क्या है जनवादी कोरिया की खाली सड़कों का राज
उत्तर कोरिया के बारे में एक धारणा यह भी है कि वहाँ सड़कों पर कम लोग दिखाई देते हैं और सड़कें लगभग खाली रहतीं हैं और इसी बात को लेकर भयावह कहानियाँ गढ़ दी जाती हैं कि वहाँ के लोगों में डर का राज कायम करके वहाँ के तथाकथित अत्याचारी और क्रूर शासन द्वारा उनके बाहर निकलने पर पाबंदी लगा दी गई हैं या फिर लोगों को लेबर कैंपों में बंदी बनाकर रख दिया गया है. यह भी कहा जाता है कि जब विदेशी यात्रियों का दल वहाँ आता है तो लोगों को बाहर सड़कों पर घूमने फिरने के लिए छोड़ दिया जाता है कि विदेशियों को सब कुछ सामान्य लगे. उत्तर कोरिया को लेकर लाॅजिक की हत्या का सिलसिला चलता ही रहता है. वैसे यह बात सही है कि कुछ खास अवसरों और दिन के कुछ वक्त को छोड़कर वहाँ सड़कों पर ज्यादा लोग नहीं दिखाई देते हैं और इसकी ये वजहें हैं
1. उत्तर कोरिया के सभी शहर अपनी आबादी की तुलना में विस्तृत भौगोलिक क्षेत्र में फैले हुए हैं. उदाहरण के लिए देश की राजधानी और सबसे बड़ा शहर फ्यंगयांग 2000 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और आबादी केवल 32 लाख ही है. वहीं दक्षिण कोरिया की राजधानी ओर सबसे बड़ा शहर सियोल मात्र 605 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और आबादी 1 करोड़ है और सियोल के उपनगरों की आबादी मिला दी जाए तो यह ढाई करोड़ हो जाती है जो इस देश की आबादी का लगभग आधा है तो खुद लाॅजिक लगा लीजिए कि कहाँ ज्यादा भीड़ भाड़ होगी. विश्वगुरु के महानगरों की तो बात ही नहीं हो रही.
2. उत्तर कोरिया में सभी दफ्तरों और कारखानों का कामकाजी वक्त इस तरह से बनाया गया है कि सड़कों पर एक ही समय पर ज्यादा भीड़ न लगे, उनकी भीड़ प्रबंधन (Crowd Management) की काबिलियत की दाद दीजिए. सबसे बड़ी बात वहाँ ज्यादातर लोगों के घरों के पास ही दफ्तर होते हैं. और सभी कारखानों के अंदर में ही कामगारों के क्वार्टर समेत स्कूल बाजार आदि की सुविधा रहती है, इसलिए लोगों को दफ्तर के लिए घंटे दो घंटे का सफर(Suffer) करते हुए सफर नहीं करना पड़ता.
3. उत्तर कोरिया में समाजवादी व्यवस्था है और इस व्यवस्था में सरकार सचमुच में पकड़ पकड़ कर सभी को योग्यता के हिसाब से नौकरियां बांटती है तो समझ ही गए होंगे कि वहाँ बेरोजगारी का नामोनिशान नहीं होगा. जब सारे लोग काम पर होंगे तो सड़कों पर बिना काम के या काम की तलाश में लोग भटकते हुए नहीं दिखाई देंगे और भीड़ भी नहीं होगी. साथ ही वहाँ दिखावे की संस्कृति भी नहीं पाई जाती है कि पैसे वाले लोग फालतू की शापिंग के लिए बाहर निकलकर भीड़ लगाऐं.
4. उत्तर कोरिया में काम के लिए गाँवों या कस्बों से शहरों की ओर पलायन नहीं होता सभी लोगों को उनके गांव और कस्बे में ही रोजगार मिल जाता है इसलिए देश के सभी शहर प्रवासी आबादी के बोझ से मुक्त हैं. लेकिन हमें यह बताया जाता है कि उत्तर कोरिया में एक जगह से दूसरे जगह जाने की आजादी नहीं है. लाॅजिक तो यही कहता है कि जब लोगों को घर के पास ही अच्छा काम मिल जाता है तो वे दूर क्यों जाऐंगे.
5. उत्तर कोरिया में कोई बेघर नहीं है, वहाँ सरकार नौकरी की तरह सबको मुफ्त में घर भी बांटती है तो सड़कों पर बेघरों वाली भीड़ भी नहीं है.
6. उत्तर कोरिया के सार्वजनिक भवन ( Public buildings) काफी बड़े बड़े और जगह वाले होते हैं, जिसमें काफी लोग समा सकते हैं और वहाँ की गलियां भी चौड़ी होती हैं.
7. उत्तर कोरिया में दिखावे और भोगवाद की संस्कृति नहीं है, बहुत ही सस्ता और सुलभ सार्वजनिक परिवहन उपलब्ध है तो धरती के लिए सबसे बेकार निजी कार की भी जरूरत नहीं है
तो अगली बार जब भी उत्तर कोरिया की खाली सड़कों वाली तस्वीरें या वीडियो देखें तो ये सभी लाॅजिक लगाने का कष्ट करें.
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