सैन्य टोही उपग्रह- माल्लीग्यंग-1

 21 नवंबर 2023 की शाम को, जनवादी कोरिया का सैन्य टोही उपग्रह माल्लीग्यंग -1 (만리경 1호) आकाश में ऊंचा उड़ गया(माल्लीग्यंग का अर्थ दसियों हजारों मील तक देखने वाली आंख है). इसका प्रक्षेपण काॅमरेड किम जंग उन के मार्गदर्शन में हुआ. यह उपग्रह लॉन्च करने का तीसरा प्रयास था, जो स्कॉटिश राजा रॉबर्ट द ब्रूस की कहावत को साबित करता है कि ""यदि आप पहली बार में सफल नहीं होते हैं, तो दोबारा तिबारा प्रयास करें. 


माल्लीग्यंग -1 के प्रक्षेपण से जनवादी कोरिया ने अंतरिक्ष कार्यक्रम के साथ-साथ मुख्य रूप से अमेरिका और दक्षिण कोरिया के आक्रमण के खतरों के खिलाफ खुद की रक्षा करने की क्षमता में एक बड़ी छलांग लगाई. ऐसा कर जनवादी कोरिया दुनिया का सातवां ऐसा मुल्क हो गया जिसने खुद के दम पर सैन्य टोही उपग्रह प्रक्षेपित करने का कारनामा कर डाला.अबतक दुनिया के 6 देश अमेरिका,रुस, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन और इसराइल ही ऐसा कर चुके हैं.

 वर्षों से अमेरिका उपग्रहों, जासूसी विमानों और अन्य माध्यमों से जनवादी कोरिया की जासूसी और अवैध निगरानी करता रहा है. अब जनवादी कोरिया के पास अपना स्वयं का सैन्य टोही उपग्रह है जो उसके लिए सैन्य खतरों पर महत्वपूर्ण सूचनाऐं एकत्र करने में सक्षम है. 25 नवंबर को ही माल्लीग्यंग-1 ने दुश्मन के लक्षित क्षेत्रों का डाटा भेज दिया था. जनवादी कोरिया की सेना के सर्वोच्च कमांडर काॅमरेड किम जंग उन ने सैन्य टोही उपग्रह द्वारा ली गई अमेरिकी कठपुतली दक्षिण कोरिया की जिन्हा, पुसान, उल्सान, फोहांग, तेगु, और कांगरुंग आदि प्रमुख लक्ष्य क्षेत्रों की तस्वीरें देखीं. इसमें " पर्ल हार्बर की तस्वीरें भी थीं. 28 नवंबर को उपग्रह द्वारा व्हाइट हाउस और पेंटागन की तस्वीरें भी भेजी गईं.


इसमें कोई संदेह नहीं है, माल्लीग्यंग-1 जनवादी कोरिया के जूछे (आत्मनिर्भरता)-उन्मुख विज्ञान की एक बड़ी उपलब्धि है और सनगुन नीति जीत भी है. अब यह निर्विवाद रुप से सच है कि जनवादी कोरिया ने 100 प्रतिशत अपने संसाधनों, प्रौद्योगिकी और श्रम का उपयोग करके अपनी धरती से ही तकनीकी रूप से इतना उन्नत उपग्रह लॉन्च किया, जो जनवादी कोरिया की समाजवादी व्यवस्था की श्रेष्ठता का प्रमाण है.

1 दिसंबर को जनवादी कोरिया के साथ प्रतिस्पर्धा करने की इच्छा से, दक्षिण कोरियाई कठपुतलियों ने तथाकथित "खुद का जासूसी उपग्रह" लॉन्च किया. पर इसे दक्षिण कोरिया की धरती से लॉन्च नहीं किया गया था, बल्कि वास्तव में अमेरिका के कैलिफोर्निया में वैंडेनबर्ग यूएस स्पेस फोर्स बेस से लॉन्च किया गया था और यह उपग्रह अरबपति एलोन मस्क के स्वामित्व वाले स्पेस एक्स रॉकेट से लॉन्च किया गया था. यही चीज दक्षिण कोरिया की परजीविता की कहानी बयान कर देती है . तथाकथित "मुख्यधारा' का मीडिया यह दिखावा करने की कोशिश करता है कि दक्षिण कोरिया "समृद्ध" और "उन्नत" है, लेकिन वास्तव में दक्षिण कोरिया के पास अपना कुछ भी नहीं है और वहाँ की हर चीज का स्वामित्व विदेशी ताकतों, मुख्य रूप से अमेरिका और जापान के पास है.


परजीवी और अमेरिकी कठपुतली दक्षिण कोरिया कभी भी आत्मनिर्भरता उन्मुख, आजाद और समाजवादी जनवादी कोरिया से कभी प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकता.साम्राज्यवादी अमेरिका और उसके दुमछल्ले संयुक्त राष्ट्र, ब्रिटेन, दक्षिण कोरिया और जापान सभी ने जनवादी कोरिया के सैन्य टोही उपग्रह के प्रक्षेपण पर आपत्ति जताई है. इन्होंने जनवादी पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की है. इनकी ऐसी हरकतें जनवादी कोरिया की बढ़ती शक्ति को दबाने की हताशा और कुछ मामलों में ईर्ष्या की उपज है.

अंतरिक्ष का पता लगाने और उपग्रहों को लॉन्च करना यह जनवादी कोरिया का पूर्ण स्वतंत्र अधिकार है. अमेरिका के पास 154 सैन्य उपग्रह हैं, इसलिए केवल एक उपग्रह लॉन्च करने के लिए जनवादी कोरिया की आलोचना करना पूरी तरह से अमेरिका का पाखंड ही दिखलाता है. उम्मीद है कि भविष्य में जनवादी कोरिया ज्यादा से ज्यादा इस तरह के सैन्य टोही उपग्रह प्रक्षेपित कर पूरी दुनिया में हमेशा की तरह आत्मरक्षा के अधिकार और संप्रभु और स्वतंत्र देश की मिसाल बनता रहे! 

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