एक और आधारहीन झूठ


 13 जुलाई 2023 को संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद की बैठक में ब्रिटेन के राजदूत जेम्स कारिउकी (James Kariuki) ने न केवल जनवादी कोरिया के आत्मरक्षा जैसे जायज हक के मामले में हस्तक्षेप किया बल्कि कई झूठे और आधारहीन आरोप भी लगाए.


 जेम्स ने अपने बयान में यह कहा कि जनवादी कोरिया ने अपने यहाँ से सभी विदेशी राजनयिकों को निकाल दिया है. यह सच नहीं है. चीन, रुस, क्यूबा, वियतनाम, लाओस के राजनयिक वहाँ अभी मौजूद हैं. पश्चिमी देशों के राजनयिक अपनी मर्जी से खुद जनवादी कोरिया से चले गए हैं, उन्हें निकाला नहीं गया है. इसलिए यह कहना कि जनवादी कोरिया उन राजनयिकों को वापस अपने यहाँ आने दे, ये एक बेहूदे बकवास से ज्यादा कुछ भी नहीं. यही चीज तथाकथित गैर सरकारी संगठनों (NGOs) के संबंध में भी है, उन्होंने भी अपनी मर्जी से जनवादी कोरिया छोड़ा है. वैसे भी जनवादी कोरिया को ऐसे NGOs की जरूरत भी नहीं है, जनवादी कोरिया उनके बिना भी बेहतर है.


जहाँ तक तथाकथित परमाणु अप्रसार संधि के पालन का सवाल है, जनवादी कोरिया जनवरी 2003 से ही इस संधि से हट चुका है, इसलिए वह इस संधि का पालन करने के लिए बाध्य नहीं है. ब्रिटेन या और कोई भी देश जनवादी कोरिया को व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि(Comprehensive Nuclear Test Ban Treaty) के लिए नहीं कह सकता. यह जनवादी कोरिया का स्वतंत्र अधिकार है कि वह किस संधि पर दस्तखत करे या उसे संशोधित करे.


12 जुलाई 2023 को जनवादी कोरिया द्वारा किए गए मिसाइल परीक्षण को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव गैरकानूनी हैं और जनवादी कोरिया ने उन्हें खारिज भी कर दिया.


जहाँ तक तथाकथित बिना शर्त बातचीत के प्रस्ताव की बात है, इसका कोई मतलब नहीं है और रद्दी के टोकरी में फेंकने लायक हैं, जबतक अमेरिका लगातार सैनिक अभ्यास कर रहा है और जनवादी कोरिया को परमाणु हमले की धमकियाँ दे रहा है. तथाकथित बातचीत का यह प्रस्ताव एक छलावे भर से ज्यादा कुछ नहीं है. जनवादी कोरिया के दुश्मन इसकी आड़ में वहाँ की समाजवादी व्यवस्था को नष्ट करके उसे अमेरिकी साम्राज्यवाद का एक और उपनिवेश बनाना चाहते हैं.



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