काॅमरेड किम इल संग की उपलब्धियां -3



आज की तारीख में दुनिया में एक ऐसा देश भी है जो समाजवाद और साम्राज्यवाद के बीच संघर्ष की अग्रिम पंक्ति में है, वह देश है कोरिया जनवादी लोकतांत्रिक गणराज्य ( Democratic People's Republic of Korea, DPRK) या जनवादी कोरिया जिसे उत्तर कोरिया के नाम से भी जाना जाता है . विगत 15 अप्रैल को जनवादी कोरिया के संस्थापक कॉमरेड किम इल संग के जन्म की 112वीं वर्षगांठ थी और साथ ही अप्रैल में ही काॅमरेड किम जंग उन के सर्वोच्च नेतृत्व की 12वीं वर्षगांठ है. 


काॅमरेड किम इल संग और काॅमरेड किम जंग उन दोनों का नेतृत्व जनता पर केन्द्रित और जूछे विचार पर आधारित कोरियाई शैली के समाजवाद के निर्माण के काम से गहराई से जुड़ा हुआ है. जूछे विचार काॅमरेड किम इल संग द्वारा लिखा गया था और उनके उत्तराधिकारी काॅमरेड किम जंग इल द्वारा गहराई से विकसित किया गया था.


पिछले कुछ दिनों में हमने जूछे-आधारित समाजवाद और सनगुन (सेना पहले) नीति की एक उल्लेखनीय उपलब्धि देखी है, अर्थात् नई प्रकार की मध्यवर्ती दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल, ह्वासोंग फो-16-ना का परीक्षण. 2 अप्रैल 2024 को काॅमरेड किम जंग उन की उपस्थिति में इस मिसाइल का परीक्षण किया गया. इस दिन राजधानी फ्यंगयांग के एक उपनगर में एक सेना इकाई के प्रशिक्षण क्षेत्र में उत्तर-पूर्व की ओर लॉन्च होने के बाद मिसाइल से अलग हुआ हाइपरसोनिक ग्लाइड वाहन 101.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर अपने पहले शिखर पर और 72.3 किलोमीटर की ऊंचाई पर अपने दूसरे शिखर पर पहुंच गया , और अपने निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार 1,000 किलोमीटर लंबी उड़ान भरी और सटीक ढंग से जनवादी कोरिया के पूर्वी सागर के पानी पर उतरा. 

 


नई मिसाइल दुश्मन के रडार से बच सकती है. इस जूछे-आधारित समाजवाद की इस महान उपलब्धि और काॅमरेड किम जंग उन के उत्कृष्ट नेतृत्व को लाल सलाम! हालांकि अमेरिका और ब्रिटेन जैसे साम्राज्यवादियों ने मिसाइल परीक्षण की निंदा की है क्योंकि वे जूछे-समाजवाद को दबाना चाहते हैं.


हाल के वर्षों में अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के साथ-साथ यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों के बावजूद जनवादी कोरिया में बड़े पैमाने पर आवास निर्माण हुआ है. हाल ही में जनवादी कोरिया ने क्षेत्रीय विकास का 20×10 नीति कार्यक्रम लॉन्च किया है.


काॅमरेड किम जंग उन के नेतृत्व में जनवादी कोरिया ने साम्राज्यवाद की तथाकथित 'सहायता', एक जहरीली कैंडी को अस्वीकार कर दिया है. जैसा कि काॅमरेड किम इल संग ने एक बार कहा था, "यह सच नहीं है कि हम सहायता के बिना नहीं रह सकते.हम न केवल सहायता के बिना भी अपनी इच्छानुसार जी सकते हैं, बल्कि शानदार ढंग से समाजवाद का निर्माण भी कर सकते हैं, और निश्चित रूप से ऐसा करना चाहिए''.


जब दक्षिण कोरियाई कठपुतलियों ने जानबूझकर जनवादी कोरिया में कोविड 19 फैलाया, तो जनवादी कोरिया ने अमेरिका, संयुक्त राष्ट्र और दक्षिण कोरिया की 'सहायता' को अस्वीकार करते हुए, अपने संसाधनों से स्थिति से निपटा. वर्तमान में जनवादी कोरिया साम्राज्यवाद की तथाकथित सहायता को अस्वीकार करना जारी रखा है. जनवादी कोरिया ऐसा करने में सक्षम है क्योंकि काॅमरेड किम इल संग और काॅमरेड किम जंग इल ने एक मजबूत, अजेय और टिकाऊ समाजवाद का निर्माण किया है.

यहाँ पर दुनिया में अद्वितीय, कोरियाई शैली, जूछे-आधारित समाजवाद के निर्माण में काॅमरेड किम इल संग द्वारा निभाई गई भूमिका के बारे में चर्चा करना आवश्यक है.

अगस्त 1945 में कोरिया की मुक्ति के बाद काॅमरेड किम इल संग ने जनवादी कोरिया को आत्मनिर्भरता के मार्ग पर आगे बढ़ाया. नया जनवादी कोरिया किसी की कठपुतली नहीं था और न ही किसी दूसरे देश की नकल था. कुछ गुटवादियों ने जोर देकर कहा कि एक बुर्जुआ गणराज्य होना चाहिए , अन्य गुटों ने तत्काल समाजवादी क्रांति और सर्वहारा वर्ग की तत्काल तानाशाही की मांग की. पर कॉमरेड किम इल संग ने इन तर्कों का खंडन करते हुए कहा कि “वर्तमान चरण में कोरियाई क्रांति एक साम्राज्यवाद-विरोधी, सामंतवाद-विरोधी जनवादी क्रांति है. हमें प्रगतिशील जनवाद की राह पर चलना चाहिए जो कोरियाई स्थिति के अनुकूल हो - जिसमें न तो सोवियत लोकतंत्र और न ही अमेरिकी 'लोकतंत्र' की कोई जगह न हो. प्रगतिशील जनवाद की राह, वर्तमान में कोरियाई क्रांति के लिए सही राह है" .                      

 साम्राज्यवाद-विरोधी, सामंतवाद-विरोधी लोकतांत्रिक क्रांति की राह पर चलते हुए काॅमरेड किम इल संग ने 9 सितंबर 1948 को डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया यानि जनवादी कोरिया की स्थापना की.एक नए देश के निर्माण के पहले दिनों से ही उन्होंने एक स्वतंत्र राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर बल दिया. 1950 के दशक के उत्तरार्ध में बड़ी शक्तियों के अंधराष्ट्रवादियों और आधुनिक संशोधनवादियों ने जनवादी कोरिया को सोवियत खेमे के COMECON या CMEA में शामिल होने के लिए मजबूर करके जनवादी कोरिया की अर्थव्यवस्था को अपने अधीन करने की कोशिश की. काॅमरेड किम इल संग ने इससे इनकार कर दिया. संशोधनवादियों ने कहा कि जनवादी कोरिया को भारी उद्योग विकसित नहीं करना चाहिए, बल्कि केवल खनिज और कृषि उत्पादों का उत्पादन करना चाहिए और उन्हें निर्यात करना चाहिए. कट्टर संशोधनवादी और गद्दार ख्रुश्चोव ने एक बार जनवादी कोरिया को बिजली की आपूर्ति करने की पेशकश की थी लेकिन काॅमरेड किम इल संग ने यह कहते हुए इसे अस्वीकार कर दिया कि अगर जनवादी कोरिया ने उनसे असहमति व्यक्त की तो संशोधनवादी बिजली बंद कर देंगे. जनवादी कोरिया ने भारी मशीन निर्माण उद्योग के साथ एक स्वतंत्र राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का निर्माण किया.इसकी वृद्धि अभूतपूर्व थी, 1950 के दशक के अंत में वृद्धि दर प्रति वर्ष 36 प्रतिशत तक पहुँच गई. इसने ब्रिटिश अर्थशास्त्री प्रोफेसर जुआन रॉबिन्सन को जनवादी कोरिया के विकास को कोरियाई चमत्कार के रूप में वर्णित करने के लिए मजबूर किया.               

काॅमरेड किम इल संग ने कृषि सहयोग जैसे कई मुद्दों पर मूल नीतियां भी सामने रखीं. हठधर्मितावादियों ने कृषि सहकारिता का विरोध करने की कोशिश की और कहा कि सहकारिता केवल तभी लागू की जा सकती है जब मशीनीकरण पहले पूरा हो जाए. पर काॅमरेड किम इल संग ने कहा कि अगर यह लोगों की मांग है तो इसे पूरा किया जाना चाहिए और उन्होंने सहकारिता के लिए आंदोलन का नेतृत्व किया. जनवादी कोरिया में सहकारिताकरण 1958 तक पूरा हो गया था. जनवादी कोरिया के पास 100 प्रतिशत सामाजिक स्वामित्व वाली कृषि थी जबकि कुछ समाजवादी देशों ने या तो कृषि को ज्यादातर निजी हाथों में छोड़ दिया था या 100 प्रतिशत सामाजिक स्वामित्व तक नहीं पहुंच पाए थे.

काॅमरेड किम इल संग ने सही जूछे-आधारित नीतियों को आगे बढ़ाया, जो वाम और दक्षिणपंथी दोनों भटकाव से बचती थीं. 1960 के दशक में आधुनिक संशोधनवाद और इसके प्रति वामपंथी अतिवादी प्रतिक्रिया के कारण अंतरराष्ट्रीय कम्युनिस्ट आंदोलन और समाजवादी खेमा बुरी तरह विभाजित हो गया. कई समाजवादी देश दक्षिणपंथ की ओर झुक गए और कुछ अन्य अवसरवादी वामपंथ की ओर झुक गए, जिसके परिणामस्वरूप समाजवादी निर्माण में गंभीर समस्याएं पैदा हुईं. अंततः संशोधनवादी और दक्षिणपंथी अवसरवादी रास्ते पर चलने वाले कुछ समाजवादी देश ध्वस्त हो गये. 

काॅमरेड किम इल संंग ने कहा कि "आधुनिक संशोधनवाद मार्क्सवाद-लेनिनवाद को संशोधित करता है और 'बदली हुई स्थिति' और 'रचनात्मक विकास' के बहाने इसके क्रांतिकारी सार को कमज़ोर करता है. यह वर्ग संघर्ष और सर्वहारा वर्ग की तानाशाही को अस्वीकार करता है; यह वर्ग सहयोग का उपदेश देता है आधुनिक संशोधनवाद ने साम्राज्यवाद के बारे में भ्रम फैलाया और सामाजिक और राष्ट्रीय मुक्ति के लिए लोगों के क्रांतिकारी संघर्ष को हर तरह से बाधित किया.हमें 'वामपंथी' अवसरवाद के साथ-साथ आधुनिक संशोधनवाद से भी लड़ना होगा.'वामपंथी' अवसरवादी बदली हुई वास्तविकताओं को ध्यान में रखने में विफल रहते हैं और हठधर्मिता से मार्क्सवाद-लेनिनवाद के पृथक प्रस्तावों की तलाश करते हैं; वे अति-क्रांतिकारी नारों के तहत लोगों को चरमपंथी कार्रवाई की ओर ले जाते हैं. वे पार्टी को जनता से भी अलग कर देते हैं."

  इस प्रकार काॅमरेड किम इल संग ने यह सुनिश्चित किया कि जनवादी कोरिया आधुनिक संशोधनवाद या वामपंथी अवसरवाद या अति वामपंथ के जाल में न फंसे.उन्होंने सर्वहारा वर्ग की तानाशाही, अर्थव्यवस्था और समाजवाद की पूर्ण जीत से संबंधित जूछे-आधारित सिद्धांतों को सामने रखा.


जब कुछ समाजवादी देश पटरी से उतर गए और सुधार और खुलेपन  के लिए आगे बढ़े तब काॅमरेड किम इल संग ने इसका विरोध करते हुए कहा कि "जनता की सरकार को पूंजीवाद और संशोधनवाद के जहरीले विचारों से बचना चाहिए और इसके खिलाफ दृढ़ता से लड़ना चाहिए.


 उन्होंने बिना सोचे-समझे खुलेपन के खिलाफ भी चेतावनी दी, उन्होंने बताया कि "लापरवाही से मच्छरों और मक्खियों के उड़ने और उससे नुकसान हो सकता है. हमें अन्य देशों के साथ आदान-प्रदान और संयुक्त उद्यम करना चाहिए, लेकिन हमें उन कीड़ों को घुसपैठ से रोकने के लिए मच्छरदानी लगानी चाहिए" 

जब अन्य समाजवादी देश रेत के महल की तरह ढह गए, तो जनवादी कोरिया चट्टान की तरह मजबूती से खड़ा रहा और नीचे नहीं गिरा. इसने समाजवादी सिद्धांतों को कायम रखा जब दूसरों ने उन्हें त्याग दिया। जुचे-आधारित, मूल नीतियों और लाइनों के चलते कोरियाई शैली का समाजवाद सबसे टिकाऊ और हमेशा विजयी है!


काॅमरेड किम इल संग के काम को काॅमरेड किम जंग इल ने आगे बढ़ाया और जारी रखा. इसके बाद नेतृत्व की कमान काॅमरेड किम जंग उन को सौंपी गई, जो दिसंबर 2011 में कोरियाई पीपुल्स आर्मी के सर्वोच्च कमांडर बने और अप्रैल 2012 में जनवादी कोरिया की वर्कर्स पार्टी की चौथी कांग्रेस द्वारा पार्टी और राज्य के सर्वोच्च पदों के लिए चुने गए. 


काॅमरेड किम जंग उन का युग जनवादी कोरिया के लिए तेजी से प्रगति का युग रहा है. बेशक, काॅमरेड किम इल संग द्वारा रखी गई जूछे-आधारित समाजवाद की ठोस नींव के कारण जनवादी कोरिया तेजी से आगे बढ़ने में सक्षम हुआ है.


काॅमरेड किम जंग उन के नेतृत्व में जनवादी कोरिया एक समाजवादी परमाणु शक्ति, एक आईसीबीएम शक्ति और कई उपग्रहों के साथ अंतरिक्ष शक्ति बन गया है.लोगों के जीवन स्तर में सुधार हुआ है. पिछले कुछ वर्षों में नए आवासीय इलाके, जो वास्तव में छोटे शहरों के आकार के हैं, जैसे छांगजन स्ट्रीट, मिरे साइंटिस्ट्स स्ट्रीट, रयोमॉन्ग स्ट्रीट और सोंगह्वा स्ट्रीट का निर्माण किया गया है.


आज के जनवादी कोरिया में मुफ़्त स्वास्थ्य देखभाल, मुफ़्त शिक्षा, मुफ़्त आवास, कम लागत वाला भोजन उपलब्ध है और किसी भी प्रकार का कोई टैक्स नहीं है. जनवादी कोरिया में कोई बेघर लोग, भिखारी या नशीली दवाओं का आदी नहीं है.पिछले 50 या 60 वर्षों में पश्चिमी देशों में नशीली दवाएं समाज की सर्वव्यापी विशेषता बन गई हैं. मानवीय और भौतिक दृष्टि से नशीली दवाओं से होने वाली क्षति बहुत अधिक है और कभी-कभी अनुमान से परे होती है; आत्महत्या, शीघ्र मृत्यु, बेरोजगारी, मानसिक दुर्बलता और कई अन्य प्रभाव भी ऐसे समाज में आम हैं. साथ ही नशीली दवाओं के आदी लोगों के पुनर्वास के लिए भारी धनराशि खर्च करनी पड़ती है.


हमें न केवल काॅमरेड किम इल संग के जन्म की 112वीं वर्षगांठ और काॅमरेड किम जंग उन के सर्वोच्च नेतृत्व की 12वीं वर्षगांठ मनानी चाहिए, बल्कि उनकी उपलब्धियों और जूछे-आधारित, कोरियाई शैली के समाजवाद की वास्तविकता का भी बिना अगर मगर किए बचाव करना चाहिए .


काॅमरेड किम इल संग अमर रहें!! 


काॅमरेड किम जंग उन जिंदाबाद!! 


जनवादी कोरिया जिंदाबाद!! 



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