जनवादी कोरिया में मई दिवस और भारत में दिन ब दिन कोविड से बिगड़ते हालात


 

दु्निया भर के मेहनतकशों का त्योहार मई दिवस उत्तर कोरिया में भी वहां कोरोना का एक भी मामला न होने पर भी एहतियात के साथ धूमधाम से मनाया गया. देश की राजधानी प्योंगयांग के अलावा अन्य शहरों वोनसान, छोंगजिन, हेसान, नाम्फो में स्थित कारखानों के पुरुष और महिला मजदूरों ने बड़े उत्साह के साथ अपना त्योहार मनाया. इस अवसर पर सभी जगह खेलकूद प्रतियोगिताएं, गीत संगीत, नाटक इत्यादि का आयोजन हुआ.


इस वीडियो फुटेज के आखिरी हिस्से में 1 मई 2021 के उत्तर कोरिया  के न्यूज़ बुलेटिन के अंतरराष्ट्रीय खबरों के  हिस्से से भारत में कोविड से लगातार बिगड़ रहे हालात की खबर जोड़ी गई है. इसमें बताया जा रहा है कि भारत में लगातार 5 दिनों से साढ़े तीन लाख से उपर मामले आ रहें हैं और मरने वालों की संख्या में तीन गुने का इजाफा हुआ है.30 अप्रैल 2021 को भारत में दैनिक कोविड संक्रमितों और मृतकों की संख्या के साथ साथ भारत के कुल संक्रमितों और मृतकों की संख्या बताने के साथ  विश्व स्वास्थ्य संगठन के यूरोप के प्रतिनिधि के हवाले से यह भी कहा गया है कि  व्यक्तिगत रूप से कोविड नियमों का उल्लंघन किया और भीड़ लगाई तो दुनिया के किसी भी देश में भारत जैसे हालात हो सकते हैं.


किम जोंग उन के उत्तर कोरिया में अपने देश और समाज का मालिक मजदूर वर्ग अपने त्योहार के दिन खेल रहा है, गा रहा है, नाच रहा है. और उसी दिन  केरल और कुछेक जिलों को  छोड़कर मोदी का भारत दवाई और आक्सीजन के लिए गिड़गिड़ा रहा है, रो रहा है, तड़प रहा है, लाशों का ढेर बन रहा है. अगर ऐसी भाषा आपको असंवेदनशील लगी हो तो मैं हाथ जोड़कर माफी मांगता हूँ. और  एक बार फिर से माफी मांगते हुए आगे अपनी जबान में तल्ख़ी  लाना लाना चाहता हूँ क्योंकि

कुछ झंडुओं को अमेरिका और उसके गुलाम दक्षिण कोरिया के उत्तर कोरिया के खिलाफ फैलाए गए आधारहीन झूठ रुपी मल मूत्र को सर माथे से लगाते हुए मोदी के भारत को किम जोंग उन के उत्तर कोरिया से तुलना करने की खुजली मची रहती है. इसपर यही कहना है कि भारत में पहले गाय गोबर के मुद्दों की जगह स्वास्थ्य, शिक्षा रोजगार को कम से कम मुख्य मुद्दा बनाने में अपनी पूरी ताकत लगा लो फिर उत्तर कोरिया से तुलना करो. उत्तर कोरिया की जनकल्याणकारी व्यवस्था के आगे भारत दूर दूर तक न पहले भी फटका था और न निकट भविष्य में फटकेगा. उत्तर कोरिया में जनता के सच्चे प्रतिनिधियों की जगह पूंजीपतियों के दलाल नहीं चुने  जाते.  उत्तर कोरिया की जनता को अगर लग जाए कि किम जोंग उन  जनविरोधी नीति अपना रहा है तो वो उसे खदेड़ कर भगाने में तनिक भी देरी नहीं करेगी. उत्तर कोरिया की बहादुर जनता ने अपनी सरजमीं से पहले भी जापानी और अमेरिकी साम्राज्यवादियों को धूल चटाई है और अभी भी कुछेक देशों को छोड़कर सबकी शैतान अमेरिका से फटती है उस शैतान अमेरिका और उसके दुमछल्लों को उत्तर

 कोरिया ने अपने बलबूते गली के उन नखदंतविहीन, लिजलिजे , खुजलीवाले और मरियल कुत्तों का झुंड बना दिया है जो केवल भौंक ही सकते हैं. 

 और हां  34% इंसानी कचरों द्वारा दंगाई, तड़ीपार जैसे गली  के गुंडों को चुनने वाले देश के विपरीत उत्तर कोरिया की 99% जनता ने अपनी पार्टी और पूर्ववर्ती नेताओं की क्रांतिकारी और जनकल्याणकारी विरासत को आगे ले जाने वाले नेताओं का चुनाव किया है. अगर अमेरिकी और दक्षिण कोरियाई मलमूत्र को ही सर माथे लगाना है तो बेशक से लगाओ लेकिन ऐसा करने से उत्तर कोरिया की जनपक्षीय राजनीति का सच नहीं बदलने वाला.

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