जनवादी कोरिया और फिलीस्तीन






उत्तर कोरिया ने फिलीस्तीनी जनता का  शुरू से ही समर्थन किया है. फिलीस्तीनी मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष यासिर अराफात हमेशा से ही उत्तर कोरिया में सम्मानित व्यक्ति रहे है.  साल  1993 में  यासिर अराफात उतर कोरिया की यात्रा पर गए  और वहाँ के तत्कालीन राष्ट्रपति किम इल संग ने उनको सम्मानित भी किया.

उत्तर कोरिया 1966 से फिलीस्तीन के साथ अपने रिश्ते की शुरुआत से ही फिलीस्तीनी मुक्ति संग्राम का साथ देता आया है. उत्तर कोरिया का फिलीस्तीन के लिए प्रत्यक्ष समर्थन 1970 और 1980 के दशक में और तेज हुआ जब उसने  फिलीस्तीन मुक्ति मोर्चा (PLO) और फिलीस्तीन मुक्ति जनवादी मोर्चा (Democratic Front for the Liberation of Palestine) को वित्तीय और सैनिक सहायता प्रदान की . 


उत्तर कोरिया ने फिलीस्तीन को मातृत्व सुरक्षा और शिक्षा के क्षेत्र में भी काफी सहायता की. 1973 के योम किपूर  (Yom Kippur) युद्ध में उत्तर कोरिया ने मिस्र और सीरिया को सैनिक मदद मुहैया कराई. 


1988 में जब फिलीस्तीन मुक्ति मोर्चा ने  फिलीस्तीन की आजादी की घोषणा की तो उत्तर कोरिया ने उसे  तुरंत मान्यता दे दी.  जनवादी कोरिया इजराइल का कटु आलोचक है और उसने अभी भी इजराइल को एक देश के रूप में मान्यता नहीं दी है. इस कारण से भी अमेरिका और उसका बगलबच्चा इजराइल और उसके दुमछल्ले उत्तर कोरिया के खिलाफ निरंतर जहर उगलते रहते हैं 

वहीं दक्षिण कोरिया जो अमेरिकी साम्राज्यवाद की पैदाइश है वो जाहिर है फिलीस्तीनी जनता का दमन करने वाले क्रूर इजराइल का साथ देता है.

 

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