जंगल उगाओ!

 पूंजीवादी देशों में जहाँ पूंजीपतियों के मुनाफे की हवस के लिए जहाँ जंगल उजाड़े जा रहे हैं, वहाँ उत्तर कोरिया जैसे समाजवादी देशों में जनता की भलाई और बेशक पर्यावरण की रक्षा के लिए नए जंगल उगाए जा रहे हैं.


उत्तर कोरिया के दक्षिण फ्यंगआन प्रांत के ह्वेछांग काउंटी में कामगार नए जंगल उगाने की योजना बना रहे हैं और इसके लिए पौधे तैयार करने से लेकर पहले से उगाए हुए पेड़ों (जंगलों) की देखभाल भी की जा रही है.

इस काउंटी में चारों तरफ विभिन्न प्रकार के पेड़ों से सजे हरे भरे जंगलों की भरमार है. काउंटी के पहाड़ों में प्राकृतिक रूप से उगे पेड़ों के अलावा उपयोगी पेड़ लगाए गए हैं और पहले उगाए गए जंगलों की सफलता को देखते हुए आगे और जंगल लगाने की योजना बनाई जा रही है. इसके लिए काउंटी की पौधशाला (नर्सरी)  में जंगल उगाने के लिए यहाँ के कामगार देशभक्ति की भावना से लबरेज होकर  विज्ञान और तकनीक की मदद से  विभिन्न प्रकार के अच्छे पौधे तैयार कर रहे हैं और इस पौधशाला में दस लाख से ज्यादा पौधे तैयार कर दूसरी जगह भेजे भी गए हैं.

सिर्फ इस काउंटी में ही नहीं, समाजवादी उत्तर कोरिया के ऐसे अनेक काउंटियों में जंगल उगाए जाते हैं और इसके लिए बाकायदा योजनाएं बनाईं जाती हैं , वहीं पूंजीवादी देशों में मुनाफाखोरी के लिए जंगल उजाड़ने की योजना बनाई जाती है.


इन दिनों मध्यप्रदेश के बक्सवाहा के जंगलों को बिरला के हीरा खदान के लिए उजाड़े जाने का पुरजोर विरोध हो रहा है.  सालों पहले  उत्तर कोरिया के  म्योह्यांग पर्वत में सोने के भंडार मिले थे और यह पर्वत देश के खूबसूरत पहाड़ों में शुमार है. पर यहाँ सोने की खदान विकसित न करके जनता के लिए सांस्कृतिक मनोरंजन केंद्र बनाया गया और ऐसा  उत्तर कोरिया जैसे समाजवादी मुल्क में ही संभव हो सकता है क्योंकि वहाँ मुनाफे के हवसी नहीं पाए जाते हैं.

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