काॅमरेड किम इल संग की उपलब्धियां -4
एक बार कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय की प्रसिद्ध अर्थशास्त्री प्रोफेसर जोआन वी रॉबिन्सन ने 1964 में जनवादी कोरिया का दौरा किया. उन्होंने प्रसिद्ध समाजवादी पत्रिका “मंथली रिव्यू” में एक लेख लिखा जिसका शीर्षक था “कोरियाई चमत्कार” जो कि जनवादी कोरिया के बारे में था. (बाद में तथाकथित मुख्यधारा की मीडिया ने इस शब्द को अपना लिया और इसका इस्तेमाल दक्षिण कोरिया जैसे नव-उपनिवेश में नकली आर्थिक विकास का वर्णन करने के लिए किया).
जनवादी कोरिया का वर्णन करते हुए प्रोफेसर राॅबिन्सन ने लिखा कि "ग्यारह साल पहले फ्यंगयांग में एक पत्थर दूसरे पर खड़ा नहीं था.(वे मानते हैं कि एक टन या उससे अधिक का एक बम प्रति व्यक्ति पर गिराया गया था.) अब दस लाख निवासियों वाला एक आधुनिक शहर चौड़ी नदी के दो किनारों पर खड़ा है, जिसमें पांच मंजिला ब्लॉकों की चौड़ी पेड़-पंक्तिबद्ध सड़कें हैं, सार्वजनिक भवन, एक स्टेडियम, थिएटर (युद्ध से बचे एक भूमिगत) और एक सुपर-डीलक्स होटल.औद्योगिक क्षेत्र में कई अद्यतन (Up-to-date) कपड़ा मिलें और एक कपड़ा मशीनरी संयंत्र शामिल हैं. चौड़ी बहाव वाली नदी और पार्क के रूप में संरक्षित छोटी-छोटी पेड़ों से ढकी पहाड़ियाँ सुखद दृश्य प्रदान करती हैं.मलबे से जल्दबाजी में बने छोटे भूरे और सफेद घर के कुछ खंड हैं, लेकिन वहां भी गलियां साफ हैं, और बिजली और पानी का प्रबंध है. यह एक बिना झुग्गियों वाला शहर है".
वास्तव में जनवादी कोरिया की उपलब्धियाँ सचमुच चमत्कारी हैं, लेकिन उनके पीछे प्रेरक शक्ति क्या थी? उनके लिए प्रेरणा क्या थी? इसका उत्तर यह है कि यह काॅमरेड किम इल संग थे.
काॅमरेड किम इल संग का जन्म जापानी उपनिवेशवाद के समय एक साधारण किसान परिवार में हुआ था, लेकिन वे एक शानदार गुरिल्ला कमांडर और परोपकारी मुक्तिदाता बन गए, जिन्होंने कोरिया की स्वतंत्रता को चुराने वाले जापानियों को हराया. काॅमरेड किम इल संग ने कम उम्र से ही स्वतंत्रता के लिए संघर्ष का नेतृत्व किया, 1926 में डाउन विद इम्पीरियलिज्म यूनियन का गठन किया और बाद में 25 अप्रैल 1932 को जापान विरोधी पीपुल्स गुरिल्ला आर्मी का गठन किया.
जापानी साम्राज्यवादी शासन से मुक्ति के बाद काॅमरेड किम इल संग ने 1940 के दशक के अंत में जापानी उपनिवेशवाद के खंडहरों पर एक जनवादी कोरिया बनाया. यह किसी दूसरे देश की नकल नहीं था और न ही किसी दूसरे देश का उपनिवेश या किसी बाहरी ताकतों पर निर्भर था बल्कि यह एक नया राज्य था जो काॅमरेड किम इल संग द्वारा जापानी विरोधी युद्ध के दिनों में लिखे गए जूछे विचार पर आधारित था. जूछे विचार किसी लाइब्रेरी या किसी बंद कमरे में नहीं बनाया गया था, बल्कि जापान विरोधी सशस्त्र संघर्ष के युद्ध के मैदानों पर बनाया गया था. जूछे विचार को एक नए राज्य के निर्माण में गहराई से लागू किया गया था.
काॅमरेड किम इल संग ने जुचे विचार के आधार पर स्वतंत्र और मौलिक नीतियां बनाईं, जैसे कि एक स्वतंत्र राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का निर्माण करना. 1947 में उन्होंने कहा कि "पूर्ण राष्ट्रीय स्वतंत्रता और संप्रभुता तथा राष्ट्रीय समृद्धि और विकास के लिए, एक स्वतंत्र राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का निर्माण करना चाहिए और इस प्रकार आर्थिक स्वतंत्रता को मजबूती से सुनिश्चित करना चाहिए."
इससे पहले 1945 में काॅमरेड किम इल संग ने फ्यंगछन में एक स्वतंत्र जूछे -आधारित हथियार उद्योग की नींव रखी थी, जिसे अब एक क्रांतिकारी स्थल के रूप में संरक्षित किया गया है.
यह फ्यंगछन ही था जहां महान नेता काॅमरेड किम इल संग के नेतृत्व में नए जूछे कोरिया ने अपना स्वतंत्र युद्ध उद्योग स्थापित किया था. सबसे पहले एक कुछ महाशक्ति के चमचों (Big Power Chauvinists )ने जनवादी कोरिया से कहा कि उन्हें न तो अपनी सशस्त्र सेना स्थापित करनी चाहिए और न ही अपना हथियार उद्योग रखना चाहिए.
काॅमरेड किम इल संग ने इस बात पर भी जोर दिया कि जनवादी कोरिया को केवल दूसरे देश द्वारा बनाए गए हथियारों को इकट्ठा नहीं करना चाहिए बल्कि उसे अपने हथियार खुद बनाने चाहिए. यह विचार जापानी विरोधी सशस्त्र संघर्ष के दिनों से ही चला आ रहा है जब कोरियाई छापामारों ने योंगिल बम बनाया था यह आशा की गई थी कि सोवियत संघ एक हथगोला फैक्ट्री के निर्माण में मदद करेगा , लेकिन किसी कारणवश ऐसा नहीं हो सका. काॅमरेड किम इल संग स्वतंत्र युद्ध सामग्री उद्योग और स्वतंत्र राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था दोनों की आवश्यकता के प्रति दृढ़ता से आश्वस्त थे.
अर्थव्यवस्था में आत्मनिर्भरता और आत्मनिर्भरता जूछे कोरिया के दो स्तंभ हैं.
1950 के उत्तरार्ध में जब जनवादी कोरिया पितृभूमि मुक्ति युद्ध के दौरान अमेरिकी साम्राज्यवादियों द्वारा किए गए भयंकर विनाश से उबर ही रहा था कि आधुनिक संशोधनवादियों और महाशक्तियों ने जनवादी कोरिया पर संशोधनवादी सोवियत संघ के नेतृत्व वाले आर्थिक मंच सी.एम.ई.ए. (CMEA)में शामिल होने के लिए दबाव डालने की कोशिश की, लेकिन उसने आर्थिक स्वतंत्रता को बनाए रखते हुए ऐसा करने से इनकार कर दिया. काॅमरेड किम इल संग ने स्वतंत्र राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को इस प्रकार परिभाषित किया;
"एक स्वतंत्र राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का निर्माण करने का अर्थ है एक विविध अर्थव्यवस्था का निर्माण करना, उसे अद्यतन प्रौद्योगिकी से सुसज्जित करना और कच्चे माल के ठोस आधार तैयार करना, जिससे एक सर्वव्यापी आर्थिक प्रणाली का निर्माण हो, जिसमें प्रत्येक शाखा संरचनात्मक रूप से परस्पर जुड़ी हो, ताकि देश को समृद्ध और शक्तिशाली बनाने और लोगों के जीवन स्तर को सुधारने के लिए आवश्यक भारी और हल्के उद्योग के अधिकांश उत्पाद और कृषि उपज घरेलू स्तर पर उपलब्ध हो सके."
ख्रुश्चेव कालीन सोवियत संघ के अंधभक्तों और आधुनिक संशोधनवादियों ने जनवादी कोरिया की अर्थव्यवस्था को अपने अधीन करने की कोशिश की लेकिन काॅमरेड किम इल संग को इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ा, वे आर्थिक स्वतंत्रता की लाइन पर अड़े रहे. पर जनवादी कोरिया सी.एम.ई.ए. में शामिल नहीं हुआ. संशोधनवादियों ने जनवादी कोरिया को लेक बैकाल पावर स्टेशन से बिजली की पेशकश करके सी.एम.ई.ए. में शामिल होने के लिए प्रेरित करने की कोशिश की.
उस समय काॅमरेड किम इल संग ने उनसे कहा: "हम आपके बिजलीघर द्वारा उत्पादित बिजली का उपयोग नहीं करेंगे; यदि हम आपसे प्राप्त बिजली पर निर्भर हो जाते हैं और फिर आप इसे आपूर्ति करने में विफल हो जाते हैं, तो हमें बहुत नुकसान होगा; यदि हमारे पास बिजलीघर से हमारे देश तक तार लगाने के लिए धन है, तो हमारे लिए इन निधियों का उपयोग हमारे देश में एक और जलविद्युत बिजलीघर बनाने के लिए करना अधिक प्रभावी होगा. आज यह और अधिक स्पष्ट हो गया है कि आत्मनिर्भरता के सिद्धांत पर अपने स्वयं के प्रयासों से समाजवाद का निर्माण करने और सी.एम.ई.ए में प्रवेश न करने का हमारा निर्णय बिल्कुल सही था".
काॅमरेड किम इल संग ने जनवादी कोरिया में जूछे-आधारित समाजवाद के निर्माण का मार्गदर्शन करने में वास्तव में अलौकिक ऊर्जा दिखाई. उन्होंने जनवादी कोरिया में समाजवाद के निर्माण का मार्गदर्शन करने के लिए दिन-रात काम किया. उन्होंने छुट्टियों और सप्ताहांत में भी काम किया.
काॅमरेड किम इल संग ने जनवादी कोरिया में 20,000 विभिन्न औद्योगिक इकाइयों का दौरा किया और 578,000 किलोमीटर से अधिक की यात्रा की, जो कई बार दुनिया भर की यात्रा करने के बराबर है. 1945 में कोरिया की मुक्ति के बाद से 1994 में उनके जीवन के अंत तक काॅमरेड किम इल संग के क्षेत्र मार्गदर्शन (Field Guidance)के दिनों की कुल संख्या 8,650 थी. यह प्रति वर्ष 176 दिन बैठता है.
काॅमरेड किम इल संग समाजवाद के निर्माण में चमत्कार करने वाले महान नेता थे.
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