जनवादी कोरिया से संबंधित सामान्य मिथक और उसकी वास्तविकता

मिथक 1- “उत्तर कोरिया के लोग विदेशियों से संपर्क करने से डरते हैं  (क्योंकि ऐसा  करने से उन्हें बंदीगृह कैंप में भेज दिया जाएगा).

वास्तविकता- उत्तर कोरिया घूमने गए विदेशियों ने वहाँ के लोगों को बहुत ही जोशीला और दोस्ताना पाया है और वे विदेशियों से बातचीत करने को उत्सुक रहते हैं. टूर गाईड भी विदेशियों को स्थानीय लोगों से अलग नहीं करते हैं और लोग विदेशियों के पास जाकर बात करने के लिए आजाद हैं. जिन विदेशियों को कोरियाई भाषा नहीं आती टूर गाईड उनके और स्थानीय लोगों के बीच बातचीत में दुभाषिए का काम खुशी खुशी कर देते हैं.

 मिथक 2- “ उत्तर कोरिया की राजधानी एक दिखावटी शहर है और साईकिल चालकों, गर्भवती महिलाओं, वृद्धों और मानसिक रोगियों और विकलांगों के लिए प्रतिबंधित है".

वास्तविकता- प्योंगयांग न केवल एक आकर्षक शहर है बल्कि यह शहर प्रभावशाली वास्तुकला, शानदार शहर नियोजन और आश्चर्यजनक स्मारकों को समेटे हुए है. प्योंगयांग की सड़कों पर खूब सारे साईकिल सवारों को देखा जा सकता है. दुनिया के अन्य शहरों की तरह प्योंगयांग में भी वृद्ध और विकलांग भी रहते हैं और सभी लोगों को मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध है. गर्भवती महिलाओं के लिए प्योंगयांग में देश का सबसे बड़ा अस्पताल है जिसे 1980 में बनाया गया. यह अस्पताल आधुनिक सुविधाओं से युक्त है और 60, 000 वर्ग मीटर के क्षेत्रफल में बच्चों के जन्म और महिलाओं के ईलाज की सुविधा है. यह अस्पताल ही इस मिथक को झूठला देता है कि प्योंगयांग में गर्भवती महिलाएं प्रतिबंधित हैं.

मिथक 3.-“उत्तर कोरिया के लोग बहुत ही नीरस जीवन जीते हैं "

वास्तविकता- उतर कोरिया की राजधानी प्योंगयांग स्थित मानग्योंगदे मनोरंजन पार्क झूलों और मनोरंजन के लिए कई सुविधाओं के लिहाज से  पश्चिमी देशों के मनोरंजन पार्क से किसी भी तरह से कम नहीं है . तकरीबन 30 लाख की आबादी वाले प्योंगयांग शहर  में प्रति व्यक्ति 58 वर्ग मीटर हरित स्थान के अलावा सांस्कृतिक सुविधाएं, स्वास्थ्य और मनोरंजन केंद्र हैं जो समान आबादी वाले दुनिया के अन्य शहरों से ज्यादा है. उत्तर कोरिया के अन्य शहरों में भी समान  सुविधाओं वाले मनोरंजन केंद्र हैं. देश में विभिन्न स्थानों पर बच्चों के लिए कैंप हाउस बने हुए है जो किसी विलासिता रिसोर्ट से कम नहीं हैं और सभी बच्चों को ऐसे कैंप मुफ्त में मुहैया कराए जाते हैं.

इसके अलावा, उत्तर कोरिया होकर आए कई विदेशी अक्सर टिप्पणी करते हैं कि वे देश में जहाँ भी गए वहाँ उन्होंने स्थानीय लोगों को अच्छे कपड़े पहने देखा और लोग भी तनावमुक्त और प्रसन्नचित्त दिखे.

इसकी वजह देश की  समाजवादी नियोजित आर्थिक प्रणाली के तहत मिले सामाजिक लाभ हैं  जैसे नौकरी की सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा और सवैतनिक सालाना छुट्टियां जो अधिकांश देशों में विलासिता हैं, लेकिन ये प्रत्येक उत्तर कोरियाई कामकाजी लोगों के अधिकार हैं


मिथक 4- “ साधारण उत्तर कोरियाई लोगों को विदेश यात्रा की अनुमति नहीं है .” 

वास्तविकता- उत्तर कोरियाई लोगों को विदेश यात्रा की अनुमति है। उदाहरण के लिए, अंग्रेजी के शिक्षक अपने भाषा कौशल को निखारने के लिए  ब्रिटेन जाते हैं। अनगिनत संख्या में  उत्तर कोरियाई शिक्षक, छात्र, वैज्ञानिक, एथलीट और धर्मविद हर साल सम्मेलनों और प्रतिस्पर्धी कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए विदेश (इनमें भारत भी शामिल है)  यात्रा करते हैं.

 

मिथक 5- 'उत्तर कोरिया कट्टर पुरुष प्रधान समाज है'.

वास्तविकता- उत्तर कोरियाई पुरुष, पश्चिम के समकक्षों की तुलना में, सीधे साधे और अत्यधिक विनम्र लगते हैं। उत्तर कोरियाई महिलाएं अक्सर  मुखर, शिक्षित और बहुमुखी प्रतिभाशाली होती हैं। इसके अलावा, समाजवादी उत्तर कोरिया में पुरुषों से घरेलू मामलों और बच्चों के पालन-पोषण में सक्रिय भूमिका निभाने की उम्मीद की जाती है, जबकि महिलाएं अपना करियर अपनाती हैं.

इसके अलावा , उत्तर कोरिया में महिलाओं की भौतिक और सामाजिक विज्ञान में महत्वपूर्ण भूमिका रहती है , और कई महिलाएं स्थानीय, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय शासन में सक्रिय भूमिका भी निभाती हैं। पूंजीवादी दुनिया के विपरीत उत्तर कोरियाई महिलाएं व्यावसायिक सेक्स और सौंदर्य उद्योगों से आजाद  हैं.इस अर्थ में, उत्तर कोरिया में महिलाओं ने समानता और सम्मान का स्तर हासिल कर लिया है जबकि इसके लिए  दुनिया के कई हिस्सों  में उनके समकक्ष  संघर्ष कर रहे हैं.  

मिथक 6 - ‘उतर कोरिया सामंतवादी है'.

वास्तविकता-  उत्तर कोरिया में  1946 में ही कृषि सुधार कानून द्वारा  जमींदारी प्रथा को समाप्त कर दिया गया था , और इस कानून के तहत  5 हेक्टेयर से अधिक की सभी भूमि का मुफ्त में पुनर्वितरण किया गया और यह  इतिहास के सबसे क्रांतिकारी भूमि सुधारों में से एक था।

मिथक 7-‘ उत्तर कोरिया एक नस्ली राष्ट्रवादी और फासीवादी देश है'. 

वास्तविकता- उत्तर कोरिया ने संकीर्ण और उग्र राष्ट्रवाद से खुद को दूर किया हुआ है और चेयरमैन किम जोंग इल ने ऐसे राष्ट्रवाद की विशेष रूप से निंदा की.

उत्तर कोरिया की स्थापना ही  फासीवाद-विरोध की बुनियाद पर ही हुई थी और इस तरह से उसने अपने यहाँ फासीवाद को गैरकानूनी करार दिया इसके अलावा उत्तर कोरिया ने फासीवाद के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव का समर्थन किया.

मिथक 8 - ‘ उत्तर कोरिया में एक तरह की जाति व्यवस्था चलती है जिसे संगबुन (Songbun 성분) कहा जाता है'.

वास्तविकता - संगबुन नामक शब्द ही राष्ट्रपति किम इल सुंग, चेयरमैन किम जोंग इल या सेक्रेटरी किम जोंग उन के लेखन में  कहीं भी  नहीं दिखता है.  

 राष्ट्रपति किम इल सुंग ने पारिवारिक पृष्ठभूमि के आधार पर लोगों के साथ भेदभाव करने के खिलाफ जोरदार तर्क दिया। किसी भी तरह की जाति व्यवस्था उत्तर कोरिया के समाजवादी व्यवस्था के मूल विचार  और जनता केन्द्रित नीति के विरुद्ध ही होगी.


मिथक 9 - ‘ उत्तर कोरिया में केवल राज्य देश स्वीकृत हेयर स्टाइल चलता है '. 

वास्तविकता - ऐसा कुछ भी नहीं है ,यह मास मीडिया द्वारा बनाया गया एक और मिथक है, उत्तर कोरिया के सैलूनों में सबसे ज्यादा लोकप्रिय हेयर स्टाइल की तस्वीरों को देखकर किसी ने यह मिथक रच डाला. हमारे यहाँ भी सैलूनों में लोकप्रिय हेयरस्टाइल की तस्वीरें लगी रहती हैं. उत्तर कोरिया में भी ग्राहक तस्वीरों से हटकर जैसा  हेयरस्टाइल चाहता है वैसा ही उसे मिलता है. उत्तर कोरिया की संसद सुप्रीम पीपुल्स असेंबली ने हेयरस्टाइल संबंधित किसी भी तरह का कानून कभी भी नहीं बनाया है.

मिथक 10-  'उत्तर कोरिया को कुलीन वर्ग द्वारा चलाया जाता है और सब कुछ उनके लाभ के लिए है'.

वास्तविकता- वास्तव में उतर कोरिया में कोई 'कुलीन' नहीं है। कोरिया की सत्तारूढ़ वर्कर्स पार्टी के लाखों सदस्य हैं और  लगभग हर एक परिवार में वर्कर्स पार्टी ऑफ़ कोरिया का सदस्य है। इसके सदस्य सफाईकर्मियों और वेटरों से लेकर  जनरलों और सरकार के मंत्रियों तक जीवन के सभी क्षेत्रों से आते हैं.

राष्ट्रपति किम इल सुंग का मानना ​​था कि 'जनता मेरी ईश्वर है  '. वह अभिजात्यवाद के सख्त खिलाफ थे। उन्होंने फरवरी 1960 में चोंगसान सहकारी फार्म का दौरा किया और एक साधारण घर में 15 दिनों तक रहे और वहाँ एक सिद्धांत का निर्माण किया जिसे चोंगसान री पद्धति या चोंगसन री भावना के नाम से जाना जाता है.चोंगसन री पद्धति का मूल विचार नेताओं के आम जनता के बीच जाने और अफसरों द्वारा अपने मातहतों की मदद करने  पर आधारित है.

 इसके अलावा उत्तर कोरिया में प्रत्येक शुक्रवार को अधिकारियों को एक निश्चित मात्रा में शारीरिक श्रम करना होता है. उत्तर कोरिया में मजदूरी अंतर कम है, केवल 2 से 1, निश्चित रूप से ऐसे अंतर मौजूद हैं जो अनुभव और कौशल में विभिन्न स्तरों को दर्शाते हैं।

[तस्वीरों में ] उत्तर कोरिया से जुड़े कुछ और मिथक और सच्चाई















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