चूर चूर हुआ अमेरिका के "महाशक्ति" होने का मिथक


आज से ठीक 71 साल पहले 27 जुलाई 1953 को अमेरिका अपनी हार से समाप्त हुए कोरियाई युद्ध (1950-1953) को "विजयी युद्ध" और "भूली हुई जीत" के रूप में वर्णित करता है. हालाँकि, जिस तरह सच को झूठ में नहीं बदला जा सकता, उसी तरह इतिहास में अंकित अमेरिका की हार को पलटा नहीं जा सकता.


इसका प्रमाण अमेरिकी फौज के दुखद अंत से मिलता है.
जब इसने अपने पिट्ठू दक्षिण कोरिया को जनवादी कोरिया  के खिलाफ युद्ध शुरू करने के लिए उकसाया, तो अमेरिका ने घोषणा की कि 72 घंटों में जनवादी कोरिया पर विजय प्राप्त की जाएगी. लेकिन युद्ध की शुरुआत से ही उसे एक के बाद एक झटके लगे और उसे अपनी कई बड़े डिवीजन कोरियाई मोर्चे पर भेजने पड़े.


यहाँ तक कि वे भी युद्ध का रुख नहीं मोड़ सके.

डीन, जो तथाकथित अमेरिका के "अजेय डिवीजन"  24वें डिवीजन का कमांडर था  और उसने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान यूरोप और फिलीपींस में कई मोर्चे पर अपने नेतृत्व में जीत हासिल की थी , वैसा अजेय कमांडर कोरियाई मोर्चे पर अपने डिवीजन को नष्ट होने से बचाने में विफल रहा, और वह खुद एक  सादी वर्दी में अपनी जान बचाने के लिए भागते समय कोरियाई जनसेना (Korean People's Army) के एक सैनिक द्वारा पकड़ लिया गया था.


अमेरिकी 8वीं सेना के कमांडर वॉकर का भाग्य अधिक दुखद था.वह अपने कई अधिकारियों के साथ दुश्मन की सीमा के पीछे बने दूसरे मोर्चे पर कोरियाई जनसेना इकाइयों द्वारा घात लगाकर किए गए हमले में मारा गया था.


जैसे-जैसे युद्ध चलता रहा, अमेरिकी कमांडरों को एक एक कर बर्खास्त किया जाता रहा.


1950 के अंत में युद्ध की स्थिति  अमेरिका के लिए और अधिक प्रतिकूल हो गई, जिससे अमेरिका में उथल-पुथल का दौर शुरू हो गया.व्हाइट हाउस ने जिम्मेदारी को पेंटागन पर डालने की बेतहाशा कोशिश की, रिपब्लिकन ने डेमोक्रेट पर, और ट्रूमैन ने मैकआर्थर पर आरोप लगाने वाली उंगली उठाई.

परिणामस्वरूप, कोरियाई युद्ध ने संयुक्त राष्ट्र सेना के कमांडर मैकआर्थर का शर्मनाक अंत कर दिया, जो खुद को पूर्व में नेपोलियन  कहता रहता था.


उसकी जगह रिजवे और क्लार्क ने ले ली, वे दोनों भी कुछ नहीं कर पाए और बुरी तरह विफल रहे. 

अमेरिका की आठवीं सेना के नवनियुक्त कमांडर वैन फ्लीट को "अक्षम" करार देकर बर्खास्त कर दिया गया. यूएस फ़र्स्ट मरीन कॉर्प्स कमांडर स्मिथ को "कब्र कमांडर" का उपनाम दिया गया था क्योंकि उसने अपने अधिकांश लोगों को कब्र में भेज दिया था.

जैसा कि ऊपर देखा गया, अमेरिकी कमांडर, जिन्होंने दुनिया भर में विजयी होकर प्रसिद्धि हासिल की थी, कोरियाई मोर्चे पर धूल फांकने के अलावा कुछ नहीं कर सके.

एक विदेशी सैन्य विशेषज्ञ ने कहा, "कोरियाई युद्ध उल्लेखनीय था क्योंकि इसने युद्धों के विश्व इतिहास में कई नए रिकार्ड बनाए" .सबसे पहले, यह पहला युद्ध था जो अमेरिका की हार के साथ समाप्त हुआ जिसने अबतक आधुनिक विश्व इतिहास में एक महाशक्ति के रूप में अपनी स्थिति बनाए रखी थी.जनवादी कोरिया के  सशस्त्र बलों ने दुनिया के सामने ऐसी अविश्वसनीय वास्तविकता पैदा की, परिणाम इतना अविश्वसनीय कि लोग इसे मौजूदा दृष्टिकोण और युद्ध के मानदंडों से संयोग मान सकते हैं. हालाँकि, एक सैन्य विशेषज्ञ के रूप में, मैं किसी भी मामले में युद्ध में किसी  संयोग पर विश्वास नहीं करता. प्रकृति में संयोगवश कुछ घटित हो सकता है, लेकिन युद्ध में संयोग नहीं हो सकता, जहां सैन्य शक्ति और मानसिक शक्ति एक दूसरे से टकराती हैं."

कभी क्यूबा और वियतनाम से फुर्सत मिले तो ये जानने की कोशिश जरूर कीजिएगा कि इनसे कई साल पहले एक समाजवादी मुल्क जिसे अस्तित्व में आए दो साल ही हुए थे और जिसकी सेना महज पांच साल पहले ही नियमित हुई थी, उसने किस तरह से 71 साल पहले तथाकथित महा शक्तिशाली अमेरिका को करारी शिकस्त दी थी और क्यूबा और वियतनाम के विपरीत उसके ऐसे तेवर अभी भी बरकरार हैं और युद्ध के चौतरफा खतरे के बावजूद वह दुनिया में इकलौता ऐसा मुल्क है जो  अपने दम पर अपनी सारी जनता को पूरी तरह से मुफ्त शिक्षा, मुफ्त इलाज और मुफ्त आवास देने में सक्षम है और विचारधारात्मक रुप से दुनिया की इकलौती महाशक्ति है!

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

अमेरिकी साम्राज्यवाद पर जीत के गौरवपूर्ण 70 साल

अमेरिकी साम्राज्यवाद पर जीत

असहमति का अधिकार