काॅमरेड किम इल संग की उपलब्धियां (1)


काॅमरेड किम इल संग के द्वारा अद्वितीय जूछे विचार आधारित समाजवादी देश जनवादी कोरिया की स्थापना.

जनवादी कोरिया  के संस्थापक और महान नेता और राष्ट्रपति रहे काॅमरेड किम इल संग की 110 वीं जयंती आने वाले 15 अप्रैल को दुनिया भर के प्रगतिशील लोगों द्वारा मनाई जाएगी. इस अवसर पर काॅमरेड राष्ट्रपति किम इल संग की उपलब्धियों का उल्लेख करना जरूरी हो जाता है.

काॅमरेड राष्ट्रपति किम इल संग की महानतम उपलब्धियों में से एक अद्वितीय आत्मनिर्भरता (जूछे) दर्शन पर आधारित एक समाजवादी देश की स्थापना थी और ये देश किसी दूसरे देश की नकल नहीं था और दूसरे समाजवादी देशों से बिल्कुल अलग था. ये इस सच्चाई से साबित होता है कि  1989-1991 के दौरान सोवियत संघ और अन्य समाजवादी देशों का पतन हुआ पर जनवादी कोरिया का पतन नहीं हुआ. बहुत लोग इस बात को समझ पाने में विफल हो जाते हैं कि जनवादी कोरिया में स्वतंत्र और जन केंद्रित जूछे आधारित समाजवाद था और अभी भी है.

काॅमरेड राष्ट्रपति किम इल संग जो जापानी साम्राज्यवादियों के साथ 15 से अधिक वर्ष तक लड़े थे और अपनी किशोरावस्था से कोरिया में पहले क्रांतिकारी संगठनों का नेतृत्व किया था, वे इस बात पर दृढ़ संकल्पित थे कि जनवादी कोरिया जो जापानी साम्राज्यवाद के खंडहरों के अवशेषों पर से एक अचंभे की तरह उठ खड़ा हुआ, वो किसी की कठपुतली या फिर से कभी किसी का गुलाम नहीं बनेगा.


काॅमरेड राष्ट्रपति किम इल संग ने कहा(1940 के दशक) कि " वर्तमान परिस्थितियों में कोरिया की क्रांति साम्राज्यवाद विरोधी, सामंतवाद विरोधी जनवादी क्रांति है. हमें प्रगतिशील जनवाद के रास्ते पर चलना चाहिए जो कोरिया के परिस्थितियों के अनुकूल है न कि सोवियत जनवाद और अमेरिकी लोकतंत्र के.  वर्तमान में प्रगतिशील जनवाद की राह ही कोरिया की  क्रांति के लिए  हमारी लाईन है और सही राह है".

जनवादी कोरिया ने सोवियत संघ की राह नहीं अपनाई. जनवादी कोरिया में सोवियत (मजदूरों और सैनिकों की काउंसिल) की जगह जनता की सत्ता के नए अंगों के रूप में जन समितियां ( People's Committee) बनाईं गईं. कुछ लोग चाहते थे कि कोरिया सोवियत माॅडल की नकल करे, तो कुछ धुर वामपंथी तुरंत ही सर्वहारा की तानाशाही और समाजवाद चाहते थे.


दक्षिणपंथी अवसरवादी कोरिया में बुर्जुआ लोकतंत्र की स्थापना और उनमें से कुछ तो सामंतवाद की पुनर्स्थापना चाहते थे.  काॅमरेड राष्ट्रपति किम इल संग ने साम्राज्यवाद विरोधी सामंतवाद विरोधी क्रांति की राह का खाका खींचा.
मार्च 1946 में 20 दिनों की समय सीमा के भीतर एक आमूलचूल और व्यापक कृषि सुधार किया गया. दूसरी जगहों पर रहने वाले सभी भूस्वामी जमींदारों की जमीनें और 5 हेक्टेयर से ज्यादा की जमीनें बिना किसी मुआवजे के जब्त कर ली गईं और लोगों में मुफ्त में बांट दी गई. कुछ समाजवादी देशों में पूर्व जमींदारों की सीमित मात्रा में मुआवजा दिया गया और पुनर्वितरित भूमि के लिए लोगों से कुछ शुल्क भी लिया गया लेकिन जनवादी कोरिया में ऐसा नहीं हुआ. कुछ नव स्वाधीन देश  जनसाधारण के हितों के लिए भूमि सुधार करने में बुरी तरह विफल रहे.

जनवादी कोरिया में जापानी साम्राज्यवादियों और उनकी कठपुतलियों के कब्जे वाली 10 लाख हेक्टेयर भूमि  मुफ्त में  सात लाख बीस हजार गरीब किसानों और खेत मजदूरों के परिवारों के बीच बांटी गई. इस तरह सामंतवाद और जमींदारी एक ही बार में ध्वस्त कर दी गई.

काॅमरेड राष्ट्रपति किम इल संग ने नए राज्य के लिए कोरिया जनवादी जन गणराज्य (Democratic People's Republic of Korea)  की अनूठी उपाधि का प्रस्ताव रखा, जो  जनता पर केंद्रित नई प्रणाली की प्रकृति को दर्शाता है और दक्षिणपंथी और वाम अवसरवादियों के दावे को खारिज करता है।

पितृभूमि आजादी युद्ध (Fatherland Liberation War) जिसे पश्चिम में कोरिया युद्ध के नाम से जाना जाता है के बाद काॅमरेड राष्ट्रपति किम इल संग ने  कोरिया की वास्तविक परिस्थितियों के मुताबिक अनूठे ढंग से उत्पादन संबंधों के समाजवादी रूपांतरण  की राह दिखाई.

चाटुकारों (बड़ी शक्तियों की ओर देखने और उनकी नकल करने वाले) और हठधर्मियों ने काॅमरेड राष्ट्रपति किम इल संग के औद्योगीकरण और मशीनीकरण से पहले खेती के सहकारी करण के उनके असली और जूछे आधारित विचार का विरोध किया. लेकिन काॅमरेड राष्ट्रपति किम इल संग ने कहा कि खेती का सहकारी करण जनता की मांग थी और उन्होंने सहकारिता आंदोलन का नेतृत्व किया. 1958 तक जनवादी कोरिया में खेती का सहकारी करण पूरा हो गया. जनवादी कोरिया में शत प्रतिशत समाज नियंत्रित खेती थी वहीं कुछ समाजवादी देशों में खेती को ज्यादातर निजी हाथों में सौंप दिया गया या वहाँ खेती का शत प्रतिशत सामाजिक स्वामित्व नहीं हो सका.

काॅमरेड राष्ट्रपति किम इल संग का 1955 में " हठधर्मिता और औपचारिकता वाद का खात्मा और विचारधारात्मक कार्य में जूछे की स्थापना " पर दिए गए ऐतिहासिक भाषण ने जनवादी कोरिया के लिए जूछे की राह बनाई. बड़ी शक्तियों के चाटुकारों के विपरीत काॅमरेड राष्ट्रपति किम इल संग ने स्वतंत्र राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की स्थापना की लाइन को आगे बढाया. दरअसल यही लाइन ही पहले दिन से जनवादी कोरिया की दृढ़ लाइन रही है.

1950 के दशक के उतरार्ध में बड़ी शक्तियों के चाटुकारों और आधुनिक संशोधन वादियों ने जनवादी कोरिया को उसकी अपनी अर्थव्यवस्था होने के बजाय सोवियत खेमे के आर्थिक ब्लॉक COMECON या CMEA(Council for Mutual Economic Assistance) का हिस्सा बनाने की पुरजोर कोशिश की. पर काॅमरेड राष्ट्रपति किम इल संग ने इससे इंकार कर दिया. संशोधनवादियों ने कहा कि जनवादी कोरिया को भारी उद्योगों का विकास न करके इसके बदले खनिज पदार्थ और कृषि उत्पादों का उत्पादन कर उसे निर्यात करना चाहिए

कट्टर संशोधनवादी और गद्दार ख्रुश्चेव ने एक बार जनवादी कोरिया को बिजली आपूर्ति का प्रस्ताव दिया था पर काॅमरेड राष्ट्रपति किम इल संग ने ये कहते हुए इससे इंकार कर दिया कि अगर जनवादी कोरिया संशोधनवादियो से असहमति जताता है तो वे हमारी बिजली काट देंगे. और जनवादी कोरिया ने खुद के दम पर कई बिजलीघरों की स्थापना की.

जनवादी कोरिया ने अपने मूल में मशीन निर्माण के साथ एक स्वतंत्र राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का निर्माण किया। जुछे आधारित स्वतंत्र राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के  चलते जनवादी कोरिया तेजी से औद्योगिकीकरण और विकास की अभूतपूर्व दर हासिल करने में सक्षम था, उदाहरण के लिए 1950 के दशक के अंत में एक वर्ष में 36 प्रतिशत और 1957 से 1960 के बीच की अवधि में औद्योगिक उत्पादन वृद्धि 19.1 प्रतिशत प्रति वर्ष थी.

1950 के दशक के अंत और 1960 के दशक की शुरुआत में कुछ समाजवादी देशों ने खेती का वि -सहकारीकरण (De- collectivisation) कर दिया और निजी खेती अपना ली. लेकिन जनवादी कोरिया में ऐसा नहीं हुआ .

 
काॅमरेड राष्ट्रपति किम इल संग की 1964 की उत्कृष्ट रचना " हमारे देश में समाजवादी  देहात का प्रश्न " में खेती पर मेहनतकश तबकों का नेतृत्व और राज्य और सहकारी संपत्ति के बीच रिश्तों को मजबूत करने पर जोर दिया गया. इसने सहकारी संपत्ति को सभी जनता की संपत्ति में बदलने के दीर्घकालिक लक्ष्य को आगे रखा. वहीं जिन समाजवादी देशों ने संशोधनवादी और पूंजीवादी तरीका अपनाया और वहाँ खेती में बहुत नुकसान हुआ और उन्हें साम्राज्यवादी देशों से भोजन आयात करना पड़ा. पर जनवादी कोरिया ने न केवल भोजन में आत्मनिर्भरता बनाए रखी, बल्कि साल-दर-साल भरपूर फसल काटी और 1974 में निर्धारित समय से दो साल पहले 70 लाख टन अनाज के लक्ष्य को हासिल किया.

काॅमरेड राष्ट्रपति किम इल संग का हमेशा कहना था कि "जनता के बीच जाओ" क्योंकि वे मानते थे कि  "जनता ही मेरी ईश्वर है". वे सभी तरह के अभिजात्यवाद और नौकरशाही के सख्त खिलाफ थे. उन्होंने छंगसान री पद्धति और छंगसान री विचार बनाया. छंगसान री जनवादी कोरिया के दक्षिणी फ्यंगआन प्रांत में स्थित एक गाँव है. 

फरवरी 1960 में काॅमरेड  राष्ट्रपति किम इल संग ने वहाँ के एक सहकारी फार्म का दौरा किया और 15 दिनों तक एक साधारण घर में रहे. छंगसान री पद्धति इस केंद्रीय विचार पर आधारित है कि नेता को आम जनता के पास जाना चाहिए, उनकी समस्याओं के मूल कारण को समझना चाहिए और समस्या को हल करने के सही तरीके खोजना चाहिए, लोगों के साथ काम को प्राथमिकता देना चाहिए और लोगों के क्रांतिकारी उत्साह को सुनिश्चित करना चाहिए.लोगों को पार्टी के इर्द-गिर्द लामबंद करना चाहिए. छंगसान री पद्धति इस बारे में है कि वरिष्ठ अपने अधीनस्थों की मदद करते हैं.इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि छंगसान  री पद्धति और छंगसान री भावना अभिजात्यवाद और नौकरशाही के खिलाफ एक असरदार दवाई है. आज भी जनवादी कोरिया में अधिकारियों को एक निश्चित मात्रा में शारीरिक श्रम करना पड़ता है और प्रत्येक शुक्रवार को वे  शारीरिक श्रम करते हैं, अधिकारी जनता के साथ घुलमिल जाते हैं और सामान्य कामकाजी लोगों के कपड़े पहनते हैं और उन्हें मेहनतकश लोगों से अलग पहचानना कठिन होता है.

वहीं सोवियत संघ और पूर्वी यूरोप के समाजवादी देशों  में पार्टी और सरकारी अधिकारी जल्द ही अभिजात्यवाद और नौकरशाही के शिकार हो गए और जनता से अपने आप को उपर समझने लगे और जनता से पूरी तरह से कट गए और बाद में इसका दुष्परिणाम इन देशों में समाजवाद के पतन के रूप में सामने आया.

काॅमरेड राष्ट्रपति किम इल संग ने सुनिश्चित किया कि जनवादी कोरिया में समाजवाद जनता को अधिकतम लाभ दे सके. 1974 में टैक्स प्रणाली समाप्त कर दी गई और कीमतें औसतन 30 फीसद तक घटा दी गई. जनवादी कोरिया ने 1947 में पहले औद्योगिक मजदूरों के लिए मुफ्त स्वास्थ्य की व्यवस्था की और 1953 में सभी के लिए मुफ्त स्वास्थ्य व्यवस्था लागू की. आज जनवादी कोरिया में स्वास्थ्य सेवाएं बिल्कुल मुफ्त हैं वहां दवाईयों के लिए कोई शुल्क नहीं लगता. कुछ समाजवादी देशों में दवाओं के लिए शुल्क देना पड़ता था. जनवादी कोरिया में शिक्षा भी  बिना किसी शुल्क के बिल्कुल मुफ्त है. आवास भी मुफ्त है.

आज हम काॅमरेड राष्ट्रपति किम इल संग को जनवादी कोरिया में जनता पर केंद्रित एक अजेय, स्वतंत्र जुछे आधारित समाजवाद के निर्माण में उनकी महान उपलब्धियों के लिए याद करते हैं. 

उनके इसी जनहितकारी कामों को पहले काॅमरेड जेनरल सेक्रेटरी किम जंग इल के द्वारा विस्तार दिया गया और अब काॅमरेड जेनरल सेक्रेटरी किम जंग उन के द्वारा और विस्तारित किया जा रहा है.


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