दक्षिण कोरिया: सबसे सफल अमेरिकी नव उपनिवेश


वीडियो में दिखाया गया है कि पिछले दिनों दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में अमेरिकी सेना के एक कर्मी ने एक 50 वर्षीय दक्षिण कोरियाई पार्किंग कर्मी को पीट दिया. उसकी वजह उस कर्मी का अंग्रेजी नहीं बोल पाना थी. दक्षिण कोरिया की पुलिस  उस अमेरिकी पर कोई कारवाई किए बिना सिर्फ इसे अमेरिकी सैनिक पुलिस (US Military Police) को सौंप सकती थी. इसकी वजह अमेरिका के साथ हुआ SOFA(Status of Forces Agreement) था, जिसके तहत अमेरिकी सेना के किसी भी जवान और कर्मचारी द्वारा दक्षिण कोरिया में वहाँ के लोगों के साथ मारपीट, बलात्कार, हत्या जैसे अपराध करने पर भी दक्षिण कोरिया की पुलिस और अदालत उनपर कोई कारवाई नहीं कर सकती और ऐसे अपराधियों को अमेरिका को सौंपना पड़ता है. अमेरिका चाहे उनपर जो कारवाई करे पर इससे एक बात स्पष्ट होती है कि दक्षिण कोरिया अपनी ही सरजमीं पर अमेरिका के सैनिकों द्वारा अपने ही नागरिकों के साथ हुए अपराध के लिए कोई कारवाई करने में असमर्थ है यानि संप्रभु नहीं है. उपनिवेश और किसे कहते हैं? 


पार्किंग वाली घटना महज एक उदाहरण है. इसके अलावा आए दिनों दक्षिण कोरिया में अमेरिकी सैनिकों द्वारा किसी भी स्थानीय लोगों को सरेआम पीट देने और अन्य अपराध करने की घटनाएं आम हैं और दक्षिण कोरिया कुछ नहीं कर पाता है. ये तो छोड़ दीजिए दक्षिण कोरिया की उत्तर कोरिया से लगती सीमा अमेरिकी सेना के जनरल के नियंत्रण में है. दक्षिण कोरिया की सेना का युद्ध कालीन नियंत्रण (War time control)  अभी भी अमेरिकी सेना के हाथों में है. दक्षिण कोरिया अमेरिका का एक उपनिवेश नहीं तो क्या है? 


फरवरी 1945 के याल्टा समझौते के तहत जापान के उपनिवेश कोरिया को एक काल्पनिक 38 समानांतर रेखा के आधार पर उत्तर और दक्षिण में विभक्त कर दिया गया.(अस्थायी तौर पर). और जापान की सेना का आत्मसमर्पण कराने के लिए उत्तरी भाग में सोवियत संघ और दक्षिणी भाग में अमेरिका को घुसना था.  कोरिया के उत्तरी भाग में सोवियत सेना ने घुसते ही अपने लिखित एलान में कोरियाई लोगों को आजादी की बधाई देते हुए कहा कि कोरिया की जनता अपनी नियति की स्वयं मालिक है. वहीं अमेरिका ने कोरिया के दक्षिणी भाग में घुसते ही अपने लिखित एलान में यह कहा कि हम कोई मुक्ति दाता सेना नहीं बल्कि कब्जा करने वाली सेना (Occupation forces) हैं.  कोरिया के दक्षिणी भाग के लोगों को हमारी बात न मानने पर कड़ी सजा दी जाएगी. अपने छोटे से इस एलान में अमेरिका ने "कब्जा" शब्द का चार बार उल्लेख किया है और इस तथ्य को इतिहासकारों ने भी अकादमिक रूप से नहीं नकारा है. सोवियत सेना तो 3 साल के बाद कोरिया के उत्तरी भाग से हमेशा के लिए चली गई और इधर दक्षिणी भाग में अमेरिकी सेना अपना तीन साल का शासन कर अपने कठपुतली को बिठाकर अल्प समय को छोड़कर तबसे दक्षिण कोरिया को कब्जाए बैठी है. साम्राज्यवाद से आजादी कोरिया के उत्तर भाग को ही मिल सकी. वहीं दक्षिणी भाग जापानी साम्राज्यवाद से अल्प समय तक ही आजाद रहकर अमेरिकी साम्राज्यवाद के गिरफ्त में आज भी है. कोरिया की भौगोलिक स्थिति के कारण अमेरिका की मंशा पूरे कोरिया पर कब्जा करने की थी ऐसा कर उसकी मौजूदगी सीधे चीन और रूस (तब सोवियत संघ) की सीमा तक हो जाती. पर अमेरिका कोरिया के उत्तरी भाग पर कब्जा करने में नाकाम रहा और इधर दक्षिण कोरिया में जापानी साम्राज्यवाद के सहयोगी यानि कोरिया की स्वतंत्रता संग्राम के गद्दार शासन के प्रमुख पद पर बिठा दिए गए जो अबतक जारी है. ऐसे लोगों के लिए अपनी सत्ता बचाए रखने के लिए अमेरिका का दक्षिण कोरिया पर कब्जा बरकरार रखना अति आवश्यक है. और दक्षिण कोरिया के लोगों के अलावा पूरी दुनिया को यह बतलाया जाता है कि अमेरिकी सेना वहाँ उसकी रक्षा के लिए है जबकि अमेरिका पूर्व एशिया में अपना साम्राज्यवादी हित साध रहा है. अमेरिका ने खुद अपनी और जापान और पश्चिम यूरोपीय देशों की अथाह पूंजी और तकनीक देकर दक्षिण कोरिया को खड़ा किया. दक्षिण कोरिया के तथाकथित आर्थिक और तकनीकी विकास का यही राज है. अमेरिका ने जितने देशों में अपनी सेना तैनात कर रखी है उसके बदले में वह उन देशों को पैसे देता है या इसका ज्यादातर खर्च वह खुद उठाता है. लेकिन दक्षिण कोरिया के मामले में वह खर्च का 77.2% उसी से ही वसूलता है, जो कि दुनिया में सबसे ज्यादा है. इसके अलावा अमेरिकी सैनिकों को वहाँ गुंडागर्दी करने का लाईसेंस तो मिला हुआ है ही. 

एकाध जघन्य हत्या के मामले में अमेरिकी सैनिक पर दक्षिण कोरिया की अदालत में मुकदमा चलाकर उसे जेल भी भेजा गया था लेकिन बाद में अमेरिका ने उसे सजा पूरी होने के पहले ही छुड़ा लिया था. इसके अलावा दक्षिण कोरिया में अमेरिकी सैनिकों की छावनियों के पास वहाँ की सरकार द्वारा जिस्मफरोशी के अड्डे विकसित किए गए. 1950 से 1980 के दशक के बीच दक्षिण कोरिया में अमेरिकी सैनिकों के लिए दस लाख से अधिक  वेश्याएं मौजूद थीं. 1960 के दशक के दौरान सैन्य छावनी के निकट के वेश्यालयों  और उससे जुड़े धंधों से जो कमाई होती थी वो दक्षिण कोरिया के कुल सकल राष्ट्रीय उत्पाद (Gross National Product, GNP) का लगभग 25% थी. यही नहीं दक्षिण कोरिया की सरकार की तरफ से उन्हें अंग्रेजी बोलने और वेश्यावृति से जुड़ा शिष्टाचार सिखाया जाता था. दक्षिण कोरिया की सरकार ऐसी वेश्याओं को "डॉलर कमाने वाला देशभक्त" कहकर उनकी तारीफ करती थी. 2006 से इन जिस्मफरोशी के अड्डों में कोरियाई महिलाओं की संख्या में कमी आने लगी तब अमेरिकी सैनिकों की सेवा में कोई कमी न रहने पाए इसलिए दक्षिण कोरिया ने फिलीपींस और पूर्व सोवियत देशों से जवान महिलाओं को लाने के लिए एक विशेष वीजा "इंटरटेनमेंट  वीजा (E6 ) तक बना डाला . 


2004 में अमेरिका ने दक्षिण कोरिया में कई जगह स्थित अपनी सैनिक छावनियों को एक जगह व्यवस्थित करने का निर्णय लिया और जगह के रूप में पश्चिम तट पर स्थित फ्यंगथेक शहर के पास पहले से कार्यरत अपनी सैनिक छावनी कैंप हम्फ्रीज (Camp Humphreys) का चुनाव किया . कैंप हम्फ्रीज को विस्तारित करने में हुआ अरबों डॉलर का खर्च भी अमेरिका ने अपने उपनिवेश दक्षिण कोरिया से ही वसूला. 3500 एकड़ से भी ज्यादा में फैला कैंप हम्फ्रीज अमेरिका के बाहर दुनिया का सबसे बड़ा अमेरिकी सैनिक अड्डा है. यह दक्षिण कोरिया में अमेरिकी सेना ( US Forces Korea USFK) और संयुक्त राज्य कमान(UN Command) का मुख्यालय होने के साथ साथ वहाँ तैनात 28,500 अमेरिकी सैनिकों की रिहायश  भी है. कैम्प हम्फ्रीज  दक्षिण कोरिया में अमेरिकी भूमि ही है. इसके अंदर अमेरिकी डॉलर चलता है और इस कैंप के लिए कैलिफोर्निया राज्य का पिनकोड इस्तेमाल किया जाता है. इस कैंप के अंदर 500 से ज्यादा इमारतें ,दो गोल्फ़ कोर्स, शापिंग माॅल्स, वाटर पार्क और कई अन्य सुविधाएं हैं. स्थानीय किसानों से जमीन छीनकर इसे बनाया गया है.


दक्षिण कोरिया में लगभग सारे अमेरिकी सैनिक छावनियां जापानी औपनिवेशिक काल के सैनिक  छावनियों पर ही बने हुए हैं. अमेरिका ये दावा करते चलता है कि उसने दक्षिण कोरिया को आजादी दी पर वास्तव में उसने जापानियों द्वारा चुराए गए जमीनों को खुद हड़पकर वहाँ अपने सैनिक अड्डे बना लिए. कैंप हम्फ्रीज के अलावा दक्षिण कोरिया में THAAD मिसाइल प्रणाली की तैनाती से लेकर छेजू द्वीप में अमेरिकी नौसैनिक अड्डा बनाए जाने के लिए स्थानीय ग्रामीणों से उनकी जमीन छीनकर उन्हें विस्थापित कर दिया गया. आसान शब्दों में कैंप हम्फ्रीज दक्षिण कोरिया के अमेरिकी नव उपनिवेश होने का प्रतीक है. 


कहना यही चाहिए कि  दक्षिण कोरिया का वजूद ही अमेरिका के नव उपनिवेश के रूप में ही सामने आया. जब 1945 में  काल्पनिक  38 वीं समानांतर रेखा के आधार पर कोरिया को उत्तर और दक्षिण में अस्थायी तौर पर बांटा गया तो किसी कोरियाई ने वर्तमान जैसे विभाजन की कल्पना भी नहीं की थी. कोरिया का मसला संयुक्त राष्ट्र में गया और वहाँ कोरिया के दोनों भागों में संयुक्त रूप से चुनाव कराने का प्रस्ताव भी पास हुआ और 8 देशों के पर्यवेक्षण में (इसमें भारत भी शामिल था)  संयुक्त चुनाव कराने के लिए एक अस्थायी कमिटी United Nations Temporary Commission on Korea,  UNTCOK का भी गठन किया गया.दरअसल संयुक्त राष्ट्र की आड़ में अमेरिका की मंशा पूरे कोरिया पर अपनी कठपुतली हुकूमत को थोपने की थी (सोवियत संघ ने कोरिया के लिए अस्थायी कमिटी वाले बैठक में किसी कोरियाई प्रतिनिधि को शामिल नहीं किए जाने के विरोध में इसका बहिष्कार किया था) . जब इस बात का पुरजोर विरोध पूरे कोरिया में होने लगा तब अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र में अपने पिछलग्गूओं की अलग से छोटी बैठक बुलाकर कोरिया के दक्षिणी भाग में अलग चुनाव कराने का प्रस्ताव पारित कर अलग चुनाव करा अपनी कठपुतली सरकार बैठाकर आज के दक्षिण कोरिया को जन्म दिया. अगर पूरे कोरिया में बगैर किसी दखल के चुनाव कराए जाते तो कम्युनिस्ट ही जीतते. खुद 1946 में अमेरिकी सैनिक शासन द्वारा कोरिया के दक्षिणी भाग में कराए गए एक सर्वेक्षण के मुताबिक वहाँ की 70% जनता समाजवाद के पक्ष में थी. और ये जाहिर है ये अमेरिकी साम्राज्यवाद के लिए खतरे की घंटी थी. साम्राज्यवादियों द्वारा दुनिया में जिन देशों जैसे  इजराइल, उत्तरी आयरलैंड, उत्तरी साईप्रस को बनाया गया उनमें दक्षिण कोरिया  सबसे भ्रष्ट तरीके से बनाया गया. आज भी दक्षिण कोरिया के में इस बात को उठाया जाता है कि ये देश ही भ्रष्ट तरीके से बना है और इसमें सुधार की जरूरत है यानि शासन प्रशासन और सत्ता के शीर्ष पदों पर जमे साम्राज्यवाद के सहयोगियों का खात्मा करना है. दक्षिण कोरिया में आधुनिक इतिहास का विकृतिकरण कर लोगों का ब्रेनवाश किया गया है. दक्षिण कोरिया का उदाहरण यह दिखलाता है कि देश के आजादी की लड़ाई के गद्दार जब शुरू से लेकर अबतक बने रहते हैं तो देश साम्राज्यवाद का नव उपनिवेश बना ही रहता है.


अगर कोई बद्तमीज दक्षिण कोरियाई आपको "You third world country" बोले तो उसे आप "You US occupied territory" बोल दो.

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