कोरोना वायरस के विभिन्न वेरियेंट के नए नामों पर उत्तर और दक्षिण कोरिया की रिपोर्टिंग


दुनिया भर में कोरोना वायरस के बदले रुपों यानि वेरियेंट ने भीषण तबाही मचाई, और इन वेरियेंट के साथ किसी खास देश का नाम जुड़ा था जैसे ब्रिटिश वेरियेंट, दक्षिण अफ्रीकी वेरियेंट, ब्राजीली वेरियेंट और भारतीय वेरियेंट. किसी भयानक महामारी का नाम किसी देश के साथ जोड़ा जाना ना केवल भेदभावपूर्ण था और उससे भी ज्यादा उस देश को पूरी दुनिया में कलंकित भी करता था. इन सब चीजों के मद्देनजर WHO ने इन वेरियेंट के लिए ग्रीक वर्णमाला पर आधारित नए नामों की घोषणा 1 जून 2021 को की.


दुनिया के सभी देशों की तरह उत्तर कोरिया ने भी अपनी मीडिया के माध्यम से इन नए नामों की जानकारी अपनी जनता को दी, और यहाँ हमें यह बताया जाता है कि उत्तर कोरिया के लोगों को दुनिया की कोई जानकारी नहीं है.


खैर उत्तर कोरिया ने अपनी जनता को बतला दिया कि WHO ने ब्रिटिश वेरियेंट का नाम अल्फा, दक्षिण अफ्रीकी वेरियेंट का बीटा, ब्राजीली वेरियेंट का गामा और भारतीय वेरियेंट का डेल्टा रखा है और इसके तुरंत बाद से ही उत्तर कोरिया की मीडिया में इन नए नामों से रिपोर्टिंग होने लगी. 15 जून 2021 को उत्तर कोरिया के समाचार बुलेटिन में ओमान और ब्रिटेन में  डेल्टा वायरस (जिसे पहले भारतीय वेरियेंट के नाम से जाना जाता था) से बिगड़ती स्थिति की रिपोर्टिंग की गई, इसमें एक बार भी "भारतीय वेरियेंट" शब्द नहीं बोला गया. जबकि उसी दिन दक्षिण कोरिया के सबसे बड़े पब्लिक ब्राडकास्टर KBS ने ब्रिटेन और अमेरिका में कोरोना की स्थिति की रिपोर्टिंग में WHO के नए नामों के बजाय "भारतीय वेरियेंट" (इन्दो ब्यनई) शब्द का कई बार धड़ल्ले से प्रयोग किया है. दक्षिण कोरिया के बाकी चैनल भी यही कर रहे हैं. मुझे मालूम नहीं दूसरे देशों का मीडिया किसी देश का नाम जोड़े बिना नए नामों से कितनी रिपोर्टिंग कर रहा है . उत्तर कोरिया का ऐसा रवैया उसके उच्च नैतिक स्तर को दिखलाता है(अब ये बात कितनों को समझ में आएगी? ) वहीं दक्षिण कोरिया के रिपोर्टिंग का ऐसा रवैया घोर निंदनीय है.

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