जनवादी कोरिया के उद्योग


 सोशल मीडिया पर उत्तर कोरिया के बारे में अनाप शनाप लिखने वाले झंडुओं की मानें तो उत्तर कोरिया में इंडस्ट्री लगभग  नहीं हैं. इसके अलावा एक वामपंथी तबका जो अपने आप को "असली मार्क्सवादी या कम्युनिस्ट" कहता फिरता है उनका भी कहना है कि उत्तर कोरिया कृषि पर अत्याधिक निर्भर है मतलब वहाँ उद्योगों की भूमिका नगण्य है.   आप लोग जिस इंटरनेट के द्वारा सोशल मीडिया पर उत्तर कोरिया के बारे में जो ज्ञान हांक रहे ना उसी इंटरनेट का सहारा लेकर जरा एक बार Industry in North Korea लिखकर सर्च ही कर लेते. संघियों अंधभक्तों से कोई  प्रतियोगिता करनी है  या ऐसे ही फेकमफांक करना है? या "असली मार्क्सवादियों" को साम्राज्यवाद के साथ जुगलबंदी करनी है? 

 अंग्रेजी में लगभग 27 मिनट के इस वीडियो को देखिए . उत्तर कोरिया के लौह इस्पात, भारी मशीनरी, रसायन , सीमेंट, भवन निर्माण सामग्री, खनन इत्यादि भारी उद्योगों से लेकर कपड़ा, जूता, बैग, स्टेशनरी, उपभोक्ता सामग्री, खाद्य प्रसंस्करण इत्यादि हल्के उद्योगों को दिखलाया गया है. सभी कारखाने असली हैं कोई फिल्मी सेट नहीं है. वीडियो में देश के कुछ कारखाने ही दिखाए गए हैं सारे नहीं. वहाँ उद्योगों का जाल बिछा हुआ है. सभी वीडियो मार्च- अप्रैल 2021 यानि कोरोना काल के ही हैं. उत्तर कोरिया ने अपने यहाँ कोरोना को रोकने के लिए जनवरी 2020 से ही यानि 16 महीनों से अपनी अंतर्राष्ट्रीय सीमा बंद कर रखी है (केवल  जरूरी चीज जैसे पैट्रोलियम चीन या रुस से समुद्री मार्ग से आयात किया जा रहा है) . ऐसी  स्थिति में तो 16 महीने क्या 16 दिनों में ही तथाकथित बड़ी अर्थव्यवस्थाओं का दम निकलने लग जाए फिर पश्चिमी मीडिया के मुताबिक "भूखा, नंगा , गरीब और पतन के करीब" उत्तर कोरिया में कारखाने कैसे चल रहे हैं. उसका जवाब है जूछे यानि आत्मनिर्भरता. उत्तर कोरिया का जूछे काम  कर रहा है और फलफूल कर देश को समाजवाद की निर्णायक जीत की ओर ले भी जा रहा है. उत्तर कोरिया ने शुरू से ही पूरी आजादी और आत्मनिर्भरता पर जोर दिया है. इसका एक उदाहरण   " जूछे कपड़ा " है.  उत्तर कोरिया, जिसका 80 प्रतिशत भूभाग पहाड़ी है, जिसके चलते वहाँ कपास उपजाने के लिए उपयुक्त समतल भूमि की बड़ी कमी है। इस वजह से वहाँ सिंथेटिक फाइबर पर जोर दिया गया . फिर देश में  नायलॉन का उत्पादन करने के लिए पेट्रोल नहीं था, लेकिन  देश के पहाड़ों में कोयला के साथ साथ  अन्य खनिजों का विशाल भंडार था। तो देश के वैज्ञानिकों ने एंथ्रासाइट और चूना पत्थर का उपयोग vinalon बनाने के लिए किया, यह सिंथेटिक फाइबर का एक प्रकार था जिसे  "जूछे कपड़ा" कहा जाता है. ऐसे और कई उदाहरण हैं. वहाँ किसी भी चीज का उत्पादन करने के लिए स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कच्चे माल को प्राथमिकता दी जाती है और नहीं होने पर उसके बदले में दूसरी चीज का इस्तेमाल किया जाता है जैसा कि हमने कपड़े वाले उदाहरण में देखा.  इससे कई चीजें आयात नहीं करनी पड़ती और देश के पैसे की काफी बचत होती है और उस पैसे से जनता के लिए स्कूल अस्पताल और कई दूसरी सुविधाओं का निर्माण किया जाता है.


उत्तर कोरिया की स्वतंत्र राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था  कलाई घड़ी से लेकर परमाणु मिसाइल तक बनाने में सक्षम है. 1970 के दशक से ही उत्तर कोरिया अपनी जरूरत का 98% मशीन और कच्चे माल और इंधन का 75% खुद से ही पूरा करने में सक्षम है. 1990 के दशक तक देश में दैनिक उपभोक्ता सामग्री जैसे जूते, तेल, साबुन,डब्बाबंद खाने की चीजें ज्यादातर चीन से आयात की जाती थीं परंतु देश अब इसमें भी आत्मनिर्भर हो गया है. लोगों की यह धारणा भी है कि उत्तर कोरिया व्यापार के लिए चीन पर अत्याधिक निर्भर है जो सही है पर यहाँ इस बात पर जोर देना जरुरी है कि विदेशी व्यापार उत्तर कोरिया की पूरी अर्थव्यवस्था का कोई बड़ा भाग नहीं है. देश की कुल  GDP का केवल 3% ही विदेशी व्यापार से आता है. इसलिए पूरी दुनिया में सबसे कठोर आर्थिक प्रतिबंध का सामना करने के बावजूद भी उत्तर कोरिया अपने  पांवों पर मजबूती से खड़ा है.बाकी देश अपनी जरूरत का 90% से ज्यादा अनाज खुद उपजा लेता ही है. अब अमेरिका और उसके दुमछल्लों को जो उखाड़ना है उखाड़ लें. कोई घंटा फर्क नहीं पड़ने वाला है. एक स्वतंत्र और आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था कई हजार परमाणु बमों से कहीं शक्तिशाली है और पूंजीवाद और उसके विस्तारित रुप साम्राज्यवाद के लिए मौत का फरमान है. इसलिए पूंजीवाद पूरी जान लगा देगा पर उतर कोरिया की यह सच्चाई कभी सामने नहीं आने देगा.

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