भारत में कोरोना के हालात पर उतर और दक्षिण कोरिया के टीवी चैनल की रिपोर्टिंग में फर्क.





 उत्तर कोरिया का मीडिया जहाँ सीधे सपाट तरीके से भारत में कोरोना के हालात की जानकारी दे रहा है वहीं दक्षिण कोरिया का मीडिया भारत में कोरोना के हालात की जानकारी देते हुए  "कोरोना नरक " शब्द का प्रयोग कर रहा है


उत्तर कोरिया की रिपोर्टिंग का हिन्दी अनुवाद(10 मई 2021) 


"भारत में 9 तारीख को संक्रमण के करीब 4 लाख 3 हजार 7 सौ दैनिक मामले आए और मृतकों की संख्या लगभग 4090 रही. ये पूरे विश्व में दैनिक मामलों का 63% और मृतकों का 41.6% है. भारत में लगातार चौथे दिन  4 लाख से ज्यादा दैनिक मामले और लगातार दूसरे दिन मृतकों की दैनिक संख्या 4 हजार से उपर दर्ज की गई. भारत में इस महामारी के प्रसार के बाद से इलाज करने की प्रक्रिया में लगभग 860 स्वास्थ्य कर्मियों की जान जा चुकी है. अभी भारत में यह महामारी ज्यादा जनघनत्व वाले शहरी इलाकों से निकलकर ग्रामीण इलाकों में तेजी से फैल रही है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने ये चिंता जताई है कि अगर लचर स्वास्थ्य व्यवस्था वाले ग्रामीण इलाकों में महामारी फैली तो इसके विनाशकारी परिणाम होंगे. भारत की लगभग 70% आबादी गाँवों में केंद्रित है".


दक्षिण कोरिया की रिपोर्टिंग का हिन्दी अनुवाद (8 मई 2021) 


भारत में कोरोना 19 से मरने वालों की संख्या 4 हजार के उपलक्ष्य है और इसका लगातार फैलाव हो रहा है. उस दौरान शांत रहे दक्षिण भारत और ग्रामीण इलाकों में कोरोना  तेजी से  फैल रहा है. हमारे संवाददाता के अनुसार भारत में कोरोना का दु: स्वप्न जारी है. 8 तारीख को स्थानीय समयानुसार भारत में मृतकों की संख्या 4187 रही और ये अब तक की सबसे ज्यादा संख्या है. हाल में मृतकों की संख्या लगातार 10 दिन से 3000 या उससे उपर  थी पर अब पहली बार 4000 के उपर जा रही है. कोरोना 19 के दैनिक संक्रमित की संख्या अभी भी 4 लाख के उपर है और इसके कम होने की संभावना नहीं दिख रही है. इसके अलावा तुलनात्मक रूप से शांत रहे दक्षिणी इलाकों और ग्रामीण इलाकों में कोरोना तेजी से फैल रहा है. दक्षिण के कर्नाटक राज्य ने 3 तारीख से 14 दिनों तक के लाॅकडाउन की घोषणा की है और ICU बेड तेजी से भर रहे हैं और खाली बेड उपलब्ध नहीं हैं और मृतकों की संख्या बेतहाशा बढ़ रही है. पश्चिम बंगाल के कोलकाता में भी खाली बेड और मेडिकल ऑक्सीजन की कमी गंभीर रूप ले रही है. पिछले महीने से भारत में कोरोना के तेजी से फैलने की शुरुआत हुई और इसका कारण लोगों का कोरोना नियमों का पालन करने में  ढिलाई बरतना है. अभी के कोरोना नरक कहे जाने वाली स्थिति में कोरोना को लेकर लोगों की जागरुकता बहुत कम है. ( एक फल विक्रेता का इंटरव्यू) कोरोना को लेकर ऐसी जागरूकता वाले लोगों की संख्या बहुतायत में है और इस स्थिति में म्यूटेट वायरस का प्रसार हो रहा है और भारत में कोरोना तेजी से फैल रहा है.


दक्षिण कोरिया की मीडिया द्वारा "कोरोना नरक" शब्द का प्रयोग करने पर दक्षिण कोरिया के कुछ भारत विशेषज्ञों ने चिंता जताई है. इसमें कोई शक नहीं कि मोदी जैसे इंसानी कचरे ने भारत में कोरोना नरक वाली स्थिति कर दी है. लेकिन आप देख सकते हैं कि दक्षिण कोरिया का मीडिया इसके लिए केवल भारत के लोगों को दोषी ठहरा रहा है. ब्रिटेन आस्ट्रेलिया और अमेरिका की मीडिया ने  भारत के लिए कोरोना नरक शब्द का पहली बार उल्लेख किया और इसके लिए मोदी को जिम्मेदार ठहराया . लेकिन भारत में अपने शोषण और लूट खसोट को और तेज करने के लिए दक्षिण कोरिया मोदी के साथ गलबहियां करने को आतुर है. उसे पता है कि मोदी ही उनका काम कर सकता है. ऐसा नहीं है कि अमेरिका, ब्रिटेन  को मोदी से अपना काम नहीं करवाना है और भारत में अपने शोषण और लूट खसोट को जारी नहीं रखना है लेकिन कम से कम उन्होंने  मोदी को कटघरे में खड़ा किया है.

 

इसके अलावा कोरोना से पहले भी दक्षिण कोरिया में भारत और भारतीयों की शुरू से ही नकारात्मक छवि  गढ़ी गई है. एक ओर उत्तर कोरिया भारत को विकासशील देशों में औद्योगिक रुप से विकसित देश कहता है, भारत की स्वतंत्र विदेश नीति और गुटनिरपेक्षता  की प्रशंसा करता है, एक राष्ट्र के रूप में भारत और भारतीयों की इज्जत करता है तो वहीं दूसरी ओर दक्षिण कोरिया भारत को गरीब और पिछड़ा ही देखना चाहता है. ऐसा भी हुआ है कि दक्षिण कोरिया की मीडिया ने जानबूझकर अपने देश से उन्नत भारत के अंतरिक्ष विज्ञान को नहीं दिखाया है. दक्षिण कोरिया भारत को दक्षिण कोरियाई कंपनियों के बाजार के रूप में एक संभावनाओं से भरा देश जरूर कहता है. अगर कोरियाई भाषा आती है तो दक्षिण कोरिया की पोर्टल साइट पर कभी भारत से संबंधित खबर पर वहाँ के लोगों के कमेंट पढ़िए. ऐसे ऐसे जहरीले कमेंट मिलेंगे कि आप चीन विरोध भूलकर  दक्षिण कोरिया से नफरत करने लगेंगे. मुझे नहीं मालूम कि चीनी लोग भारत से जुड़ी खबरों पर कैसे कमेंट करते हैं और भारत के साथ उनकी तनातनी को देखते हुए अगर वो ऐसे कमेंट करें तो बात समझ में आती है लेकिन दक्षिण कोरिया के साथ भारत के तो तनावपूर्ण रिश्ते एकदम नहीं हैं फिर क्यों दक्षिण कोरिया वाले ऐसे जहरीले कमेंट करते हैं कि भारत और भारतीय इस धरती के कैंसर हैं और इन्हें मिट जाना चाहिए. ऐसे दक्षिण कोरियाई नफरतियों  के जहरीले कमेंट से फिलीपींस और दक्षिण कोरिया के बीच तनावपूर्ण रिश्ते तक बन गए थे. भारत और भारतीयों के लिए ऐसे जहरीले कमेंट के लिए दक्षिण कोरियाई मीडिया  जिम्मेदार है जिसने भारत और भारतीयों की नकारात्मक छवि गढ़ी है. भारत के लिए "कोरोना नरक" जैसे शब्द का प्रयोग इसे और बढ़ावा ही देगा. इसके अलावा दक्षिण कोरियाईयों के नस्ली अंधराष्ट्रवाद की मानसिकता भी इसके लिए जिम्मेदार हैं. बेशक दक्षिण कोरिया में भी ऐसे व्यक्ति और संगठन मौजूद हैं जो भारत और भारतीयों के लिए सम्मानजनक भावना रखते हैं. 


दक्षिण कोरिया वाले दूसरे देशों के बारे में भद्दे और जहरीले कमेंट करते हैं पर जब इनकी पोल पट्टी खुलती है तो बिलबिलाने लगते हैं. 6 मई को अमेरिका की वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के मेडिकल कॉलेज के अधीन Institute for Health Metrics and Evaluation (IHME) ने मार्च 2020 से लेकर 3 मई 2021 तक हरेक देश के स्वास्थ्य विभाग के द्वारा जुटाए गए कोरोना मृतकों की संख्या से अपने द्वारा अनुमानित मृतकों के आंकड़ों का तुलनात्मक अध्ययन कर एक रिपोर्ट जारी की. इस रिपोर्ट के अनुसार  पूरे विश्व में कोरोना मृतकों की संख्या आधिकारिक संख्या की दुगनी से भी ज्यादा है. अपनी इस रिपोर्ट में IHME ने दक्षिण कोरिया को ऐसे देशों के ग्रुप में रखा है जहाँ कोरोना मृतकों की असल संख्या आधिकारिक आंकड़ों से 5 गुना ज्यादा है बस फिर क्या था तब से दक्षिण कोरियाई बिलबिलाए पड़े हैं. वाशिंगटन पोस्ट की एक खबर के मुताबिक अप्रैल 2020 में दक्षिण कोरिया ने अमेरिका के मेरीलैंड राज्य को 5 लाख खराब कोरोना जांच किट भेजे थे. चीन बेकार में ही बदनाम है. ये दक्षिण कोरियाई पकड़े जाने पर सबकुछ मैनेज करने की कला में बड़े ही माहिर होते हैं. इसी दक्षिण कोरिया ने भारत को भी मेडिकल सामग्री भेजी है अगर ढंग से जांच हो तो यहाँ भी कितने खराब मेडिकल  सामान निकलेंगे. आपदा में भी अवसर देखने वाला दक्षिण कोरिया जब अपने बाप अमेरिका को खराब मेडिकल सामान भेजने की हिमाकत कर सकता है तो भारत को वो क्या समझता होगा और पकड़े जाने पर सबकुछ मैनेज करने की कला में वो माहिर तो है ही.

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