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मई, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

जनवादी कोरिया के बिजलीघर

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  इस पोस्ट को 30 अक्टूबर 2021 को अपडेट किया गया कुछ झंडुओं के बकवास के विपरीत उत्तर कोरिया में न केवल बिजली है बल्कि बिजली पैदा करने वाले कई बिजलीघर भी हैं. और वहाँ कोई चीन और रूस से बिजली नहीं आती.  बिजली उत्पादन उत्तर कोरिया के प्रमुख उद्योगों में से एक है. देश में कोयले और जल संसाधनों की भरमार है. ताप बिजलीघर के अलावा वहाँ कई जलविद्युत केंद्र हैंं. इस वीडियो में उसकी एक झलक दिखलाई गई है. 1950 के दशक के उतरार्ध में जब उत्तर कोरिया कोरिया युद्ध से हुई भीषणतम तबाही के बादअपने नवनिर्माण जोर शोर से लगा था उसी दौर में तत्कालीन सोवियत संघ के बैकाल झील बिजलीघर से उसे बिजली देने का प्रस्ताव रखा गया तब उत्तर कोरिया के नेता किम इल संग ने इस प्रस्ताव को यह कहते हुए मना कर दिया था कि अगर हम बिजली के लिए आपपर निर्भर हो जाएं और आप बिजली नहीं दे पाएं तो हम बड़ी मुश्किल में पड़ जाएंगे. अगर हमारे पास आपके बिजलीघर से हमारे देश तक बिजली लाने के लिए ट्रांसमिशन केबल बिछाने के पैसे हैं तो उन पैसों से हमारे देश में एक और जलविद्युत केंद्र बनाना बेहतर होगा. इसके बाद उत्तर कोरिया ने अपने खुद के दम पर देश में

जनवादी कोरिया के उद्योग

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 सोशल मीडिया पर उत्तर कोरिया के बारे में अनाप शनाप लिखने वाले झंडुओं की मानें तो उत्तर कोरिया में इंडस्ट्री लगभग  नहीं हैं. इसके अलावा एक वामपंथी तबका जो अपने आप को "असली मार्क्सवादी या कम्युनिस्ट" कहता फिरता है उनका भी कहना है कि उत्तर कोरिया कृषि पर अत्याधिक निर्भर है मतलब वहाँ उद्योगों की भूमिका नगण्य है.   आप लोग जिस इंटरनेट के द्वारा सोशल मीडिया पर उत्तर कोरिया के बारे में जो ज्ञान हांक रहे ना उसी इंटरनेट का सहारा लेकर जरा एक बार Industry in North Korea लिखकर सर्च ही कर लेते. संघियों अंधभक्तों से कोई  प्रतियोगिता करनी है  या ऐसे ही फेकमफांक करना है? या "असली मार्क्सवादियों" को साम्राज्यवाद के साथ जुगलबंदी करनी है?   अंग्रेजी में लगभग 27 मिनट के इस वीडियो को देखिए . उत्तर कोरिया के लौह इस्पात, भारी मशीनरी, रसायन , सीमेंट, भवन निर्माण सामग्री, खनन इत्यादि भारी उद्योगों से लेकर कपड़ा, जूता, बैग, स्टेशनरी, उपभोक्ता सामग्री, खाद्य प्रसंस्करण इत्यादि हल्के उद्योगों को दिखलाया गया है. सभी कारखाने असली हैं कोई फिल्मी सेट नहीं है. वीडियो में देश के कुछ कारखाने ही दिखाए

धान की रोपनी

  उत्तर कोरिया के विभिन्न सहकारी फार्मों में धान की रोपनी शुरू   हो गई है.  पिछले साल के खराब मौसम से हुए नुकसान से सीख लेते हुए इस साल जो देश की नई पंचवर्षीय योजना का पहला साल भी है धान की रोपनी के लिए विशेष रणनीति बनाई गई है. वीडियो मेंं कुछ गाते हुए लोग दिखेंगे जो कलाकार  दल के सदस्य हैं और देश के सभी कार्यस्थलों पर कामगारों की हौसला अफ़ज़ाई के लिए  क्रांतिकारी गीत संगीत और भाषण पेश करते हैं  कोरिया के उत्तर और दक्षिण में विभाजन के फलस्वरूप लगभग सारी कृषि योग्य भूमि दक्षिण कोरिया में चली गयी और उत्तर कोरिया के हिस्से बहुत ही थोड़ी कृषि योग्य भूमि आयी. उत्तर कोरिया का 85% भूभाग पहाड़ी है और वहाँ की जलवायु भी कृषि योग्य नहीं है. अंदाज़न वहाँ की कुल भूमि का 15% ही कृषि योग्य है. उपर से कोरियाई युद्ध के दौरान उत्तर कोरिया के उपर गिराए गए टनों बम से भी वहाँ के जमीन की उर्वरा शक्ति बहुत बुरी तरह से प्रभावित हुई.   उत्तर कोरिया में समाजवादी शासन की स्थापना  के बाद से वहाँ तेजी से भूमि सुधार हुआ. सामूहिक कृषि फार्मों की स्थापना हुई. उत्तर कोरिया अपनी आत्मनिर्भरता की नीति के तहत अपनी जरुरत का 9

बेहतर स्वास्थ्य सुविधा

  उत्तर कोरिया की वर्कर्स पार्टी और सरकार  के लिए जनता की बेहतर स्वास्थ्य सुविधा एक "महानतम क्रांतिकारी कार्य" है. इसी के तहत जनता को और भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए देश भर के अस्पतालों का पुनर्निर्माण कराया जा रहा है. इसी कड़ी में देश के दक्षिण हामग्यंग प्रांत में  प्रांतीय स्तर के एक जनता अस्पताल का पुनर्निर्माण कर 19 मई 2021 को उद्घाटन कर जनता को समर्पित किया गया. उत्तर कोरिया में सारे नागरिकों को आजीवन मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का अधिकार है और वहाँ निजी अस्पतालों का कोई अस्तित्व ही नहीं है. विश्व बैंक जैसे साम्राज्यवादी संगठन जिससे उत्तर कोरिया के लिए किसी भी तरह की सहानुभूति की उम्मीद नहीं की जा सकती  उसके 2016 तक के आकड़ों के अनुसार उत्तर कोरिया में प्रति 1000 लोगों पर डाक्टर का अनुपात 3.7 है जो  अमेरिका (2.6), चीन (1.8), जापान (2.9), भारत (0.8), फ्रांस (3.2), यूके (2.8), कनाडा (2.6) और दक्षिण कोरिया (2.4) से भी अधिक है

जनवादी कोरिया के टीवी चैनल पर कोविड की खबर के अलावा भारत की अन्य खबरें

  ऐसा नहीं है कि उत्तर कोरिया का टीवी चैनल भारत में सिर्फ कोविड से संबंधित खबरें ही दिखलाता है ज्यादा पीछे न जाते हुए मैंने जनवरी 2021 से लेकर अबतक के उत्तर कोरिया के टीवी चैनल पर दिखलाई जाने वाली अंतर्राष्ट्रीय खबरों खासकर भारत से संबंधित खबरों का विश्लेषण कर ये पाया है कि इस अवधि में  कोविड के खबरों के अलावा उत्तराखण्ड में ग्लेशियर टूटने जैसी घटनाओं के अलावा ऐसी चीजों की भी रिपोर्टिंग की गई है जिसकी कल्पना अधिकांश भारतीयों ने कभी नहीं की होगी कि उत्तर कोरिया के टीवी में भारत के बारे में ऐसी चीज भी दिखलाई जाती होंगी. 10 मार्च 2021 को वहाँ के टीवी चैनल पर रोज शाम 8 बजे प्रसारित होने वाले समाचार बुलेटिन के अंतर्राष्ट्रीय खबरों वाले भाग में भारत में चल रहे रिसाइक्लिंग के काम की खबर दिखलाई गई है. इस खबर में जो कहा जा रहा है उसका हिंदी अनुवाद कुछ इस तरह है. "भारत में रिसाइक्लिंग का काम पूरे देश में लोकप्रिय हो रहा है. हाल ही में यहाँ की महिलाओं द्वारा कपड़े के कारखानों से निकलने वाले कपड़े के बचे टुकड़ों को रिसाइकल कर बनाए गए बेड कवर लोगों को खूब पसंद आ रहे हैं. इन महिलाओं ने एक छो

जनवादी कोरिया और फिलीस्तीन

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उत्तर कोरिया ने फिलीस्तीनी जनता का  शुरू से ही समर्थन किया है. फिलीस्तीनी मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष यासिर अराफात हमेशा से ही उत्तर कोरिया में सम्मानित व्यक्ति रहे है.  साल  1993 में  यासिर अराफात उतर कोरिया की यात्रा पर गए  और वहाँ के तत्कालीन राष्ट्रपति किम इल संग ने उनको सम्मानित भी किया. उत्तर कोरिया 1966 से फिलीस्तीन के साथ अपने रिश्ते की शुरुआत से ही फिलीस्तीनी मुक्ति संग्राम का साथ देता आया है. उत्तर कोरिया का फिलीस्तीन के लिए प्रत्यक्ष समर्थन 1970 और 1980 के दशक में और तेज हुआ जब उसने  फिलीस्तीन मुक्ति मोर्चा (PLO) और फिलीस्तीन मुक्ति जनवादी मोर्चा (Democratic Front for the Liberation of Palestine) को वित्तीय और सैनिक सहायता प्रदान की .  उत्तर कोरिया ने फिलीस्तीन को मातृत्व सुरक्षा और शिक्षा के क्षेत्र में भी काफी सहायता की. 1973 के योम किपूर  (Yom Kippur) युद्ध में उत्तर कोरिया ने मिस्र और सीरिया को सैनिक मदद मुहैया कराई.  1988 में जब फिलीस्तीन मुक्ति मोर्चा ने  फिलीस्तीन की आजादी की घोषणा की तो उत्तर कोरिया ने उसे  तुरंत मान्यता दे दी.  जनवादी कोरिया इजराइल का कटु आलोचक है और उ

जनवादी कोरिया के स्कूलों में पढ़ाए जाने वाले विश्व इतिहास के किताब की विषय सूची

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 अमेरिका और उसके सबसे वफादार गुलाम दक्षिण कोरिया के द्वारा उत्तर कोरिया के दुष्प्रचार के कचरे को हाथो हाथ लपकने वाले भारतीय मीडिया द्वारा ये मिथक फैलाया जाता है कि उत्तर कोरिया को दूसरे देशों के इतिहास से कोई मतलब नहीं है और वहाँ इतिहास के नाम पर  केवल वहाँ के नेताओं की जीवनी पढ़ाई जाती है तो ये रहा उसका जवाब कि वहाँ बाकायदा दुनिया का इतिहास  पढ़ाया जाता है. और पेश है उत्तर कोरिया के छह वर्षीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल के तीसरे चौथे और पांचवे वर्ष (भारत के नवीं, दसवीं और ग्यारहवीं कक्षा के समकक्ष) में पढ़ाए जाने वाले विश्व इतिहास के किताबों की अध्याय सूची की तस्वीर और उसका हिन्दी अनुवाद. प्रस्तावना...................................................................2 अध्याय 1 प्राचीन राज्य.......................................................3 खंड 1. मिस्र का गुलाम राज्य.........................................3 खंड 2 भारत का गुलाम राज्य.........................................7 खंड 3 झू राजवंश ...................................................11 खंड 4. स्पार्टा और एथेंस, यूनान-फ़ारस युद्ध

क्या पढ़ता है जनवादी कोरिया भारत के बारे में

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नवभारत टाइम्स 7 मई 2021 भूल सुधार: मैं लंबे अरसे तक उत्तर कोरिया में नहीं, दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में रहा हूँ जो उत्तर कोरिया की सीमा से केवल 55 किमी होते हुए भी बहुत दूर है लेखकः ब्रजेश सत्य पिछले दिनों भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के अध्यक्ष विनय सहस्त्रबुद्धे ने बताया कि सरकार ने अब तक 60 देशों की स्कूली किताबों का अध्ययन कर यह जानने की कोशिश की है कि वे अपने बच्चों को भारत के बारे में क्या पढ़ा रहे हैं। इस सिलसिले में अभी 150 और देशों की स्कूली किताबें खंगाली जाएंगी, फिर रिपोर्ट भारत सरकार को दी जाएगी। सरकार दुनिया भर के पाठ्यक्रम खंगाल रही है। ऐसे में उत्तर कोरिया का भी नाम जेहन में कौंधता है, जिसके बारे में अपने यहां आम धारणा बनाई गई है कि वहां तो सिर्फ वहीं के नेता पढ़ाए जाते हैं, बाकी देशों से उनको कोई मतलब नहीं है। मैं लंबे अरसे तक वहां रहा हूं, उस देश को नजदीक से देखा है। वहां के 6 वर्षीय माध्यमिक विद्यालय के तीसरे से पांचवें वर्ष (भारत में कक्षा 9 से 11) के पाठ्यक्रम में बाकायदा दुनिया का इतिहास और भूगोल पढ़ाया जाता है। इनमें से अकेले एक कक्षा की विश्व इतिहास और भ

शैक्षणिक रोबोट

  उत्तर कोरिया के पूरी तरह से सरकारी किंडरगार्डन और प्राईमरी स्कूलों में बच्चों की शिक्षा के लिए  कृत्रिम बुद्धिमत्ता(Artificial intelligence AI) तकनीक से युक्त शैक्षणिक रोबोटों का सहारा लिया जा रहा है.ये सारे रोबोट वहाँ के  प्योंगयांग शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय के द्वारा विकसित किए गए हैं 

खेती से जुड़े नए संस्थानों का उद्घाटन

 2 मई 2021 को उत्तर कोरिया के कृषि विज्ञान अकादमी के कैम्पस में कृषि जैव विज्ञान संस्थान(,Agrobiology Institute), पौध सुरक्षा संस्थान (Plant Protection Institute),कृषि नैनो तकनीक संस्थान ( Agricultural Nano-technology Institute) और कृषि रासायनिकी संस्थान (Institute of Agro-chemicalization) का उद्घाटन हुआ. जाहिर है सारे सरकारी हैं क्योंकि उत्तर कोरिया में पब्लिक प्राईवेट साझेदारी नाम की चीज दूर दूर तक नहीं पाई जाती. ये संस्थान आधुनिकतम अनुसंधान सुविधाओं और प्रयोगशालाओं से युक्त हैं और इनका उद्देश्य देश के कृषि उत्पादन के सुदृढ़ और टिकाऊ विकास के लिए भौतिक और तकनीकी आधार प्रदान करना है.  इन संस्थानों के बनकर तैयार से उत्तर कोरिया की वर्कर्स पार्टी के नवीनतम तकनीक से बीजों को उन्नत बनाने और हानिकारक कीटों से बचाव से संबंधित नीति को लागू करना संभव होगा. ये संस्थान  नैनो तकनीक पर आधारित विभिन्न तरह के कृषि रासायनिक उत्पाद जैसे फर्टिलाइजर, पोषक तत्वों और  बीज कवच (Seed cover) के अनुसंधान और असरकारी उत्पादन तरीके और तकनीक को लागू करने के लिए  सुदृढ़ आधार मुहैया कराएंगे. लेकिन कुछ झंडुओं की मा

जनवादी कोरिया में मई दिवस और भारत में दिन ब दिन कोविड से बिगड़ते हालात

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  दु्निया भर के मेहनतकशों का त्योहार मई दिवस उत्तर कोरिया में भी वहां कोरोना का एक भी मामला न होने पर भी एहतियात के साथ धूमधाम से मनाया गया. देश की राजधानी प्योंगयांग के अलावा अन्य शहरों वोनसान, छोंगजिन, हेसान, नाम्फो में स्थित कारखानों के पुरुष और महिला मजदूरों ने बड़े उत्साह के साथ अपना त्योहार मनाया. इस अवसर पर सभी जगह खेलकूद प्रतियोगिताएं, गीत संगीत, नाटक इत्यादि का आयोजन हुआ. इस वीडियो फुटेज के आखिरी हिस्से में 1 मई 2021 के उत्तर कोरिया  के न्यूज़ बुलेटिन के अंतरराष्ट्रीय खबरों के  हिस्से से भारत में कोविड से लगातार बिगड़ रहे हालात की खबर जोड़ी गई है. इसमें बताया जा रहा है कि भारत में लगातार 5 दिनों से साढ़े तीन लाख से उपर मामले आ रहें हैं और मरने वालों की संख्या में तीन गुने का इजाफा हुआ है.30 अप्रैल 2021 को भारत में दैनिक कोविड संक्रमितों और मृतकों की संख्या के साथ साथ भारत के कुल संक्रमितों और मृतकों की संख्या बताने के साथ  विश्व स्वास्थ्य संगठन के यूरोप के प्रतिनिधि के हवाले से यह भी कहा गया है कि  व्यक्तिगत रूप से कोविड नियमों का उल्लंघन किया और भीड़ लगाई तो दुनिया के किसी भी