ऑपरेशन फ्रीडम शील्ड मुर्दाबाद!!

 6 मार्च को अमेरिकी साम्राज्यवादियों और उसकी कठपुतली दक्षिण कोरियाई सेना ने घोषणा की कि 10 मार्च से 21 मार्च तक अमेरिका और दक्षिण कोरियाई सेना जनवादी कोरिया के खिलाफ "फ्रीडम शील्ड 2025" युद्ध अभ्यास करेगी.यह 11 दिनों तक चलेगा. "फ्रीडम शील्ड" एक अमेरिकी साम्राज्यवादियों का सालाना युद्ध अभ्यास है.


इन 11 दिनों तक अमेरिका और कठपुतली दक्षिण कोरिया की सेनाऐं स्थल, समुद्र, वायु, अंतरिक्ष और साइबर युद्ध द्वारा जनवादी कोरिया पर हमला और उसपर कब्जा करने का अभ्यास करेंगी. कठपुतली दक्षिण कोरिया के 19,000 सैनिक इसमें भाग लेंगे. अमेरिकी साम्राज्यवादियों ने इस बात का खुलासा करने से इंकार कर दिया है कि उसके कितने सैनिक इसमें भाग लेंगे.


जनवादी कोरिया की कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी (केसीएनए) ने टिप्पणी की "हर मार्च में, कोरियाई प्रायद्वीप के दक्षिणी भाग से निश्चित रूप से एक धूमिल युद्ध की हवा चलती है।" केसीएनए ने यह भी बताया कि "2025 में फ्रीडम शील्ड जल्द ही कोरियाई प्रायद्वीप में बिगड़ती स्थिति का तूफान लाएगी क्योंकि यह अपनी सभी मौजूदा बुराईयों के साथ बार-बार सबसे खराब बदलाव से गुजरा है". 


अमेरिका और दक्षिण कोरियाई कठपुतली सेना ने स्वीकार किया है कि वे अभ्यासों का पैमाना बढ़ा रहे हैं. पिछले साल 10 ब्रिगेड स्तर के प्रशिक्षण अभ्यास आयोजित किए गए थे, लेकिन इस साल 16 हैं यानि 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. यह सिर्फ़ यह दर्शाता है कि अमेरिकी साम्राज्यवादी जनवादी कोरिया पर सैन्य दबाव बढ़ा रहे हैं.

इसके अलावा अमेरिका के चाकर देश जो अमेरिका नियंत्रित "संयुक्त राष्ट्र कमान" (यूएनसी) के सदस्य हैं, वे अभ्यासों में शामिल होंगे, इन देशों में ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, कनाडा, कोलंबिया, डेनमार्क, फ्रांस, जर्मनी, ग्रीस, इटली, नीदरलैंड, नॉर्वे, फिलीपींस, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किये और थाईलैंड शामिल हैं. जिससे उन्हें बहुराष्ट्रीय आयाम मिलेगा यह अभी स्पष्ट नहीं है कि इनमें से कौन से देश इसमें शामिल होंगे.


यह ध्यान देने की बात है कि यहाँ संयुक्त राष्ट्र कमांड कोई संयुक्त राष्ट्र एजेंसी नहीं है - यह एक गैर-जिम्मेदार सैन्य गठबंधन है .जिसे संयुक्त राष्ट्र नहीं बल्कि संयुक्त राज्य अमेरिका नियंत्रित करता है. 1950 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् ने इसके गठन की केवल अनुशंसा (Recommend) भर की थी. 1994 में संयुक्त राष्ट्र के तत्कालीन महासचिव बुतरस घाली ने कहा था कि "यह संयुक्त राष्ट्र कमांड किसी भी संयुक्त राष्ट्र के अंग की जिम्मेदारी के अंदर नहीं आता है. लेकिन यह अमेरिका का मामला है".

बहुत से लोगों को संयुक्त राष्ट्र के नाम और झंडे देखकर भ्रम हो जाता है कि यह संयुक्त राष्ट्र की कोई एजेंसी है. 

संयुक्त राष्ट्र कमांड वही सैन्य गुट है जिसे अमेरिका ने कोरियाई युद्ध में संगठित किया था, और यह वही शाखा है जिसके माध्यम से अमेरिका आज उत्तर- दक्षिण कोरिया के बीच विसैन्यीकृत क्षेत्र(Demilitarized Zone DMZ) को नियंत्रित करता है और जापान में अमेरिकी सेना की मौजूदगी को जायज ठहराने के लिए भी इसी संयुक्त राष्ट्र कमांड का इस्तेमाल करता है.

उधर 6 मार्च को अक्षम दक्षिण कोरियाई कठपुतलियों ने खुद पर बम गिरा दिया. उस दिन इन मूर्खो ने लाइव - फायर ड्रिल के दौरान दक्षिण कोरिया के सीमावर्ती गाँव नोगोक - री के घरों और चर्चों पर बम गिरा दिया, जिससे 29 नागरिक घायल हो गए. यह घटना दिखाती है कि अमेरिका और दक्षिण कोरिया द्वारा किए गए युद्ध अभ्यास कितने खतरनाक हैं!


ज़रा सोचिए कि अगर उन्होंने इसी मूर्खता से जनवादी कोरिया पर बमबारी कर दी होती तो क्या होता!


युद्ध अभ्यास आसानी से वास्तविक युद्ध में बदल सकते हैं। इस तरह के अभ्यास इस आधार पर किए जाते हैं कि वास्तव में युद्ध होगा, वे निवारक (deterrent) नहीं हैं, बल्कि इरादे में आक्रामक हैं. फ्रीडम शील्ड जनवादी कोरिया पर आक्रमण करने और कोरिया प्रायद्वीप के उत्तरी भाग को अमेरिकी उपनिवेश बनाने के लिए एक पूर्वाभ्यास है. फ्रीडम शील्ड का उद्देश्य जनवादी कोरिया की समाजवादी व्यवस्था को उखाड़ फेंकना है.


यह तथ्य कि फ्रीडम शील्ड 2025 आगे बढ़ रहा है, यह दर्शाता है कि ट्रम्प की जनवादी कोरिया के साथ बातचीत की बात निरर्थक है.


अमेरिकी साम्राज्यवादियों कोरिया छोड़ो!! 

ऑपरेशन फ्रीडम शील्ड मुर्दाबाद!! 

जनवादी कोरिया की रक्षा करो!!! 

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