छेजू नरसंहार


3 अप्रैल 1948  को कोरिया  के दक्षिण (अब दक्षिण कोरिया) के  छेजू द्वीप पर कोरियाई जनता ने एक स्वतंत्र और एकीकृत कोरिया के लिए  सशस्त्र विद्रोह छेड़ दिया .उन्होंने अपने देश के विभाजन का विरोध किया और अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र द्वारा आयोजित धांधली वाले चुनावों का बहिष्कार किया। जवाब में, अमेरिकी सेना और दक्षिण कोरियाई  कठपुतली सरकार ने 30,000-60,000 लोगों का नरसंहार किया.

छेजू नरसंहार कोरिया के इतिहास की सबसे काली घटनाओं में से एक है. छेजू की 20% आबादी मार दी गई थी, और 3 में से 1 व्यक्ति विस्थापित हो गया था. इस नरसंहार का राज दशकों से दबा हुआ था, और आज दक्षिण कोरिया का मोदी सरीखा फासीवादी राष्ट्रपति यून दक्षिण कोरियाई इतिहास की किताबों से इसे फिर से सेंसर करने की कोशिश कर रहा है.

अमेरिका ने नरसंहार में अपनी भूमिका को कभी स्वीकार नहीं किया और साम्यवाद से कोरिया को "बचाया" करने का दावा किया. लेकिन इतिहास बताता है कि अमेरिका कोरिया में स्वतंत्रता या लोकतंत्र नहीं   केवल विभाजन और सामूहिक नरसंहार लाया.











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