भवनों और 380  सार्वजनिक और औद्योगिक भवनों का निर्माण किया गया था, जिन्होंने पूर्व कस्बाई क्षेत्र के पुराने भवनों की जगह ली. इसके साथ ही सामजीयन कस्बे  को शहर में पदोन्नत कर दिया गया.


इतना ही नहीं इस नए बने शहर के खेतों, औद्योगिक प्रतिष्ठानों, स्कूलों समेत कई अन्य इकाइयों को टेली-एजुकेशन और विज्ञान-तकनीक डेटा सेवा देने के लिए जरूरी टेली-कम्युनिकेशन इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए ऑप्टिकल फाइबर केबल भी बिछाया गया.


सामजीयन शहर सांस्कृतिक सेक्टर, आवासीय सेक्टर और सार्वजनिक भवन सेक्टर में बंटा हुआ है. और इन सेक्टरों में  संग्रहालय, सांस्कृतिक केंद्र,  औद्योगिक प्रतिष्ठान, स्कूल, अस्पताल, पुस्तकालय,  जिम, स्वीमिंग पूल, होटल, रेस्तरां ,इनडोर स्टेडियम, स्की रिसार्ट और आईस स्केटिंग रिंग मौजूद हैं . 

सामजीयन शहर के पुनर्निर्माण के तीसरे चरण में 10 नई आवासीय कालोनी और गांव बसाए गए और इसके तहत वहाँ कई हजार परिवारों के लिए आधुनिक घर बनाकर 20 से 27 अक्टूबर 2021 के दौरान उन्हें मुफ्त में दिए गए. लोगों ने वर्कर्स पार्टी को धन्यवाद और जिंदाबाद करते हुए नाचते गाते हुए अपने नए आशियाने में प्रवेश किया.


उत्तर कोरिया में कोई बेघर नहीं है यह बात उसके खिलाफ जहर उगलने वाले भी कबूल करते हैं. मुफ्त पढ़ाई और दवाई के साथ मुफ्त आवास उत्तर कोरिया के प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार है इस वजह से धनपशु और अपनी जनता के टैक्स से उनको पालने वाली तथाकथित लोकतंत्र वाले देशों की सरकारें और उनके टुकड़ों पर पलने वाले तथाकथित बुद्धिजीवी किस्म के लोग उत्तर कोरिया जैसे समाजवादी देशों को बदनाम करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाए रहते हैं ताकि जनता को अपनी असल हितकारी व्यवस्था और उसे अपनाने वाले देशों की सही जानकारी न होने पाए और वो चुपचाप अपने टैक्स के पैसों से पलने वाले धनपशुओं और उनकी दलाली करने वाली सरकारों द्वारा अपनी तबाही और बरबादी की रोज नई दास्तान लिखती रहे. यहाँ इस बात को बार बार दुहराने की जरूरत है कि उत्तर कोरिया में 1974 से जनता से किसी भी प्रकार का टैक्स नहीं लिया जाता है. वहाँ की सारी खेती बाड़ी कल कारखाने पूरी तरह से सरकार के नियंत्रण में हैं और उनसे उत्पादन के दौरान जो भी धन पैदा होता है वो सभी जनता के कामों में लगाया  जाता है और सरकार को भी जनकल्याणकारी कामों के लिए बैंकों या वर्ल्ड बैंक या अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से किसी तरह का कर्ज लेने की जरूरत नहीं पड़ती.

दुनिया के कितने देशों में उत्तर कोरिया जैसी कुव्वत है जो दुनिया में सबसे कठोरतम आर्थिक प्रतिबंध और साम्राज्यवादी घेरेबंदी की स्थिति में  अपने बूते सामजीयन जैसा एक शानदार शहर बसा दे. 


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