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मार्क्सवाद- लेनिनवाद और जूछे

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 कई कम्युनिस्ट या कम्युनिस्ट समर्थकों में यह भ्रांति बहुत बुरी तरह से फैली हुई है कि जनवादी कोरिया मार्क्सवाद- लेनिनवाद का पूरी तरह से परित्याग कर अपनी एक नई विचारधारा जूछे से संचालित होता है. इसके लिए वे तर्क देते हैं कि जनवादी कोरिया से मार्क्सवाद-लेनिनवाद के संदर्भ धीरे-धीरे गायब हो रहे हैं . सबसे पहले मार्क्सवादी- लेनिनवादी संदर्भ 1980 में पार्टी चार्टर और 1992 में संविधान से हटे और 2012 में राजधानी फ्यंगयांग के किम इल संग स्क्वायर से मार्क्स और लेनिन के चित्रों को हटा दिया गया था. पर 1 जून 2024 को जनवादी कोरिया की वर्कर्स पार्टी के सेंट्रल कैडरों के लिए खुले नए पार्टी स्कूल की मुख्य इमारत पर मार्क्स और लेनिन के विशाल चित्र शान से मौजूद हैं. इसके अलावा, जनवादी कोरिया दुनिया के उन कुछ देशों में से एक है जहां आप मार्क्सवाद-लेनिनवाद और द्वंद्वात्मक भौतिकवाद की विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर सकते हैं. स्कूल की किताबों में भी मार्क्स, एंगेल्स और लेनिन के बारे में विस्तार से पढ़ाया जाता है. सच यही है कि जनवादी कोरिया ने वास्तव में मार्क्सवाद- लेनिनवाद के क्रांतिकारी सिद्धांतों सर्वहारा

यूक्रेन में जनवादी कोरिया के सैनिक (?)-2

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  तथाकथित मुख्यधारा का मीडिया लगभग 2 महीने से इस बात को जोर शोर से कह रहा है कि  जनवादी कोरिया ने यूक्रेन युद्ध में रुस की मदद के लिए अपनी सेना भेजी है. पर इस तथाकथित मुख्यधारा की मीडिया में रिपोर्टें विरोधाभासी और धुंधली हैं. सैनिकों की अलग-अलग संख्याएँ बताई गई हैं. कुछ का दावा है कि जनवादी कोरिया ने अपने 10, 000   सैनिक रुस की मदद करने के लिए भेजे हैं तो किसी का दावा है कि ये संख्या 15, 000 हो सकती है . इसके अलावा कुछ पश्चिमी मीडिया आउटलेट्स का कहना है कि जनवादी कोरिया के सैनिक अभी तक नहीं पहुंचे हैं और अन्य का दावा है कि जनवादी कोरिया के सैनिक पहले से ही यूक्रेन में लड़ रहे हैं. निःसंदेह यदि बड़ी संख्या में जनवादी कोरिया के सैनिक यूक्रेन में रूस की तरफ से लड़ रहे होते, तो कुछ ही दिनों में यूक्रेन का सब कुछ ख़त्म हो जाता. कहने की जरूरत नहीं है, यूक्रेन में जनवादी कोरिया की सैनिकों की मौजूदगी के "सबूत" में गई खराब फोटोशॉप तस्वीरें और वीडियो ही हैं जाहिर है इनके पास कोई पुख्ता सबूत नहीं है. आइए इनके द्वारा पेश की गई सबूतों का एक एक करके विश्लेषण करें. सबसे पहले,  यूक्र

ह्वासंग-फो-19

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  31 अक्टूबर 2024 की सुबह  कॉमरेड किम जंग उन के नेतृत्व में  जनवादी कोरिया में एक और धमाकेदार घटना घटी.  कॉमरेड किम जंग उन की उपस्थिति में जनवादी कोरिया के मिसाइल प्रशासन द्वारा नए ह्वासंग-फो 19 अंतरमहाद्वीपीय बैलेस्टिक मिसाइल (ICBM) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया. ह्वासंग-फो-19 मिसाइल 7687.5 किमी की अधिकतम ऊंचाई तक पहुंच गया और जनवादी कोरिया के पूर्वी सागर के खुले पानी में पूर्व-निर्धारित लक्ष्य क्षेत्र पर उतरने से पहले 5 .156 सेकंड के लिए 1001.2 किमी की दूरी तय की. कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी ने कहा कि "उस पल, पूर्ण शक्ति वाली इकाई (मिसाइल) ने जनवादी कोरिया की जनता के कट्टर दुश्मनों और पृथ्वी पर सभी बुराइयों और अन्याय को दंडित करने और दुश्मन को नष्ट करने की दृढ़ इच्छाशक्ति से भरी अपनी प्रभावशाली छवि का खुलासा किया". यहाँ पर निम्नलिखित बातों को स्पष्ट करना जरूरी है    सबसे पहले, ह्वासंग-फो 19 आईसीबीएम परीक्षण अमेरिकी साम्राज्यवादियों, दक्षिण कोरियाई कठपुतलियों और अन्य प्रतिक्रियावादी ताकतों के बढ़ते उकसावे और दबाव का मुकाबला करने के लिए एक उचित उपाय था. अमेरिकी साम्र

दक्षिण कोरियाई कठपुतलियों के ड्रोन ऑपरेशन की विफलता और युद्ध का खतरा

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  16 अक्टूबर, 2024 को, रूसी मीडिया  'रोसिस्काया गज़ेटा' ने फ्यंगयांग में रूसी राजदूत, अलेक्जेंडर मत्सेगोरा के साथ एक साक्षात्कार  करते हुए एक लेख प्रकाशित किया.  साक्षात्कार लेख में, राजदूत मत्ज़ेगोरा ने कहा कि 9 अक्टूबर, 2024 को लगभग 00:30 बजे, रूसी दूतावास के लोग धूम्रपान करने के लिए दूतावास की बालकनी से बाहर गए और उन्होंने एक ड्रोन को "ठीक ऊपर" उड़ते हुए सुना और कहा कि ड्रोन ने "कम से कम" तीन चक्कर लगाए  साथ ही, उन्होंने कहा कि 10 अक्टूबर, 2024 को उन्होंने अपनी आंखों से दक्षिण कोरिया के पर्चे देखे, जो  जनवादी कोरिया के सामाजिक सुरक्षा मंत्रालय के सुरक्षा एजेंटों ने रूसी दूतावास के आसपास एकत्र किए थे. जनवादी कोरिया में रुस के राजदूत मत्ज़ेगोरा के साक्षात्कार लेख से निम्नलिखित बातों का खुलासा होता है 1. कोरिया की वर्कर्स पार्टी की केंद्रीय समिति का मुख्यालय फ्यंगयांग के केंद्रीय जिले में स्थित है, और रूसी दूतावास भी फ्यंगयांग  के केंद्रीय जिले में स्थित है. यह तथ्य कि रूसी दूतावास के लोगों ने "सीधे ऊपर" उड़ रहे एक ड्रोन की आवाज़ सुनी, जनवादी

यूक्रेन में जनवादी कोरिया के सैनिक (?)-1

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  यूक्रेन में "उत्तर कोरियाई सैनिकों" की मौजूदगी के बारे में तथाकथित मुख्यधारा की मीडिया में काफी अफवाह है. वास्तव में जनवादी कोरिया ने पिछले साल यूक्रेन में सेना और/या सैन्य आपूर्ति भेजने की फर्जी खबरों का खंडन किया था. हाल ही में, रूस ने इस बात से इनकार किया है कि यूक्रेन में जनवादी कोरिया के सैनिक हैं. और तो और अब नाटो ने भी यूक्रेन के उत्तर कोरियाई सैनिकों के दावे को नकार दिया है. खबर तो यह भी थी कि यूक्रेन में जनवादी कोरिया के 10,000 सैनिक तैनात हैं. पर वास्तव में जनवादी कोरिया ने अपने इतिहास में कभी भी देश के बाहर 10,000 सैनिकों को तैनात नहीं किया है.अमेरिकी साम्राज्यवादियों के खिलाफ युद्ध के दौरान जनवादी कोरिया ने  वियतनाम में बहुत कम संख्या में केपीए (कोरियन पीपुल्स आर्मी) सैनिकों और वायु सेना के पायलटों को तैनात किया  था. इसी प्रकार केपीए वायु सेना के पायलटों ने 1973 में मिस्र और सीरिया में लड़ाई लड़ी लेकिन संख्या कम था. जनवादी कोरिया ने लगभग एक दर्जन देशों में कम संख्या में प्रशिक्षकों या विशेषज्ञों को भी तैनात किया लेकिन  यह आंकड़ा कभी 10,000 तक नहीं पहुंचा. जब ज

फासीवादी दक्षिण कोरिया के ड्रोन घुसपैठ पर काॅमरेड किम य जंग का बयान

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  विगत 11 अक्टूबर को वर्कर्स पार्टी ऑफ कोरिया की केंद्रीय समिति के उप विभाग निदेशक कॉमरेड किम य जंग ने अपनी के प्रेस वार्ता में जनवादी कोरिया के क्षेत्र में ड्रोन घुसपैठ के लिए दक्षिण कोरियाई कठपुतलियों की निंदा की.  इसके पहले इस संबंध में जनवादी कोरिया के विदेश मंत्रालय की कड़े वक्तव्य से फासीवादी दक्षिण कोरियाई कठपुतलियाँ हैरान हो गईं और उन्होंने ड्रोन घुसपैठ जैसी गहरी उत्तेजक कार्रवाई के लिए यह वक्तव्य देकर अपनी जिम्मेदारी से बचने की कोशिश की कि जनवादी कोरिया में घुसपैठ करने वाले ड्रोन सैन्य ड्रोन नहीं थे. कॉमरेड किम य जंग ने अपने बयान में दक्षिण कोरियाई कठपुतलियों को उनके झूठ बोलने और टालमटोल से इनकार करने के लिए आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि " अगर दक्षिण कोरिया यह सोचता है कि कि हमारे राज्य की संप्रभुता पर इतना गंभीर उल्लंघन करने के बाद उन्हें दंडित नहीं किया जा सकता है तो ये उनका गलत आकलन है.हालाँकि उनकी सेना ढिठाई से दावा करती है कि उन्होंने ऐसा नहीं किया, और वह अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की चिंता से बच गई. " कॉमरेड किम य जंग ने दक्षिण कोरियाई कठपुतलियों के बयानों का

फासीवादी दक्षिण कोरिया का घोर निंदनीय कृत्य

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 फासीवादी दक्षिण कोरियाई कठपुतलियों ने जनवादी कोरिया की क्रांतिकारी राजधानी फ्यंगयांग के आसमान में ड्रोन भेजे ! 3 अक्टूबर और 9 अक्टूबर को अमेरिकी कठपुतली दक्षिण कोरिया ने ड्रोन से जनवादी कोरिया में घुसपैठ की और 10 अक्टूबर को, वर्कर्स पार्टी ऑफ कोरिया की स्थापना की सालगिरह पर, ड्रोन ने फ्यंगयांग में जनवादी कोरिया विरोधी पर्चे बिखेरे. ड्रोन द्वारा बिखेरे गए इन पर्चों में जनवादी कोरिया की समाजवादी व्यवस्था की निंदा की गई थी. यह स्पष्ट रूप से एक अस्थिरता अभियान था जिसका उद्देश्य जनवादी कोरिया में समाजवादी व्यवस्था को उखाड़ फेंकना था. इसमें कोई शक नहीं होना चाहिए कि फासीवादी दक्षिण कोरियाई कठपुतलियाँ जनवादी कोरिया की उस समाजवादी व्यवस्था को उखाड़ फेंकने की बेताब कोशिश कर रही हैं जो दिन-ब-दिन मजबूत होती जा रही है.  जैसा कि जनवादी कोरिया के विदेश मंत्रालय का कहना था, "दक्षिण कोरिया जनवादी कोरिया के खिलाफ अपनी उकसावे पूर्ण कारवाई में लाल रेखा को पार कर रहा है." जनवादी कोरिया के क्षेत्र में ड्रोन की घुसपैठ उसकी संप्रभुता का उल्लंघन है और अंतरराष्ट्रीय कानून के खिलाफ भी है. जनवादी क

जनवादी कोरिया की स्वतंत्र साम्राज्यवाद विरोधी नीति का समर्थन करो!

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  जनवादी कोरिया की एयरोस्पेस टोही एजेंसी, जो वहाँ की एक नई खुफिया एजेंसी है और सीधे जनवादी कोरिया के राज्य प्रमुख के प्रति  जवाबदेह  है, ने सोमवार 23 सितंबर को  दक्षिण कोरिया के पुसान  बंदरगाह  पर एक असामान्य वस्तु का पता लगाया था.   यह असामान्य वस्तु अमेरिकी परमाणु पनडुब्बी थी. इस अमेरिकी परमाणु पनडुब्बी को 2020 में कमीशन किया गया था और इसने पहली बार दक्षिण कोरिया के पुसान बंदरगाह पर अपने अस्तित्व का खुलकर खुलासा किया है. जैसा कि जनवादी कोरिया का मानना ​​है कि यह कोई ' ऐवेंही सैर सपाटे पर नहीं आया है. 2024 की शुरुआत में अमेरिका ने मिनटमैन-3 (Minuteman-3) अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों और गुप्त परमाणु बमवर्षक बी21 रेडर (B21 Raider) का परीक्षण किया. इस प्रकार अमेरिका ने 3 अलग-अलग प्रकार की परमाणु हथियार सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया है. पुसान में अमेरिकी परमाणु पनडुब्बी की मौजूदगी से पता चलता है कि अमेरिका जनवादी कोरिया को डराने-धमकाने के लिए कोरियाई प्रायद्वीप में खुल्लमखुल्ला परमाणु हथियार तैनात कर रहा है. जनवादी कोरिया के स्वतंत्रता की एक मजबूत शक्ति और न्याय के किले के र

जनवादी कोरिया को नहीं है बाहरी सहायता की दरकार!

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  जनवादी कोरिया के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र के बाढ़ की चपेट में आने के बाद काॅमरेड किम जंग उन ने कहा कि "हमने राज्य के मामलों के सभी क्षेत्रों और प्रक्रियाओं में जनता पर दृढ़ विश्वासऔर आत्मनिर्भरता के आधार पर समस्याओं से पूरी तरह निपटने के रास्ते को प्राथमिकता दी है.  पार्टी केंद्रीय समिति और सरकार चल रहे पुनर्वास  कार्यक्रम में भी पूरी तरह से हमारे लोगों के देशभक्तिपूर्ण उत्साह और साहस और हमारे देश की क्षमताओं पर भरोसा करेगी." इस प्रकार जनवादी कोरिया आत्मनिर्भरता के सिद्धांत के द्वारा अपने प्रयासों से ही बाढ़ से हुई क्षति पर काबू पा रहा है  .हालाँकि पश्चिमी मुख्यधारा मीडिया और तथाकथित "उत्तर कोरिया विशेषज्ञों" (जिन्हें वास्तव में सीआईए या दक्षिण कोरिया या दोनों द्वारा पाला जाता है) द्वारा इसकी आलोचना की जा रही है.यहाँ तक कि "भुखमरी" के भी दावे किये जा रहे हैं। बेशक 'भुखमरी' एक मिथक है, अगर आपने इस तथाकथित मुख्यधारा के मीडिया  की खबरों को गंभीरता से लिया होता तो अब तक जनवादी कोरिया की पूरी आबादी एक बार नहीं बल्कि चार या पांच बार भूख से मर चुकी होती.

झूठ झूठ और केवल झूठ! -3

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  इन दिनों ब्लॉमबर्ग, इंडिपेंडेंट और  "गार्जियन"  जैसे तथाकथित वैश्विक मुख्यधारा की मीडिया और उनकी झूठन परोसने वाला तथाकथित "प्रगतिशील" इंडियन एक्सप्रेस यह दावा कर रहा है कि जनवादी कोरिया (जिसे ये उत्तर कोरिया जैसे गलत नाम से पुकारते हैं) ने बाढ़ की समस्याओं पर अनाम अधिकारियों को फांसी दे दी है या फांसी दे दी होगी. इनकी खबरों में किसी भी अधिकारी का नाम नहीं लिया गया है और न ही यह बताया गया है कि उन्हें कैसे फाँसी दी गई या उन्हें कहाँ फाँसी दी गई या कथित फाँसी किस तारीख को दी गई? सच तो यह है कि जनवादी कोरिया की मीडिया में किसी फांसी या मुकदमे की रिपोर्ट नहीं की गई है. जनवादी कोरिया के प्रमुख अखबार रोदोंग  सिनमुन के ऑनलाइन अंग्रेजी संस्करण के 3,4 और 5 सितम्बर की प्रमुख खबरों का स्क्रीन शॉट लगाया गया है. इसमें कहीं भी फांसी के फ शब्द का जरा सा भी जिक्र नहीं है. अनुमान लगाएं कि इस तथाकथित "जानकारी" का स्रोत क्या है? यह वास्तव में दक्षिण कोरियाई कठपुतली मीडिया में उद्धृत दक्षिण कोरियाई कठपुतली "नेशनल इंटेलिजेंस सर्विस" है! दूसरे शब्दों में, यह फर्ज

बाढ़ पीड़ितों का सत्कार

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  जनवादी कोरिया हाल में आई भीषण बाढ़ के कारण अपने घर खोने वाले स्थानीय निवासियों के लिए लगातार विभिन्न कदम उठा रहा है, जिसमें  राजधानी फ्यंगयांग में सरकारी सुविधाओं में रहने की अनुमति देना भी शामिल है. विगत 15 अगस्त को काॅमरेड किम जंग उन ने इसी दिन फ्यंगयांग पहुंचे बाढ़ प्रभावित उत्तरी फ्यंगआन  प्रांत (평안북도), छागांग प्रांत (자강도)और  रयांग्गयांग प्रांत(량강도) के निवासियों का स्वागत किया. बच्चों, छात्रों, बुजुर्गों, रोगियों, सैनिकों और माताओं सहित लगभग 13, 000 लोगों ने  25 अप्रैल होटल और सैन्य परेड प्रशिक्षण शिविर के अतिथि गृह में प्रवेश किया इस अवसर पर  वर्कर्स पार्टी ऑफ कोरिया और सरकारी अधिकारी भी काॅमरेड किम जंग उन के साथ थे. इसके अलावा ऐसे कदम भी उठाए गए  थे कि  बाढ़ पीड़ित अपनी चिंताओं को भूल सकें और राजधानी फ्यंगयांग में बेफिक्र होकर रह सकें. इस संबंध में, कोरिया की वर्कर्स पार्टी की केंद्रीय समिति के द्वारा आपातकालीन सहायता प्रदान करने के उपायों को दृढ़ता से लागू किया गया , और  बाढ़ प्रभावितों को ठहराए गई  जगहों में  बच्चों, छात्रों और वयस्कों के पढ़ाई और देखभाल, रहने और आराम और