रुस में जनवादी कोरिया के सैनिकों की तैनाती की आधिकारिक पुष्टि


जनवादी कोरिया और रूस ने जनवादी कोरियाई सैनिकों की विवादास्पद तैनाती की आधिकारिक पुष्टि कर दी है.


सबसे पहले, 26 तारीख को मीडिया के सामने यह बात उजागर हुई कि रुसी सेना प्रमुख जनरल वालेरी गेरासिमोव ने कुर्स्क क्षेत्र की मुक्ति पर राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को रिपोर्ट करते समय जनवादी कोरिया की मदद का उल्लेख किया था.

इसके बाद, कोम्सोमोल्स्काया प्रावदा जैसे रूसी मीडिया आउटलेट्स ने अधिक विस्तृत जानकारी दी, और 28 तारीख को जनवादी कोरिया ने भी रोदोंग सिनमुन के माध्यम से संबंधित जानकारी दी.


जनवादी कोरिया की सेना के तैनाती का समय

जनवादी कोरियाई सैनिकों की यह तैनाती जनवादी कोरिया और रूस के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी पर संधि के अनुसार है, जो 4 दिसंबर 2024 को प्रभावी हुई थी, इसलिए यह माना जा सकता है कि जनवादी कोरिया के सैनिकों की तैनाती संधि के लागू होने की तारीख के बाद हुई.

रुसी सेना प्रमुख जनरल गेरासिमोव ने कहा "मैं सीमावर्ती क्षेत्र कुर्स्क की मुक्ति में जनवादी कोरियाई सैनिकों की भागीदारी का विशेष उल्लेख करना चाहूंगा, जिन्होंने जनवादी कोरियाई-रूसी संधि के अनुसार यूक्रेनी सेना को हराने में महत्वपूर्ण सहायता प्रदान की."

जनवादी कोरिया-रूस संधि के अनुच्छेद 4 में यह प्रावधान है कि "यदि कोई भी पक्ष किसी अलग राज्य या कई राज्यों द्वारा सशस्त्र हमले के अधीन है और युद्ध की स्थिति में प्रवेश करता है, तो दूसरा पक्ष संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 51 और जनवादी कोरिया और रूसी संघ के कानूनों के अनुसार, अपने पास उपलब्ध सभी साधनों से बिना देरी के सैन्य और अन्य सहायता प्रदान करेगा." 

यूक्रेन ने 6 अगस्त 2024 को रूस के कुर्स्क पर हमला किया, लेकिन उस समय जनवादी कोरिया-रूस संधि लागू नहीं हुई थी.

इसलिए, यह कहा जा सकता है कि यूक्रेनी पक्ष अक्टूबर से जिस ‘जनवादी कोरियाई सैन्य टुकड़ी भेजने का दावा करता आ रहा है , उसके पक्ष में प्रस्तुत किए गए साक्ष्यों की सत्यता की अभी तक पुष्टि नहीं हुई है.

इस बीच, जनवादी कोरिया और रूस ने जनवादी कोरियाई सैनिकों की तैनाती की बात को न तो स्वीकार किया है और न ही इससे इनकार किया है. इस बारे में रूसी मीडिया ने कहा, "रूस ने न तो जनवादी कोरियाई सैनिकों की अग्रिम पंक्ति में तैनाती की पुष्टि की है और न ही इसका खंडन किया है. और हमें किसी को भी इसकी सूचना देने की कोई बाध्यता नहीं थी.यह द्विपक्षीय संबंधों और समझौतों का मामला है." 


जनवादी कोरिया द्वारा सेना भेजने की सूचना 

जनवादी कोरिया ने कहा कि काॅमरेड किम जंग उन ने यूक्रेन के कुर्स्क आक्रमण को जनवादी कोरिया-रूस संधि के अनुच्छेद 4 को सक्रिय करने की एक शर्त के रूप में देखा और "युद्ध में हमारे सशस्त्र बलों को भेजने का फैसला किया और रूसी पक्ष को सूचित किया." 

यह स्पष्ट करना जरूरी है कि सैनिकों को जनवादी कोरिया के सुझाव पर भेजा गया था, रूस के अनुरोध पर नहीं. जबकि यह दावा किया जा रहा था कि कुर्स्क आक्रमण के कारण रूस संकट में है और उसने उत्तर कोरिया से मदद मांगी है.

इस बार जो खुलासा हुआ है उससे पता चलता है कि सैनिकों को भेजने के लिए युद्ध की स्थिति कोई मानदंड नहीं थी.यह देखते हुए कि रूस ने सैनिकों की तैनाती का अनुरोध नहीं किया था, ऐसा प्रतीत होता है कि रूस का इरादा कुर्स्क आक्रमण को अपने दम पर पीछे हटाने का था.

लेकिन जनवादी कोरिया ने रूस की मदद करने की पेशकश की, भले ही रूस अकेले इस हमले से निपट सके या नहीं.

जनवादी कोरिया ने अपनी सैन्य तैनाती में विशेष अभियान बलों को भी शामिल किया.

 रूसी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, जनवादी कोरियाई सेना ने प्रशिक्षण मैदान में प्रशिक्षण से लेकर स्थिति के अनुकूल होने, रणनीति सीखने और ड्रोन संचालन कौशल को निखारने के लिए गुप्त रूप से कुर्स्क की ओर कदम बढ़ाया, शुरू में उन्हें रक्षा की तीसरी पंक्ति में तैनात किया गया, फिर धीरे-धीरे रक्षा की दूसरी और पहली पंक्ति में स्थानांतरित किया गया, और अंत में उन्होंने हमले में भाग लिया.

सैनिकों को भेजने का उद्देश्य

जनवादी कोरिया ने कहा कि काॅमरेड किम जंंग उन ने जनवादी कोरियाई सैनिकों की इस तैनाती को "दोनों देशों के बीच पारंपरिक मित्रता और एकता को और मजबूत करने, दोनों देशों के विकास और समृद्धि को सुनिश्चित करने और जनवादी कोरिया के सम्मान की रक्षा करने के लिए एक पवित्र मिशन" बताया.

जनवादी कोरियाई सरकार ने कहा कि वह "रूसी संघ जैसे शक्तिशाली देश के साथ गठबंधन करना सम्मान की बात समझती है", जबकि कोरिया की वर्कर्स पार्टी के केंद्रीय सैन्य आयोग ने कहा कि "दोनों देशों के बीच अजेय लड़ाकू मित्रता, जो खून से साबित हुई है, भविष्य में दोनों देशों के बीच सभी पहलुओं में मैत्रीपूर्ण और सहयोगी संबंधों के विस्तार और विकास में बहुत योगदान देगी."

इसे देखते हुए,यह कहा जा सकता है कि सेना भेजने का निर्णय न केवल यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में मदद के लिए लिया गया था, बल्कि जनवादी कोरिया-रूस संबंधों के विकास को ध्यान में रखते हुए भी लिया गया था.

विशेष रूप से, जनवादी कोरिया द्वारा सेना भेजने की बात ने इस धारणा पर बल दिया कि 'जनवादी कोरिया एक ऐसा देश है जो अपने सहयोगियों के दर्द से मुंह नहीं मोड़ता और मदद करने को तैयार रहता है.' 

अक्सर कहा जाता है कि अंतर्राष्ट्रीय संबंध विशुद्धतः व्यावहारिक हितों के इर्द-गिर्द घूमते हैं और कल के दुश्मन अक्सर आज के मित्र बन जाते हैं.

हालांकि, जनवादी कोरिया का मानना है कि देशों के बीच संबंधों में भी ‘विश्वास और वफादारी’ महत्वपूर्ण हैं.

यह उल्लेखनीय है कि जनवादी कोरियाई सैनिकों की तैनाती से न केवल यह स्पष्ट हो गया कि पश्चिम यूक्रेन में युद्ध नहीं जीत सकता, बल्कि यह भी संकेत मिला कि यदि कोरियाई प्रायद्वीप में युद्ध छिड़ता है तो रूस तुरंत उसमें शामिल हो जाएगा.

ऐसा माना जा रहा है कि इससे यूक्रेन में युद्ध की समाप्ति पर दबाव पड़ेगा, साथ ही कोरियाई प्रायद्वीप पर युद्ध को भी रोका जा सकेगा.

अब जब सेनाएं भेज दी गई हैं, तो ऐसा लगता है कि जनवादी कोरिया - रूस संबंध अब जनवादी कोरिया के विरुद्ध प्रतिबंधों से बंधे नहीं रहेंगे और दोनों देश न केवल पूर्ण आर्थिक सहयोग में संलग्न होंगे, बल्कि राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का भी विस्तार करेंगे.

कुछ लोगों का कहना है कि जनवादी कोरियाई सेना ने वास्तविक युद्ध के माध्यम से आधुनिक युद्ध की कार्यप्रणाली और रणनीति सीखी है, तथा यह भी सीखा है कि ड्रोनों का जवाब कैसे दिया जाए, लेकिन यह कितना सच है, इस बारे में स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता.


यद्यपि जनवादी कोरिया पर कड़े प्रतिबंध लगे हुए हैं, फिर भी वह विदेशों में तैनात अपनी मिलिट्री अटैची और मीडिया के माध्यम से अन्य देशों के युद्धों पर करीबी नजर रख सकता है, इसलिए आधुनिक युद्ध के बारे में उसकी समझ में कोई कमी नहीं होगी.

विशेष रूप से, जनवादी कोरिया विभिन्न प्रकार के ड्रोन बनाता है, इसलिए ऐसा लगता है कि उन्होंने ड्रोन का जवाब देने के तरीके पर खुद के बहुत सारे शोध किए हैं.

अमेरिका जनवादी कोरिया के बड़े पैमाने वाले प्रशिक्षण अभ्यासों पर टोही उपग्रहों और विमानों के माध्यम से नज़र रखता है, जिससे उसे जनवादी कोरिया के परिचालन और सामरिक स्तर को आंशिक रूप से समझने में मदद मिलती है. इसके आधार पर, अमेरिका हर साल नकली युद्ध आयोजित करता है, और कभी-कभी, जब उन्हें मीडिया में सार्वजनिक किया जाता है, तो परिणाम यह होता है कि अमेरिका को बड़ी क्षति होती है या वह हार जाता है.

इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि प्रतिबंधों के कारण आधुनिक युद्ध में जनवादी कोरिया की परिचालनात्मक और सामरिक क्षमताओं में कमी आई है.

जनवादी कोरिया के सैनिकों के युद्ध कौशल का मूल्यांकन

रूसी पक्ष ने जनवादी कोरियाई सेना का अत्यधिक मूल्यांकन किया.

28 तारीख को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक बयान जारी कर कहा, "हमारे जनवादी कोरियाई मित्रों ने एकजुटता, न्याय और सच्चे सौहार्द के आधार पर काम किया.हम इसे बहुत महत्व देते हैं और व्यक्तिगत रूप से चेयरमैन किम जंग उन, जनवादी कोरिया के नेतृत्व और लोगों के प्रति अपनी हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करते हैं. हम जनवादी कोरियाई सैनिकों की वीरता, उच्च स्तर के विशेष प्रशिक्षण और समर्पण को श्रद्धांजलि देते हैं, जिन्होंने रूसी सैनिकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर रूस को अपने देश की तरह बचाया.उन्होंने सम्मान और साहस के साथ अपना कर्तव्य निभाया और खुद को अमर गौरव से ढक लिया."

जनरल गेरासिमोव ने कहा, "जनवादी कोरियाई सैनिकों और अधिकारियों ने रूसी सैनिकों के साथ मिलकर युद्ध अभियानों में भाग लेते हुए यूक्रेनी आक्रमण को विफल करने की प्रक्रिया में उच्च स्तर की विशेषज्ञता, साहस और वीरता का प्रदर्शन किया." 

रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़खारोवा ने भी कहा, "जनवादी कोरियाई सैनिकों ने कुर्स्क में हमारे सैनिकों और अधिकारियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ाई लड़ी और दुश्मन आक्रमणकारियों से रूसी भूमि को मुक्त कराने में महत्वपूर्ण योगदान दिया."

रूसी मीडिया ने उन्हें “जनवादी कोरिया के सैनिकों को उत्कृष्ट संगठनात्मक कौशल, अनुशासन, मृत्यु के प्रति निडरता और अविश्वसनीय सहनशक्ति के लिए प्रतिष्ठित” बताया, और कहा कि “उनमें से अधिकांश युवा, मजबूत और शारीरिक रूप से फिट थे, और विशेष रूप से विशेष ऑपरेशन बलों से संबंधित लोगों को उचित प्रशिक्षण दिया गया था.” 

उन्होंने यह भी कहा, "उनमें से एक भी कभी पकड़ा नहीं गया, उनमें से एक भी ने आत्मसमर्पण नहीं किया," और "जनवादी कोरियाई सेना को धन्यवाद, हम अन्य मोर्चों पर दबाव बनाए रखने, डोनबास में आक्रमण जारी रखने और 95 बटालियनों वाले विशाल यूक्रेनी-यूरोपीय आक्रमण बल को भारी नुकसान पहुंचाने में सक्षम थे." जनरल गेरासिमोव ने दावा किया कि यूक्रेनी हताहतों की संख्या 76,000 से अधिक थी.

जनवादी कोरिया ने यह भी कहा कि उसने “यूक्रेनी नव-नाजी ताकतों के विनाश और रूसी संघ के क्षेत्र की मुक्ति में महत्वपूर्ण योगदान दिया.”

उन्होंने विशेष रूप से कहा, "(जनवादी कोरियाई सेना) रूसी क्षेत्र को अपना क्षेत्र मानती थी और इसकी रक्षा करने की दृढ़ इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्प की भावना के साथ, बलिदान के साथ वास्तविक युद्ध कार्रवाइयों के माध्यम से दोनों देशों के बीच दृढ़ गठबंधन को साबित किया और सैन्य कारनामों की ऐतिहासिक कहानियों को दर्ज किया."


 

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