जनवादी कोरिया के बिजलीघर
इस पोस्ट को 30 अक्टूबर 2021 को अपडेट किया गया
कुछ झंडुओं के बकवास के विपरीत उत्तर कोरिया में न केवल बिजली है बल्कि बिजली पैदा करने वाले कई बिजलीघर भी हैं. और वहाँ कोई चीन और रूस से बिजली नहीं आती. बिजली उत्पादन उत्तर कोरिया के प्रमुख उद्योगों में से एक है. देश में कोयले और जल संसाधनों की भरमार है. ताप बिजलीघर के अलावा वहाँ कई जलविद्युत केंद्र हैंं. इस वीडियो में उसकी एक झलक दिखलाई गई है.
1950 के दशक के उतरार्ध में जब उत्तर कोरिया कोरिया युद्ध से हुई भीषणतम तबाही के बादअपने नवनिर्माण जोर शोर से लगा था उसी दौर में तत्कालीन सोवियत संघ के बैकाल झील बिजलीघर से उसे बिजली देने का प्रस्ताव रखा गया तब उत्तर कोरिया के नेता किम इल संग ने इस प्रस्ताव को यह कहते हुए मना कर दिया था कि अगर हम बिजली के लिए आपपर निर्भर हो जाएं और आप बिजली नहीं दे पाएं तो हम बड़ी मुश्किल में पड़ जाएंगे. अगर हमारे पास आपके बिजलीघर से हमारे देश तक बिजली लाने के लिए ट्रांसमिशन केबल बिछाने के पैसे हैं तो उन पैसों से हमारे देश में एक और जलविद्युत केंद्र बनाना बेहतर होगा. इसके बाद उत्तर कोरिया ने अपने खुद के दम पर देश में तापीय और जलविद्युत केंद्रों का जाल बिछाना शुरू किया.
साल 1995-1997 के बीच देश को मानवीय नियंत्रण के पूरी तरह बाहर भीषणतम बाढ़ का सामना करना पड़ा. लगभग पूरा देश पानी में डुबा हुआ था. कोयले खदानों में बुरी तरह से पानी भर जाने के कारण कोयला उत्पादन पूरी तरह से ठप्प पड़ गया और इसका बिजली उत्पादन पर बहुत बुरा असर पड़ा. उस दौर में कई दफा एकाएक बिजली चली जाती थी. बहुमंजिली इमारतों में रहने वाले लोगों को कई महीनों तक काफी मुश्किल हालात का सामना करना पड़ा. उस समय अमेरिका और उसके पिछलग्गू उत्तर कोरिया में समाजवाद के पतन की आस देख रहे थे पर अपनी पार्टी के लाल झंडे तले देश कुछ सालों में इससे पूरी तरह उबर गया.
इंटरनेट पर एक सेटेलाइट तस्वीर (बांयी) घूमती रहती है जिसमें उत्तर कोरिया को रात में पूरे अंधेरे में डूबा और दक्षिण कोरिया को जगमगाता हुआ दिखाया जाता है और लोगों के बीच यह दुष्प्रचार किया जाता है कि उत्तर कोरिया एक विफल राष्ट्र है पर ये तस्वीर फर्जी है. असली तस्वीर दायीं ओर है . उत्तर कोरिया का 80% भूभाग पहाड़ी है और दक्षिण कोरिया की तुलना में जनसंख्या (2.5 करोड़) और जनघनत्व भी कम है (212 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी). वहीं दक्षिण कोरिया में तुलनात्मक रूप से मैदानी भाग और जनघनत्व (507 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी) ज्यादा है. साथ ही दक्षिण कोरिया की 5 करोड़ की आबादी का आधा भाग राजधानी सियोल और उसके आसपास के शहरों में रहता है. दक्षिण कोरिया में अमेरिकी सैन्य अड्डे और विज्ञापन की असंख्य निओन लाइटें रात की जगमगाहट को बढ़ाती हैं. वहीं उत्तर कोरिया में न तो किसी विदेशी सेना के अड्डे हैं और न विज्ञापन के निओन लाइटों की भरमार है.
इस बीच खबर है कि चीन ने अपने यहाँ हालिया बिजली संकट को देखते हुए बिजली का कुछ हिस्सा अपने पड़ोसी देशों से आयात किया है इनमें उत्तर कोरिया भी शामिल है.
सितम्बर में चीन ने उत्तर कोरिया से 35,974 मेगावाट घंटे की बिजली का आयात किया जो पिछले साल की समान अवधि यानि सितम्बर 2020 की तुलना में 62 फीसदी ज्यादा था. कुल मिलाकर इस साल की तीन तिमाहियों (जनवरी से सितम्बर) तक चीन ने उत्तर कोरिया से 291 गीगावाट घंटे की बिजली का आयात किया और इसमें पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 37 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई.
खबर का लिंक: https://www.scmp.com/economy/china-economy/article/3153342/china-ramps-electricity-imports-north-korea-russia-myanmar
अरे रे अरे ये क्या हुआ!! भारतीय मोदीया और सोशल मीडिया के चपंडुकों की मानें तो उत्तर कोरिया में रात को बिजली नहीं रहती और दिन में उसकी कोई जरूरत ही नहीं रहती तो चीन को उत्तर कोरिया बिजली कैसे भेज रहा है वो भी किलोवाट में नहीं मेगावाट और गीगावाट में?
भारतीय मोदीया से पहले ही अमेरिका और उसकी पैदाइश दक्षिण कोरिया ने उत्तर कोरिया को लेकर इतना गोबर फैलाया है कि उस देश के बारे में आम और खासमखास तथाकथित "विशेषज्ञ बुद्धिजीवी" लोगों के तर्क वितर्क की क्षमता को गुबरैले अंधभक्तजनों के स्तर का लकवा मार गया है. अरे भाई उत्तर कोरिया दुनिया का सबसे स्वतंत्र और आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था वाला और औद्योगिक रूप से काफी विकसित देश है और इस सच्चाई को झुठलाया नहीं जा सकता.
साथ ही उत्तर कोरिया उच्च गुणवत्ता वाला बिजली का सामान भी बनाता है
यह 1970 के दशक में उत्तर कोरिया में बना और चीन को निर्यात किया गया ट्रांसफरमर है इस ट्रांसफरमर को चीन के वुहान शहर के पास के एक गाँव में लगाया गया था और यह 40 साल से ज्यादा चला और इन 40 से ज्यादा सालों में यह ट्रांसफरमर एक बार भी खराब नहीं हुआ.और इसे जब उतारा गया तो गाँव वालों ने इसे कहीं नहीं फेंका और इसे वुहान शहर के संग्रहालय को दान कर दिया क्योंकि यह उनके लिए एक बेशकीमती चीज थी. वुहान शहर के संग्रहालय ने भी इस ट्रांसफरमर को अमूल्य ऐतिहासिक महत्व का माना जो चीन और उत्तर कोरिया की पारंपरिक दोस्ती का प्रतिनिधित्व करता है. ट्रांसफरमर पर उत्तर कोरिया में निर्मित (MADE IN DPRK) अभी भी स्पष्ट रूप से अंकित है.
अगर अमेरिका और उसके दुमछल्लों द्वारा उत्तर कोरिया पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध नहीं लगाए गए होते तो 1970 के दशक में ही उत्तर कोरिया की अर्थव्यवस्था जो चीन को ट्रांसफरमर के निर्यात करने के हद तक विकसित हो गई थी अभी किस स्तर पर पहुंची होती इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है.
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